"तब हनुमंत उभय दिसि": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
 
पंक्ति 29: पंक्ति 29:
|टिप्पणियाँ =  
|टिप्पणियाँ =  
}}
}}
;[[सुग्रीव]] का दुःख सुनाना, [[बालि]] वध की प्रतिज्ञा, श्री [[राम|रामजी]] का मित्र लक्षण वर्णन
;सुग्रीव का दुःख सुनाना, बालि वध की प्रतिज्ञा, श्री राम जी का मित्र लक्षण वर्णन
{{poemopen}}
{{poemopen}}
<poem>
<poem>

09:54, 18 मई 2016 के समय का अवतरण

तब हनुमंत उभय दिसि
रामचरितमानस
रामचरितमानस
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली चौपाई और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड किष्किंधा काण्ड
सुग्रीव का दुःख सुनाना, बालि वध की प्रतिज्ञा, श्री राम जी का मित्र लक्षण वर्णन
दोहा

तब हनुमंत उभय दिसि की सब कथा सुनाइ।
पावक साखी देइ करि जोरी प्रीति दृढ़ाइ॥4॥

भावार्थ

तब हनुमान जी ने दोनों ओर की सब कथा सुनाकर अग्नि को साक्षी देकर परस्पर दृढ़ करके प्रीति जोड़ दी (अर्थात्‌ अग्नि की साक्षी देकर प्रतिज्ञापूर्वक उनकी मैत्री करवा दी)॥4॥


पीछे जाएँ
पीछे जाएँ
तब हनुमंत उभय दिसि
आगे जाएँ
आगे जाएँ

दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख