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;दोहा
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भानुप्रतापहि बाजि समेता। पहुँचाएसि छन माझ निकेता॥
राजा के उपरोहितहि हरि लै गयउ बहोरि।
नृपहि नारि पहिं सयन कराई। हयगृहँ बाँधेसि बाजि बनाई॥
लै राखेसि गिरि खोह महुँ मायाँ करि मति भोरि॥ 171॥
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11:28, 10 जून 2016 के समय का अवतरण

राजा के उपरोहितहि
रामचरितमानस
रामचरितमानस
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
दोहा

राजा के उपरोहितहि हरि लै गयउ बहोरि।
लै राखेसि गिरि खोह महुँ मायाँ करि मति भोरि॥ 171॥

भावार्थ-

फिर वह राजा के पुरोहित को उठा ले गया और माया से उसकी बुद्धि को भ्रम में डालकर उसे उसने पहाड़ की खोह में ला रखा॥ 171॥


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राजा के उपरोहितहि
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दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


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