"रामानुज कहँ रामु कहँ": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
<h4 style="text-align:center;">रामचरितमानस षष्ठ सोपान (लंका काण्ड) : मेघनाद वध</h4>
{{सूचना बक्सा पुस्तक
{{सूचना बक्सा पुस्तक
|चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg
|चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg
पंक्ति 31: पंक्ति 32:
|टिप्पणियाँ =  
|टिप्पणियाँ =  
}}
}}
;मेघनाद-वध
{{poemopen}}
{{poemopen}}
<poem>
<poem>

14:40, 28 जुलाई 2016 के समय का अवतरण

रामचरितमानस षष्ठ सोपान (लंका काण्ड) : मेघनाद वध

रामानुज कहँ रामु कहँ
रामचरितमानस
रामचरितमानस
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक 'रामचरितमानस'
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि।
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली दोहा, चौपाई, छंद और सोरठा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड लंकाकाण्ड
सभी (7) काण्ड क्रमश: बालकाण्ड‎, अयोध्या काण्ड‎, अरण्यकाण्ड, किष्किंधा काण्ड‎, सुंदरकाण्ड, लंकाकाण्ड‎, उत्तरकाण्ड
दोहा

रामानुज कहँ रामु कहँ अस कहि छाँड़ेसि प्रान।
धन्य धन्य तव जननी कह अंगद हनुमान॥ 76॥

भावार्थ

राम के छोटे भाई लक्ष्मण कहाँ हैं? राम कहाँ हैं? ऐसा कहकर उसने प्राण छोड़ दिए। अंगद और हनुमान कहने लगे - तेरी माता धन्य है, धन्य है, (जो तू लक्ष्मण के हाथों मरा और मरते समय राम-लक्ष्मण को स्मरण करके तूने उनके नामों का उच्चारण किया)॥ 76॥



पीछे जाएँ
पीछे जाएँ
रामानुज कहँ रामु कहँ
आगे जाएँ
आगे जाएँ


दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

पुस्तक- श्रीरामचरितमानस (लंकाकाण्ड) |प्रकाशक- गीताप्रेस, गोरखपुर |संकलन- भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|पृष्ठ संख्या-438

संबंधित लेख