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*वनवास के समय [[राम]] के टिकने का स्थान या पड़ाव को रामटेक कहा जाता है।  
{{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय
*रामटेक एक तीर्थ स्थान है। [[नागपुर]] से रामटेक स्टेशन 26 मील की दूरी पर है। रामटेक से बस्ती एक मील की दूरी पर है।  
|चित्र=Kalidas-Smarak-Ramtek.jpg
*रामटेक के पास रामगिरि नामक पर्वत है। पर्वत के ऊपर श्रीराममन्दिर है। श्रीराममन्दिर के सामने वराह भगवान की मूर्ति है।  
|चित्र का नाम=कालीदास स्मारक, रामटेक
*रामटेक से दो मील दूर रामसागर तथा अम्बासागर नामक दो पवित्र सरोवर हैं। इनके किनारे कई मन्दिर हैं।
|विवरण='रामटेक' [[महाराष्ट्र]] स्थित प्रसिद्ध [[हिन्दू]] धार्मिक स्थल है। [[श्रीराम|भगवान श्रीराम]] तथा [[कालिदास|महाकवि कालिदास]] से इसका निकट सम्बंध रहा है।
*रामटेक में जैनमन्दिर भी है। कुछ विद्वानों का मत है कि [[कालिदास]] के मेघदूत का रामगिरि यही है।  
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|अन्य जानकारी=[[चंद्रगुप्त द्वितीय]] की पुत्री [[प्रभावती गुप्त]] ने रामगिरि की यात्रा की थी। इस तथ्य की जानकारी 'रिद्धपुर' के ताम्रपत्र लेख से होती है।
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'''रामटेक''' [[महाराष्ट्र|महाराष्ट्र राज्य]] के [[नागपुर]] से 20 मील की दूरी पर रमणीक और ऊंची पहाड़ियों पर स्थित है। यह एक प्रसिद्ध [[हिन्दू]] [[तीर्थ|तीर्थ स्थान]] है।
 
*वनवास के समय [[राम]] के 'टिकने का स्थान' या 'पड़ाव' को 'रामटेक' कहा जाता है।
*कुछ विद्वानों के मत में यह [[कालिदास|महाकवि कालिदास]] के '[[मेघदूत]]' में वर्णित [[रामगिरि, छत्तीसगढ़|रामगिरि]] है। यहाँ विस्तीर्ण पर्वतीय प्रदेश में अनेक छोट-छोटे सरोवर स्थित हैं, जो शायद 'पूर्वमेघ' में उल्लिखित 'जनकतनया स्नान पुण्योदकेषु' में निर्दिष्ट जलाशय हैं।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=789|url=}}</ref>
*किंवदंती है कि वनवास काल में [[राम]], [[लक्ष्मण]] तथा [[सीता]] इस स्थान पर रहे थे।
*रामचंद्र जी का एक सुंदर मंदिर ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। मंदिर के निकट विशाल वराह की मूर्ति के आकार में कटा हुआ एक शैलखंड स्थित है।
*रामटेक को 'सिंदूरगिरि' भी कहते हैं। इसके पूर्व की ओर 'सुरनदी' या 'सूर्यनदी' बहती है।
*इस स्थान पर एक ऊंचा टीला है, जिसे [[गुप्त काल|गुप्तकालीन]] बताया जाता है।
*[[चंद्रगुप्त द्वितीय]] की पुत्री [[प्रभावती गुप्त]] ने रामगिरि की यात्रा की थी। इस तथ्य की जानकारी 'रिद्धपुर' के ताम्रपत्र लेख से होती है।
*प्राचीन जनश्रुति के अनुसार रामचंद्र जी ने [[शंबूक]] का वध इसी स्थान पर किया था।
*रामटेक में [[जैन धर्म|जैन]] मन्दिर भी है। कुछ विद्वानों का मत है कि [[कालिदास]] के 'मेघदूत' का रामगिरि यही है।
*[[नागपुर]] से रामटेक स्टेशन 26 मील की दूरी पर है। यहाँ से [[बस्ती ज़िला|बस्ती]] एक मील की दूरी पर है।


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रामटेक
कालीदास स्मारक, रामटेक
कालीदास स्मारक, रामटेक
विवरण 'रामटेक' महाराष्ट्र स्थित प्रसिद्ध हिन्दू धार्मिक स्थल है। भगवान श्रीराम तथा महाकवि कालिदास से इसका निकट सम्बंध रहा है।
राज्य महाराष्ट्र
ज़िला नागपुर
धार्मिक मान्यता माना जाता है कि अपने वनवास काल में राम, लक्ष्मण तथा सीता इस स्थान पर रहे थे।
संबंधित लेख महाराष्ट्र पर्यटन, राम, कालीदास, मेघदूत, रामगिरि
अन्य जानकारी चंद्रगुप्त द्वितीय की पुत्री प्रभावती गुप्त ने रामगिरि की यात्रा की थी। इस तथ्य की जानकारी 'रिद्धपुर' के ताम्रपत्र लेख से होती है।

रामटेक महाराष्ट्र राज्य के नागपुर से 20 मील की दूरी पर रमणीक और ऊंची पहाड़ियों पर स्थित है। यह एक प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ स्थान है।

  • वनवास के समय राम के 'टिकने का स्थान' या 'पड़ाव' को 'रामटेक' कहा जाता है।
  • कुछ विद्वानों के मत में यह महाकवि कालिदास के 'मेघदूत' में वर्णित रामगिरि है। यहाँ विस्तीर्ण पर्वतीय प्रदेश में अनेक छोट-छोटे सरोवर स्थित हैं, जो शायद 'पूर्वमेघ' में उल्लिखित 'जनकतनया स्नान पुण्योदकेषु' में निर्दिष्ट जलाशय हैं।[1]
  • किंवदंती है कि वनवास काल में राम, लक्ष्मण तथा सीता इस स्थान पर रहे थे।
  • रामचंद्र जी का एक सुंदर मंदिर ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। मंदिर के निकट विशाल वराह की मूर्ति के आकार में कटा हुआ एक शैलखंड स्थित है।
  • रामटेक को 'सिंदूरगिरि' भी कहते हैं। इसके पूर्व की ओर 'सुरनदी' या 'सूर्यनदी' बहती है।
  • इस स्थान पर एक ऊंचा टीला है, जिसे गुप्तकालीन बताया जाता है।
  • चंद्रगुप्त द्वितीय की पुत्री प्रभावती गुप्त ने रामगिरि की यात्रा की थी। इस तथ्य की जानकारी 'रिद्धपुर' के ताम्रपत्र लेख से होती है।
  • प्राचीन जनश्रुति के अनुसार रामचंद्र जी ने शंबूक का वध इसी स्थान पर किया था।
  • रामटेक में जैन मन्दिर भी है। कुछ विद्वानों का मत है कि कालिदास के 'मेघदूत' का रामगिरि यही है।
  • नागपुर से रामटेक स्टेशन 26 मील की दूरी पर है। यहाँ से बस्ती एक मील की दूरी पर है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 789 |

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