"जवारी मंदिर, खजुराहो": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
(''''जवारी मंदिर''' खजुराहो, मध्य प्रदेश का प्रसिद्ध...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{सूचना बक्सा पर्यटन
|चित्र=Javari-Temple-Khajuraho-1.jpg
|चित्र का नाम=जवारी मंदिर, खजुराहो
|विवरण='जवारी मंदिर' [[खजुराहो]] स्थित पर्यटन स्थल है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और अपने सुंदर नक्काशी कार्य के लिए जाना जाता है।
|राज्य=[[मध्य प्रदेश]]
|केन्द्र शासित प्रदेश=
|ज़िला=[[छतरपुर]]
|निर्माता=
|स्वामित्व=
|प्रबंधक=
|निर्माण काल=
|स्थापना=
|भौगोलिक स्थिति=
|मार्ग स्थिति=
|मौसम=
|तापमान=
|प्रसिद्धि=पर्यटन स्थल
|कब जाएँ=[[अक्टूबर]] से मार्च
|कैसे पहुँचें=हवाई जहाज़, रेल, बस आदि से पहले [[खजुराहो]] पहुँचा जा सकता है।
|हवाई अड्डा=
|रेलवे स्टेशन=खजुराहो
|बस अड्डा=
|यातायात=
|क्या देखें=
|कहाँ ठहरें=
|क्या खायें=
|क्या ख़रीदें=
|एस.टी.डी. कोड=
|ए.टी.एम=
|सावधानी=
|मानचित्र लिंक=
|संबंधित लेख=[[मध्य प्रदेश]], [[मध्य प्रदेश पर्यटन]], [[खजुराहो]]
|शीर्षक 1=
|पाठ 1=
|शीर्षक 2=
|पाठ 2=
|अन्य जानकारी=मंदिर के गर्भगृह में [[विष्णु|भगवान विष्णु]] की प्रतिमा है, जिसका सिर खण्डित है। प्रतिमा भगवान विष्णु के वैकुण्ठ रूप को प्रदर्शित करती है।
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन=
}}
'''जवारी मंदिर''' [[खजुराहो]], [[मध्य प्रदेश]] का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। वामन मंदिर के पास दक्षिण की ओर स्थित यह [[विष्णु|भगवान विष्णु]] का मंदिर है। यह अपने छोटे स्वरूप के होते हुए भी अपनी सुंदरता एवं कुछ विशेषताओं के लिए उल्लेखनीय है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की प्रतिमा है, जिसका सिर खण्डित है। प्रतिमा भगवान विष्णु के वैकुण्ठ रूप को प्रदर्शित करती है।
'''जवारी मंदिर''' [[खजुराहो]], [[मध्य प्रदेश]] का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। वामन मंदिर के पास दक्षिण की ओर स्थित यह [[विष्णु|भगवान विष्णु]] का मंदिर है। यह अपने छोटे स्वरूप के होते हुए भी अपनी सुंदरता एवं कुछ विशेषताओं के लिए उल्लेखनीय है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की प्रतिमा है, जिसका सिर खण्डित है। प्रतिमा भगवान विष्णु के वैकुण्ठ रूप को प्रदर्शित करती है।
==स्थापत्य कला==
==स्थापत्य कला==
पंक्ति 5: पंक्ति 45:
जवारी मंदिर की जंघा की उष्णीयसज्जा में कूट-छाद्य शीर्षयुक्त भरणियों और कपोतों का प्रयोग हुआ है, जो [[गुजरात]] के मध्यकालीन मंदिरों का एक विशिष्ट लक्षण है। जंघा की निचली पंक्ति की देव प्रतिमाएँ, ऐसी रथिकाओं में विराजमान है, जिनके वृत्ताकार अर्द्धस्तंभों के किरीटों पर हीरक है और तोरण मेहराबों से अच्छादित हैं। इस मंदिर की सुर-सुंदरियों का केश विन्यास धम्मिल प्रकार का नहीं है और उनमें से अधिकांश दो लड़ों वाली मेखलाएँ पहने हैं। इसके शिखर की गवाक्षनुमा चैत्य मेहराबें भारी तथा पेचिदा हैं। अंत में इसके द्वार की देहली पर निर्मित सरितदेवियाँ गंगा-यमुना नृत्य मुद्रा में प्रतीत होती हैं।
जवारी मंदिर की जंघा की उष्णीयसज्जा में कूट-छाद्य शीर्षयुक्त भरणियों और कपोतों का प्रयोग हुआ है, जो [[गुजरात]] के मध्यकालीन मंदिरों का एक विशिष्ट लक्षण है। जंघा की निचली पंक्ति की देव प्रतिमाएँ, ऐसी रथिकाओं में विराजमान है, जिनके वृत्ताकार अर्द्धस्तंभों के किरीटों पर हीरक है और तोरण मेहराबों से अच्छादित हैं। इस मंदिर की सुर-सुंदरियों का केश विन्यास धम्मिल प्रकार का नहीं है और उनमें से अधिकांश दो लड़ों वाली मेखलाएँ पहने हैं। इसके शिखर की गवाक्षनुमा चैत्य मेहराबें भारी तथा पेचिदा हैं। अंत में इसके द्वार की देहली पर निर्मित सरितदेवियाँ गंगा-यमुना नृत्य मुद्रा में प्रतीत होती हैं।
==गर्भ गृह==
==गर्भ गृह==
मंदिर के गर्भगृह में [[विष्णु]] एक पद्यपीठ पर समभंग खड़े हैं। उनका मस्तक तथा चारों हाथ खंडित हैं। वे सामान्य खजुराहो अलंकारों से अलंकृत हैं। उनकी प्रभाववली के ऊपर [[ब्रह्मा]], [[विष्णु]] और [[शिव]] की छोटी-छोटी प्रतिमाएँ अंकित की गई हैं। छत के उद्गमों की रथिकाएँ प्रतिमा विहीन हैं। पार्श्व रथिकाओं पर युग्म प्रतिमाएँ एवं नारी प्रतिमाएँ हैं। उत्तरी मंडप के उद्गम पर [[शिव]]-[[पार्वती]] प्रतिमा, अनेक देव तथा [[गणेश]] इस रथिका के मुत्तारंगण का भाग है। गर्भगृह की छत की रथिका का पूर्वीचंद्र देव युग्म, एक नारी तथा युग्म प्रतिमाओं का अलंकरण किया गया है। चतुर्भुज देवी [[कुबेर]] की पत्नी के रूप में अंकित है।
[[चित्र:Javari-Temple-Khajuraho-7.jpg|thumb|left|250px|जवारी मंदिर, [[खजुराहो]]]]
मंदिर के गर्भगृह में [[विष्णु]] एक पद्यपीठ पर समभंग खड़े हैं। उनका मस्तक तथा चारों हाथ खंडित हैं। वे सामान्य खजुराहो अलंकारों से अलंकृत हैं। उनकी प्रभाववली के ऊपर [[ब्रह्मा]], [[विष्णु]] और [[शिव]] की छोटी-छोटी प्रतिमाएँ अंकित की गई हैं। छत के उद्गमों की रथिकाएँ प्रतिमा विहीन हैं।


पार्श्व रथिकाओं पर युग्म प्रतिमाएँ एवं नारी प्रतिमाएँ हैं। उत्तरी मंडप के उद्गम पर [[शिव]]-[[पार्वती]] प्रतिमा, अनेक देव तथा [[गणेश]] इस रथिका के मुत्तारंगण का भाग है। गर्भगृह की छत की रथिका का पूर्वीचंद्र देव युग्म, एक नारी तथा युग्म प्रतिमाओं का अलंकरण किया गया है। चतुर्भुज देवी [[कुबेर]] की पत्नी के रूप में अंकित है।


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
<gallery>
चित्र:Javari-Temple-Khajuraho-2.jpg|गुम्बद पर शानदार नक़्क़ाशी
चित्र:Javari-Temple-Khajuraho-4.jpg|मंदिर के मुख्य द्वार से बाहर का दृश्य
चित्र:Javari-Temple-Khajuraho-3.jpg|जवारी मंदिर, [[खजुराहो]]
चित्र:Javari-Temple-Khajuraho-6.jpg|मंदिर पर सुंदर नक़्क़ाशी कार्य
चित्र:Javari-Temple-Khajuraho-5.jpg|मंदिर के गुम्बद पर देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ
चित्र:Javari-Temple-Khajuraho.jpg|सूचना पट, जवारी मंदिर
</gallery>
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>

12:52, 17 अप्रैल 2017 के समय का अवतरण

जवारी मंदिर, खजुराहो
जवारी मंदिर, खजुराहो
जवारी मंदिर, खजुराहो
विवरण 'जवारी मंदिर' खजुराहो स्थित पर्यटन स्थल है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और अपने सुंदर नक्काशी कार्य के लिए जाना जाता है।
राज्य मध्य प्रदेश
ज़िला छतरपुर
प्रसिद्धि पर्यटन स्थल
कब जाएँ अक्टूबर से मार्च
कैसे पहुँचें हवाई जहाज़, रेल, बस आदि से पहले खजुराहो पहुँचा जा सकता है।
रेलवे स्टेशन खजुराहो
संबंधित लेख मध्य प्रदेश, मध्य प्रदेश पर्यटन, खजुराहो


अन्य जानकारी मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की प्रतिमा है, जिसका सिर खण्डित है। प्रतिमा भगवान विष्णु के वैकुण्ठ रूप को प्रदर्शित करती है।

जवारी मंदिर खजुराहो, मध्य प्रदेश का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। वामन मंदिर के पास दक्षिण की ओर स्थित यह भगवान विष्णु का मंदिर है। यह अपने छोटे स्वरूप के होते हुए भी अपनी सुंदरता एवं कुछ विशेषताओं के लिए उल्लेखनीय है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की प्रतिमा है, जिसका सिर खण्डित है। प्रतिमा भगवान विष्णु के वैकुण्ठ रूप को प्रदर्शित करती है।

स्थापत्य कला

कंदारिया महादेव मंदिर के बाद बनने वाले जवारी मंदिर में शिल्प की उत्कृष्टता है। यह मंदिर 39' लंबा और 21' चौड़ा, यह अर्द्धमंडप, मंडप, अंतराल और गर्भगृह से युक्त है। वास्तु और शिल्प के आधार पर इस मंदिर का निर्माण काल आदिनाथ तथा चतुर्भुज मंदिरों के मध्य (950-975 ई.) निर्धारित किया जा सकता है। इसका अलंकृत मकरतोरण और पतला तथा उसुंग मनोरम शिखर इसको वास्तु रत्न बनाता है। इसकी सामान्य योजना तथा रचना शैली दूसरे मंदिरों से इसको अलग करती है। इसके अतिरिक्त दो विलक्षण वास्तु विशेषताओं के कारण यह खजुराहो समूह के मंदिरों में अपना विशिष्ट स्थान रखता है।

विशेषता

जवारी मंदिर की जंघा की उष्णीयसज्जा में कूट-छाद्य शीर्षयुक्त भरणियों और कपोतों का प्रयोग हुआ है, जो गुजरात के मध्यकालीन मंदिरों का एक विशिष्ट लक्षण है। जंघा की निचली पंक्ति की देव प्रतिमाएँ, ऐसी रथिकाओं में विराजमान है, जिनके वृत्ताकार अर्द्धस्तंभों के किरीटों पर हीरक है और तोरण मेहराबों से अच्छादित हैं। इस मंदिर की सुर-सुंदरियों का केश विन्यास धम्मिल प्रकार का नहीं है और उनमें से अधिकांश दो लड़ों वाली मेखलाएँ पहने हैं। इसके शिखर की गवाक्षनुमा चैत्य मेहराबें भारी तथा पेचिदा हैं। अंत में इसके द्वार की देहली पर निर्मित सरितदेवियाँ गंगा-यमुना नृत्य मुद्रा में प्रतीत होती हैं।

गर्भ गृह

जवारी मंदिर, खजुराहो

मंदिर के गर्भगृह में विष्णु एक पद्यपीठ पर समभंग खड़े हैं। उनका मस्तक तथा चारों हाथ खंडित हैं। वे सामान्य खजुराहो अलंकारों से अलंकृत हैं। उनकी प्रभाववली के ऊपर ब्रह्मा, विष्णु और शिव की छोटी-छोटी प्रतिमाएँ अंकित की गई हैं। छत के उद्गमों की रथिकाएँ प्रतिमा विहीन हैं।


पार्श्व रथिकाओं पर युग्म प्रतिमाएँ एवं नारी प्रतिमाएँ हैं। उत्तरी मंडप के उद्गम पर शिव-पार्वती प्रतिमा, अनेक देव तथा गणेश इस रथिका के मुत्तारंगण का भाग है। गर्भगृह की छत की रथिका का पूर्वीचंद्र देव युग्म, एक नारी तथा युग्म प्रतिमाओं का अलंकरण किया गया है। चतुर्भुज देवी कुबेर की पत्नी के रूप में अंकित है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख