"प्रेम चौपड़ा": अवतरणों में अंतर

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{{सूचना बक्सा कलाकार
#REDIRECT [[प्रेम चोपड़ा]]
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|अद्यतन=06:21, 28 मई 2017 (IST)
}}
'''प्रेम चोपड़ा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Prem Chopra''; जन्म- [[23 सितम्बर]], [[1935]], [[लाहौर]], [[पंजाब]], (अब [[पाकिस्तान]])) [[हिंदी]] और [[पंजाबी]] फिल्मों में भारतीय अभिनेता है उन्होंने 50 से अधिक वर्षों के दौरान 320 फिल्मों में अभिनय किया है। प्रेम चोपड़ा ज्यादातर फिल्मों में खलनायक का अभिनय करते हैं।
 
===परिचय===
प्रेम चोपड़ा का जन्म [[23 सितम्बर]], [[1935]] को [[लाहौर]], [[पंजाब]], (अब [[पाकिस्तान]]) में हुआ था। प्रेम को [[भारतीय सिनेमा]] के प्रसिद्ध खलनायक के रूप में जाना जाता है। इनके पिता का नाम रणबीरलाल तथा माता रूपरानी चोपड़ा हैं। ये छ: भाई-बहनों में तीसरे नंबर पर आते हैं। प्रेम चोपड़ा के पिता सरकारी कर्मचारी थे।
===शिक्षा===
उन्होंने [[शिमला]] में शिक्षा प्राप्त की तथा पंजाब यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन किया है। इस दौरान वे नाटकों में भाग लेते रहते थे। प्रेम के पिता उन्हें डॉक्टर बनाना चाहते थे, लेकिन वे स्नातक करने के बाद [[मुंबई]] आ गए और जल्द ही भारतीय सिनेमा में एंट्री ले ली। इसी बीच कैंसर के चलते उनकी मां का निधन हो गया। इस दौरान उनकी बहन अंजू की उम्र महज 9 साल थी। अंजू की जिम्मेदारी अब प्रेम चोपड़ा, उनके अन्य चार भाई और पिता पर थी। प्रेम ने अंजू को अपनी पहली बेटी मान लिया और उनके पालन-पोषण में लग गए।
=== विवाह ===
प्रेम चोपड़ा की शादी राजकपूर की पत्नी कृष्णा की बहन उमा से हुई हैं। जाने-माने राइटर और डायरेक्टर लेख टंडन प्रेम के पास इस [[विवाह]] का प्रस्ताव लाए थे। उमा और कृष्णा भारतीय सिनेमा एक्टर रही हैं। उमा और कृष्णा राजेंद्र नाथ और प्रेम नाथ की बहने हैं।
;संतान
उमा और प्रेम की तीन बेटियाँ हैं। रकिता, पुनीता और प्रेरणा। बड़ी बेटी रकिता ने स्क्रीन राइटर और पब्लिसिटी डिजाइनर राहुल नंदा से शादी की। इसी तरह मंझली बेटी पुनीता की शादी सिंगर और टीवी एक्टर विकास भल्ला से हुई। छोटी बेटी प्रेरणा के पति शरमन जोशी बॉलीवुड फिल्मों में अपना करियर बना रहे हैं। प्रेम चोपड़ा के 6 नाती-नातिन हैं। रकिता और राहुल नंदा की एक बेटी है, जिसका नाम रिशा हैं। वहीं, पुनीता और विकास भल्ला की एक बेटी सांची और बेटा वीर हैं। प्रेरणा और शरमन जोशी बेटी ख्याना और ट्विन्स विहान और वर्यान हैं।
=== फ़िल्मी सफ़र ===
प्रेम चोपड़ा ने स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद निश्चय किया कि वह अभिनेता के रुप में फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाएंगे। हालांकि उनके पिता चाहते थे वह डॉक्टर बनें, लेकिन उन्होंने अपने पिता से साफ शब्द में कह दिया कि वह [[अभिनेता]] बनना चाहते हैं। अपने सपने को साकार करने के लिये वह [[1950]] के दशक के अंतिम वर्षों में [[मुंबई]] आ गये। मुंबई आने के बाद प्रेम चोपड़ा को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। अपने जीवन यापन के लिये वह टाइम्स ऑफ इंडिया के सर्कुलेशन विभाग में काम करने लगे। इस दौरान उन्हें एक पंजाबी फिल्म "चौधरी करनैल सिंह" में काम करने का अवसर मिला। वर्ष [[1960]] में प्रदर्शित यह फिल्म सुपरहिट हुई और वह दर्शकों के बीच अपनी पहचान बनाने में कुछ हद तक कामयाब हुए।
=== हिट फिल्म===
वर्ष [[1964]] में प्रेम चोपड़ा की एक अहम फिल्म "वो कौन थी" आई. राज खोसला के निर्देशन वाली फिल्म के नायक मनोज कुमार और नायिका साधना थीं। रहस्य और रोमांच से भरी इस फिल्म में प्रेम चोपड़ा खलनायक की भूमिका में दिखाई दिए। फिल्म सफल रही और वह हिन्दी फिल्मों में खलनायक के रुप में सामने आए।
 
इसके बाद [[1965]] में प्रेम चोपड़ा की एक महत्त्वपूर्ण फिल्म "शहीद" रिलीज हुई। देश भक्ति के जज्बे से परिपूर्ण इस फिल्म में उन्होंने अपने किरदार से दर्शकों का दिल जीत लिया। इसके बाद उन्हें "तीसरी मंजिल" और "मेरा साया" जैसी फिल्मों में अभिनय करने का मौका मिला।
[[1967]] में प्रेम चोपड़ा को निर्देशक मनोज कुमार की फिल्म "उपकार" में काम करने का अवसर मिला। "जय जवान जय किसान" के नारे पर बनी इस फिल्म में उन्होंने मनोज कुमार के भाई की भूमिका निभाई। फिल्म "उपकार" की कामयाबी के बाद प्रेम चोपड़ा को कई अच्छी और बड़े बजट की फिल्मों के प्रस्ताव मिलने शुरू हो गये जिनमें "अराउंड द वर्ल्ड", "झुक गया आसमान", "डोली", "दो रास्ते", "पूरब और पश्चिम" और "हरे रामा हरे कृष्णा" जैसी फिल्में शामिल थी।
;खास डायलॉग
वर्ष [[1973]] में आई फिल्म "बॉबी" प्रेम चोपड़ा के सिनेमा करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुई। भारतीय सिनेमा के पहले शोमैन [[राजकपूर]] के निर्देशन में बनी इस फिल्म में वह एक मवाली गुंडे की एक छोटी सी भूमिका में दिखाई दिए। इस फिल्म में उनका बोला गया यह संवाद "प्रेम नाम है मेरा, प्रेम चोपड़ा" दर्शकों के जहन में आज भी ताजा है। [[1976]] में आई फिल्म "दो अनजाने" के लिए प्रेम चोपड़ा को सहायक अभिनेता के तौर पर फिल्म फेयर अवॉर्ड भी दिया गया।
[[1983]] की फिल्म "सौतन" प्रेम चोपड़ा की महत्वपूर्ण फिल्मों में शुमार की जाती है। सावन कुमार के निर्देशन में बनी इस फिल्म में राजेश खन्ना, पद्मिनी कोल्हापुरी और टीना मुनीम ने मुख्य भूमिकाएँ निभाई। इस फिल्म में उनका संवाद "मैं वो बला हूं जो शीशे से पत्थर को तोड़ता हूँ" काफी पसंद किया गया। प्रेम चोपड़ा ने अपने चार दशक लंबे सिनेमा करियर में अब तक लगभग 300 फिल्मों में अभिनय किया है।
=== सम्मान और पुरस्कार ===
;फ़िल्मफेयर पुरस्कार
[[1976]] में आई फिल्म "दो अनजाने" के लिए प्रेम चोपड़ा को सहायक अभिनेता के तौर पर फिल्म फेयर अवॉर्ड भी दिया गया।
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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==बाहरी कड़ियाँ==
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==संबंधित लेख==
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12:00, 30 मई 2017 के समय का अवतरण

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