प्रेम चोपड़ा
प्रेम चोपड़ा
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पूरा नाम | प्रेम चोपड़ा |
प्रसिद्ध नाम | प्रेम चोपड़ा |
जन्म | 23 सितम्बर, 1935 |
जन्म भूमि | लाहौर, पंजाब, (अब पाकिस्तान) |
अभिभावक | पिता- रणबीरलाल
माता- रूपरानी चोपड़ा |
पति/पत्नी | उमा |
संतान | रकिता, पुनीता और प्रेरणा |
कर्म भूमि | मुंबई |
कर्म-क्षेत्र | अभिनेता |
मुख्य फ़िल्में | "वो कौन थी", "शहीद", "तीसरी मंजिल", "अराउंड द वर्ल्ड", "झुक गया आसमान", "डोली", "दो रास्ते", "पूरब और पश्चिम" और "हरे रामा हरे कृष्णा" आदि। |
शिक्षा | स्नातक |
विद्यालय | पंजाब विश्वविद्यालय |
पुरस्कार-उपाधि | 1976 सहायक अभिनेता के तौर पर फ़िल्मफेयर अवॉर्ड दिया गया। |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | प्रेम चोपड़ा का यह संवाद "प्रेम नाम है मेरा, प्रेम चोपड़ा" दर्शकों के जहन में आज भी ताजा है। इन्होंने 50 से अधिक वर्षों के दौरान 320 फ़िल्मों में अभिनय किया है। |
अद्यतन | 06:21, 28 मई 2017 (IST) |
प्रेम चोपड़ा (अंग्रेज़ी: Prem Chopra; जन्म- 23 सितम्बर, 1935, लाहौर) हिंदी और पंजाबी फ़िल्मों के भारतीय अभिनेता हैं। इन्होंने 50 से अधिक वर्षों के दौरान 320 फ़िल्मों में अभिनय किया है। प्रेम चोपड़ा ज्यादातर फ़िल्मों में खलनायक का अभिनय करते हैं। वर्ष 1973 में आई फ़िल्म "बॉबी" प्रेम चोपड़ा के सिनेमा कॅरियर के लिए मील का पत्थर साबित हुई थी। भारतीय सिनेमा के पहले शोमैन राजकपूर के निर्देशन में बनी इस फ़िल्म में वह एक मवाली गुंडे की एक छोटी-सी भूमिका में दिखाई दिए थे। इस फ़िल्म में उनका बोला गया यह संवाद "प्रेम नाम है मेरा, प्रेम चोपड़ा" दर्शकों के जहन में आज भी ताजा है।
परिचय
प्रेम चोपड़ा का जन्म 23 सितम्बर, 1935 को लाहौर, पंजाब, (अब पाकिस्तान) में हुआ था। प्रेम को भारतीय सिनेमा के प्रसिद्ध खलनायक के रूप में जाना जाता है। इनके पिता का नाम रणबीरलाल तथा माता रूपरानी चोपड़ा हैं। ये छ: भाई-बहनों में तीसरे नंबर पर आते हैं। प्रेम चोपड़ा के पिता सरकारी कर्मचारी थे।
शिक्षा
प्रेम चोपड़ा ने शिमला में शिक्षा प्राप्त की तथा पंजाब विश्वविद्यालय से स्नातक किया है। इस दौरान वे नाटकों में भाग लेते रहते थे। प्रेम के पिता उन्हें डॉक्टर बनाना चाहते थे, लेकिन वे स्नातक करने के बाद मुंबई आ गए और जल्द ही भारतीय सिनेमा में एंट्री ले ली। इसी बीच कैंसर के चलते उनकी माँ का निधन हो गया। इस दौरान उनकी बहन अंजू की उम्र महज 9 साल थी। अंजू की जिम्मेदारी अब प्रेम चोपड़ा, उनके अन्य चार भाई और पिता पर थी। प्रेम ने अंजू को अपनी पहली बेटी मान लिया और उनके पालन-पोषण में लग गए।
विवाह
प्रेम चोपड़ा की शादी राजकपूर की पत्नी कृष्णा की बहन उमा से हुई हैं। जाने-माने राइटर और डायरेक्टर लेख टंडन प्रेम के पास इस विवाह का प्रस्ताव लाए थे। उमा और कृष्णा भारतीय सिनेमा एक्टर रही हैं। उमा और कृष्णा राजेंद्र नाथ और प्रेम नाथ की बहने हैं।
- संतान
उमा और प्रेम की तीन बेटियाँ हैं। रकिता, पुनीता और प्रेरणा। बड़ी बेटी रकिता ने स्क्रीन राइटर और पब्लिसिटी डिजाइनर राहुल नंदा से शादी की। इसी तरह मंझली बेटी पुनीता की शादी सिंगर और टीवी एक्टर विकास भल्ला से हुई। छोटी बेटी प्रेरणा के पति शरमन जोशी बॉलीवुड फ़िल्मों में अपना करियर बना रहे हैं। प्रेम चोपड़ा के 6 नाती-नातिन हैं। रकिता और राहुल नंदा की एक बेटी है, जिसका नाम रिशा हैं। वहीं, पुनीता और विकास भल्ला की एक बेटी सांची और बेटा वीर हैं। प्रेरणा और शरमन जोशी बेटी ख्याना और ट्विन्स विहान और वर्यान हैं।
फ़िल्मी सफ़र
प्रेम चोपड़ा ने स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद निश्चय किया कि वह अभिनेता के रुप में फ़िल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाएंगे। हालांकि उनके पिता चाहते थे वह डॉक्टर बनें, लेकिन उन्होंने अपने पिता से साफ शब्द में कह दिया कि वह अभिनेता बनना चाहते हैं। अपने सपने को साकार करने के लिये वह 1950 के दशक के अंतिम वर्षों में मुंबई आ गये। मुंबई आने के बाद प्रेम चोपड़ा को काफ़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। अपने जीवन यापन के लिये वह टाइम्स ऑफ इंडिया के सर्कुलेशन विभाग में काम करने लगे। इस दौरान उन्हें एक पंजाबी फ़िल्म "चौधरी करनैल सिंह" में काम करने का अवसर मिला। वर्ष 1960 में प्रदर्शित यह फ़िल्म सुपरहिट हुई और वह दर्शकों के बीच अपनी पहचान बनाने में कुछ हद तक कामयाब हुए।
प्रसिद्ध फ़िल्म
वर्ष 1964 में प्रेम चोपड़ा की एक अहम फ़िल्म "वो कौन थी" आई. राज खोसला के निर्देशन वाली फ़िल्म के नायक मनोज कुमार और नायिका साधना थीं। रहस्य और रोमांच से भरी इस फ़िल्म में प्रेम चोपड़ा खलनायक की भूमिका में दिखाई दिए। फ़िल्म सफल रही और वह हिन्दी फ़िल्मों में खलनायक के रुप में सामने आए।
इसके बाद 1965 में प्रेम चोपड़ा की एक महत्त्वपूर्ण फ़िल्म "शहीद" रिलीज हुई। देश भक्ति के जज्बे से परिपूर्ण इस फ़िल्म में उन्होंने अपने किरदार से दर्शकों का दिल जीत लिया। इसके बाद उन्हें "तीसरी मंजिल" और "मेरा साया" जैसी फ़िल्मों में अभिनय करने का मौका मिला। 1967 में प्रेम चोपड़ा को निर्देशक मनोज कुमार की फ़िल्म "उपकार" में काम करने का अवसर मिला। "जय जवान जय किसान" के नारे पर बनी इस फ़िल्म में उन्होंने मनोज कुमार के भाई की भूमिका निभाई। फ़िल्म "उपकार" की कामयाबी के बाद प्रेम चोपड़ा को कई अच्छी और बड़े बजट की फ़िल्मों के प्रस्ताव मिलने शुरू हो गये जिनमें "अराउंड द वर्ल्ड", "झुक गया आसमान", "डोली", "दो रास्ते", "पूरब और पश्चिम" और "हरे रामा हरे कृष्णा" जैसी फ़िल्में शामिल थी।
- प्रसिद्ध डायलॉग
वर्ष 1973 में आई फ़िल्म "बॉबी" प्रेम चोपड़ा के सिनेमा करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुई। भारतीय सिनेमा के पहले शोमैन राजकपूर के निर्देशन में बनी इस फ़िल्म में वह एक मवाली गुंडे की एक छोटी सी भूमिका में दिखाई दिए। इस फ़िल्म में उनका बोला गया यह संवाद "प्रेम नाम है मेरा, प्रेम चोपड़ा" दर्शकों के जहन में आज भी ताजा है। 1976 में आई फ़िल्म "दो अनजाने" के लिए प्रेम चोपड़ा को सहायक अभिनेता के तौर पर फ़िल्म फेयर अवॉर्ड भी दिया गया। 1983 की फ़िल्म "सौतन" प्रेम चोपड़ा की महत्वपूर्ण फ़िल्मों में शुमार की जाती है। सावन कुमार के निर्देशन में बनी इस फ़िल्म में राजेश खन्ना, पद्मिनी कोल्हापुरी और टीना मुनीम ने मुख्य भूमिकाएँ निभाई। इस फ़िल्म में उनका संवाद "मैं वो बला हूं जो शीशे से पत्थर को तोड़ता हूँ" काफ़ी पसंद किया गया। प्रेम चोपड़ा ने अपने चार दशक लंबे सिनेमा करियर में अब तक लगभग 300 फ़िल्मों में अभिनय किया है।
सम्मान और पुरस्कार
- फ़िल्मफेयर पुरस्कार
1976 में आई फ़िल्म "दो अनजाने" के लिए प्रेम चोपड़ा को सहायक अभिनेता के तौर पर फ़िल्म फेयर अवॉर्ड भी दिया गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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