"क़िस्मत (1943 फ़िल्म)": अवतरणों में अंतर

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शुरू हुआ है जंग तुम्हारा , जाग उठो हिन्दुस्तानी
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तुम ना किसी के आगे झुकना , जर्मन हो या जापानी
'''शुरू हुआ है जंग तुम्हारा, जाग उठो हिन्दुस्तानी'''
 
'''तुम ना किसी के आगे झुकना, जर्मन हो या जापानी'''</poem>                       
लेकिन आम दर्शक तक गीत के पीछे छिपी मूल भावना आसानी से पहुँच गयी थी।<ref name="aa"/>
लेकिन आम दर्शक तक गीत के पीछे छिपी मूल भावना आसानी से पहुँच गयी थी।


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12:58, 15 जून 2017 के समय का अवतरण

क़िस्मत (1943 फ़िल्म)
क़िस्मत(1943)
क़िस्मत(1943)
निर्देशक ज्ञान मुखर्जी
लेखक ज्ञान मुखर्जी
कलाकार अशोक कुमार, मुमताज़ शांति, मुबारक, कनु रॉय
संगीत अनिल बिस्वास
गीतकार कवि प्रदीप
गायक अमीरबाई कर्नाटकी, खान मस्ताना
भाषा हिंदी
अन्य जानकारी कलकत्ता के रॉक्सी थियेटर में यह लगातार तीन वर्ष तक चलती रही और बॉक्स ऑफ़िस पर कमाई के इसने नये कीर्तिमान गढ़े।
अद्यतन‎

क़िस्मत (अंग्रेज़ी: Kismet) वर्ष 1943 में प्रदर्शित हिंदी सिनेमा इतिहास की यादगार फ़िल्म है। बॉम्बे टॉकीज़ की यह फ़िल्म कई मायनों में हिन्दी फ़िल्मों के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुई है। कलकत्ता के रॉक्सी थियेटर में यह लगातार तीन वर्ष तक चलती रही और बॉक्स ऑफ़िस पर कमाई के इसने नये कीर्तिमान गढ़े । इस फ़िल्म में पहली बार एक एण्टी हीरो दर्शकों के सामने आया था जिसे युवावर्ग ने बेहद पसंद किया। अशोक कुमार ने इसमें एक अपराधी नायक की भूमिका बख़ूबी निभाई थी। फ़िल्म में पहली बार उनका डबल रोल था। ज्ञान मुखर्जी द्वारा लिखित और निर्देशित फ़िल्म की नायिका मुमताज़ शांति थीं। ज्ञान मुखर्जी ने बचपन में बिछड़े परिवार के सदस्यों (माता–पिता / पुत्र / भाई-भाई) का बड़े होकर नाटकीय परिस्थितियों में मिलने का जो फ़ॉर्मूला ईजाद किया वह आगे चल कर ढेरों फ़िल्मों में अपनाया गया।[1]

मुख्य कलाकार

  • अशोक कुमार - शेखर और मदन
  • मुमताज़ शांति - रानी
  • मुबारक - इन्द्रजीत बाबू
  • कनु रॉय - मोहन

गीत

अनिल बिस्वास और कवि प्रदीप की जोड़ी ने अमर गीतों का सृजन किया।

क्रमांक गीत गायक / गायिका
1. अब तेरे सिवा कौन मेरा कृष्ण कन्हैया अमीरबाई कर्नाटकी
2. धीरे धीरे आ रे बादल धीरे धीरे आ अमीरबाई कर्नाटकी, अरुण कुमार
3. पपीहा रे, मेरे पिया से कहियो जाय’ पारुल घोष

सब गीतों से बढ़ कर कवि प्रदीप की अमर रचना जिसने ग़ुलाम हिन्दुस्तान में आज़ादी के लिये नारा बुलन्द किया था – ‘ दूर हटो अय दुनियावालों हिन्दुस्तान हमारा है ‘। वह समय द्वितीय विश्वयुद्ध का था जिसमें ब्रिटिश फ़ौज जर्मन और जापान के ख़िलाफ़ जंग लड़ रही थी। उस परिस्थिति की आड़ ले कवि प्रदीप ने ब्रिटिश सेंसर को बहला कर अपना गीत पास करवा लिया था। [1]


शुरू हुआ है जंग तुम्हारा, जाग उठो हिन्दुस्तानी
तुम ना किसी के आगे झुकना, जर्मन हो या जापानी

लेकिन आम दर्शक तक गीत के पीछे छिपी मूल भावना आसानी से पहुँच गयी थी।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 क़िस्मत (1943) (हिन्दी) bollywoodirect.com। अभिगमन तिथि: 15 जून, 2017।

बाहरी कड़ियाँ

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