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आप माया हैं और [[शिव|शिवजी]] भगवान हैं। आप दोनों समस्त जगत के माता-पिता हैं। (यह कहकर) मुनि [[पार्वती|पार्वतीजी]] के चरणों में सिर नवाकर चल दिए। उनके शरीर बार-बार पुलकित हो रहे थे॥81॥  
आप माया हैं और [[शिव|शिवजी]] भगवान हैं। आप दोनों समस्त जगत् के माता-पिता हैं। (यह कहकर) मुनि [[पार्वती|पार्वतीजी]] के चरणों में सिर नवाकर चल दिए। उनके शरीर बार-बार पुलकित हो रहे थे॥81॥  


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13:53, 30 जून 2017 के समय का अवतरण

तुम्ह माया भगवान
रामचरितमानस
रामचरितमानस
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
दोहा

तुम्ह माया भगवान सिव सकल गजत पितु मातु।
नाइ चरन सिर मुनि चले पुनि पुनि हरषत गातु॥81॥

भावार्थ-

आप माया हैं और शिवजी भगवान हैं। आप दोनों समस्त जगत् के माता-पिता हैं। (यह कहकर) मुनि पार्वतीजी के चरणों में सिर नवाकर चल दिए। उनके शरीर बार-बार पुलकित हो रहे थे॥81॥


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तुम्ह माया भगवान
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दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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