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-[[मणि मधुकर]]
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+[[चंद्रसिंह बिरकाली]]
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||[[चित्र:Chander-Singh-Birkali.jpg|right|border|100px|चंद्रसिंह बिरकाली]]'चंद्रसिंह बिरकाली' आधुनिक [[राजस्थान]] के सर्वाधिक प्रसिद्ध प्रकृति प्रेमी [[कवि]] थे। राजस्थान की बालू रेत के टिब्बों से घिरी [[मरुस्थल|मरुभूमि]] की आग उगलती गर्मी, तीर सी लगने वाली सर्दी और रिमझिम करती सुहावनी [[वर्षा]] की अनूठी प्रकृति ने अपने आंचल में अनेक सपूतों को जन्म दिया है। अपने जीवन को अलग-अलग क्षेत्रों में समाज और राष्ट्र को समर्पित कर वे महान सपूत कालजयी हो गए। ऐसे ही कालजयी सपूतों में [[चंद्रसिंह बिरकाली]] का नाम है, जिन्होंने मायड भाषा राजस्थानी के साहित्य को समृद्ध कर, [[राजस्थान]] की अनूठी प्रकृति को देश के कोने कोने में पहुचाकर अमर कर दिया। इनकी सबसे प्रसिद्ध प्रकृति परक रचनाएं 'लू', 'डाफर' व 'बादली' हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चंद्रसिंह बिरकाली]]
||[[चित्र:Chander-Singh-Birkali.jpg|right|border|100px|चंद्रसिंह बिरकाली]]'चंद्रसिंह बिरकाली' आधुनिक [[राजस्थान]] के सर्वाधिक प्रसिद्ध प्रकृति प्रेमी [[कवि]] थे। राजस्थान की बालू रेत के टिब्बों से घिरी [[मरुस्थल|मरुभूमि]] की आग उगलती गर्मी, तीर सी लगने वाली सर्दी और रिमझिम करती सुहावनी [[वर्षा]] की अनूठी प्रकृति ने अपने आंचल में अनेक सपूतों को जन्म दिया है। अपने जीवन को अलग-अलग क्षेत्रों में समाज और राष्ट्र को समर्पित कर वे महान् सपूत कालजयी हो गए। ऐसे ही कालजयी सपूतों में [[चंद्रसिंह बिरकाली]] का नाम है, जिन्होंने मायड भाषा राजस्थानी के साहित्य को समृद्ध कर, [[राजस्थान]] की अनूठी प्रकृति को देश के कोने कोने में पहुचाकर अमर कर दिया। इनकी सबसे प्रसिद्ध प्रकृति परक रचनाएं 'लू', 'डाफर' व 'बादली' हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चंद्रसिंह बिरकाली]]
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