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'''शीशमहल''' [[मध्य प्रदेश]] के ऐतिहासिक स्थान [[ओरछा]] में स्थित है। [[जहाँगीर महल, ओरछा|जहाँगीर महल]] के समीप ही प्राचीन निर्माताओं की अद्भुत निर्माण शैली का प्रतीक शीशमहल बना हुआ है। इसे अधिक प्राचीन तो नहीं कहा जा सकता है किन्तु प्रत्येक दृष्टिकोण से यह जहांगीर महल के समकक्ष प्रतीत होता है। वर्तमान में यह महल मध्य प्रदेश पर्यटन के अधीन है। निगम ने इसकी काया पलट करने के दृष्टिकोण से | {{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय | ||
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'''शीशमहल''' [[मध्य प्रदेश]] के ऐतिहासिक स्थान [[ओरछा]] में स्थित है। [[जहाँगीर महल, ओरछा|जहाँगीर महल]] के समीप ही प्राचीन निर्माताओं की अद्भुत निर्माण शैली का प्रतीक शीशमहल बना हुआ है। इसे अधिक प्राचीन तो नहीं कहा जा सकता है किन्तु प्रत्येक दृष्टिकोण से यह जहांगीर महल के समकक्ष प्रतीत होता है। वर्तमान में यह महल मध्य प्रदेश पर्यटन के अधीन है। निगम ने इसकी काया पलट करने के दृष्टिकोण से काफ़ी कार्य किया है। संपूर्ण महल की पुताई व पेंटिंग आदि भी करायी गयी है जिसमें कई लाख रुपया व्यय हुआ है। महल के प्रांगण के नीचे विशालतम घर है। स्थापत्य कला एवं वास्तुकला का यह महल सर्वाधिक सृजनात्मक एवं उत्कृष्ट उदाहरण है।<ref name="ओरछा"/> | |||
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11:34, 5 जुलाई 2017 के समय का अवतरण
शीशमहल, ओरछा
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विवरण | जहाँगीर महल के समीप ही प्राचीन निर्माताओं की अद्भुत निर्माण शैली का प्रतीक शीशमहल बना हुआ है। |
निर्माण | सन् 1706 |
निर्माता | महाराज उद्देत सिंह |
स्थान | ओरछा |
राज्य | मध्य प्रदेश |
अन्य जानकारी | विभिन्न रंगों के कांच जड़ित होने के कारण ही इसका नाम शीशमहल रखा गया था। इस महल में शाही एवं अन्य कीमती सामान लगा हुआ था जो धीरे-धीरे गायब होता गया। |
शीशमहल मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान ओरछा में स्थित है। जहाँगीर महल के समीप ही प्राचीन निर्माताओं की अद्भुत निर्माण शैली का प्रतीक शीशमहल बना हुआ है। इसे अधिक प्राचीन तो नहीं कहा जा सकता है किन्तु प्रत्येक दृष्टिकोण से यह जहांगीर महल के समकक्ष प्रतीत होता है। वर्तमान में यह महल मध्य प्रदेश पर्यटन के अधीन है। निगम ने इसकी काया पलट करने के दृष्टिकोण से काफ़ी कार्य किया है। संपूर्ण महल की पुताई व पेंटिंग आदि भी करायी गयी है जिसमें कई लाख रुपया व्यय हुआ है। महल के प्रांगण के नीचे विशालतम घर है। स्थापत्य कला एवं वास्तुकला का यह महल सर्वाधिक सृजनात्मक एवं उत्कृष्ट उदाहरण है।[1]
स्थापना
इस महल का निर्माण सन् 1706 में ओरछा के महाराज उद्देत सिंह ने करवाया था जो अन्यंत बलशाली एवं वीर थे। तत्कालीन मुग़ल सम्राट बहादुर शाह ने इनकी वीरता से प्रभावित होकर अपनी तलवार इन्हें भेंट की थी जो आज भी ओरछा राज्य के शस्त्रालय में रखी हुई है। शीशमहल का निर्माण वास्तव में एक विश्रांति गृह के रूप में करवाया गया था। विभिन्न रंगों के कांच जड़ित होने के कारण ही इसका नाम शीशमहल रखा गया था। इस महल में शाही एवं अन्य कीमती सामान लगा हुआ था जो धीरे-धीरे गायब होता गया। महल के अन्दर भव्य विशाल कक्ष एवं स्नानगृह आदि उस समय के राजाओं की विलासिता के परिचायक हैं।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 सिंह, डॉ. विभा। ओरछा : स्थापत्य कला का अजब नमूना (हिन्दी) दैनिक ट्रिब्यून। अभिगमन तिथि: 14 फ़रवरी, 2015।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख