"स्याम गौर सुंदर दोउ भाई": अवतरणों में अंतर
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श्याम और गौर वर्ण के दोनों भाई परम सुंदर हैं। विश्वामित्र को | श्याम और गौर वर्ण के दोनों भाई परम सुंदर हैं। विश्वामित्र को महान् निधि प्राप्त हो गई। (वे सोचने लगे -) मैं जान गया कि प्रभु ब्रह्मण्यदेव (ब्राह्मणों के भक्त) हैं। मेरे लिए भगवान ने अपने पिता को भी छोड़ दिया। | ||
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07:31, 6 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
स्याम गौर सुंदर दोउ भाई
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कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | रामचरितमानस |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
भाषा | अवधी भाषा |
शैली | सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | बालकाण्ड |
स्याम गौर सुंदर दोउ भाई। बिस्वामित्र महानिधि पाई॥ |
- भावार्थ-
श्याम और गौर वर्ण के दोनों भाई परम सुंदर हैं। विश्वामित्र को महान् निधि प्राप्त हो गई। (वे सोचने लगे -) मैं जान गया कि प्रभु ब्रह्मण्यदेव (ब्राह्मणों के भक्त) हैं। मेरे लिए भगवान ने अपने पिता को भी छोड़ दिया।
स्याम गौर सुंदर दोउ भाई |
चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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