"लोककथा संग्रहालय, भारतकोश": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
छो (Text replacement - "करनेवाली" to "करने वाली")
 
(2 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 6 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
==[[लोककथा संग्रहालय, भारतकोश]]==
{{बहुविकल्प|बहुविकल्पी शब्द=लोककथा संग्रहालय|लेख का नाम=लोककथा संग्रहालय}}
{{बहुविकल्प|बहुविकल्पी शब्द=लोककथा संग्रहालय|लेख का नाम=लोककथा संग्रहालय}}
[[चित्र:Lok-kathayen.png|thumb]]
[[चित्र:Lok-kathayen.png|thumb]]
भारतकोश में संकलित [[लोककथा|लोककथाऐं]] इस प्रकार हैं  
भले ही हम [[लोककथा|लोककथाओं]] के संरक्षण की बात करें परंतु अपनी विशेषताओं के कारण ही श्रुति एवं स्मृति के आधार पर जीवन प्राप्त करने वाली ये कथाएँ युगों से चली आ रही हैं।
*हमारी लोककथाएँ पीढ़ी-दर-पीढ़ी मौखिक रूप से चली आ रही हैं। इनमें भारत की सांस्कृतिक एकता और धार्मिक मान्यताओं की सुंदर झलक देखने को मिलती है। दरअसल, कथाएँ बच्चों की सूझ-बूझ विकसित करने और उनकी मानसिक क्षुधा शांत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। बालपन का कल्पना संसार विस्तृत होता चला जाता है। साथ ही सामाजिक मूल्य और भारतीय संस्कारों के प्रति चेतना भी जाग्रत होती है
*ये कथाएँ मुख्य रूप से तीन शैलियों में कही जाती हैं।
*प्रथम गद्य शैली; इस प्रकार में पूरी कथा सरल एवं आंचलिक बोली में गद्य में कही जाती है।
*द्वितीय गद्य पद्य मय कथाएँ - इन्हें चंपू शैली की कथा कहा जा सकता है। ऐसी कथाओं में प्राय: मार्मिक स्थलों पर पद्य रचना मिलती हैं।
*तीसरे प्रकार की कथाओं में पद्य गद्य के स्थान पर एक प्रवाह सा होता है। यह प्रवाह श्रोताओं पर अच्छा असर डालता है किंतु इस में द्वितीय प्रकार की कथाओं के पद्यों की भाँति गेयता नहीं होती,
*भारतकोश में संकलित [[लोककथा|लोककथाऐं]] इस प्रकार हैं  
 
 
 
==संबंधित लेख==
{{भारतकोश में संकलित लोककथाऐं}}
{{भारतकोश में संकलित लोककथाऐं}}
#[[नौटंकी की लोककथा]]  
[[Category:कथा साहित्य]][[Category:कथा साहित्य कोश]]
#[[अल्मोड़ा की लोककथा]]
[[Category:लोककथाएँ]]
#[[अगम कुआँ पटना|अशोक की लोककथा]]
__INDEX__
#[[पंजाब की लोककथा]]
#[[लोहड़ी की लोककथा]]
#[[कंबुज|कंबुज की लोककथा]]
#[[कंकाली टीला मथुरा|कंकाली टीला लोककथा]]
#[[उच्छेट|उच्छेट की लोककथा]]
#[[पिंगला|पिंगला की लोककथा]]
#[[राजस्थान की लोककथा ]]
#[[चतुराई की लोककथा ]]
#[[झारखण्ड की लोककथा ]]
#[[असली स्वर्ग की लोककथा ]]
#[[तमिलनाडु की लोककथा-1 ]]
#[[तमिलनाडु की लोककथा-2 ]]

13:18, 6 सितम्बर 2017 के समय का अवतरण

लोककथा संग्रहालय एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- लोककथा संग्रहालय

भले ही हम लोककथाओं के संरक्षण की बात करें परंतु अपनी विशेषताओं के कारण ही श्रुति एवं स्मृति के आधार पर जीवन प्राप्त करने वाली ये कथाएँ युगों से चली आ रही हैं।

  • हमारी लोककथाएँ पीढ़ी-दर-पीढ़ी मौखिक रूप से चली आ रही हैं। इनमें भारत की सांस्कृतिक एकता और धार्मिक मान्यताओं की सुंदर झलक देखने को मिलती है। दरअसल, कथाएँ बच्चों की सूझ-बूझ विकसित करने और उनकी मानसिक क्षुधा शांत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। बालपन का कल्पना संसार विस्तृत होता चला जाता है। साथ ही सामाजिक मूल्य और भारतीय संस्कारों के प्रति चेतना भी जाग्रत होती है
  • ये कथाएँ मुख्य रूप से तीन शैलियों में कही जाती हैं।
  • प्रथम गद्य शैली; इस प्रकार में पूरी कथा सरल एवं आंचलिक बोली में गद्य में कही जाती है।
  • द्वितीय गद्य पद्य मय कथाएँ - इन्हें चंपू शैली की कथा कहा जा सकता है। ऐसी कथाओं में प्राय: मार्मिक स्थलों पर पद्य रचना मिलती हैं।
  • तीसरे प्रकार की कथाओं में पद्य गद्य के स्थान पर एक प्रवाह सा होता है। यह प्रवाह श्रोताओं पर अच्छा असर डालता है किंतु इस में द्वितीय प्रकार की कथाओं के पद्यों की भाँति गेयता नहीं होती,
  • भारतकोश में संकलित लोककथाऐं इस प्रकार हैं


संबंधित लेख

भारतकोश में संकलित लोककथाऐं
झारखण्ड की लोककथा अल्मोड़ा की लोककथा अशोक की लोककथा लक्ष्मी माता की लोककथा सिंहासन बत्तीसी
तमिलनाडु की लोककथा-1 राजस्थान की लोककथा बुद्धि की लोककथा पिंगला की लोककथा वेताल पच्चीसी
पंजाब की लोककथा कंबुज की लोककथा लोहड़ी की लोककथा चतुराई की लोककथा पंचतंत्र