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राहुल बजाज ने सन [[1965]] में बजाज समूह की बागडोर संभाली। उनके कुशल नेतृत्व में कंपनी ने लाइसेंस-राज जैसे कठिन समय में भी सफलता के नयी बुलंदियों को छुआ। | |||
[[1990]] के दशक में [[भारत]] में उदारीकरण के दौर की शुरुआत हुई। यह समय बजाज ऑटो के लिए बड़ी चुनौतियाँ लेकर आया। उदारीकरण सस्ते आयात और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) जैसे अहम चनौतियां लाया जिसके फलस्वरूप राहुल बजाज ने उदारीकरण का विरोध किया। स्कूटरों की बिक्री गिरने लगी क्योंकि लोग मोटरसाइकिलों में अधिक रुचि दिखाने लगे और प्रतिद्वंद्वी हीरो होंडा को इसका पूरा फायदा मिला।<ref name="aa"/> | [[1990]] के दशक में [[भारत]] में उदारीकरण के दौर की शुरुआत हुई। यह समय बजाज ऑटो के लिए बड़ी चुनौतियाँ लेकर आया। उदारीकरण सस्ते आयात और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) जैसे अहम चनौतियां लाया जिसके फलस्वरूप राहुल बजाज ने उदारीकरण का विरोध किया। स्कूटरों की बिक्री गिरने लगी क्योंकि लोग मोटरसाइकिलों में अधिक रुचि दिखाने लगे और प्रतिद्वंद्वी हीरो होंडा को इसका पूरा फायदा मिला।<ref name="aa"/> | ||
12:27, 16 सितम्बर 2017 के समय का अवतरण
राहुल बजाज का कॅरियर
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पूरा नाम | राहुल बजाज |
जन्म | 10 जून, 1938 |
जन्म भूमि | बंगाल प्रेसीडेंसी |
मृत्यु | 12 फ़रवरी, 2022 |
मृत्यु स्थान | पुणे, महाराष्ट्र |
अभिभावक | माता- सावित्री बजाज पिता- कमलनयन बजाज |
पति/पत्नी | रूपा घोलप |
संतान | पुत्र- राजीव बजाज और संजीव बजाज पुत्री- सुनैना केजरीवाल |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | उद्योगपति |
शिक्षा | अर्थशास्त्र (ऑनर्स) की डिग्री, सेंट स्टीफेंस कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय कानून की डिग्री, बंबई विश्वविद्यालय |
पुरस्कार-उपाधि | पद्म भूषण, 2001 |
प्रसिद्धि | बजाज समूह के अध्यक्ष |
नागरिकता | भारतीय |
व्यवसाय विस्तार | राहुल बजाज ने मुख्य रूप से दुपहिया वाहन, घरेलू उपकरणों, इलेक्ट्रिक लैम्प, पवन ऊर्जा, विशेष मिश्र धातु और स्टेनलेस स्टील, फोर्जिंग, बुनियादी ढांचे के विकास, सामग्री हैंडलिंग उपकरणों, यात्रा, जनरल और जीवन बीमा और निवेश में वित्तीय सेवाओं जैसे क्षेत्रों में किया है। |
अन्य जानकारी | आर्थिक क्षेत्र और उद्योग दुनिया में उनके योगदान के लिए उन्हें भारतीय संसद के उच्च सदन राज्यसभा (2006-2010) के लिए चुना गया। |
अद्यतन | 12:59, 13 फ़रवरी 2022 (IST)
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राहुल बजाज भारत के सबसे सफल उद्योगपतियों में से एक हैं। वह बजाज समूह के अध्यक्ष हैं जिसे भारत और विदेशों में विनिर्मित उत्पादों और वित्तीय सेवाओं को प्रदान करने के लिए जाना जाता है।
कॅरियर
राहुल बजाज ने सन 1965 में बजाज समूह की बागडोर संभाली। उनके कुशल नेतृत्व में कंपनी ने लाइसेंस-राज जैसे कठिन समय में भी सफलता के नयी बुलंदियों को छुआ। 1990 के दशक में भारत में उदारीकरण के दौर की शुरुआत हुई। यह समय बजाज ऑटो के लिए बड़ी चुनौतियाँ लेकर आया। उदारीकरण सस्ते आयात और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) जैसे अहम चनौतियां लाया जिसके फलस्वरूप राहुल बजाज ने उदारीकरण का विरोध किया। स्कूटरों की बिक्री गिरने लगी क्योंकि लोग मोटरसाइकिलों में अधिक रुचि दिखाने लगे और प्रतिद्वंद्वी हीरो होंडा को इसका पूरा फायदा मिला।[1]
सन 1979-1980 से लेकर सन 1999-2000 तक राहुल भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के अध्यक्ष रहे। वे सोसाइटी ऑफ़ इंडियन इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) और महरत्ता चैंबर ऑफ़ कॉमर्स के अध्यक्ष रहे। इसके साथ-साथ राहुल ऑटोमोबाइल और संबद्ध उद्योगों के विकास परिषद के अध्यक्ष भी रहे। उन्हें सन 1986 से लेकर 1989 तक भारत सरकार द्वारा इंडियन एयरलाइंस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। भारत के राष्ट्रपति ने उनको 2003 से लेकर 2006 तक ‘इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी बॉम्बे’ के बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स का अध्यक्ष बनाया। वे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार परिषद जिनेवा के आर्थिक मंच के पूर्व अध्यक्ष और सदस्य हैं और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल की वैश्विक सलाहकार बोर्ड के सदस्य हैं। राहुल ब्रूकिंग्स इंस्टीट्यूशन, वाशिंगटन डीसी, के अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के एक सदस्य है और इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के कार्यकारी बोर्ड के एक सदस्य भी हैं। बजाज समूह के कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (CSR) के तहत भी राहुल बजाज का बहुत बड़ा योगदान है। इसके अंतर्गत जमनालाल बजाज फाउंडेशन और शिक्षा मंडल और अनेक सामाजिक संगठन जैसे भारतीय युवा शक्ति ट्रस्ट और रूबी हॉल क्लिनिक (पुणे में एक बड़े अस्पताल) जैसे संगठनों को चलाया जाता है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 राहुल बजाज (हिन्दी) itshindi.com। अभिगमन तिथि: 15 सितम्बर, 2017।
बाहरी कड़ियाँ
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