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{{सूचना बक्सा स्वतन्त्रता सेनानी
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'''बलुसु संबमूर्ति''' ([[अंग्रेज़ी]]:''Bulusu Sambamurti'', जन्म: [[4 मार्च]], [[1886]], गोदावरी ज़िला, [[आंध्र प्रदेश]]; मृत्यु: [[2 फ़रवरी]], [[1958]]) [[मद्रास]] के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी, वकील और नेता थे।
==परिचय==
आन्ध्र प्रदेश के प्रमुख स्वाधीनता सेनानी बलुसु संबमूर्ति का जन्म 4 मार्च, 1886 ई. में हुआ था। शिक्षा पूरी करने के बाद वे बारीसाल में वकालत करने लगे।
==क्रांतिकारी जीवन==
बलुसु संबमूर्ति [[1920]] में [[गांधी जी]] के आह्वान पर अपनी वकालत छोड़ दी और आंदोलन में सम्मिलित हो गए। इसके बाद का इनका जीवन बहुत संघर्ष में बीता। फिर ये [[एनी बीसेंट]] की [[होमरूल लीग]] के सदस्य बने। ये अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी और उसकी कार्यसमिति के भी सदस्य थे। [[1923]] की काकीनाड़ा [[कांग्रेस]] की स्वागत समिति का काम उन्होंने ऐसी स्थितियों में किया जब उनके एकमात्र पुत्र का सप्ताह-भर पहले देहांत हो चुका था। [[साइमन कमीशन]] के बहिष्कार और [[नमक सत्याग्रह]] में भी ये गिरफ्तार हुए। [[नागपुर]] के झंडा [[सत्याग्रह]] में भी इन्होंने अपने दल के साथ भाग लिया था तथा [[1931]] के आंदोलन में तिरंगे झंड़े का अभिवादन करते समय बलुसु संबमूर्ति पर पुलिस के डंडों की इतनी मार पड़ी कि वे लहू-लुहान हो गए। इसके बाद ये [[1937]] में मद्रास असेम्बली के सदस्य और [[विधान सभा]] के अध्यक्ष चुने गए, जब [[राजगोपालाचारी]] उस समय [[मद्रास]] के [[मुख्यमंत्री]] थे। बलुसु संबमूर्ति ने [[1942]] के '[[भारत छोड़ो आंदोलन]]' में भी भाग लिया और जेल की सजा भोगी। इसके बाद ये मद्रास चले गये और वहीं बस गए थे।
==निधन==
बलुसु संबमूर्ति का [[2 फ़रवरी]] [[1958]] को 71 साल की उम्र में [[मद्रास]] में निधन हो गया था।

12:36, 5 अक्टूबर 2017 के समय का अवतरण

1 किस राजपूत रानी ने हुमायूँ के पास राखी भेजकर बहादुर शाह के विरुद्ध सहायता माँगी थी?

रानी कर्णावती
संयोगिता
हाड़ारानी
रानी अनारा

2 जो सम्बंध स्त्रियों के झुमकों का कानों से है, वही पुरुषों में-

बाली का कानों से है।
बोर का कानों से है।
पुन्छा का कानों से है।
मुरकियों का कानों से है।