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| {{सूचना बक्सा स्वतन्त्रता सेनानी | | {| class="bharattable-green" width="100%" |
| |चित्र=Maharshi-Bulusu-Sambamurthy.jpg | | |- |
| |चित्र का नाम=बलुसु संबमूर्ति | | | valign="top"| |
| |पूरा नाम=बलुसु संबमूर्ति | | {| width="100%" |
| |अन्य नाम= | | | |
| |जन्म= [[4 मार्च]], [[1886]] | | <quiz display=simple> |
| |जन्म भूमि=गोदावरी ज़िला, [[आंध्र प्रदेश]]
| | {किस राजपूत रानी ने [[हुमायूँ]] के पास [[राखी]] भेजकर [[बहादुर शाह]] के विरुद्ध सहायता माँगी थी? |
| |मृत्यु=[[2 फ़रवरी]] [[1958]]
| | |type="()"} |
| |मृत्यु स्थान= [[मद्रास]]
| | +[[रानी कर्णावती]] |
| |मृत्यु कारण= | | -[[संयोगिता]] |
| |अभिभावक=
| | -हाड़ारानी |
| |पति/पत्नी=
| | -रानी अनारा |
| |संतान=
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| |स्मारक=
| | {जो सम्बंध स्त्रियों के झुमकों का [[कान|कानों]] से है, वही पुरुषों में- |
| |क़ब्र=
| | |type="()"} |
| |नागरिकता=
| | -बाली का [[कान|कानों]] से है। |
| |प्रसिद्धि=स्वतंत्रता सेनानी
| | -बोर का कानों से है। |
| |धर्म=
| | -पुन्छा का कानों से है। |
| |आंदोलन=[[साइमन कमीशन]], [[नमक सत्याग्रह]] और '[[भारत छोड़ो आंदोलन]]' ([[1942]])
| | +मुरकियों का कानों से है। |
| |जेल यात्रा= [[1942]] के '[[भारत छोड़ो आंदोलन]]' में भाग लिया और जेल गये।
| | </quiz> |
| |कार्य काल=
| | |} |
| |विद्यालय=
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| |शिक्षा=
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| |पुरस्कार-उपाधि=
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| |विशेष योगदान=
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| |संबंधित लेख=
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| |शीर्षक 1=
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| |पाठ 1=
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| |शीर्षक 2=
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| |पाठ 2=
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| |अन्य जानकारी=
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| |बाहरी कड़ियाँ=बलुसु संबमूर्ति [[1937]] में मद्रास असेम्बली के सदस्य और [[विधान सभा]] के अध्यक्ष चुने गए, जब [[राजगोपालाचारी]] उस समय [[मद्रास]] के [[मुख्यमंत्री]] थे।
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| |अद्यतन= | |
| }}
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| '''बलुसु संबमूर्ति''' ([[अंग्रेज़ी]]:''Bulusu Sambamurti'', जन्म: [[4 मार्च]], [[1886]], गोदावरी ज़िला, [[आंध्र प्रदेश]]; मृत्यु: [[2 फ़रवरी]], [[1958]]) [[मद्रास]] के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी, वकील और नेता थे।
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| ==परिचय==
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| आन्ध्र प्रदेश के प्रमुख स्वाधीनता सेनानी बलुसु संबमूर्ति का जन्म 4 मार्च, 1886 ई. में हुआ था। शिक्षा पूरी करने के बाद वे बारीसाल में वकालत करने लगे।
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| ==क्रांतिकारी जीवन==
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| बलुसु संबमूर्ति [[1920]] में [[गांधी जी]] के आह्वान पर अपनी वकालत छोड़ दी और आंदोलन में सम्मिलित हो गए। इसके बाद का इनका जीवन बहुत संघर्ष में बीता। फिर ये [[एनी बीसेंट]] की [[होमरूल लीग]] के सदस्य बने। ये अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी और उसकी कार्यसमिति के भी सदस्य थे। [[1923]] की काकीनाड़ा [[कांग्रेस]] की स्वागत समिति का काम उन्होंने ऐसी स्थितियों में किया जब उनके एकमात्र पुत्र का सप्ताह-भर पहले देहांत हो चुका था। [[साइमन कमीशन]] के बहिष्कार और [[नमक सत्याग्रह]] में भी ये गिरफ्तार हुए। [[नागपुर]] के झंडा [[सत्याग्रह]] में भी इन्होंने अपने दल के साथ भाग लिया था तथा [[1931]] के आंदोलन में तिरंगे झंड़े का अभिवादन करते समय बलुसु संबमूर्ति पर पुलिस के डंडों की इतनी मार पड़ी कि वे लहू-लुहान हो गए। इसके बाद ये [[1937]] में मद्रास असेम्बली के सदस्य और [[विधान सभा]] के अध्यक्ष चुने गए, जब [[राजगोपालाचारी]] उस समय [[मद्रास]] के [[मुख्यमंत्री]] थे। बलुसु संबमूर्ति ने [[1942]] के '[[भारत छोड़ो आंदोलन]]' में भी भाग लिया और जेल की सजा भोगी। इसके बाद ये मद्रास चले गये और वहीं बस गए थे।
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| ==निधन==
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| बलुसु संबमूर्ति का [[2 फ़रवरी]] [[1958]] को 71 साल की उम्र में [[मद्रास]] में निधन हो गया था।
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