|
|
(4 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 62 अवतरण नहीं दर्शाए गए) |
पंक्ति 1: |
पंक्ति 1: |
| '''बसंत कुमार दास''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Basanta Kumar Das'' जन्म: [[2 नवम्बर]], [[1883]]; मृत्यु: [[1960]] [[असम]] के प्रमुख राजनैतिक नेता तथा गृहमंत्री थे।
| | {| class="bharattable-green" width="100%" |
| ==परिचय== | | |- |
| असम के प्रमुख राजनैतिक नेता बसंतकुमार दास का जन्म 2 नवम्बर,1883 ई. को सिलहट जिले के एक गरीब परिवार में हुआ था। इन्होंने अपने परिश्रम से वकालत की परीक्षा उत्तीर्ण की और सिलहट में वकालत करने लगे।
| | | valign="top"| |
| ==आंदोलन में भाग== | | {| width="100%" |
| बसंत कुमार दास ने अपनी वकालत छोड़ कर [[1921]] में [[कांग्रेस]] में सम्मिलित हो गये और [[असहयोग आंदोलन]] में भाग लिया। इसके बाद ये [[1923]] में [[पं. मोतीलाल नेहरू]] और सी. आर. दास की '[[स्वराज्य पार्टी]]' में सम्मिलित हो गए। स्वराज्य पार्टी के टिकट पर [[1926]] से [[1929]] तक असम कौंसिल के सदस्य रहे और फिर कांग्रेस के निश्चय पर त्यागपत्र दे दिया। [[1932]] में उन्हें गिफ्तार कर लिया गया और दो वर्ष की सजा हुई।
| | | |
| ==राजनीतिक जीवन== | | <quiz display=simple> |
| बसंतकुमार दास [[1937]] में फिर असम असेम्बली के सदस्य चुने गए और कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में उसके स्पीकार बने। इस पद पर उन्होंने दलीय पक्षपात की बजाय संसदीय लोगतंत्र की परंपरा का निर्वाह किया। इसके लिए कुछ लोगों ने उसकी आलोचना भी की थी। [[1946]] में ये [[असम]] के गृहमंत्री थे। उसी समय सिलहट में 'जनमत संग्रह' हुआ कि यह ज़िला [[भारत]] में बना रहेगा या [[पाकिस्तान]] में जाएगा। जब जनमत संग्रह का परिणाम पाकिस्तान के पक्ष में गया तो गृहमंत्री के रूप में फिर बसंतकुमार दास की आलोचना हुई। बाद में पता चका कि कांग्रेस का उच्च नेतृत्व पहले ही इसके लिए मन बना चुका था। असम के बहुत से नेता भी, असम में बंगालियों का प्रभाव कम करने के लिए सिलहट के अलग होने के पक्ष में थे। विभाजन के बाद, अन्य नेताओं की भाँति, बसंतकुमार दास भारत नहीं आए। वे हिन्दू अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए पूर्वी पाकिस्तान में ही रहे। वहां की राजनीति में उन्होंने सक्रिय भाग लिया। ये ईस्ट पाकिस्तान नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। वहां की विधान सभा में कुछ समय तक विरोधी दल के नेता रहे। फिर वित्त मंत्री तथा शिक्षा और श्रम मंत्री बने। [[1958]] में वे अंतर्राष्ट्रीय श्रम संघ के अध्यक्ष चुने गए। [[1960]] ई. में इनका देहांत हो गया।
| | {किस राजपूत रानी ने [[हुमायूँ]] के पास [[राखी]] भेजकर [[बहादुर शाह]] के विरुद्ध सहायता माँगी थी? |
| | |type="()"} |
| | +[[रानी कर्णावती]] |
| | -[[संयोगिता]] |
| | -हाड़ारानी |
| | -रानी अनारा |
| | |
| | {जो सम्बंध स्त्रियों के झुमकों का [[कान|कानों]] से है, वही पुरुषों में- |
| | |type="()"} |
| | -बाली का [[कान|कानों]] से है। |
| | -बोर का कानों से है। |
| | -पुन्छा का कानों से है। |
| | +मुरकियों का कानों से है। |
| | </quiz> |
| | |} |
| | |} |