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'''पदम''' [[कर्नाटक संगीत|शास्त्रीय कर्नाटक संगीत]] में प्रेमकाव्य है। मंद ताल और गहन अर्थों वाले पदम को सामान्यत: अन्योक्तिपरक माना जाता है; नायिका की चाह की व्याख्या ईश्वर के प्रति [[आत्मा]] की उत्कंठा के रूप में की जाती है। | |||
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07:34, 17 अक्टूबर 2017 के समय का अवतरण
पदम शास्त्रीय कर्नाटक संगीत में प्रेमकाव्य है। मंद ताल और गहन अर्थों वाले पदम को सामान्यत: अन्योक्तिपरक माना जाता है; नायिका की चाह की व्याख्या ईश्वर के प्रति आत्मा की उत्कंठा के रूप में की जाती है।
- सबसे प्रसिद्ध पदम की रचना जयदेव (12वीं सदी) और क्षत्रेय्य (17वीं सदी) द्वारा संस्कृत व तेलुगु में की गई थी।
- 'भरतनाट्यम' की प्रस्तुति में भी पदम एक महत्त्वपूर्ण अंग है। इसमें इनका प्रयोग विशुद्ध अभिव्यक्ति की इकाई के रूप में किया जाता है, जो विभिन्न भावों में प्रेमकाव्य की व्याख्या करते हैं।
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