"कुंदुरी": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
No edit summary |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replacement - "khoj.bharatdiscovery.org" to "bharatkhoj.org") |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
'''कुंदुरी''' एक भूशायी अथवा आरोही बूटी, जो सारे [[भारत]] मेर्ज गली रूप में उगती है। इसकी जड़ें लंबी और फल 2 से 5 सेंटीमीटर तक लंबे तथा एक से 2.5 सेंटीमीटर व्यास वाले अंडाकार अथवा दीर्घ वृत्ताकार होते हैं।<ref name="aa">{{cite web |url= http:// | '''कुंदुरी''' एक भूशायी अथवा आरोही बूटी, जो सारे [[भारत]] मेर्ज गली रूप में उगती है। इसकी जड़ें लंबी और फल 2 से 5 सेंटीमीटर तक लंबे तथा एक से 2.5 सेंटीमीटर व्यास वाले अंडाकार अथवा दीर्घ वृत्ताकार होते हैं।<ref name="aa">{{cite web |url= http://bharatkhoj.org/india/%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%80|title= कुंदुरी|accessmonthday= 18 अगस्त|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= भारतखोज|language= हिन्दी}}</ref> | ||
*इस बूटी का [[फल]] कच्चा रहने पर [[हरा रंग|हरे]] और [[सफ़ेद रंग|सफ़ेद]] धारियों से युक्त होता है। पक जाने पर इसका [[रंग]] चटक सिंदूरी हो जाता है। | *इस बूटी का [[फल]] कच्चा रहने पर [[हरा रंग|हरे]] और [[सफ़ेद रंग|सफ़ेद]] धारियों से युक्त होता है। पक जाने पर इसका [[रंग]] चटक सिंदूरी हो जाता है। |
12:24, 25 अक्टूबर 2017 के समय का अवतरण
कुंदुरी एक भूशायी अथवा आरोही बूटी, जो सारे भारत मेर्ज गली रूप में उगती है। इसकी जड़ें लंबी और फल 2 से 5 सेंटीमीटर तक लंबे तथा एक से 2.5 सेंटीमीटर व्यास वाले अंडाकार अथवा दीर्घ वृत्ताकार होते हैं।[1]
- इस बूटी का फल कच्चा रहने पर हरे और सफ़ेद धारियों से युक्त होता है। पक जाने पर इसका रंग चटक सिंदूरी हो जाता है।
- कुंदुरी के कच्चे फल तरकारी बनाने के काम आते हैं और पकने पर ये ताजे भी खाए जाते हैं। कुछ लोग पके हुए फलों को शक्कर में पाग देते हैं।
- इसके फलों के रासायनिक विश्लेषण से निम्नांकित मान प्राप्त हुए हैं-
- आर्द्रता - 93.10 प्रतिशत
- कार्बोहाइड्रेट - 03.50 प्रतिशत
- प्रोटीन - 01.20 प्रतिशत
- खनिज पदार्थ - 00.50 प्रतिशत
- वसा - 00.10 प्रतिशत
- कैल्सियम - 00.40 प्रतिशत
- तंतु - 01.60 प्रतिशत
- फास्फोरस - 00.03 प्रतिशत
- कुंदुरी की जड़ों, तनों और पत्तियों के अनेक विरचनों का उल्लेख देशी ओषधियों में पाया जाता है, जिसके अनुसार इसे चर्म रोगों, जुकाम, फेफड़ों के शोथ तथा मधुमेह में लाभदायक बताया गया है।[1]
|
|
|
|
|