"गैरत मोहम्मद इब्राहीम": अवतरणों में अंतर

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'''गैरत मोहम्मद इब्राहीम''' [[मुग़ल]] [[शाहजहाँ|बादशाह शाहजहाँ]] के दरबार में [[मनसबदार]] था। अपनी योग्यता से इसने पाँच हज़ार तक का [[मनसब]] प्राप्त किया था। आगे के दिनों में गैरत मोहम्मद इब्राहीम 'गैरत ख़ाँ' की उपाधि से [[जौनपुर]] का [[सूबेदार]] नियुक्त हुआ था।<ref>{{cite web |url=http://khoj.bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%97%E0%A5%88%E0%A4%B0%E0%A4%A4_%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%B9%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%A6_%E0%A4%87%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%AE|title=गैरत मोहम्मद इब्राहीम |accessmonthday=28 मार्च|accessyear=2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
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*गैरत मोहम्मद इब्राहीम बादशाह शाहजहाँ के यहाँ पहले 400 सवारों का मनसबदार था। फिर इसने 'शुजाअत ख़ाँ' की पदवी के साथ 1000 सवारों का मनसब प्राप्त किया।  
*गैरत मोहम्मद इब्राहीम बादशाह शाहजहाँ के यहाँ पहले 400 सवारों का मनसबदार था। फिर इसने 'शुजाअत ख़ाँ' की पदवी के साथ 1000 सवारों का मनसब प्राप्त किया।  
*[[जसवंत सिंह (राजा)|महाराज जसवंत सिंह]] और [[दारा शिकोह]] से [[औरंगज़ेब]] के युद्ध के पश्चात इसका मनसब बढ़कर 5000 सवारों का हो गया था।  
*[[जसवंत सिंह (राजा)|महाराज जसवंत सिंह]] और [[दारा शिकोह]] से [[औरंगज़ेब]] के युद्ध के पश्चात् इसका मनसब बढ़कर 5000 सवारों का हो गया था।  
*दारा शिकोह से द्वितीय युद्ध में भी यह औरंगज़ेब के साथ रहा। समय ने कई बार करवट ली और गैरत मोहम्मद के मनसब उससे कई बार छिने और फिर दिए गए।
*दारा शिकोह से द्वितीय युद्ध में भी यह औरंगज़ेब के साथ रहा। समय ने कई बार करवट ली और गैरत मोहम्मद के मनसब उससे कई बार छिने और फिर दिए गए।
*आगे के दिनों में यह 'गैरत ख़ाँ' की उपाधि से विभूषित हो [[जौनपुर]] का [[सूबेदार]] नियुक्त हुआ।
*आगे के दिनों में यह 'गैरत ख़ाँ' की उपाधि से विभूषित हो [[जौनपुर]] का [[सूबेदार]] नियुक्त हुआ।

12:28, 25 अक्टूबर 2017 के समय का अवतरण

गैरत मोहम्मद इब्राहीम मुग़ल बादशाह शाहजहाँ के दरबार में मनसबदार था। अपनी योग्यता से इसने पाँच हज़ार तक का मनसब प्राप्त किया था। आगे के दिनों में गैरत मोहम्मद इब्राहीम 'गैरत ख़ाँ' की उपाधि से जौनपुर का सूबेदार नियुक्त हुआ था।[1]

  • गैरत मोहम्मद इब्राहीम बादशाह शाहजहाँ के यहाँ पहले 400 सवारों का मनसबदार था। फिर इसने 'शुजाअत ख़ाँ' की पदवी के साथ 1000 सवारों का मनसब प्राप्त किया।
  • महाराज जसवंत सिंह और दारा शिकोह से औरंगज़ेब के युद्ध के पश्चात् इसका मनसब बढ़कर 5000 सवारों का हो गया था।
  • दारा शिकोह से द्वितीय युद्ध में भी यह औरंगज़ेब के साथ रहा। समय ने कई बार करवट ली और गैरत मोहम्मद के मनसब उससे कई बार छिने और फिर दिए गए।
  • आगे के दिनों में यह 'गैरत ख़ाँ' की उपाधि से विभूषित हो जौनपुर का सूबेदार नियुक्त हुआ।
  • गैरत मोहम्मद इब्राहीम को सिसोदियों और राठौरों के विरुद्ध मोहम्मद अकबर के साथ भेजा गया था, पर यह शाहज़ादे के साथ औरंगज़ेब से ही युद्ध करने लगा। इसके फलस्वरूप उसे कैद कर लिया गया।
  • बहुत दिनों बाद कैद से छूटने पर तीन हज़ारी सवार के मनसब के साथ गैरत मोहम्मद इब्राहीम जौनपुर का फ़ौजदार नियुक्त हुआ।


इन्हें भी देखें: मुग़ल वंश, मुग़ल काल, अकबर एवं जहाँगीर


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. गैरत मोहम्मद इब्राहीम (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 28 मार्च, 2014।

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