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हिमनद (हिमानी Glacier) बड़े बड़े हिमखंडों को जो अपने ही भार के कारण नीचे की ओर खिसकते रहते हैं, हिमनद या हिमानी कहते हैं। नदी और हिमनद में इतना अंतर है कि नदी में जल ढाल की ओर बहता है और हिमनद में हिम नीचे की ओर खिसकता है। नदी की तुलना में हिमनद की प्रवाहगति बड़ी मंद होती है। यहाँ तक लोगों की धारणा थी कि हिमनद अपने स्थान पर स्थिर रहता है। हिमनद के बीच का भाग पार्श्वभागों (किनारों) की अपेक्षा तथा ऊपर का भाग तली की अपेक्षा अधिक गति से आगे बढ़ता है। हिमनद साधारणत: एक दिन रात में चार पाँच इंच आगे बढ़ता है। पर भिन्न भिन्न हिमनदों की गति भिन्न होती है। अलास्का और ग्रीनलैंड के हिमनद २४ घंटे में १२ मी से भी अधिक गति से आगे बढ़ते हैं। हिमप्रवाह की गति हिम की मात्रा और उसके विस्तार मार्ग की ढाल एवं ताप पर निर्भर करती है। बड़े हिमनद छोटे हिमनदों की अपेक्षा अधिक तीव्र गति से बहते हैं। हिमनदों का मार्ग जितना अधिक ढालू होगा उतनी ही अधिक उसकी गति होगी। हिमनद का प्रवाह ताप के घटने बढ़ने पर भी निर्भर करता है। ताप अधिक होने पर हिम शीघ्र पिघलता है और हिमनद वेग से आगे बढ़ता है। यही कारण है कि ग्रीष्म ऋतु में हिमनदों की प्रवाहगति बढ़ जाती है।
'''हिमनद''' ([[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]: Glacier) बड़े बड़े हिमखंडों को कहते हैं जो अपने ही भार के कारण नीचे की ओर खिसकते रहते हैं। इन्हें हिमानी भी कहते हैं। नदी और हिमनद में इतना अंतर है कि नदी में [[जल]] ढलान की ओर बहता है और हिमनद में हिम नीचे की ओर खिसकता है। हिमनद बर्फ़ का एक विशाल संग्रह होता है, जो निम्न भूमि की ओर धीरे-धीरे बढ़ता है। ये तीन तरह के होते हैं- गिरिपद हिमनद, महाद्वीपीय हिमनद तथा घाटी हिमनद।


हिमनद पृथ्वी के उन्हीं भागों में पाए जाते हैं जहाँ हिम पिघलने की मात्रा की अपेक्षा हिमप्रपात अधिक होता है। साधारणत: हिमनद रचना के लिए हिम का सौ दो सौ फुट मोटी तहों का जमा होना आवश्यक होता है। इतनी मोटाई पर दबाव के कारण बर्फ हिम में परिवर्तित हो जाता है।
नदी की तरह से हिमनद भी अपरदन, परिवहन और निक्षेपण का कार्य करते हैं। अपरदन के अंतर्गत यह उत्पादन, अपकर्षण और प्रसर्पण का कार्य करते हैं।
==प्रवाहगति==
नदी की तुलना में हिमनद की प्रवाहगति बड़ी मंद होती है। यहाँ तक लोगों की धारणा थी कि हिमनद अपने स्थान पर स्थिर रहता है। हिमनद के बीच का भाग पार्श्वभागों (किनारों) की अपेक्षा तथा ऊपर का भाग तली की अपेक्षा अधिक [[गति]] से आगे बढ़ता है। हिमनद साधारणत: एक दिन रात में चार पाँच इंच आगे बढ़ता है पर भिन्न भिन्न हिमनदों की गति भिन्न होती है। अलास्का और ग्रीनलैंड के हिमनद 24 घंटे में 12 मीटर से भी अधिक गति से आगे बढ़ते हैं। हिमप्रवाह की गति हिम की मात्रा और उसके विस्तार मार्ग की ढाल एवं ताप पर निर्भर करती है। बड़े हिमनद छोटे हिमनदों की अपेक्षा अधिक तीव्र गति से बहते हैं। हिमनदों का मार्ग जितना अधिक ढालू होगा उतनी ही अधिक उसकी गति होगी। हिमनद का प्रवाह [[ताप]] के घटने बढ़ने पर भी निर्भर करता है। ताप अधिक होने पर हिम शीघ्र पिघलता है और हिमनद [[वेग]] से आगे बढ़ता है। यही कारण है कि ग्रीष्म ऋतु में हिमनदों की प्रवाहगति बढ़ जाती है।
==रचना==
हिमनद [[पृथ्वी ग्रह|पृथ्वी]] के उन्हीं भागों में पाए जाते हैं जहाँ हिम पिघलने की मात्रा की अपेक्षा हिमप्रपात अधिक होता है। साधारणत: हिमनद रचना के लिए हिम का सौ से दो सौ फुट मोटी तहों का जमा होना आवश्यक होता है। इतनी मोटाई पर दबाव के कारण बर्फ़ हिम में परिवर्तित हो जाता है।
[[चित्र:Glacier-4.jpg|thumb|250px|left|मानचित्र में [[सियान रंग]] से दर्शित हिमनद]]
====<u>स्तर</u>====
हिमस्तरों में हिम के भिन्न भिन्न स्तर देखे जा सकते हैं। प्रत्येक स्तर एक वर्ष के हिमपात का द्योतक है। दबाव के कारण नीचे का स्तर अपने ऊपर वाले स्तर की अपेक्षा अधिक सघन होता है। इस प्रकार बर्फ़ अधिकाधिक घनी होती जाती है। पहली दानेदार हिम 'नैवे' की तथा बाद में ठोस हिम की रचना होती है।
====<u>दरार</u>====
प्रतिबल के प्रभाव में बर्फ़ में दरारें पड़ जाती हैं। ये दरारें दो सौ फुट तक गहरी हो सकती हैं। इससे अधिक गहराई पर यदि कोई दरार होती भी है तो वह दबाव के कारण भर जाती है। साधारणत: ये दरारें तब उत्पन्न होती हैं जब हिम किसी पहाड़ी या ढलान वाले मार्ग पर होकर आगे बढ़ता है।
====<u>हिमरेखा</u>====
{{मुख्य|हिमरेखा}}
स्थल की यह रेखा जिसके ऊपर निरंतर बर्फ़ जमी रहती है [[हिमरेखा]] कहलाती है। हिमरेखा के ऊपर का भाग [[हिमक्षेत्र]] कहलाता है। हिमरेखा की ऊँचाई विभिन्न स्थानों पर भिन्न भिन्न होती है। भूमध्यरेखा पर यह ऊँचाई 4550 मीटर से 5460 मीटर तक हो सकती है जब कि ध्रुव प्रदेशों में हिमरेखा सागरतल के निकट रहती है। आल्प्स में हिमरेखा की ऊँचाई 275 मीटर, ग्रीनलैंड में 606 मीटर, पाइरेन्नीस में 1975 मीटर, कोलेरडो में 3792 मीटर तथा [[हिमालय]] में 4550 मीटर से 5150 मीटर हैं।
;<u>स्वतंत्र हिमनद</u>
[[चित्र:Glacier-2.jpg|thumb|250px|हिमनद]]
[[माउंट एवरेस्ट]] के आसपास बहने वाले प्रमुख स्वतंत्र हिमनद (ग्लेशियर) हैं-
*पूर्व में कांगशुंग
*पूर्व, मुख्य तथा पश्चिम रोंगबक हिमनद (उत्तर व पश्चिमोत्तर)
*पुमोरी हिमनद (पश्चिमोत्तर)
*खुंबू हिमनद (पश्चिम तथा दक्षिण)
*ल्होत्से-नुपत्से कटक
*एवरेस्ट के बीच की बर्फ़ की घाटी पश्चिमी क्वम।


हिमस्तरों में हिम के भिन्न भिन्न स्तर देखे जा सकते हैं। प्रत्येक स्तर एक वर्ष के हिमपात का द्योतक है। दबाव के कारण नीचे का स्तर अपने ऊपरवाले स्तर की अपेक्षा अधिक सघन होता है। इस प्रकार बर्फ अधिकाधिक घना होता जाता है और पहले दानेदार हिम 'नैवे' की तथा बाद में ठोस हिम की रचना होती है।
==प्रकार==
 
रूप, आकार और स्थिति के आधार पर हिमनदों को निम्नलिखित भागों में विभाजित कर सकते हैं:-
प्रतिबल (stresses) के प्रभाव में बर्फ में दरारें पड़ जाती हैं। ये दरारें दो सौ फुट तक गहरी हो सकती हैं। इससे अधिक गहराई पर यदि कोई दरार होती भी है तो वह दबाव के कारण भर जाती है। साधारणत: ये दरारें तब उत्पन्न होती हैं जब हिम किसी पहाड़ी या ढालवे मार्ग पर होकर आगे बढ़ता है।
[[चित्र:Glacier-Waterfall.jpg|thumb|left|हिमनद झरना ग्लेशियर राष्ट्रीय उद्यान|200px]]
 
*दरी हिमानियाँ
स्थल की यह रेखा जिसके ऊपर निरंतर बर्फ जमी रहती है हिमरेखा कहलाती है। हिमरेखा के ऊपर का भाग हिमक्षेत्र कहलाता है। हिमरेखा की ऊँचाई विभिन्न स्थानों पर भिन्न भिन्न होती है। भूमध्यरेखा पर यह ऊँचाई ४५५० मी से ५४६०मी तक हो सकती है जब कि ध्रुव प्रदेशों में हिमरेखा सागरतल के निकट रहती है। आल्प्स में हिमरेखा की ऊँचाई २७५ मी., ग्रीनलैंड में ६०६ मी., पाइरेन्नीस में १९७५ मी., कोलेरडो में ३७९२ मी. तथा हिमालय में ४५५० मी. से ५१५० मी. है।
*प्रपाती हिमानियाँ  
 
*गिरिपाद हिमानियाँ
रूप, आकार और स्थिति के आधार पर हिमनदों को निम्नलिखित भागों में विभाजित कर सकते हैं : - दरी हिमानियाँ, २ - प्रपाती हिमानियाँ, ३ - गिरिपाद हिमानियाँ, ४ - हिमाटोप, ५ - हिमस्तर।
*हिमाटोप
 
*हिमस्तर
दरी हिमानियाँ - पर्वतों की घाटियों में बहती हैं। इन्हें हिम हिमक्षेत्रों से प्राप्त होता है। आल्प्स में हिमानियाँ बहुतायत से देखने को मिलती हैं तथा यहीं पर सबसे पहले इनका विस्तृत अध्ययन किया गया था। इसी कारण इन्हें अल्पाइन हिमानियाँ भी कहा जाता है। दरी हिमानियों की प्रवाहगति साधारणत: कम होती है क्योंकि इनकी मोटाई कम होती है। छोटी छोटी दरी हिमानियाँ ६० मी से ९० मी तक मोटी होती हैं और बड़ी लगभग ३०० मी. मोटी। हिमानियों की मोटाई हिम के अंदर भूकंप लहरें उत्पन्न करके जानी जाती हैं। आल्प्स में दो हजार से अधिक दरी हिमानियाँ हैं। ये साधारणत: ३ किमी से ६ किमी लंबी हैं पर यहाँ की सबसे बड़ी हिमानी अलेट्श लगभग १४ किमी. लंबी है। हिमालय में भी बहुत सी विशालकाय दरी हिमानियाँ देखने को मिलती हैं। यह अधिक ऊँचाई पर स्थित हैं और से ४८ किमी तक लंबी हैं। अलास्का में १२० किमी लंबी दरी हिमानियाँ भी विद्यमान हैं।
====<u>दरी हिमानियाँ</u>====
 
दरी हिमानियाँ पर्वतों की घाटियों में बहती हैं। इन्हें हिम हिमक्षेत्रों से प्राप्त होता है। आल्प्स में हिमानियाँ बहुतायत से देखने को मिलती हैं तथा यहीं पर सबसे पहले इनका विस्तृत अध्ययन किया गया था। इसी कारण इन्हें अल्पाइन हिमानियाँ भी कहा जाता है। दरी हिमानियों की प्रवाहगति साधारणत: कम होती है क्योंकि इनकी मोटाई कम होती है। छोटी छोटी दरी हिमानियाँ 60 मीटर से 90 मीटर तक मोटी होती हैं और बड़ी लगभग 300 मीटर मोटी। हिमानियों की मोटाई हिम के अंदर भूकंप लहरें उत्पन्न करके जानी जाती हैं। आल्प्स में दो हज़ार से अधिक दरी हिमानियाँ हैं। ये साधारणत: 3 किलोमीटर से 6 किलोमीटर लंबी हैं पर यहाँ की सबसे बड़ी हिमानी अलेट्श लगभग 14 किलोमीटर लंबी है। [[हिमालय]] में भी बहुत सी विशालकाय दरी हिमानियाँ देखने को मिलती हैं। यह अधिक ऊँचाई पर स्थित हैं और 8 से 48 किलोमीटर तक लंबी हैं। अलास्का में 120 किलोमीटर लंबी दरी हिमानियाँ भी विद्यमान हैं।
एक विशेष प्रकार की पर्वतीय हिमानी जो पर्वतों की ढालों पर गहरे गड्ढों में स्थित है प्रतापी हिमानी (सर्क हिमानी) कहलाती है। यह साधारण छोटी होती है। कभी कभी यह पर्वत के प्रवण ढाल पर बहती हैं। हिमानी प्रदेशों में बहुत से हिमज गह्वर (सर्क) आज भी झीलों के रूप में देखने को मिलते हैं। यह दो ओर से प्रवण शिलाओं से घिरे रहते हैं और एक ओर को खुले रहते हैं। पीरपंजाल क्षेत्र में १८०० मी की ऊँचाई पर ऐसे बहुत से हिमज गह्वर विद्यमान हैं। राकी पर्वत में भी बहुत सी प्रपाती हिमानियाँ देखने को मिलती हैं। किन्हीं किन्हीं भागों में प्रपाती हिमानी और दरी हिमानियों के बीच संक्रमण (transition) की सभी अवस्थाएँ देखने को मिलती हैं।
====<u>प्रपाती हिमानियाँ</u>====
 
[[चित्र:Glacier-5.jpg|thumb|250px|हिमनद]]
पर्वतों के नीचे समतल भूमि पर कई हिमानियों के मिलने से एक विशाल हिमनद की रचना होती है, इसे ही गिरिपाद हिमनद कहते हैं। यह पर्वत की तलहटी में बर्फ की झील सी दिखाई देती है। अलास्का की मलास्मिना हिमानी इसका सबसे अच्छा उदाहरण है। सेंट एलियास पर्वत की तलहटी से यह हिमानी लगभग ३८४० वर्ग किमी. क्षेत्र में फैली है और बहुत धीमी गति से आगे की ओर बढ़ रही हैं। इस हिमानी की सीमाएँ (किनारे) शिलाओं के मलबे तथा बनवृक्षों से ढँके हैं। किन्हीं किन्हीं उच्च अक्षांशीय स्थित प्रदेशों में मैदान और पठार हिम से आच्छादित रहते हैं। इन्हें हिमाटोप कहा जाता है। इनका क्षेत्रफल अधिक नहीं होता है। वास्तव में यह हिमचादरों, जिनका वर्णन नीचे किया गया है, का छोटा रूप है। स्केंडिनेविया, आइसलैंड और लिट्जवर्मन में बहुत से हिमाटोप देखने को मिलते हैं।
एक विशेष प्रकार की पर्वतीय हिमानी जो पर्वतों की ढालों पर गहरे गड्ढों में स्थित है प्रतापी हिमानी कहलाती है। प्रपाती हिमानियाँ को सर्क हिमानी भी कहा जाता है। यह साधारणत: छोटी होती है। कभी कभी यह पर्वत के प्रवण ढाल पर बहती हैं। हिमानी प्रदेशों में बहुत से हिमज गह्वर (सर्क) आज भी झीलों के रूप में देखने को मिलते हैं। यह दो ओर से प्रवण शिलाओं से घिरे रहते हैं और एक ओर को खुले रहते हैं। पीरपंजाल क्षेत्र में 1800 मीटर की ऊँचाई पर ऐसे बहुत से हिमज गह्वर विद्यमान हैं। राकी पर्वत में भी बहुत सी प्रपाती हिमानियाँ देखने को मिलती हैं। किन्हीं किन्हीं भागों में प्रपाती हिमानी और दरी हिमानियों के बीच संक्रमण की सभी अवस्थाएँ देखने को मिलती हैं।
 
====<u>गिरिपाद हिमानियाँ</u>====
हिमचादरें लाखों वर्ग मील क्षेत्र को ढँके रहती हैं। इनकी रचना हिमाटोप की वृद्धि से या दरी और गिरिपाद हिमानियों के विस्तार से होती है। ग्रीनलैंड और अंटार्कटिक की हिमचादरें इसका सुंदर उदाहरण हैं। विक्टर अभियान (सन्‌ १९४९-५२) के परिणामस्वरूप ग्रीनलैंड हिमचादर के विषय में निम्नलिखित ज्ञान प्राप्त हुआ है : क्षेत्रफल १७,२६,४०० वर्ग किमी., समुद्रतल से औसत ऊँचाईश् २१३५ मी., हिम की औसत मोटाई १५१५ मी, आयतन, २६ ´ १०६ घन किमी। दक्षिण ध्रुवीय हिमचादर ग्रीनलैंड हिमचादर की अपेक्षा कई गुना अधिक बड़ी है। विशालकाय हिमस्तरों को महाद्वीपी हिमानियों के नाम से भी संबोधित किया जाता है।
पर्वतों के नीचे समतल भूमि पर कई हिमानियों के मिलने से एक विशाल हिमनद की रचना होती है, इसे ही गिरिपाद हिमनद कहते हैं। यह पर्वत की तलहटी में बर्फ़ की झील सी दिखाई देती है। अलास्का की मलास्मिना हिमानी इसका सबसे अच्छा उदाहरण है। सेंट एलियास पर्वत की तलहटी से यह हिमानी लगभग 3840 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली है और बहुत धीमी गति से आगे की ओर बढ़ रही हैं। इस हिमानी की सीमाएँ (किनारे) शिलाओं के मलबे तथा वनवृक्षों से ढके हैं।  
 
[[चित्र:Glacier-7.jpg|thumb|left|250px|हिमनद]]
हिमचादरों के विस्तृत क्षेत्र में कहीं कहीं एकलित शिलाओं की चोटियाँ दृष्टिगोचर होती हैं। इन शिलाद्वीपों को हिमस्थाएँ (नूनाटाक, Nunatak) कहते हैं। ग्रीनलैंड आदि ध्रुवीय प्रदेशों में हिमनदी बिना पिघले ही समुद्र तक पहुँच जाती है और वहाँ कई बड़े और छोटे खंडों में विभाजित हो जाती है। ये हिमखंड पानी में तैरते रहते हैं। इनका १/१० भाग जल के ऊपर तथा ९/१० भाग जल के नीचे रहता है। इन्हें प्लावीहिम (Iceberg) कहते हैं। गर्म भागों में पहुँचकर हिमखंड पिघल जाते हैं और इनमें का पदार्थ पत्थर आदि समुद्र में जमा हो जाता है। परिणामस्वरूप उस स्थान पर समुद्र की तली ऊँची हो जाती है। न्यूफाउंडलैंड तट की रचना इसी प्रकार हुई है।
====<u>हिमाटोप</u>====
 
उच्च अक्षांशीय स्थित प्रदेशों में मैदान और पठार हिम से आच्छादित रहते हैं। इन्हें [[हिमाटोप]] कहा जाता है। इनका क्षेत्रफल अधिक नहीं होता है। वास्तव में यह हिमचादरों का छोटा रूप है। स्केंडिनेविया, आइसलैंड और लिट्जवर्मन में बहुत से हिमाटोप देखने को मिलते हैं।
हिमनद निक्षेप - हिमनदी के पिघलने पर जो निक्षेप बनते हैं उन्हें हिमोढ़ कहते हैं। ये निक्षेप दो प्रकार के होते हैं। पहली श्रेणी में वे निक्षेप आते हैं जो बर्फ के पिघलने के स्थान पर ही हिमानी द्वारा लाए गए पदार्थों के जमा होने से बनते हैं। इनमें स्तरीकरण का अभाव रहता है। इन निक्षेपों में छोटे बड़े सभी प्रकार के पदार्थ एक साथ संकलित रहते हैं। तदनुसार मिट्टी से लेकर बड़े बड़े विशाल शिलाखंड यहाँ देखने को मिलते हैं। हिमोढ़ में यदि मिट्टी की मात्रा अधिक होती है तो उसे गोलाश्म मृत्तिका (Till or Boulder clay) कहते हैं। गोलाश्म मृत्तिका में विद्यमान बड़े बड़े पत्थरों पर पड़ी धारियों के आधार पर हिमनद के प्रवाह की दिशा का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। हिमोढ़ के जमा होने से हिमानीय प्रदेश में छोटे छोटे टीले बन जाते हैं। ड्रमलिन (Drumlin) हिमोढ़ से बनी नीची पहाड़ियाँ हैं जिनका आधार दीर्घवृत्ताकार होता है। इनका लंबा अक्ष हिमनद के प्रवाह की दिशा के समांतर होता है। इसके प्रवणढाल हिम के प्रवाह की दिशा को इंगित करते हैं। ड्रमालिन साधारणत: १५ मी से ६० मी. तक ऊँचा होता है।
====<u>हिमचादर</u>====
 
हिमचादरें लाखों वर्ग मील क्षेत्र को ढँके रहती हैं। इनकी रचना हिमाटोप की वृद्धि से और गिरिपाद हिमानियों के विस्तार से होती है। ग्रीनलैंड और अंटार्कटिक की हिमचादरें इसका सुंदर उदाहरण हैं। विक्टर अभियान (सन 1949-1952) के परिणामस्वरूप ग्रीनलैंड में हिमचादर के विषय में निम्नलिखित ज्ञान प्राप्त हुआ है: [[चित्र:Glacier-8.jpg|thumb|250px|हिमनद]]इसका क्षेत्रफल 17,26,400 वर्ग किलोमीटर, समुद्रतल से औसत ऊँचाई 2135 मीटर, हिम की औसत मोटाई 1515 मीटर, आयतन, 26x10<sup>6</sup> घन किलोमीटर है। दक्षिण ध्रुवीय हिमचादर ग्रीनलैंड हिमचादर की अपेक्षा कई गुना अधिक बड़ी है। विशालकाय हिमस्तरों को महाद्वीपी हिमानियों के नाम से भी संबोधित किया जाता है।
दूसरी श्रेणी के निक्षेप पर्तदार होते हैं। बर्फ के पिघलने से जो पानी प्राप्त होता है उसी पानी के साथ हिमानी द्वारा लाया गया शैल पदार्थ बहता है। जल की प्रवाहगति पर निर्भर यह पदार्थ आकार के अनुसार जमा हो जाता है। पहले बड़े बड़े पत्थर फिर छोटे पत्थर तत्पश्चात्‌ बालू कण और अंत में मिट्टी। यदि एक विशाल हिमनद किसी लगभग सपाट सतह पर दीर्घ काल तक स्थिर रहता है तो मलबे से लदा पानी बहुत सी जलधाराओं के रूप में प्रवाहित होता है और मलबा एक रूप से सतह पर जमा हो जाता है, इसे (out wash plain) हिमानी अपक्षेप कहते हैं। केम भी एक प्रकार की हिमनद पदार्थों से बनी पर्तदार पहाड़ियाँ हैं जो साधारणत: १५ मी. से ४५ मी तक ऊँची होती हैं। ये हिमक्षेत्रों में एकलित पहाड़ियाँ के रूप में या छोटे छोटे समुदायों में दिखाई देती हैं। साधारणत: ये घाटियों की तलहटी में, पर कभी कभी पहाड़ियों की ढालों या उनकी चोटियों पर भी दृष्टिगोचर होती हैं।


हिमचादरों के विस्तृत क्षेत्र में कहीं कहीं एकलित शिलाओं की चोटियाँ दृष्टिगोचर होती हैं। इन शिलाद्वीपों को हिमस्थाएँ (नूनाटाक) कहते हैं। ग्रीनलैंड आदि ध्रुवीय प्रदेशों में हिमनदी बिना पिघले ही समुद्र तक पहुँच जाती है और वहाँ कई बड़े और छोटे खंडों में विभाजित हो जाती है। ये हिमखंड पानी में तैरते रहते हैं। इनका 1/10 भाग जल के ऊपर तथा 9/10 भाग जल के नीचे रहता है। इन्हें प्लावीहिम कहते हैं। गर्म भागों में पहुँचकर हिमखंड पिघल जाते हैं और इनका [[पदार्थ]] पत्थर आदि समुद्र में जमा हो जाता है। परिणामस्वरूप उस स्थान पर समुद्र की तली ऊँची हो जाती है। न्यूफाउंडलैंड तट की रचना इसी प्रकार हुई हैं।
[[चित्र:Glacier-1.jpg|thumb|left|250px|हिमनद, बीगल चैनल]]


==हिमनद निक्षेप==
हिमनदी के पिघलने पर जो निक्षेप बनते हैं उन्हें हिमोढ़ कहते हैं। ये निक्षेप दो प्रकार के होते हैं।
;<u>पहली श्रेणी के निक्षेप</u>
पहली श्रेणी में वे निक्षेप आते हैं जो बर्फ़ के पिघलने के स्थान पर ही हिमानी द्वारा लाए गए पदार्थों के जमा होने से बनते हैं। इनमें स्तरीकरण का अभाव रहता है। इन निक्षेपों में छोटे बड़े सभी प्रकार के पदार्थ एक साथ संकलित रहते हैं। तदनुसार मिट्टी से लेकर बड़े बड़े विशाल शिलाखंड यहाँ देखने को मिलते हैं। हिमोढ़ में यदि मिट्टी की मात्रा अधिक होती है तो उसे गोलाश्म मृत्तिका कहते हैं। गोलाश्म मृत्तिका में विद्यमान बड़े बड़े पत्थरों पर पड़ी धारियों के आधार पर हिमनद के प्रवाह की दिशा का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। हिमोढ़ के जमा होने से हिमानीय प्रदेश में छोटे छोटे टीले बन जाते हैं। ड्रमलिन हिमोढ़ से बनी नीची पहाड़ियाँ हैं जिनका आधार दीर्घवृत्ताकार होता है। इनका लंबा अक्ष हिमनद के प्रवाह की दिशा के समांतर होता है। इसके प्रवणढाल हिम के प्रवाह की दिशा को इंगित करते हैं। ड्रमालिन साधारणत: 15 मीटर से 60 मीटर तक ऊँचा होता है।
[[चित्र:Glacier-3.jpg|thumb|250px|हिमनद]]
;<u>दूसरी श्रेणी के निक्षेप</u>
दूसरी श्रेणी के निक्षेप पर्तदार होते हैं। बर्फ़ के पिघलने से जो पानी प्राप्त होता है उसी पानी के साथ हिमानी द्वारा लाया गया शैल पदार्थ बहता है। जल की प्रवाहगति पर निर्भर यह पदार्थ आकार के अनुसार जमा हो जाता है। पहले बड़े बड़े पत्थर फिर छोटे पत्थर तत्पश्चात् बालू कण और अंत में मिट्टी। यदि एक विशाल हिमनद किसी लगभग सपाट सतह पर दीर्घ काल तक स्थिर रहता है तो मलबे से लदा पानी बहुत सी जलधाराओं के रूप में प्रवाहित होता है और मलबा एक रूप से सतह पर जमा हो जाता है, इसे हिमानी अपक्षेप कहते हैं। केम भी एक प्रकार की हिमनद पदार्थों से बनी पर्तदार पहाड़ियाँ हैं जो साधारणत: 15 मीटर से 45 मीटर तक ऊँची होती हैं। ये हिमक्षेत्रों में एकलित पहाड़ियों के रूप में या छोटे छोटे समुदायों में दिखाई देती हैं। साधारणत: ये घाटियों की तलहटी में पर कभी-कभी पहाड़ियों की ढालों या उनकी चोटियों पर भी दृष्टिगोचर होती हैं।
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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*हिन्दी विश्वकोश, भाग-12 पृष्ठ 367
==संबंधित लेख==
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07:32, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

हिमनद, ग्लेशियर राष्ट्रीय उद्यान, चिली

हिमनद (अंग्रेज़ी: Glacier) बड़े बड़े हिमखंडों को कहते हैं जो अपने ही भार के कारण नीचे की ओर खिसकते रहते हैं। इन्हें हिमानी भी कहते हैं। नदी और हिमनद में इतना अंतर है कि नदी में जल ढलान की ओर बहता है और हिमनद में हिम नीचे की ओर खिसकता है। हिमनद बर्फ़ का एक विशाल संग्रह होता है, जो निम्न भूमि की ओर धीरे-धीरे बढ़ता है। ये तीन तरह के होते हैं- गिरिपद हिमनद, महाद्वीपीय हिमनद तथा घाटी हिमनद।

नदी की तरह से हिमनद भी अपरदन, परिवहन और निक्षेपण का कार्य करते हैं। अपरदन के अंतर्गत यह उत्पादन, अपकर्षण और प्रसर्पण का कार्य करते हैं।

प्रवाहगति

नदी की तुलना में हिमनद की प्रवाहगति बड़ी मंद होती है। यहाँ तक लोगों की धारणा थी कि हिमनद अपने स्थान पर स्थिर रहता है। हिमनद के बीच का भाग पार्श्वभागों (किनारों) की अपेक्षा तथा ऊपर का भाग तली की अपेक्षा अधिक गति से आगे बढ़ता है। हिमनद साधारणत: एक दिन रात में चार पाँच इंच आगे बढ़ता है पर भिन्न भिन्न हिमनदों की गति भिन्न होती है। अलास्का और ग्रीनलैंड के हिमनद 24 घंटे में 12 मीटर से भी अधिक गति से आगे बढ़ते हैं। हिमप्रवाह की गति हिम की मात्रा और उसके विस्तार मार्ग की ढाल एवं ताप पर निर्भर करती है। बड़े हिमनद छोटे हिमनदों की अपेक्षा अधिक तीव्र गति से बहते हैं। हिमनदों का मार्ग जितना अधिक ढालू होगा उतनी ही अधिक उसकी गति होगी। हिमनद का प्रवाह ताप के घटने बढ़ने पर भी निर्भर करता है। ताप अधिक होने पर हिम शीघ्र पिघलता है और हिमनद वेग से आगे बढ़ता है। यही कारण है कि ग्रीष्म ऋतु में हिमनदों की प्रवाहगति बढ़ जाती है।

रचना

हिमनद पृथ्वी के उन्हीं भागों में पाए जाते हैं जहाँ हिम पिघलने की मात्रा की अपेक्षा हिमप्रपात अधिक होता है। साधारणत: हिमनद रचना के लिए हिम का सौ से दो सौ फुट मोटी तहों का जमा होना आवश्यक होता है। इतनी मोटाई पर दबाव के कारण बर्फ़ हिम में परिवर्तित हो जाता है।

मानचित्र में सियान रंग से दर्शित हिमनद

स्तर

हिमस्तरों में हिम के भिन्न भिन्न स्तर देखे जा सकते हैं। प्रत्येक स्तर एक वर्ष के हिमपात का द्योतक है। दबाव के कारण नीचे का स्तर अपने ऊपर वाले स्तर की अपेक्षा अधिक सघन होता है। इस प्रकार बर्फ़ अधिकाधिक घनी होती जाती है। पहली दानेदार हिम 'नैवे' की तथा बाद में ठोस हिम की रचना होती है।

दरार

प्रतिबल के प्रभाव में बर्फ़ में दरारें पड़ जाती हैं। ये दरारें दो सौ फुट तक गहरी हो सकती हैं। इससे अधिक गहराई पर यदि कोई दरार होती भी है तो वह दबाव के कारण भर जाती है। साधारणत: ये दरारें तब उत्पन्न होती हैं जब हिम किसी पहाड़ी या ढलान वाले मार्ग पर होकर आगे बढ़ता है।

हिमरेखा

स्थल की यह रेखा जिसके ऊपर निरंतर बर्फ़ जमी रहती है हिमरेखा कहलाती है। हिमरेखा के ऊपर का भाग हिमक्षेत्र कहलाता है। हिमरेखा की ऊँचाई विभिन्न स्थानों पर भिन्न भिन्न होती है। भूमध्यरेखा पर यह ऊँचाई 4550 मीटर से 5460 मीटर तक हो सकती है जब कि ध्रुव प्रदेशों में हिमरेखा सागरतल के निकट रहती है। आल्प्स में हिमरेखा की ऊँचाई 275 मीटर, ग्रीनलैंड में 606 मीटर, पाइरेन्नीस में 1975 मीटर, कोलेरडो में 3792 मीटर तथा हिमालय में 4550 मीटर से 5150 मीटर हैं।

स्वतंत्र हिमनद
हिमनद

माउंट एवरेस्ट के आसपास बहने वाले प्रमुख स्वतंत्र हिमनद (ग्लेशियर) हैं-

  • पूर्व में कांगशुंग
  • पूर्व, मुख्य तथा पश्चिम रोंगबक हिमनद (उत्तर व पश्चिमोत्तर)
  • पुमोरी हिमनद (पश्चिमोत्तर)
  • खुंबू हिमनद (पश्चिम तथा दक्षिण)
  • ल्होत्से-नुपत्से कटक
  • एवरेस्ट के बीच की बर्फ़ की घाटी पश्चिमी क्वम।

प्रकार

रूप, आकार और स्थिति के आधार पर हिमनदों को निम्नलिखित भागों में विभाजित कर सकते हैं:-

हिमनद झरना ग्लेशियर राष्ट्रीय उद्यान
  • दरी हिमानियाँ
  • प्रपाती हिमानियाँ
  • गिरिपाद हिमानियाँ
  • हिमाटोप
  • हिमस्तर

दरी हिमानियाँ

दरी हिमानियाँ पर्वतों की घाटियों में बहती हैं। इन्हें हिम हिमक्षेत्रों से प्राप्त होता है। आल्प्स में हिमानियाँ बहुतायत से देखने को मिलती हैं तथा यहीं पर सबसे पहले इनका विस्तृत अध्ययन किया गया था। इसी कारण इन्हें अल्पाइन हिमानियाँ भी कहा जाता है। दरी हिमानियों की प्रवाहगति साधारणत: कम होती है क्योंकि इनकी मोटाई कम होती है। छोटी छोटी दरी हिमानियाँ 60 मीटर से 90 मीटर तक मोटी होती हैं और बड़ी लगभग 300 मीटर मोटी। हिमानियों की मोटाई हिम के अंदर भूकंप लहरें उत्पन्न करके जानी जाती हैं। आल्प्स में दो हज़ार से अधिक दरी हिमानियाँ हैं। ये साधारणत: 3 किलोमीटर से 6 किलोमीटर लंबी हैं पर यहाँ की सबसे बड़ी हिमानी अलेट्श लगभग 14 किलोमीटर लंबी है। हिमालय में भी बहुत सी विशालकाय दरी हिमानियाँ देखने को मिलती हैं। यह अधिक ऊँचाई पर स्थित हैं और 8 से 48 किलोमीटर तक लंबी हैं। अलास्का में 120 किलोमीटर लंबी दरी हिमानियाँ भी विद्यमान हैं।

प्रपाती हिमानियाँ

हिमनद

एक विशेष प्रकार की पर्वतीय हिमानी जो पर्वतों की ढालों पर गहरे गड्ढों में स्थित है प्रतापी हिमानी कहलाती है। प्रपाती हिमानियाँ को सर्क हिमानी भी कहा जाता है। यह साधारणत: छोटी होती है। कभी कभी यह पर्वत के प्रवण ढाल पर बहती हैं। हिमानी प्रदेशों में बहुत से हिमज गह्वर (सर्क) आज भी झीलों के रूप में देखने को मिलते हैं। यह दो ओर से प्रवण शिलाओं से घिरे रहते हैं और एक ओर को खुले रहते हैं। पीरपंजाल क्षेत्र में 1800 मीटर की ऊँचाई पर ऐसे बहुत से हिमज गह्वर विद्यमान हैं। राकी पर्वत में भी बहुत सी प्रपाती हिमानियाँ देखने को मिलती हैं। किन्हीं किन्हीं भागों में प्रपाती हिमानी और दरी हिमानियों के बीच संक्रमण की सभी अवस्थाएँ देखने को मिलती हैं।

गिरिपाद हिमानियाँ

पर्वतों के नीचे समतल भूमि पर कई हिमानियों के मिलने से एक विशाल हिमनद की रचना होती है, इसे ही गिरिपाद हिमनद कहते हैं। यह पर्वत की तलहटी में बर्फ़ की झील सी दिखाई देती है। अलास्का की मलास्मिना हिमानी इसका सबसे अच्छा उदाहरण है। सेंट एलियास पर्वत की तलहटी से यह हिमानी लगभग 3840 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली है और बहुत धीमी गति से आगे की ओर बढ़ रही हैं। इस हिमानी की सीमाएँ (किनारे) शिलाओं के मलबे तथा वनवृक्षों से ढके हैं।

हिमनद

हिमाटोप

उच्च अक्षांशीय स्थित प्रदेशों में मैदान और पठार हिम से आच्छादित रहते हैं। इन्हें हिमाटोप कहा जाता है। इनका क्षेत्रफल अधिक नहीं होता है। वास्तव में यह हिमचादरों का छोटा रूप है। स्केंडिनेविया, आइसलैंड और लिट्जवर्मन में बहुत से हिमाटोप देखने को मिलते हैं।

हिमचादर

हिमचादरें लाखों वर्ग मील क्षेत्र को ढँके रहती हैं। इनकी रचना हिमाटोप की वृद्धि से और गिरिपाद हिमानियों के विस्तार से होती है। ग्रीनलैंड और अंटार्कटिक की हिमचादरें इसका सुंदर उदाहरण हैं। विक्टर अभियान (सन 1949-1952) के परिणामस्वरूप ग्रीनलैंड में हिमचादर के विषय में निम्नलिखित ज्ञान प्राप्त हुआ है:

हिमनद

इसका क्षेत्रफल 17,26,400 वर्ग किलोमीटर, समुद्रतल से औसत ऊँचाई 2135 मीटर, हिम की औसत मोटाई 1515 मीटर, आयतन, 26x106 घन किलोमीटर है। दक्षिण ध्रुवीय हिमचादर ग्रीनलैंड हिमचादर की अपेक्षा कई गुना अधिक बड़ी है। विशालकाय हिमस्तरों को महाद्वीपी हिमानियों के नाम से भी संबोधित किया जाता है।

हिमचादरों के विस्तृत क्षेत्र में कहीं कहीं एकलित शिलाओं की चोटियाँ दृष्टिगोचर होती हैं। इन शिलाद्वीपों को हिमस्थाएँ (नूनाटाक) कहते हैं। ग्रीनलैंड आदि ध्रुवीय प्रदेशों में हिमनदी बिना पिघले ही समुद्र तक पहुँच जाती है और वहाँ कई बड़े और छोटे खंडों में विभाजित हो जाती है। ये हिमखंड पानी में तैरते रहते हैं। इनका 1/10 भाग जल के ऊपर तथा 9/10 भाग जल के नीचे रहता है। इन्हें प्लावीहिम कहते हैं। गर्म भागों में पहुँचकर हिमखंड पिघल जाते हैं और इनका पदार्थ पत्थर आदि समुद्र में जमा हो जाता है। परिणामस्वरूप उस स्थान पर समुद्र की तली ऊँची हो जाती है। न्यूफाउंडलैंड तट की रचना इसी प्रकार हुई हैं।

हिमनद, बीगल चैनल

हिमनद निक्षेप

हिमनदी के पिघलने पर जो निक्षेप बनते हैं उन्हें हिमोढ़ कहते हैं। ये निक्षेप दो प्रकार के होते हैं।

पहली श्रेणी के निक्षेप

पहली श्रेणी में वे निक्षेप आते हैं जो बर्फ़ के पिघलने के स्थान पर ही हिमानी द्वारा लाए गए पदार्थों के जमा होने से बनते हैं। इनमें स्तरीकरण का अभाव रहता है। इन निक्षेपों में छोटे बड़े सभी प्रकार के पदार्थ एक साथ संकलित रहते हैं। तदनुसार मिट्टी से लेकर बड़े बड़े विशाल शिलाखंड यहाँ देखने को मिलते हैं। हिमोढ़ में यदि मिट्टी की मात्रा अधिक होती है तो उसे गोलाश्म मृत्तिका कहते हैं। गोलाश्म मृत्तिका में विद्यमान बड़े बड़े पत्थरों पर पड़ी धारियों के आधार पर हिमनद के प्रवाह की दिशा का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। हिमोढ़ के जमा होने से हिमानीय प्रदेश में छोटे छोटे टीले बन जाते हैं। ड्रमलिन हिमोढ़ से बनी नीची पहाड़ियाँ हैं जिनका आधार दीर्घवृत्ताकार होता है। इनका लंबा अक्ष हिमनद के प्रवाह की दिशा के समांतर होता है। इसके प्रवणढाल हिम के प्रवाह की दिशा को इंगित करते हैं। ड्रमालिन साधारणत: 15 मीटर से 60 मीटर तक ऊँचा होता है।

हिमनद
दूसरी श्रेणी के निक्षेप

दूसरी श्रेणी के निक्षेप पर्तदार होते हैं। बर्फ़ के पिघलने से जो पानी प्राप्त होता है उसी पानी के साथ हिमानी द्वारा लाया गया शैल पदार्थ बहता है। जल की प्रवाहगति पर निर्भर यह पदार्थ आकार के अनुसार जमा हो जाता है। पहले बड़े बड़े पत्थर फिर छोटे पत्थर तत्पश्चात् बालू कण और अंत में मिट्टी। यदि एक विशाल हिमनद किसी लगभग सपाट सतह पर दीर्घ काल तक स्थिर रहता है तो मलबे से लदा पानी बहुत सी जलधाराओं के रूप में प्रवाहित होता है और मलबा एक रूप से सतह पर जमा हो जाता है, इसे हिमानी अपक्षेप कहते हैं। केम भी एक प्रकार की हिमनद पदार्थों से बनी पर्तदार पहाड़ियाँ हैं जो साधारणत: 15 मीटर से 45 मीटर तक ऊँची होती हैं। ये हिमक्षेत्रों में एकलित पहाड़ियों के रूप में या छोटे छोटे समुदायों में दिखाई देती हैं। साधारणत: ये घाटियों की तलहटी में पर कभी-कभी पहाड़ियों की ढालों या उनकी चोटियों पर भी दृष्टिगोचर होती हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  • हिन्दी विश्वकोश, भाग-12 पृष्ठ 367

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