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||[[चित्र:Pandharpur.jpg| | ||[[चित्र:Pandharpur.jpg|100px|right|पंढरपुर, महाराष्ट्र]]'पंढरपुर' [[महाराष्ट्र|महाराष्ट्र राज्य]] का एक नगर और प्रसिद्ध [[तीर्थ स्थान]] है। यह [[पश्चिमी भारत]] के दक्षिणी महाराष्ट्र राज्य में [[भीमा नदी]] के तट पर [[शोलापुर ज़िला|शोलापुर नगर]] के पश्चिम में स्थित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भक्तराज पुंडलीक के स्मारक के रूप में यहाँ का मंदिर बना हुआ है। इस मंदिर में 'विठोबा' के रूप में [[कृष्ण|भगवान श्रीकृष्ण]] की पूजा की जाती है। शोलापुर से 38 मील पश्चिम की ओर [[चंद्रभागा नदी|चंद्रभागा]] अथवा भीमा नदी के तट पर महाराष्ट्र का शायद यह सबसे बड़ा तीर्थ है। सड़क और रेल मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचने योग्य पंढरपुर एक धार्मिक स्थल है, जहाँ साल भर हज़ारों हिंदू तीर्थयात्री आते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पंढरपुर]] | ||
{[[मध्य प्रदेश]] में प्रसिद्ध 'सास बहू का मंदिर' कहाँ स्थित है? | {[[मध्य प्रदेश]] में प्रसिद्ध 'सास बहू का मंदिर' कहाँ स्थित है? | ||
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-[[जबलपुर]] | -[[जबलपुर]] | ||
-[[उज्जैन]] | -[[उज्जैन]] | ||
||[[चित्र:Saas-Bahu-Temple-Gwalior.jpg| | ||[[चित्र:Saas-Bahu-Temple-Gwalior.jpg|100px|right|सास बहू का मंदिर]]'सास बहू का मंदिर' [[मध्य प्रदेश]] के इतिहास प्रसिद्ध शहर [[ग्वालियर]] में स्थित है। ग्यारवीं [[शताब्दी]] में निर्मित यह मंदिर शानदार मूर्तिकला का अद्भुत नमूना है। इस मंदिर का निर्माण 1093 ई. में किया गया था। स्थानीय लोगों की यह मान्यता है कि यह मंदिर 'सास और बहू' को समर्पित है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सास बहू का मंदिर, ग्वालियर|सास बहू का मंदिर]] | ||
{'बाई गॉड्स डिक्री' किस प्रसिद्ध भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी की आत्मकथा है? | {'बाई गॉड्स डिक्री' किस प्रसिद्ध भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी की आत्मकथा है? | ||
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+[[कपिल देव]] | +[[कपिल देव]] | ||
-[[सुनील गावस्कर]] | -[[सुनील गावस्कर]] | ||
||[[चित्र:Kapil-Dev.jpg| | ||[[चित्र:Kapil-Dev.jpg|100px|right|कपिल देव]]'कपिल देव' [[भारत]] के प्रथम [[क्रिकेट]] विश्व कप विजेता दल के कप्तान एवं सफलतम हरफनमौला खिलाड़ी हैं। [[कपिल देव]] ने सन [[1975]] में प्रथम श्रेणी क्रिकेट में प्रवेश किया। भारत के इस प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ी का जन्म [[6 जनवरी]], [[1959]] को [[हरियाणा]] में हुआ था। उनका जन्म एक लकड़ी व्यापारी के यहाँ हुआ। अपनी आत्मकथा 'बाई गॉड्स डिक्री' में [[कपिल देव]] ने भारतीय क्रिकेट और अपने जीवन के बारे में स्पष्ट लिखा है कि- "मैंने एक लकड़ी व्यापारी के यहाँ जन्म लिया। 13 [[वर्ष]] की उम्र के पहले मैंने [[क्रिकेट]] नहीं खेली। यह उस समय हुआ, जब सैक्टर 16 की टीम में एक खिलाड़ी की कमी हो गई और मुझे शामिल कर लिया गया।"{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कपिल देव]] | ||
{[[इटली]] के क्रांतिकारी ज्यूसेपे मेत्सिनी को कौन अपना आदर्श मानते थे? | {[[इटली]] के क्रांतिकारी ज्यूसेपे मेत्सिनी को कौन अपना आदर्श मानते थे? | ||
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-[[सुभाष चंद्र बोस]] | -[[सुभाष चंद्र बोस]] | ||
+[[लाला लाजपत राय]] | +[[लाला लाजपत राय]] | ||
||[[चित्र:Lala-Lajpat-Rai.jpg| | ||[[चित्र:Lala-Lajpat-Rai.jpg|100px|right|लाला लाजपत राय]]'लाला लाजपत राय' को [[भारत]] के महान् क्रांतिकारियों में गिना जाता है। आजीवन ब्रिटिश राजशक्ति का सामना करते हुए अपने प्राणों की परवाह न करने वाले [[लाला लाजपत राय]] को 'पंजाब केसरी' भी कहा गया है। [[इटली]] के क्रांतिकारी ज्यूसेपे मेत्सिनी को लालाजी अपना आदर्श मानते थे। किसी पुस्तक में उन्होंने जब मेत्सिनी का भाषण पढ़ा तो उससे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने मेत्सिनी की जीवनी पढ़नी चाही। वह [[भारत]] में उपलब्ध नहीं थी। उन्होंने उसे इंग्लैण्ड से मंगवाया। मेत्सिनी द्वारा लिखी गई अभूतपूर्व पुस्तक ‘ड्यूटीज ऑफ़ मैन’ का लाला लाजपत राय ने [[उर्दू]] में अनुवाद किया। इस [[पांडुलिपि]] को उन्होंने [[लाहौर]] के एक पत्रकार को पढ़ने के लिए दिया। उस पत्रकार ने उसमें थोड़ा बहुत संशोधन किया और अपने नाम से छपवा दिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[लाला लाजपत राय]] | ||
{'गाँधीसागर बाँध' किस नदी पर निर्मित है? | {'गाँधीसागर बाँध' किस नदी पर निर्मित है? | ||
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-[[गोदावरी नदी|गोदावरी]] | -[[गोदावरी नदी|गोदावरी]] | ||
-[[गोमती नदी|गोमती]] | -[[गोमती नदी|गोमती]] | ||
||[[चित्र:Chambal-River-1.jpg| | ||[[चित्र:Chambal-River-1.jpg|100px|right|चंबल नदी]]'गाँधीसागर बाँध' [[मध्य प्रदेश]] में [[नीमच]] के पास [[मंदसौर ज़िला|मंदसौर ज़िले]] में स्थित है। यह प्रदेश का महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है। [[चंबल नदी]] पर बने हुए इस भव्य बाँध की नींव का पत्थर [[7 मार्च]], [[1954]] को तत्कालीन [[प्रधानमंत्री]] [[पंडित जवाहरलाल नेहरू]] द्वारा रखा गया था। यह बाँध [[कोटा राजस्थान|कोटा नगर]] से 112 किलोमीटर दूर स्थित [[राजस्थान]] और मध्य प्रदेश की सीमा पर बनाई गई जलविद्युत परियोजना का हिस्सा है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गाँधीसागर बाँध]] | ||
{विश्व प्रसिद्ध '''काशी विश्वनाथ मंदिर''' का निर्माण किसने करवाया था? | {विश्व प्रसिद्ध '''काशी विश्वनाथ मंदिर''' का निर्माण किसने करवाया था? | ||
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-[[चंद्रसेन राजा|राजा चंद्रसेन]] | -[[चंद्रसेन राजा|राजा चंद्रसेन]] | ||
-[[कृष्ण प्रथम]] | -[[कृष्ण प्रथम]] | ||
||[[चित्र:Kashi-Vishwanath.jpg| | ||[[चित्र:Kashi-Vishwanath.jpg|100px|right|विश्वनाथ मन्दिर]]'अहिल्याबाई होल्कर' [[मल्हारराव होल्कर]] के पुत्र खंडेराव की पत्नी थी। वे किसी बड़े राज्य की रानी नहीं थीं, लेकिन अपने राज्य काल में उन्होंने जो कुछ किया, वह आश्चर्यचकित करने वाला है। [[अहिल्याबाई होल्कर]] एक बहादुर योद्धा और कुशल तीरंदाज थीं। उन्होंने [[भारत]] के भिन्न-भिन्न भागों में अनेक मन्दिरों और धर्मशालाओं का निर्माण कराया। [[काशी]], [[गया]], [[सोमनाथ]], [[अयोध्या]], [[मथुरा]], [[हरिद्वार]], [[द्वारिका]], [[बद्रीनाथ|बद्रीनारायण]], [[रामेश्वरम]], [[जगन्नाथपुरी]] इत्यादि प्रसिद्ध तीर्थस्थानों पर मंदिर बनवाए और धर्मशालाएं खुलवायीं। कहा जाता है कि रानी अहिल्याबाई के स्वप्न में एक बार [[शिव|भगवान शिव]] आए। वे शिव की [[भक्त]] थीं और इसलिए उन्होंने 1777 ई. में विश्व प्रसिद्ध '[[विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग|काशी विश्वनाथ मंदिर]]' का निर्माण कराया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अहिल्याबाई होल्कर]], [[विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग]] | ||
{'शिवाजी ऐंड हिज टाइम्स' नामक प्रसिद्ध पुस्तक किसके द्वारा लिखी गई? | {'शिवाजी ऐंड हिज टाइम्स' नामक प्रसिद्ध पुस्तक किसके द्वारा लिखी गई? | ||
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-[[रामचन्द्र शुक्ल]] | -[[रामचन्द्र शुक्ल]] | ||
+[[यदुनाथ सरकार]] | +[[यदुनाथ सरकार]] | ||
||[[चित्र:Jadunath.jpg| | ||[[चित्र:Jadunath.jpg|100px|right|यदुनाथ सरकार]]'यदुनाथ सरकार' को एक प्रसिद्ध [[इतिहासकार]] के रूप में जाना जाता है। ये ज़मींदार [[परिवार]] से सम्बन्ध रखते थे। इन्होंने [[1892]] में अंग्रेज़ी साहित्य में एम.ए. की परीक्षा पास की और जीवन का अधिकांश समय ग्रन्थों के अध्ययन और लेखन में व्यतीत किया। [[यदुनाथ सरकार]] ने [[मुग़ल]] और [[मराठा]] इतिहास पर कई [[ग्रन्थ]] लिखे। उनकी पहली पुस्तक 'इंडिया ऑफ़ औरंगजेब: टॉपॉग्राफी, स्टेटिस्टिक्स ऐंड रोड्स' [[1901]] में प्रकाशित हुई। उनकी पुस्तक 'शिवाजी ऐंड हिज टाइम्स' [[1919]] में प्रकाशित हुई। इन पुस्तकों में [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]], [[मराठी भाषा|मराठी]], [[राजस्थानी भाषा|राजस्थानी]] और यूरोपीय भाषाओं में उपलब्ध सामग्री का सावधानी से उपयोग कर सरकार ने ऐतिहासिक खोज का महत्त्वपूर्ण कार्य किया और मूलभूत सामग्री के आधार पर खोज करने की परंपरा को दृढ़ किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[यदुनाथ सरकार]] | ||
{किस प्रसिद्ध गायक को 'शहंशाह-ए-तरन्नुम' कहा जाता है? | {किस प्रसिद्ध गायक को 'शहंशाह-ए-तरन्नुम' कहा जाता है? | ||
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+[[मुहम्मद रफ़ी]] | +[[मुहम्मद रफ़ी]] | ||
-[[महेन्द्र कपूर]] | -[[महेन्द्र कपूर]] | ||
||[[चित्र:Mohd.Rafi.jpg| | ||[[चित्र:Mohd.Rafi.jpg|100px|right|मुहम्मद रफ़ी]]'मुहम्मद रफ़ी' [[हिन्दी सिनेमा]] के श्रेष्ठतम पार्श्वगायकों में से एक थे, जिन्होंने क़रीब 40 साल के फ़िल्मी गायन में 25 हज़ार से अधिक गाने रिकॉर्ड करवाए। अपनी आवाज़ की मधुरता और परास की अधिकता के लिए उन्होंने अपने समकालीन गायकों के बीच अलग पहचान बनाई थी। इन्हें 'शहंशाह-ए-तरन्नुम' भी कहा जाता था। [[मोहम्मद रफ़ी]] की आवाज़ में अद्भुत विस्तार था, जिसका संगीतकारों ने बख़ूबी इस्तेमाल किया। पूरी तीन पीढ़ियों तक अपनी आवाज़ देने वाले मोहम्मद रफ़ी का कहना था कि- "आवाज़ तो खुदा की देन है।" क़रीब 25 कलाकारों को अपनी आवाज़ देने वाले मोहम्मद रफ़ी के गीत सुनते ही लोग जान जाते थे कि यह गीत किस पर फ़िल्माया गया होगा। फिर चाहे वे [[गुरुदत्त]] हों, [[शम्मी कपूर]] हों या फिर [[जॉनी वॉकर]] हों।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मुहम्मद रफ़ी]] | ||
{'''राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ''' (आर.एस.एस.) की स्थापना कब की गई थी? | {'''राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ''' (आर.एस.एस.) की स्थापना कब की गई थी? | ||
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-[[जामनगर]] | -[[जामनगर]] | ||
-[[गांधीनगर]] | -[[गांधीनगर]] | ||
||[[चित्र:Diamond.jpg| | ||[[चित्र:Diamond.jpg|100px|right|हीरा]]'सूरत' [[गुजरात]] का प्रसिद्ध शहर है। यह दक्षिण-पूर्वी गुजरात राज्य, [[पश्चिम भारत]] में स्थित है। [[सूरत]] मुख्यत: कपड़ा उद्योग और [[हीरा|हीरे]] की कटिंग और पॉलिशैंग आदि के कार्यों के लिए प्रसिद्ध है। यही कारण है कि इस शहर को 'सिल्क सिटी' और 'डायमंड सिटी' के नाम से भी जाना जाता है। आज सूरत में क़रीब 7.5 लाख लूम्स और क़रीब 450 टेक्सटाइल प्रोसेसिंग हाउस हैं। इसके अलावा 70000 एम्ब्रॉयडरी की यूनिट हैं। [[हीरा|हीरे]] के कारोबार में [[सूरत]] में छोटी-बड़ी क़रीब 90000 डायमंड कटिंग और पॉलिशिंग यूनिट हैं। इन दोनों इंडस्ट्रीज में बड़ी तादाद में लोगों को रोजगार मिल रहा है, जिसमें सूरत के बाहर से आकर बसे लोगों की संख्या अधिक है। आज दुनिया भर के पॉलिश किये गए हीरे में 80 फीसदी सूरत में तैयार होते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सूरत]] | ||
{[[महाभारत]] के अनुसार 'पंचजन्य' नामक शंख किसके पास था? | {[[महाभारत]] के अनुसार 'पंचजन्य' नामक शंख किसके पास था? | ||
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+[[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] | +[[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] | ||
-[[भीष्म]] | -[[भीष्म]] | ||
||[[चित्र:Krishna-2.jpg| | ||[[चित्र:Krishna-2.jpg|100px|right|श्रीकृष्ण]]जब [[महाभारत]] का युद्ध अनिवार्य हो गया, तब दोनों ओर की सेनाएं युद्ध के लिए तैयार हुई। [[कृष्ण]], [[धृष्टद्युम्न]] तथा [[सात्यकि]] ने [[पांडव]] सैना की ब्यूह-रचना की। [[कुरुक्षेत्र]] के प्रसिद्ध मैदान में दोनों सेनाएं एक-दूसरे के सामने आ डटीं। महाभारत युद्ध में शंख का बहुत महत्त्व था। शंखनाद के साथ युद्ध प्रारंभ होता था। जिस प्रकार प्रत्येक रथी सेनानायक का अपना ध्वज होता था, उसी प्रकार प्रमुख योद्धाओं के पास अलग-अलग शंख भी होते थे। भीष्मपर्वांतर्गत गीता उपपर्व के प्रारंभ में विविध योद्धाओं के नाम दिए गए हैं। [[कृष्ण]] के शंख का नाम 'पंचजन्य' था, [[अर्जुन]] का 'देवदत्त', [[युधिष्ठिर]] का 'अनंतविजय', [[भीम]] का 'पौण्ड्र', [[नकुल]] का 'सुघोष' और [[सहदेव]] का 'मणिपुष्पक'।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] | ||
{[[भारत]] में '''आधुनिक नृत्य के जन्मदाता''' के रूप में किसे जाना जाता है? | {[[भारत]] में '''आधुनिक नृत्य के जन्मदाता''' के रूप में किसे जाना जाता है? | ||
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-[[किशन महाराज]] | -[[किशन महाराज]] | ||
-[[भीमसेन जोशी]] | -[[भीमसेन जोशी]] | ||
||[[चित्र:Uday-Shankar.jpg| | ||[[चित्र:Uday-Shankar.jpg|100px|right|उदय शंकर]]'उदय शंकर' [[भारत]] के प्रसिद्ध नर्तक, नृत्य निर्देशक और बैले निर्माता थे। उन्हें भारत में 'आधुनिक नृत्य के जन्मदाता' के रूप में भी जाना जाता है। [[उदय शंकर]] ने [[यूरोप]] और अमेरिका का भारतीय नृत्य और संस्कृति से परिचय करवाया और भारतीय नृत्य को दुनिया के मानचित्र पर प्रभावशाली ढंग से स्थापित किया। उन्होंने 'ताण्डव नृत्य', 'शिव-पार्वती', 'लंका दहन', 'रिदम ऑफ़ लाइफ़', 'श्रम और यंत्र', 'रामलीला और भगवान बुद्ध' नाम से नवीन नृत्यों की रचना की थी। इनमें वेशभूषा, [[संगीत]], संगीत-यंत्र, ताल और लय आदि चीजें उन्हीं के द्वारा आविष्कृत थीं। [[वर्ष]] [[1971]] में [[भारत सरकार]] ने उन्हें '[[पद्म विभूषण]]' और [[1975]] में विश्वभारती ने 'देशीकोत्तम सम्मान' प्रदान किये।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[उदय शंकर]] | ||
{प्रसिद्ध अभिनेत्री [[शर्मिला टैगोर]] को सर्वप्रथम फ़िल्मों में अवसर किसने दिया? | {प्रसिद्ध अभिनेत्री [[शर्मिला टैगोर]] को सर्वप्रथम फ़िल्मों में अवसर किसने दिया? | ||
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-[[यश चोपड़ा]] | -[[यश चोपड़ा]] | ||
-[[वी शांताराम]] | -[[वी शांताराम]] | ||
||[[चित्र:Sharmila-taigore-2.jpg| | ||[[चित्र:Sharmila-taigore-2.jpg|100px|right|शर्मिला टैगोर]]'शर्मिला टैगोर' की गणना अभिजात्य-वर्ग की नायिकाओं में की जाती है। हिन्दी फ़िल्मों की श्रेष्ठ अभिनेत्रियों में उनकी गिनती होती है। अभिनय की शालीनता तथा मर्यादाओं की लक्ष्मण-रेखा को लांघने का प्रयास [[शर्मिला टैगोर]] ने कभी नहीं किया। कविवर [[रवीन्द्रनाथ टैगोर]] के [[परिवार]] की समृद्ध परम्पराओं का सफल निर्वाह उन्होंने अपने किरदारों के माध्यम से कर अपने दर्शकों के समक्ष 'लार्जर देन लाइफ़' की छवि प्रस्तुत की। यही कारण था कि रवि बाबू के शांति निकेतन में शिक्षित [[सत्यजित राय]] ने शर्मिला की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें अपनी फ़िल्म 'अपूर संसार' ([[1959]]) में सर्वप्रथम अवसर दिया। सत्यजित राय के पारस-स्पर्श से शर्मिला का फ़िल्मी कैरियर हमेशा शिखर को स्पर्श करता चला गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शर्मिला टैगोर]], [[सत्यजित राय]] | ||
{[[भारत]] में '''आधुनिक युग का मनु''' किसे कहा जाता है? | {[[भारत]] में '''आधुनिक युग का मनु''' किसे कहा जाता है? | ||
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+[[भीमराव आम्बेडकर]] | +[[भीमराव आम्बेडकर]] | ||
-[[लाला लाजपतराय]] | -[[लाला लाजपतराय]] | ||
||[[चित्र:Dr.Bhimrao-Ambedkar.jpg| | ||[[चित्र:Dr.Bhimrao-Ambedkar.jpg|100px|right|भीमराव आम्बेडकर]]'भीमराव आम्बेडकर' बहुजन राजनीतिक नेता और एक बौद्ध पुनरुत्थानवादी थे। उन्हें 'बाबासाहेब' के नाम से भी जाना जाता है। [[भीमराव आम्बेडकर]] ने अपना सारा जीवन [[हिन्दू धर्म]] की चतुवर्ण प्रणाली और भारतीय समाज में सर्वत्र व्याप्त जाति व्यवस्था के विरुद्ध संघर्ष में बिता दिया। उन्हें बौद्ध महाशक्तियों के दलित आंदोलन को प्रारंभ करने का श्रेय भी जाता है। आम्बेडकर को '[[भारत रत्न]]' से भी सम्मानित किया गया है, जो [[भारत]] का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है। अपनी महत्त्वपूर्ण उपलब्धियों तथा देश की अमूल्य सेवा के फलस्वरूप डॉ. अम्बेडकर को 'आधुनिक युग का मनु' कहकर सम्मानित किया गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भीमराव आम्बेडकर]] | ||
{'कला और बूढ़ा चाँद' किस प्रसिद्ध [[छायावाद|छायावादी]] [[कवि]] की कविताओं का संग्रह है? | {'कला और बूढ़ा चाँद' किस प्रसिद्ध [[छायावाद|छायावादी]] [[कवि]] की कविताओं का संग्रह है? | ||
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-[[सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला']] | -[[सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला']] | ||
-[[महादेवी वर्मा]] | -[[महादेवी वर्मा]] | ||
||[[चित्र:Kala-Aur-Budha-Chand.jpg| | ||[[चित्र:Kala-Aur-Budha-Chand.jpg|100px|right|'कला और बूढ़ा चाँद' का आवरण पृष्ठ]]'कला और बूढ़ा चाँद' [[छायावादी युग]] के प्रसिद्ध कवि [[सुमित्रानंदन पंत]] का प्रसिद्ध कविता संग्रह है। [[सुमित्रानंदन पंत]] की [[कविता|कविताओं]] में प्रकृति और कला के सौंदर्य को प्रमुखता से जगह मिली है। इस कृति के लिए पंत जी को [[वर्ष]] [[1960]] में '[[साहित्य अकादमी पुरस्कार]]' द्वारा सम्मानित किया गया था। इस कविता संग्रह का प्रकाशन 'राजकमल प्रकाशन' द्वारा किया गया था। सुमित्रानंदन पंत की समस्त रचनाएँ भारतीय जीवन की समृद्ध सांस्कृतिक चेतना से गहन साक्षात्कार कराती हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सुमित्रानंदन पंत]], [[कला और बूढ़ा चाँद -सुमित्रानन्दन पंत|कला और बूढ़ा चाँद]] | ||
{'भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक' किसे माना जाता है? | {'भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक' किसे माना जाता है? | ||
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+[[विक्रम साराभाई]] | +[[विक्रम साराभाई]] | ||
-[[सत्येंद्रनाथ बोस]] | -[[सत्येंद्रनाथ बोस]] | ||
||[[चित्र:Vikram Sarabhai.jpg| | ||[[चित्र:Vikram Sarabhai.jpg|100px|right|विक्रम साराभाई]]'विक्रम साराभाई' का जन्म [[पश्चिमी भारत]] में [[गुजरात]] के [[अहमदाबाद]] में हुआ था। उनका [[परिवार]] एक संपन्न [[जैन]] व्यापारी परिवार था। [[विक्रम साराभाई]] ने [[भारत]] को अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में नई ऊँचाईयों पर पहुँचाया और अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र पर देश की उपस्थिति दर्ज कराई। साराभाई को 'भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक' माना जाता है। वे महान् संस्थान निर्माता थे और उन्होंने विविध क्षेत्रों में अनेक संस्थाओं की स्थापना की या स्थापना में मदद की थी। अहमदाबाद में 'भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला' की स्थापना में उन्होंने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[विक्रम साराभाई]] | ||
{[[फखरूद्दीन अली अहमद|डॉ. फखरूद्दीन अली अहमद]] और [[ज्ञानी जैल सिंह]] के बाद वह तीसरे व्यक्ति कौन हैं, जिन्होंने [[राष्ट्रपति]] पद के प्रत्याशी रहते हुए वोट डाला? | {[[फखरूद्दीन अली अहमद|डॉ. फखरूद्दीन अली अहमद]] और [[ज्ञानी जैल सिंह]] के बाद वह तीसरे व्यक्ति कौन हैं, जिन्होंने [[राष्ट्रपति]] पद के प्रत्याशी रहते हुए वोट डाला? | ||
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-[[अब्दुल कलाम]] | -[[अब्दुल कलाम]] | ||
-[[शंकरदयाल शर्मा]] | -[[शंकरदयाल शर्मा]] | ||
||[[चित्र:Pranab mukherjee.jpg| | ||[[चित्र:Pranab mukherjee.jpg|100px|right|प्रणब मुखर्जी]]'प्रणब मुखर्जी' [[भारत]] के 13वें एवं वर्तमान [[राष्ट्रपति]] और [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के एक प्रमुख नेता हैं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) ने इन्हें [[जुलाई]], [[2012]] में भारत के राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार नियुक्त किया और राष्ट्रपति चुनाव में [[प्रणब मुखर्जी]] ने विरोधी उम्मीदवार पी.ए. संगमा को हराकर जीत हासिल की। [[फखरूद्दीन अली अहमद]] और [[ज्ञानी जैल सिंह]] के बाद वे तीसरे ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने [[राष्ट्रपति]] के प्रत्याशी रहते हुए वोट डाला। वे [[25 जुलाई]], 2012 को राष्ट्रपति पद की शपथ लेकर [[भारत]] के 13वें राष्ट्रपति बने।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[प्रणब मुखर्जी]] | ||
{'''बापू की झांकियाँ''' नामक [[हिन्दी]] [[ग्रंथ]] किसके द्वारा लिखा गया है? | {'''बापू की झांकियाँ''' नामक [[हिन्दी]] [[ग्रंथ]] किसके द्वारा लिखा गया है? | ||
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-[[अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध']] | -[[अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध']] | ||
+[[काका कालेलकर]] | +[[काका कालेलकर]] | ||
||[[चित्र:Kaka-Kalelkar.jpg| | ||[[चित्र:Kaka-Kalelkar.jpg|100px|right|काका कालेलकर]]'काका कालेलकर' [[भारत]] के प्रसिद्ध गांधीवादी स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद, पत्रकार और लेखक थे। वे देश की मुक्ति के लिए सशस्त्र संघर्ष के पक्षपाती थे। [[1915]] ई. में [[महात्मा गाँधी]] से मिलने के बाद ही उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन गाँधी जी के कार्यों को समर्पित कर दिया। [[काका कालेलकर]] [[हिन्दी]] के अतिरिक्त [[मराठी भाषा|मराठी]] तथा [[गुजराती भाषा]] पर भी अच्छा अधिकार रखते थे। [[1922]] में ये गुजराती पत्र 'नवजीवन' के सम्पादक भी रहे थे। इनकी लिखी हुई हिन्दी की असंख्य रचनाओं में से 'बापू की झांकियाँ' भी एक है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[काका कालेलकर]] | ||
{[[भारत]] के आकर्षक प्रपातों में से एक '[[चचाई जलप्रपात]]' कहाँ स्थित है? | {[[भारत]] के आकर्षक प्रपातों में से एक '[[चचाई जलप्रपात]]' कहाँ स्थित है? | ||
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+[[मध्य प्रदेश]] | +[[मध्य प्रदेश]] | ||
-[[अरुणाचल प्रदेश]] | -[[अरुणाचल प्रदेश]] | ||
||[[चित्र:Chachai-Falls.jpg| | ||[[चित्र:Chachai-Falls.jpg|100px|right|चचाई जलप्रपात]]'चचाई जलप्रपात' [[रीवा]], [[मध्य प्रदेश]] से उत्तर की ओर 45 कि.मी. की दूरी पर सिरमौर तहसील में स्थित है। यह प्रपात बीहर नदी द्वारा निर्मित होता है। यह एक खूबसूरत एवं आकर्षक जलप्रपात है, जो 115 मीटर गहरा एवं 175 मीटर चौड़ा है। बीहर नदी के एक मनोरम घाटी में गिरने से यह प्रपात बनता है। [[चचाई जलप्रपात]] का प्रकृति पदत्त और कलात्मक सौन्दर्य बेजोड़ है, जहाँ बीहर नदी को अपने आगोश में लेते ही लगभग 500 फुट की ऊँचाई से गिरते ही पानी बिखर कर दूधिया हो जाता है, फलस्वरूप आसपास कोहरे की हल्की झीनी चादर फैल जाती है। सैकड़ों मीटर दूर तक नन्हीं-नन्हीं फुहारों से समूचा वातावरण आनंददायी हो जाता है। ऐसा चमत्कारिक दृश्य कि कोई भी सम्मोहित अपलक देखता ही रह जाय।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चचाई जलप्रपात]] | ||
{'केलकर संग्रहालय' [[भारत]] के किस राज्य में स्थित है? | {'केलकर संग्रहालय' [[भारत]] के किस राज्य में स्थित है? | ||
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-[[आंध्र प्रदेश]] | -[[आंध्र प्रदेश]] | ||
-[[उत्तर प्रदेश]] | -[[उत्तर प्रदेश]] | ||
||[[चित्र:Raja-Dinkar-Kelkar-Museum.jpg| | ||[[चित्र:Raja-Dinkar-Kelkar-Museum.jpg|100px|right|केलकर संग्रहालय]]'केलकर संग्रहालय' [[महाराष्ट्र]] के [[पुणे|पुणे शहर]] में बाजीराव रोड पर प्रसिद्ध अभिनव कला मंदिर के समीप स्थित है। [[केलकर संग्रहालय]] को 'राजा दिनकर केलकर संग्रहालय' भी कहा जाता है। इस [[संग्रहालय]] की स्थापना [[1962]] में बाबा दिनकर केलकर द्वारा हुई थी, लेकिन [[1975]] में उन्होंने यह संग्रहालय महाराष्ट्र सरकार को सौंप दिया। राजा दिनकर केलकर ने अपने पुत्र की याद में इस संग्रहालय की स्थापना की थी, जिसकी मृत्यु सात [[वर्ष]] की आयु में ही हो गई थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[केलकर संग्रहालय]] | ||
{[[राहुल सांकृत्यायन]] ने किसको '''अनगढ़ हीरा''' कहा था? | {[[राहुल सांकृत्यायन]] ने किसको '''अनगढ़ हीरा''' कहा था? | ||
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+[[भिखारी ठाकुर]] | +[[भिखारी ठाकुर]] | ||
-[[मोहन राकेश]] | -[[मोहन राकेश]] | ||
||[[चित्र:Bhikhari-Thakur.jpg| | ||[[चित्र:Bhikhari-Thakur.jpg|100px|right|भिखारी ठाकुर]]'भिखारी ठाकुर' [[भोजपुरी भाषा|भोजपुरी]] के समर्थ लोक कलाकार, रंगकर्मी लोक जागरण के सन्देश वाहक, नारी विमर्श एवं दलित विमर्श के उद्घोषक, लोक गीत तथा भजन कीर्तन के अनन्य साधक थे। [[भिखारी ठाकुर]] बहुआयामी प्रतिभा के व्यक्ति थे। वे एक ही साथ [[कवि]], गीतकार, नाटककार, नाट्य निर्देशक, लोक संगीतकार और अभिनेता थे। [[राहुल सांकृत्यायन]] ने उनको 'अनगढ़ हीरा' कहा था। भिखारी ठाकुर की मातृभाषा भोजपुरी थी और उन्होंने भोजपुरी को ही अपने काव्य और [[नाटक]] की [[भाषा]] बनाया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भिखारी ठाकुर]] | ||
{"मैं मर नहीं रहा हूँ, बल्कि स्वतंत्र भारत में पुर्नजन्म लेने जा रहा हूँ।" यह कथन किस प्रसिद्ध क्रांतिकारी का है? | {"मैं मर नहीं रहा हूँ, बल्कि स्वतंत्र भारत में पुर्नजन्म लेने जा रहा हूँ।" यह कथन किस प्रसिद्ध क्रांतिकारी का है? | ||
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-[[अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ]] | -[[अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ]] | ||
-[[ठाकुर रोशन सिंह]] | -[[ठाकुर रोशन सिंह]] | ||
||[[चित्र:Rajendranath-Lahiri.jpg| | ||[[चित्र:Rajendranath-Lahiri.jpg|100px|right|राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी]]'राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी' [[भारत]] के शहीद क्रांतिकारियों में से एक थे। इन्होंने [[9 अगस्त]], [[1925]] को [[लखनऊ]] के काकोरी रेलवे स्टेशन से छूटी पैसेन्जर ट्रेन को चेन खींच कर रोका और क्रान्तिकारी [[रामप्रसाद बिस्मिल]] के नेतृत्व में [[अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ]], [[चन्द्रशेखर आज़ाद]] व छ: अन्य सहयोगियों की मदद से सरकारी खजाना लूट लिया। गिरफ़्तारी के बाद जेल में [[राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी]] अध्ययन और व्यायाम में अपना सारा समय व्यतीत करते थे। अन्य क्रांतिकारियों से दो दिन पूर्व ही [[17 दिसम्बर]], [[1927]] को उन्हें फाँसी दी गई। शहीद राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी ने हंसते-हंसते फाँसी का फन्दा चूमने के पहले 'वन्देमातरम' की जोरदार हुंकार भरकर जयघोष करते हुए कहा- "मैं मर नहीं रहा हूँ, बल्कि स्वतंत्र भारत में पुर्नजन्म लेने जा रहा हूँ।" क्रांतिकारी की इस जुनून भरी हुंकार को सुनकर [[अंग्रेज़]] ठिठक गये थे। उन्हें लग गया था कि इस धरती के सपूत उन्हें अब चैन से नहीं जीने देंगे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी]] | ||
{'सतनाम पंथ' का संस्थापक किसे माना जाता है? | {'सतनाम पंथ' का संस्थापक किसे माना जाता है? | ||
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-[[स्वामी श्रद्धानन्द]] | -[[स्वामी श्रद्धानन्द]] | ||
+[[गुरु घासीदास]] | +[[गुरु घासीदास]] | ||
||[[चित्र:Guru-Ghasidas.jpg| | ||[[चित्र:Guru-Ghasidas.jpg|100px|right|गुरु घासीदास]]'गुरु घासीदास' [[भारत]] के [[छत्तीसगढ़|छत्तीसगढ़ राज्य]] की संत परंपरा में सर्वोपरि हैं। बाल्याकाल से ही [[गुरु घासीदास|घासीदास]] के हृदय में वैराग्य का भाव प्रस्फुटित हो चुका था। समाज में व्याप्त पशुबलि तथा अन्य कुप्रथाओं का ये बचपन से ही विरोध करते रहे। समाज को नई दिशा प्रदान करने में इन्होंने अतुलनीय योगदान दिया था। घासीदास की सत्य के प्रति अटूट आस्था की वजह से ही इन्होंने बचपन में कई चमत्कार दिखाए, जिसका लोगों पर काफ़ी प्रभाव पड़ा। इस प्रभाव के चलते भारी संख्या में हज़ारों-लाखों लोग उनके अनुयायी हो गए। इस प्रकार छत्तीसगढ़ में 'सतनाम पंथ' की स्थापना हुई। इस संप्रदाय के लोग गुरु घासीदास को अवतारी पुरुष के रूप में मानते हैं। इनके सात वचन सतनाम पंथ के सप्त सिद्धांत के रूप में प्रतिष्ठित हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गुरु घासीदास]] | ||
{कैनवास पर [[भारत]] की एक नई तस्वीर उभारने वाली किस प्रसिद्ध चित्रकार का जन्म हंगरी में हुआ था? | {कैनवास पर [[भारत]] की एक नई तस्वीर उभारने वाली किस प्रसिद्ध चित्रकार का जन्म हंगरी में हुआ था? | ||
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-[[कृष्ण हैबर]] | -[[कृष्ण हैबर]] | ||
-[[जामिनी रॉय]] | -[[जामिनी रॉय]] | ||
||[[चित्र:Amrita-Shergill.jpg| | ||[[चित्र:Amrita-Shergill.jpg|100px|right|अमृता शेरगिल]]'अमृता शेरगिल' ख़ूबसूरत चित्रकारी करने वाले चित्रकारों में से एक थीं। उन्होंने कैनवास पर [[भारत]] की एक नई तस्वीर उकेरी। [[अमृता शेरगिल]] मजीठा के उमराव सिंह शेरगिल की पुत्री थीं। उनका जन्म हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में सन [[1913]] में हुआ था। उनकी माता एक हंगिरियन महिला थीं। अपनी पेंटिंग्स के बारे में अमृता का कहना था- "मैंने भारत की आत्मा को एक नया रूप दिया है। यह परिवर्तन सिर्फ विषय का नहीं, बल्कि तकनीकी भी है।" अमृता ने इस प्रकार के यथार्थवादी चित्रों की रचना की थी, जिनकी सारे संसार में चर्चा हुई।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अमृता शेरगिल]] | ||
{[[भारत]] में 'आर्यन पेशवा' के नाम से किसे प्रसिद्धि प्राप्त है? | {[[भारत]] में 'आर्यन पेशवा' के नाम से किसे प्रसिद्धि प्राप्त है? | ||
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-[[शिवाजी|छत्रपति शिवाजी]] | -[[शिवाजी|छत्रपति शिवाजी]] | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||[[चित्र:Raja-mahendra-pratap.jpg| | ||[[चित्र:Raja-mahendra-pratap.jpg|100px|right|राजा महेन्द्र प्रताप]]'राजा महेन्द्र प्रताप' एक सच्चे देशभक्त, क्रान्तिकारी, पत्रकार और समाज सुधारक थे। ये 'आर्यन पेशवा' के नाम से प्रसिद्ध थे। [[राजा महेन्द्र प्रताप]] का जन्म मुरसान नरेश राजा बहादुर घनश्याम सिंह के यहाँ [[1 दिसम्बर]] सन [[1886]] ई. को हुआ था। राजा साहब जाति के आधार पर छुआछूत के उस समय भी घोर विरोधी थे, जब [[महात्मा गांधी]] इस देश में लौटे भी न थे। गांधी जी के अछूतोद्धार आन्दोलन आरम्भ होने से बहुत पहले ही आपने [[वृन्दावन]] जैसी पुराणपंथी वैष्णवी नगरी में रहकर भी इस अन्याय पूर्ण प्रथा के विरुद्ध जिहाद बोल दिया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राजा महेन्द्र प्रताप]] | ||
{'[[नेहरू समिति]]' का गठन कब किया गया था? | {'[[नेहरू समिति]]' का गठन कब किया गया था? | ||
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+[[28 फ़रवरी]], [[1928]] ई. | +[[28 फ़रवरी]], [[1928]] ई. | ||
-[[29 फ़रवरी]], [[1929]] ई. | -[[29 फ़रवरी]], [[1929]] ई. | ||
||[[चित्र:Motilal-nehru.jpg| | ||[[चित्र:Motilal-nehru.jpg|100px|right|मोतीलाल नेहरू]]'नेहरू समिति' का गठन [[28 फ़रवरी]], [[1928]] ई. को किया गया था। '[[साइमन कमीशन]]' के बहिष्कार के बाद भारत सचिव लॉर्ड बर्कन हेड ने भारतीयों के समक्ष एक चुनौती रखी कि वे ऐसे संविधान का निर्माण कर ब्रिटिश संसद के समक्ष रखें, जिसे सभी दलों का समर्थन प्राप्त हो। [[कांग्रेस]] ने बर्कन हेड की इस चुनौती को स्वीकार कर लिया। [[मोतीलाल नेहरू|पंडित मोतीलाल नेहरू]] को इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया था। समिति के सम्मेलन में 29 संस्थाओं ने हिस्सा लिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[नेहरू समिति]] | ||
{'''ग़रीबों का काजू''' कही जाने वाली [[मूँगफली]] के उत्पादन में कौन-सा राज्य अग्रणी है? | {'''ग़रीबों का काजू''' कही जाने वाली [[मूँगफली]] के उत्पादन में कौन-सा राज्य अग्रणी है? | ||
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+[[गुजरात]] | +[[गुजरात]] | ||
-[[आंध्र प्रदेश]] | -[[आंध्र प्रदेश]] | ||
||[[चित्र:Colourful-Peanut-Gujarat.jpg| | ||[[चित्र:Colourful-Peanut-Gujarat.jpg|100px|right|मूँगफली]]'मूँगफली' एक प्रमुख तिलहनी फ़सल है। यह वानस्पतिक प्रोटीन का एक सस्ता स्रोत है। [[मूँगफली]] में सभी पौष्टिक तत्त्व पाए जाते हैं। [[भारत]] में मूँगफली को '''ग़रीबों का काजू''' के नाम से भी जाना जाता है। भारत में सिकी हुई मूँगफली खाना काफ़ी प्रचलित है। इसे आमतौर पर 'टाइम पास' के नाम से भी जानते हैं। मूँगफली के उत्पादन की दृष्टि से देश में [[गुजरात]] का प्रथम स्थान है, जहाँ कुल उत्पादन की 35.95 प्रतिशत मूँगफली पैदा होती है। इसके बाद [[आन्ध्र प्रदेश]] (28.32 प्रतिशत) का दूसरा स्थान और [[तमिलनाडु]] (11.84 प्रतिशत) का तीसरा स्थान है। शेष उत्पादक राज्यों में [[कर्नाटक]], [[राजस्थान]], [[उत्तर प्रदेश]], [[मध्य प्रदेश]], [[पंजाब]] तथा [[हरियाणा]] हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मूँगफली]] | ||
{[[भारत]] में '[[कटारमल सूर्य मन्दिर]]' कहाँ स्थित है? | {[[भारत]] में '[[कटारमल सूर्य मन्दिर]]' कहाँ स्थित है? | ||
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-[[प्रतापगढ़ ज़िला|प्रतापगढ़]], [[उत्तर प्रदेश]] | -[[प्रतापगढ़ ज़िला|प्रतापगढ़]], [[उत्तर प्रदेश]] | ||
+[[अल्मोड़ा]], [[उत्तराखंड]] | +[[अल्मोड़ा]], [[उत्तराखंड]] | ||
||[[चित्र:Katarmal-Sun-Temple-Almora-Uttarakhand.jpg| | ||[[चित्र:Katarmal-Sun-Temple-Almora-Uttarakhand.jpg|100px|right|कटारमल सूर्य मन्दिर]]'कटारमल सूर्य मन्दिर' [[उत्तराखण्ड]] में [[अल्मोड़ा]] के [[कटारमल]] नामक स्थान पर स्थित है। इसी कारण इसे 'कटारमल सूर्य मंदिर' कहा जाता है। [[कटारमल सूर्य मन्दिर]] समूचे [[कुमाऊँ मंडल]] का सबसे विशाल, ऊँचा और अनूठा मन्दिर है। इस सूर्य मंदिर का [[इतिहास]] बहुत पुराना है। प्रारंभिक मध्ययुगीन काल में [[कुमाऊँ]] में कत्यूरी राजवंश का शासन था, जिन्होंने इस मंदिर के निर्माण में योगदान दिया था। '[[भारतीय पुरातत्त्व विभाग]]' द्वारा इस मन्दिर को संरक्षित स्मारक घोषित किया जा चुका है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कटारमल सूर्य मन्दिर]] | ||
{[[बुद्ध|महात्मा बुद्ध]] के 'महापरिनिर्वाण' का स्थान कौन-सा है? | {[[बुद्ध|महात्मा बुद्ध]] के 'महापरिनिर्वाण' का स्थान कौन-सा है? | ||
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-[[संकिसा]] | -[[संकिसा]] | ||
-[[पाटलीपुत्र]] | -[[पाटलीपुत्र]] | ||
||[[चित्र:Nirvana-Temple-Kushinagar.jpg| | ||[[चित्र:Nirvana-Temple-Kushinagar.jpg|100px|right|परिनिर्वाण मंदिर, कुशीनगर]]'कुशीनगर' [[प्राचीन भारत]] के तत्कालीन [[महाजनपद|महाजनपदों]] में से एक एवं [[मल्ल महाजनपद|मल्ल राज्य]] की राजधानी था। यह [[बुद्ध]] के महापरिनिर्वाण का स्थान है। [[कुशीनगर]] [[उत्तर प्रदेश|उत्तर प्रदेश राज्य]] का एक प्रसिद्ध ज़िला तथा छोटा क़स्बा है। भगवान बुद्ध से सम्बंधित कई ऐतिहासिक स्थानों के लिए कुशीनगर संसार भर में प्रसिद्ध है। [[कनिंघम]] ने कुशीनगर को वर्तमान [[देवरिया|देवरिया ज़िले]] में स्थित 'कसिया' से समीकृत किया है। अपने समीकरण की पुष्टि में उन्होंने '[[परिनिर्वाण मन्दिर कुशीनगर|परिनिर्वाण मंदिर]]' के पीछे स्थित [[स्तूप]] में मिले ताम्रपत्र का उल्लेख किया है, जिस पर 'परिनिर्वाणचैत्य ताम्रपत्र इति' उल्लिखित है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कुशीनगर]] | ||
{'[[बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय|काशी हिन्दू विश्वविद्यालय]]' की स्थापना कब हुई थी? | {'[[बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय|काशी हिन्दू विश्वविद्यालय]]' की स्थापना कब हुई थी? | ||
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+[[4 जनवरी]], [[1916]] | +[[4 जनवरी]], [[1916]] | ||
-[[5 जनवरी]], [[1917]] | -[[5 जनवरी]], [[1917]] | ||
||[[चित्र:Banaras-Hindu-University.jpg| | ||[[चित्र:Banaras-Hindu-University.jpg|100px|right|बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय]] 'काशी' या 'बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय' [[वाराणसी]] (वर्तमान बनारस) में स्थित एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है। इसे संक्षेप में 'बी.एच.यू.' (BHU) भी कहा जाता है। इस विश्वविद्यालय की स्थापना 'बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय एक्ट<ref>एक्ट क्रमांक 16</ref> सन 1915' के अंतर्गत हुई थी। तत्कालीन शिक्षामंत्री सर हारकोर्ट बटलर के प्रयास से [[1915]] ई. में केंद्रीय विधानसभा से 'हिन्दू यूनिवर्सिटी ऐक्ट' पारित हुआ, जिसे तत्कालीन [[गवर्नर-जनरल]] लॉर्ड हार्डिंग ने तुरंत स्वीकृति प्रदान कर दी। [[4 जनवरी]], [[1916]] को वसंत पंचमी के दिन समारोह वाराणसी में [[गंगा]] के तट के पश्चिम, रामनगर के समानांतर महाराज प्रभुनारायण सिंह द्वारा प्रदत्त भूमि में [[बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय|काशी हिन्दू विश्वविद्यालय]] का शिलान्यास हुआ।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय]] | ||
{'[[जलियाँवाला बाग़|जलियाँवाला बाग़ हत्याकांड]]' में निर्दोष लोगों पर किसके आदेश से गोलियाँ दागी गईं? | {'[[जलियाँवाला बाग़|जलियाँवाला बाग़ हत्याकांड]]' में निर्दोष लोगों पर किसके आदेश से गोलियाँ दागी गईं? | ||
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-[[लॉर्ड डलहौज़ी|डलहौज़ी]] | -[[लॉर्ड डलहौज़ी|डलहौज़ी]] | ||
-[[लॉर्ड डफ़रिन|डफ़रिन]] | -[[लॉर्ड डफ़रिन|डफ़रिन]] | ||
||[[चित्र:Bullet-Holes-Jallianwalah-Bagh-Amritsar.jpg| | ||[[चित्र:Bullet-Holes-Jallianwalah-Bagh-Amritsar.jpg|100px|right|गोली के निशान, जलियांवाला बाग़, अमृतसर]]'जलियाँवाला बाग़' [[अमृतसर]], [[पंजाब]] में स्थित है। इस स्थान पर [[13 अप्रैल]], [[1919]] को भारतीय प्रदर्शनकारियों पर अंधाधुंध गोलियाँ चलाकर बड़ी संख्या में उनकी हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड का नेतृत्व [[जनरल डायर]] ने किया। वह [[रविवार]] का दिन था, जब आसपास के गांवों के अनेक किसान [[हिन्दू|हिंदुओं]] तथा [[सिक्ख धर्म|सिक्खों]] का उत्सव [[बैसाखी]] मनाने अमृतसर आए। [[जलियाँवाला बाग़]] चारों ओर से घिरा हुआ था। अंदर जाने का केवल एक ही रास्ता था। डायर ने अपने सिपाहियों को बाग़ के एकमात्र तंग प्रवेश मार्ग पर तैनात किया था। उसने बिना किसी चेतावनी के 50 सैनिकों को गोलियाँ चलाने का आदेश दिया और चीख़ते, आतंकित भागते निहत्थे बच्चों, महिलाओं, बूढ़ों की भीड़ पर 10-15 मिनट में 1650 गोलियाँ दाग़ दी गईं। अपनी कार्रवाई को सही ठहराने के लिए डायर ने कहा कि- 'नैतिक और दूरगामी प्रभाव' के लिए यह ज़रूरी था।' डायर ने स्वीकार कर कहा कि- 'अगर और कारतूस होते, तो फ़ायरिंग ज़ारी रहती।'{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जलियांवाला बाग़]], [[जनरल डायर]] | ||
</quiz> | </quiz> | ||
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{{पहेली क्रम |पिछली=[[पहेली नवम्बर 2015]] |अगली=[[पहेली जनवरी | {{पहेली क्रम |पिछली=[[पहेली नवम्बर 2015]] |अगली=[[पहेली जनवरी 2016]]}} | ||
==टीका-टिप्पणी और संदर्भ== | |||
<references/> | |||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}} | {{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}} |
10:42, 2 जनवरी 2018 के समय का अवतरण
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टीका-टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख