"नीलकंठ": अवतरणों में अंतर
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'''नीलकंठ''' एक भारतीय पक्षी है। इसका आकार [[मैना]] के बराबर होता है। इसकी चोंच भारी होती है, वक्षस्थल [[लाल रंग|लाल]] [[भूरा रंग|भूरा]], उदर तथा पुच्छ क अधोतल नीला होता है। पंख पर गहरे और धूमिल [[नीला रंग|नीले रंग]] के भाग उड़ान के समय चमकीली पट्टियों के रूप मे दिखाई पड़ते हैं। त्रावणकोर के दक्षिण भाग को छोड़कर शेष [[भारत]] में यह पक्षी पाया जाता है।<ref>{{cite web |url= http://hindi.webdunia.com/religion-sanatandharma-article/%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%82-%E0%A4%A7%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AE-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%A6%E0%A4%B8-%E0%A4%AA%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0-%E0%A4%AA%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A5%80-%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%8F-%E0%A4%89%E0%A4%A8%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%B0%E0%A4%B9%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AF-1130924043_7.htm|title=नीलकंठ|accessmonthday=19 दिसम्बर |accessyear= 2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=वेबदुनिया हिंदी |language= हिंदी }}</ref> | '''नीलकंठ''' एक भारतीय पक्षी है। इसका आकार [[मैना]] के बराबर होता है। इसकी चोंच भारी होती है, वक्षस्थल [[लाल रंग|लाल]] [[भूरा रंग|भूरा]], उदर तथा पुच्छ क अधोतल नीला होता है। पंख पर गहरे और धूमिल [[नीला रंग|नीले रंग]] के भाग उड़ान के समय चमकीली पट्टियों के रूप मे दिखाई पड़ते हैं। त्रावणकोर के दक्षिण भाग को छोड़कर शेष [[भारत]] में यह पक्षी पाया जाता है।<ref>{{cite web |url= http://hindi.webdunia.com/religion-sanatandharma-article/%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%82-%E0%A4%A7%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AE-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%A6%E0%A4%B8-%E0%A4%AA%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0-%E0%A4%AA%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A5%80-%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%8F-%E0%A4%89%E0%A4%A8%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%B0%E0%A4%B9%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AF-1130924043_7.htm|title=नीलकंठ|accessmonthday=19 दिसम्बर |accessyear= 2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=वेबदुनिया हिंदी |language= हिंदी }}</ref> | ||
==परिचय== | ==परिचय== | ||
नीलकंठ पक्षी का कंठ नीला नहीं बादामी रंग का होता है। सर के ऊपर का हिस्सा, पंख और पूंछ का रंग | नीलकंठ पक्षी का कंठ नीला नहीं बादामी रंग का होता है। सर के ऊपर का हिस्सा, पंख और पूंछ का रंग ज़रूर नीला होता है। नीलकंठ का जीव वैज्ञानिक नाम 'कोरासियास बेंगालेन्सिस' है, जबकि इसे [[अंग्रेज़ी]] में 'इंडियन रोलर' कहा जाता है। यह सम्पूर्ण [[भारत]] में पाया जाता है। इंडियन रोलर के अलावा पर्सियन रोलर और यूरोपियन रोलर विश्व में नीलकंठ की अन्य प्रजातियाँ हैं। यह अक्सर खेतों में, बिजली के तारों पर बैठा दिख जाता है। खेतों में उड़ने और मिलने वाले कीटों, टिड्डों और झींगुरों को यह बड़े मजे से खाता है। इस तरह से ये भारतीय किसानों का सच्चा मित्र है। लेकिन यह कृषक मित्र पक्षी भारतीय किसानों द्वारा कीटनाशकों के प्रयोग के कारण आज खतरे में है। पहले ये खेतों में आसानी से दिख जाते थे, लेकिन दिनों दिन इनकी संख्या में गिरावट हुई है।<ref>{{cite web |url=http://aboutbirdss.blogspot.in/2015/04/blog-post.html |title=नीलकंठ:एक सुंदर और भारतीय पक्षी |accessmonthday=13 नवम्बर |accessyear=2016 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=aboutbirdss.blogspot.in |language= हिंदी}}</ref> | ||
==हिन्दू धर्म में महत्त्व== | ==हिन्दू धर्म में महत्त्व== | ||
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नीलकंठ को देखने मात्र से भाग्य का दरवाज़ा खुल जाता है। [[हिन्दू धर्म]] यह पवित्र पक्षी माना जाता है। [[दशहरा]] पर लोग इसका दर्शन करने के लिए बहुत लालायित रहते हैं। हिंदू धर्म ग्रंथों में भगवान [[शिव]] को 'नीलकंठ' के नाम से पुकारा जाता है। [[भारतीय संस्कृति]] में इस पक्षी का बहुत महत्व है। विजयदशमी यानि दशहरे के दिन नीलकंठ के दर्शन करना बड़ा शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि अगर दशहरे के दिन नीलकंठ दिखे तो उससे यह कहना चाहिए- | नीलकंठ को देखने मात्र से भाग्य का दरवाज़ा खुल जाता है। [[हिन्दू धर्म]] यह पवित्र पक्षी माना जाता है। [[दशहरा]] पर लोग इसका दर्शन करने के लिए बहुत लालायित रहते हैं। हिंदू धर्म ग्रंथों में भगवान [[शिव]] को 'नीलकंठ' के नाम से पुकारा जाता है। [[भारतीय संस्कृति]] में इस पक्षी का बहुत महत्व है। विजयदशमी यानि दशहरे के दिन नीलकंठ के दर्शन करना बड़ा शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि अगर दशहरे के दिन नीलकंठ दिखे तो उससे यह कहना चाहिए- | ||
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हमार बात [[राम]] से कहियो, | हमार बात [[राम]] से कहियो, जगत् हिये तो जोर से कहियो। | ||
सोअत हिये तो धीरे से कहियो, नीलकंठ तुम नीले रहियो।</poem></blockquote> | सोअत हिये तो धीरे से कहियो, नीलकंठ तुम नीले रहियो।</poem></blockquote> | ||
नीलकंठ का नाम उसका शारीरिक [[रंग]] नीला होने के कारण पड़ा। इसका नाम [[हिन्दू]] [[देवता]] [[शिव]] के नाम नीलकंठ का पर्याय है। भगवान शिव को अपने कंठ में विष धारण करने से नीले हुए कंठ के कारण नीलकंठ कहा जाता है। अक्सर लोग किलकिला या मछारखावा (किंगफिशर) को गलती से नीलकंठ समझ लेते है। | नीलकंठ का नाम उसका शारीरिक [[रंग]] नीला होने के कारण पड़ा। इसका नाम [[हिन्दू]] [[देवता]] [[शिव]] के नाम नीलकंठ का पर्याय है। भगवान शिव को अपने कंठ में विष धारण करने से नीले हुए कंठ के कारण नीलकंठ कहा जाता है। अक्सर लोग किलकिला या मछारखावा (किंगफिशर) को गलती से नीलकंठ समझ लेते है। | ||
==दुर्लभ दर्शन== | |||
अब नीलकंठ का दर्शन दुर्लभ होता जा रहा है। यह पक्षी हमारी संस्कृति में इतना ज्यादा रचा बसा है कि इसे [[भारत]] के चार राज्यों में [[बिहार]], [[कर्नाटक]], [[आन्ध्र प्रदेश]] और [[ओडिशा]] में राज्य पक्षी घोषित किया गया है। इस पक्षी का वैज्ञानिक नाम 'कोरासियास बेगालोन्सिस' है। इसे [[अंग्रेज़ी]] में इंडियान रोलर भी कहा जाता है। वहीं छत्तीसगढ़ी में यह टेंहर्रा के नाम से प्रसिद्ध है। यह पक्षी सम्पूर्ण भारत में पाया जाता है। | |||
====कीटनाशकों का प्रभाव==== | |||
यह एकांतप्रिय पक्षी किसानों की फसलों के कीड़ों को पलक झपकते ही अपना आहार बना लेता है। खेतों के कीटों और झींगरों को यह पक्षी बड़े ही मजे से खाता है। इसलिए इसे भारतीय किसानों का सच्चा मित्र भी कहा जाता है। यह कृषक मित्र पक्षी किसानों द्वारा कीटनाशकों के प्रयोग के कारण आज खतरे में है। किसान अधिक उपज पाने के लिए फसलों में अधिक कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल करते हैं। खेतों में कीटनाशक दवाओं का अंधाधुंध प्रयोग नीलकंठ पक्षी के लिए जानलेवा साबित हो रहा है।<ref>{{cite web |url= |title= |accessmonthday= |accessyear= |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language= }}</ref> | |||
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*[http://hindinest.com/bachpan/pakshi/neelkanth.htm नीलकंठ] | |||
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10:48, 2 जनवरी 2018 के समय का अवतरण
नीलकंठ
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विवरण | 'नीलकंठ' एक भारतीय पक्षी है। हिन्दू धर्म में बड़ा ही पवित्र पक्षी माना जाता है। |
संघ | कॉर्डेटा |
वर्ग | एवेस |
गण | कोरासिफ़ोर्म्स |
कुल | कोरासिडी |
वंश | कोरासियस (Coracias) |
जाति | सी. बेंगालेन्सिस (C. benghalensis) |
अन्य जानकारी | भारत के चार राज्यों में बिहार, कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश और ओडिशा में नीलकंठ को राज्य पक्षी घोषित किया गया है। |
नीलकंठ एक भारतीय पक्षी है। इसका आकार मैना के बराबर होता है। इसकी चोंच भारी होती है, वक्षस्थल लाल भूरा, उदर तथा पुच्छ क अधोतल नीला होता है। पंख पर गहरे और धूमिल नीले रंग के भाग उड़ान के समय चमकीली पट्टियों के रूप मे दिखाई पड़ते हैं। त्रावणकोर के दक्षिण भाग को छोड़कर शेष भारत में यह पक्षी पाया जाता है।[1]
परिचय
नीलकंठ पक्षी का कंठ नीला नहीं बादामी रंग का होता है। सर के ऊपर का हिस्सा, पंख और पूंछ का रंग ज़रूर नीला होता है। नीलकंठ का जीव वैज्ञानिक नाम 'कोरासियास बेंगालेन्सिस' है, जबकि इसे अंग्रेज़ी में 'इंडियन रोलर' कहा जाता है। यह सम्पूर्ण भारत में पाया जाता है। इंडियन रोलर के अलावा पर्सियन रोलर और यूरोपियन रोलर विश्व में नीलकंठ की अन्य प्रजातियाँ हैं। यह अक्सर खेतों में, बिजली के तारों पर बैठा दिख जाता है। खेतों में उड़ने और मिलने वाले कीटों, टिड्डों और झींगुरों को यह बड़े मजे से खाता है। इस तरह से ये भारतीय किसानों का सच्चा मित्र है। लेकिन यह कृषक मित्र पक्षी भारतीय किसानों द्वारा कीटनाशकों के प्रयोग के कारण आज खतरे में है। पहले ये खेतों में आसानी से दिख जाते थे, लेकिन दिनों दिन इनकी संख्या में गिरावट हुई है।[2]
हिन्दू धर्म में महत्त्व
नीलकंठ को देखने मात्र से भाग्य का दरवाज़ा खुल जाता है। हिन्दू धर्म यह पवित्र पक्षी माना जाता है। दशहरा पर लोग इसका दर्शन करने के लिए बहुत लालायित रहते हैं। हिंदू धर्म ग्रंथों में भगवान शिव को 'नीलकंठ' के नाम से पुकारा जाता है। भारतीय संस्कृति में इस पक्षी का बहुत महत्व है। विजयदशमी यानि दशहरे के दिन नीलकंठ के दर्शन करना बड़ा शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि अगर दशहरे के दिन नीलकंठ दिखे तो उससे यह कहना चाहिए-
नीलकंठ का नाम उसका शारीरिक रंग नीला होने के कारण पड़ा। इसका नाम हिन्दू देवता शिव के नाम नीलकंठ का पर्याय है। भगवान शिव को अपने कंठ में विष धारण करने से नीले हुए कंठ के कारण नीलकंठ कहा जाता है। अक्सर लोग किलकिला या मछारखावा (किंगफिशर) को गलती से नीलकंठ समझ लेते है।
दुर्लभ दर्शन
अब नीलकंठ का दर्शन दुर्लभ होता जा रहा है। यह पक्षी हमारी संस्कृति में इतना ज्यादा रचा बसा है कि इसे भारत के चार राज्यों में बिहार, कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश और ओडिशा में राज्य पक्षी घोषित किया गया है। इस पक्षी का वैज्ञानिक नाम 'कोरासियास बेगालोन्सिस' है। इसे अंग्रेज़ी में इंडियान रोलर भी कहा जाता है। वहीं छत्तीसगढ़ी में यह टेंहर्रा के नाम से प्रसिद्ध है। यह पक्षी सम्पूर्ण भारत में पाया जाता है।
कीटनाशकों का प्रभाव
यह एकांतप्रिय पक्षी किसानों की फसलों के कीड़ों को पलक झपकते ही अपना आहार बना लेता है। खेतों के कीटों और झींगरों को यह पक्षी बड़े ही मजे से खाता है। इसलिए इसे भारतीय किसानों का सच्चा मित्र भी कहा जाता है। यह कृषक मित्र पक्षी किसानों द्वारा कीटनाशकों के प्रयोग के कारण आज खतरे में है। किसान अधिक उपज पाने के लिए फसलों में अधिक कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल करते हैं। खेतों में कीटनाशक दवाओं का अंधाधुंध प्रयोग नीलकंठ पक्षी के लिए जानलेवा साबित हो रहा है।[3]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ नीलकंठ (हिंदी) वेबदुनिया हिंदी। अभिगमन तिथि: 19 दिसम्बर, 2013।
- ↑ नीलकंठ:एक सुंदर और भारतीय पक्षी (हिंदी) aboutbirdss.blogspot.in। अभिगमन तिथि: 13 नवम्बर, 2016।
- ↑ Error on call to Template:cite web: Parameters url and title must be specified। ।