|
|
(इसी सदस्य द्वारा किए गए बीच के 6 अवतरण नहीं दर्शाए गए) |
पंक्ति 5: |
पंक्ति 5: |
| | | | | |
| <quiz display=simple> | | <quiz display=simple> |
| {[[महाभारत]] के [[महाभारत युद्ध अठारहवाँ दिन|अठारहवें दिन]] के युद्ध का [[कौरव सेना]] का सेनापत्तित्व किसने किया था? | | {[[भारत सरकार अधिनियम- 1919|1919 के अधिनियम]] में [[द्वैध शासन पद्धति|द्वैध शासन धारणा]] को जिस व्यक्ति ने परिचित कराया, वे कौन थे? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-102,प्रश्न-21 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -[[शल्य]] और [[कर्ण]] | | -माण्टेग्यू |
| -[[कर्ण]] और [[शल्य]] | | -तेज बहादुर सप्रू |
| +[[शल्य]] और [[अश्वत्थामा]]
| | -लॉर्ड मिण्टों |
| -[[अश्वत्थामा]] और [[कर्ण]] | | +चेम्सफ़ोर्ड |
| ||कर्ण-वध के उपरांत [[कौरव|कौरवों]] ने [[अश्वत्थामा]] के कहने से शल्य को सेनापति बनाया। [[श्रीकृष्ण]] ने [[युधिष्ठिर]] को शल्य-वध के लिए उत्साहित करते हुए कहा कि इस समय यह बात भूल जानी चाहिए कि वह पांडवों का मामा है। कौरवों ने परस्पर विचार कर यह नियम बनाया कि कोई भी एक योद्धा अकेला पांडवों से युद्ध नहीं करेगा। शल्य का प्रत्येक पांडव से युद्ध हुआ। कभी वह पराजित हुआ, कभी पांडवगण। अंत में युधिष्ठिर ने उस पर शक्ति से प्रहार किया। उसके वधोपरांत उसका भाई, जो कि शल्य के समान ही तेजस्वी था, युधिष्ठिर से युद्ध करने आया और उन्हीं के हाथों मारा गया। शल्य की मृत्यु के बाद अश्वत्थामा ने कौरव सेना का सेनापतित्त्व किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[शल्य]], [[अश्वत्थामा]]
| |
|
| |
|
| {[[महाभारत]] युद्ध के अंत में निम्न में से कौन जीवित बचा था? | | {'फीनीक्स फार्म' की स्थापना किसने की? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-105,प्रश्न-99 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| +[[कृपाचार्य]]
| | -[[विनोबा भावे]] |
| -[[शल्य]]
| | +[[महात्मा गांधी]] |
| -[[भगदत्त (नरकासुर पुत्र)]] | | -[[अरविंद घोष]] |
| -[[धृष्टद्युम्न]] | | -इनमें से कोई नहीं |
| ||[[कृपाचार्य]] [[शरद्वान गौतम|महर्षि शरद्वान गौतम]] के पुत्र थे। इनकी बहन का नाम '[[कृपि]]' था, जिसका [[विवाह]] [[द्रोण]] से हुआ था, जो [[पाण्डव|पाण्डवों]] तथा [[कौरव|कौरवों]] के गुरु थे। [[महाभारत]] के युद्ध में कृपाचार्य [[भीष्म]] आदि के साथ ही [[दुर्योधन]] के पक्ष में युद्ध कर रहे थे। महाभारत युद्ध के बाद ये पाण्डवों से आ मिले और फिर [[अभिमन्यु]] के पुत्र [[परीक्षित]] को [[अस्त्र शस्त्र|अस्त्र-शस्त्र]] की शिक्षा प्रदान की।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कृपाचार्य]]
| |
|
| |
|
| {[[हरिवंश पुराण]] में कितने पर्व हैं? | | {किसने [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के विरुद्ध 'अनुनय, विनय और विरोध' की राजनीति का दोष लगाया था? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-100,प्रश्न-55 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -4 | | +[[बाल गंगाधर तिलक]] |
| -2 | | -[[एम. ए. जिन्ना]] |
| +3
| | -[[सुभाष चन्द्र बोस]] |
| -5 | | -[[ऐनी बेसेंट]] |
|
| |
|
| {[[धृतराष्ट्र]] के दामाद का क्या नाम था? | | {[[मॉर्ले-मिण्टो सुधार|मॉर्ले-मिण्टो रिफॉर्म्स]] को किस वर्ष में प्रस्तुत किया गया था? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-98,प्रश्न-10 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -[[शिशुपाल]]
| | +[[1909]] |
| +[[जयद्रथ]]
| | -[[1919]] |
| -[[कृतवर्मा]] | | -[[1935]] |
| -[[शाल्व]] | | -[[1942]] |
|
| |
|
| {[[हरिद्वार]] से 2 मील दूर, [[गंगा नदी]] और नीलधारा के संगम पर स्थित तीर्थ का नाम क्या है? | | {[[स्वराज पार्टी]] की स्थापना किस वर्ष की गई थी? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-103,प्रश्न-51 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| +[[कनखल]]
| | -[[1919]] |
| -[[द्वाराहाट]] | | -[[1920]] |
| -[[नंदप्रयाग]] | | -[[1922]] |
| -[[उखीमठ]] | | +[[1923]] |
| ||[[कनखल]] [[हिन्दू|हिन्दुओं]] का एक प्रसिद्ध [[तीर्थ स्थान]] है, जो [[हरिद्वार]] से लगभग एक मील की दूरी पर दक्षिण में तथा ज्वालापुर से दो मील पश्चिम गंगा के पश्चिमी किनारे पर स्थित है। यहाँ नगर के दक्षिण में [[दक्ष|दक्ष प्रजापति]] का भव्य मंदिर है, जिसके निकट 'सतीघाट' के नाम से वह भूमि है, जहाँ [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार [[शिव|भगवान शिव]] ने [[सती]] के प्राणोत्सर्ग के पश्चात् दक्ष के [[यज्ञ]] का ध्वंस किया था। कनखल एक पुण्य तीर्थ स्थल है, जहाँ प्रति वर्ष लाखों तीर्थयात्री दर्शनार्थ आते हैं।
| |
| | |
|
| |
|
| | {'दीन-ए-एलाही' नामक नया धर्म किसके द्वारा शुरु किया गया था? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-54,प्रश्न-9 |
| | |type="()"} |
| | -[[हुमायूँ]] |
| | -[[जहाँगीर]] |
| | +[[अकबर]] |
| | -[[शाहजहाँ]] |
|
| |
|
| | {[[शाहजहाँ]] ने किसे 'शाह बुलंद' की उपाधि दी थी? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-60,प्रश्न-177 |
| | |type="()"} |
| | +[[दारा शिकोह]] |
| | -शाह शुजा |
| | -[[औरंगज़ेब]] |
| | -मुराद |
|
| |
|
| | | {अंतिम रूप से [[जज़िया कर]] समाप्त करने वाला मुग़ल बदशाह कौन था? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-60,प्रश्न-189 |
| {[[शकुंतला]] के पोषक पिता का नाम क्या था? | |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -[[विश्वामित्र]] | | -[[अकबर]] |
| -[[अगस्त्य]] | | -[[जहाँगीर]] |
| -[[अत्रि]] | | -[[शाहजहाँ]] |
| +[[कण्व]] | | +मुहम्मद शाह 'रंगीला' |
| ||[[प्राचीन भारत]] में 'कण्व' नाम के अनेक व्यक्ति हुए हैं, जिनमें सबसे अधिक प्रसिद्ध महर्षि [[कण्व]] थे, जिन्होंने [[अप्सरा]] [[मेनका]] के गर्भ से उत्पन्न [[विश्वामित्र]] की कन्या [[शकुंतला]] को पाला था। देवी शकुन्तला के धर्मपिता के रूप में महर्षि कण्व की अत्यन्त प्रसिद्धि है। 103 सूक्त वाले [[ऋग्वेद]] के आठवें मण्डल के अधिकांश [[मन्त्र]] महर्षि कण्व तथा उनके वंशजों तथा गोत्रजों द्वारा दृष्ट हैं। कुछ सूक्तों के अन्य भी द्रष्ट ऋषि हैं, किंतु 'प्राधान्येन व्यपदेशा भवन्ति' के अनुसार महर्षि कण्व अष्टम मण्डल के द्रष्टा [[ऋषि]] कहे गये हैं।
| |
|
| |
|
| {निम्नलिखित में से कौन [[द्रोणाचार्य]] की पत्नी थीं? | | {पहली बार किस कारख़ाना अधिनियम में बच्चों की सुरक्षा के उपाय के प्रावधान किए गए? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-91,प्रश्न-95 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| +[[कृपि]] | | +भारतीय कारख़ाना अधिनियम, [[1881]] |
| -[[जटिला (गौतम पुत्री)|जटिला]] | | -भारतीय कारख़ाना अधिनियम, [[1891]] |
| -[[[शांता]] | | -भारतीय कारख़ाना अधिनियम, [[1911]] |
| -इनमें से कोई नहीं | | -इनमें से कोई नहीं |
|
| |
|
| {निम्नलिखित में से कौन [[बृहस्पति ऋषि|देवगुरु बृहस्पति]] के बड़े पुत्र थे? | | {[[भारत]] में 'ट्रेड यूनियन आंदोलन' के जन्मदाता कौन थे? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-91,प्रश्न-97 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -[[जयंत]] | | -एन. एम. लोखाण्डे |
| -[[नलकूबर]] | | -बी. पी. वाडिया |
| +[[कच]] | | +[[एन. एम. जोशी]] |
| -[[प्रद्युम्न]] | | -[[एम. एन. राय]] |
| | |
| {[[श्रीकृष्ण]] द्वारा [[रुक्मणी]] के गर्भ से उत्पन्न पुत्र का नाम क्या था?
| |
| |type="()"}
| |
| -[[सत्यक (कृष्ण पुत्र)|सत्यक]]
| |
| +[[प्रद्युम्न]]
| |
| -वृहत्सेन
| |
| -प्रहरण
| |
| ||[[प्रद्युम्न]] [[कामदेव]] के अवतार माने जाते हैं। ये भगवान [[श्रीकृष्ण]] की प्रमुख पत्नी [[रुक्मिणी]] के पुत्र थे। इनका जीवन-चरित्र अत्यन्त विचित्र है। कामदेव को जब भगवान [[शंकर]] ने भस्म कर दिया, तब उसकी पत्नी [[रति]] भगवान शिव के पास जाकर करुण विलाप करने लगी। आशुतोष भगवान शिव ने उस पर दया करके उसे वरदान दिया कि [[द्वापर युग|द्वापर]] में जब सच्चिदानन्द भगवान श्रीकृष्ण का अवतार होगा, तब तुम्हारा पति उनके पुत्र के रूप में उत्पन्न होगा।
| |
| | |
| Ø महर्षि भृगु की पत्नी का नाम क्या था →पुलोमा
| |
| | |
| Ø निम्नलिखित में से कौन श्रीकृष्ण के नाना थे→देवक
| |
| | |
| Ø सरस्वती और दृषद्वती नदियों के बीच का भाग क्या कहलाता था →ब्रह्मावर्त
| |
| | |
| Ø निम्नलिखित में से द्रोणाचार्य के पिता कौन थे →भारद्वाज
| |
| </quiz> | | </quiz> |
| |} | | |} |