"अंतरराष्ट्रीय विकास संघ": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
छो (Text replacement - " गरीब" to " ग़रीब")
 
(इसी सदस्य द्वारा किए गए बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
|चित्र=International-Development-Association-Logo.jpg
|चित्र=International-Development-Association-Logo.jpg
|चित्र का नाम=अंतरराष्ट्रीय विकास संघ का प्रतीक
|चित्र का नाम=अंतरराष्ट्रीय विकास संघ का प्रतीक
|विवरण='अंतरराष्ट्रीय विकास संघ' विश्व बैंक की एक अनुषंगी संस्था है। इसे विश्व बैंक की 'रियायती ऋण देने वाली खिड़की' अर्थात 'उदार ऋण-खिड़की' भी कहते हैं।
|विवरण='अंतरराष्ट्रीय विकास संघ' विश्व बैंक की एक अनुषंगी संस्था है। इसे विश्व बैंक की 'रियायती ऋण देने वाली खिड़की' अर्थात् 'उदार ऋण-खिड़की' भी कहते हैं।
|शीर्षक 1=स्थापना
|शीर्षक 1=स्थापना
|पाठ 1=[[24 सितम्बर]], [[1960]]
|पाठ 1=[[24 सितम्बर]], [[1960]]
पंक्ति 41: पंक्ति 41:
आईडीए द्वारा उधार देने की शर्ते व सीमाएं आईबीआरडी के समान ही हैं। आईडीए निम्न आय वाले देशों के लिए रियायती सहायता का एकमात्र सबसे बड़ा बहुपक्षीय स्रोत है। आईडीए की अधिकांश सहायता 785 डॉलर से कम की प्रति व्यक्ति वार्षिक आय वाले देशों को प्राप्त होती है। आईडीए की साख 40 वर्ष<ref>अत्यल्प विकसित देशों के लिए</ref> तथा 35 वर्ष<ref>अन्य देशों के लिए</ref> की अवधि के लिए उपलब्ध करायी जाती है। इस पर कोई ब्याज देय नहीं होता, किंतु 0.75 प्रतिशत का वार्षिक सेवा शुल्क आरोपित होता है। सभी साखों पर 10 वर्ष की रियायती अवधि उपलब्ध होती है, जो ऋण को शेष 30 अथवा 25 वर्ष की अवधि पर प्रमुख बकाये के पूर्ण पुनर्भुगतान से सम्बद्ध होती है।
आईडीए द्वारा उधार देने की शर्ते व सीमाएं आईबीआरडी के समान ही हैं। आईडीए निम्न आय वाले देशों के लिए रियायती सहायता का एकमात्र सबसे बड़ा बहुपक्षीय स्रोत है। आईडीए की अधिकांश सहायता 785 डॉलर से कम की प्रति व्यक्ति वार्षिक आय वाले देशों को प्राप्त होती है। आईडीए की साख 40 वर्ष<ref>अत्यल्प विकसित देशों के लिए</ref> तथा 35 वर्ष<ref>अन्य देशों के लिए</ref> की अवधि के लिए उपलब्ध करायी जाती है। इस पर कोई ब्याज देय नहीं होता, किंतु 0.75 प्रतिशत का वार्षिक सेवा शुल्क आरोपित होता है। सभी साखों पर 10 वर्ष की रियायती अवधि उपलब्ध होती है, जो ऋण को शेष 30 अथवा 25 वर्ष की अवधि पर प्रमुख बकाये के पूर्ण पुनर्भुगतान से सम्बद्ध होती है।


आईडीए की साख का अधिकांश सड़क व रेल, विद्युत उत्पादन व संचरण सुविधा, दूरभाष केन्द्र व संप्रेषण तार, शिक्षा सुविधा, सिंचाई व बाढ़ नियंत्रण उपस्कर तथा औद्योगिक योजना जैसी भौतिक आधार संरचना में सुधार लाने वाली परियोजनाओं को उपलब्ध कराया गया है। ग्रामीण गरीबों की उत्पादकता में वृद्धि लाने के लिए विशेष रूप से तैयार किये गये ग्रामीण विकास कार्यक्रमों की भी साख का विस्तार किया गया है। आईडीए द्वारा आईबीआरडी के निदेशकों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों के माध्यम से अपना कार्य संचालित किया जाता है।<ref name="a"/>
आईडीए की साख का अधिकांश सड़क व रेल, विद्युत उत्पादन व संचरण सुविधा, दूरभाष केन्द्र व संप्रेषण तार, शिक्षा सुविधा, सिंचाई व बाढ़ नियंत्रण उपस्कर तथा औद्योगिक योजना जैसी भौतिक आधार संरचना में सुधार लाने वाली परियोजनाओं को उपलब्ध कराया गया है। ग्रामीण ग़रीबों की उत्पादकता में वृद्धि लाने के लिए विशेष रूप से तैयार किये गये ग्रामीण विकास कार्यक्रमों की भी साख का विस्तार किया गया है। आईडीए द्वारा आईबीआरडी के निदेशकों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों के माध्यम से अपना कार्य संचालित किया जाता है।<ref name="a"/>
==भारत के लिए अनुदान==
==भारत के लिए अनुदान==
वित्तीय वर्ष [[1995]]-[[1996]] के दौरान आईडीए से सहायता पाने वाले देशों में [[भारत]] का पहला स्थान रहा था। दूसरे व तीसरे स्थान के लिए क्रमशः वियतनाम व [[चीन]] के लिए आईडीए ऋण स्वीकृत किए गए। इसके विपरीत विश्व बैंक से समग्र रूप से सर्वाधिक सहायता 1995-96 के दौरान चीन को स्वीकृत की गई। भारत का इस मामले में दूसरा स्थान रहा था। इसके साधनों में मुख्यतः सदस्य देशों द्वारा स्वीकृत पूंजी, विकसित राष्ट्रों द्वारा किया गया अंशदान, विशिष्ट योगदान तथा बैंक द्वारा हस्तांतरित शुद्ध आय आदि आते हैं। अंतरराष्ट्रीय विकास संघ (आईडीए) ने विभिन्न वर्षों में भारत की अनेक विकास परियोजनाओं के लिए ऋण प्रदान किए हैं। वर्ष [[2002]]-[[2003]] में आईडीए ने भारत का 1121.2 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ऋण प्रदान किए। वर्ष [[2003]]-[[2004]] में आईडीए ने भारत की 785.6 मिलियन डॉलर के ऋणों के साथ-साथ 1.0 मिलियन डॉलर के अनुदान भी दिए।
वित्तीय वर्ष [[1995]]-[[1996]] के दौरान आईडीए से सहायता पाने वाले देशों में [[भारत]] का पहला स्थान रहा था। दूसरे व तीसरे स्थान के लिए क्रमशः वियतनाम व [[चीन]] के लिए आईडीए ऋण स्वीकृत किए गए। इसके विपरीत विश्व बैंक से समग्र रूप से सर्वाधिक सहायता 1995-96 के दौरान चीन को स्वीकृत की गई। भारत का इस मामले में दूसरा स्थान रहा था। इसके साधनों में मुख्यतः सदस्य देशों द्वारा स्वीकृत पूंजी, विकसित राष्ट्रों द्वारा किया गया अंशदान, विशिष्ट योगदान तथा बैंक द्वारा हस्तांतरित शुद्ध आय आदि आते हैं। अंतरराष्ट्रीय विकास संघ (आईडीए) ने विभिन्न वर्षों में भारत की अनेक विकास परियोजनाओं के लिए ऋण प्रदान किए हैं। वर्ष [[2002]]-[[2003]] में आईडीए ने भारत का 1121.2 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ऋण प्रदान किए। वर्ष [[2003]]-[[2004]] में आईडीए ने भारत की 785.6 मिलियन डॉलर के ऋणों के साथ-साथ 1.0 मिलियन डॉलर के अनुदान भी दिए।


आईडीए निम्न आय वाले देशों के लिए रियायती सहायता का एकमात्र बहुपक्षीय सबसे बड़ा स्रोत है। आईडीए कुछ देशों को भी समर्थन प्रदान करता है, जिसमें कई छोटे द्वीपीय अर्थव्यवस्थाएं भी शामिल हैं। [[भारत]], इंडोनेशिया एवं [[पाकिस्तान]] जैसे कुछ देश प्रति व्यक्ति आय स्तर के आधार पर आईडीए अर्ह हैं। आईबीआरडी से सम्बद्ध, आईडीए का कोई पृथक संस्थान नहीं हैं; आईबीआरडी के निदेशक अधिकारी एवं स्टाफ आईडीए के भी अधिकारी होते हैं।<ref name="a"/>
आईडीए निम्न आय वाले देशों के लिए रियायती सहायता का एकमात्र बहुपक्षीय सबसे बड़ा स्रोत है। आईडीए कुछ देशों को भी समर्थन प्रदान करता है, जिसमें कई छोटे द्वीपीय अर्थव्यवस्थाएं भी शामिल हैं। [[भारत]], इंडोनेशिया एवं [[पाकिस्तान]] जैसे कुछ देश प्रति व्यक्ति आय स्तर के आधार पर आईडीए अर्ह हैं। आईबीआरडी से सम्बद्ध, आईडीए का कोई पृथक् संस्थान नहीं हैं; आईबीआरडी के निदेशक अधिकारी एवं स्टाफ आईडीए के भी अधिकारी होते हैं।<ref name="a"/>
==प्रमुख कार्य==
==प्रमुख कार्य==
दुनिया के सबसे गरीब देशों में उनके महत्वपूर्ण विकास कार्यों में धन की जरूरत होती है। ये गरीब देश इतने सक्षम नहीं होते हैं कि वे अपने विकास कार्य को गति दे सकें, जिसकी वजह से उन्हें अनेक धन सम्बन्धी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इन्हीं परेशानियों के कारण ही इन देशों में शिक्षा की बेहद कमी पायी जाती है। साथ ही स्वास्थ्य की स्थिति भी अत्यन्त बुरी होती है, जिसकी वजह से इन देशों में अनेक बीमारियाँ पैदा होती रहती हैं। इन्हीं कार्यों में मदद करने हेतु यह संस्था आगे आती है और इन देशों में विद्यमान समस्याओं को निबटाने में अथक प्रयत्न करती है। उदाहरण के लिए बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं, प्राथमिक शिक्षा, साफ पानी और स्वच्छता, [[कृषि]], पर्यावरण सुरक्षा उपायों, व्यापार जलवायु में सुधार, संस्थागत सुधारों और बुनियादी सुविधाओं के लिए किये जाने वाले प्रयास. उल्लेखनीय है कि इन परियोजनाओं की वजह से ही आर्थिक विकास, समानता, रोजगार सृजन, बेहतर रहने की स्थिति और उच्च आय की परिस्थिति का जन्म हुआ है।<ref>{{cite web |url=http://www.jagranjosh.com/general-knowledge/%E0%A4%85%E0%A4%82%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%AF-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B8-%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%98-international-development-association-1418108348-2|title=अंतरराष्ट्रीय विकास संघ |accessmonthday= 05 नवम्बर|accessyear=2016 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=vivacepanorama.com |language=हिन्दी }}</ref>
दुनिया के सबसे ग़रीब देशों में उनके महत्वपूर्ण विकास कार्यों में धन की ज़रूरत होती है। ये ग़रीब देश इतने सक्षम नहीं होते हैं कि वे अपने विकास कार्य को गति दे सकें, जिसकी वजह से उन्हें अनेक धन सम्बन्धी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इन्हीं परेशानियों के कारण ही इन देशों में शिक्षा की बेहद कमी पायी जाती है। साथ ही स्वास्थ्य की स्थिति भी अत्यन्त बुरी होती है, जिसकी वजह से इन देशों में अनेक बीमारियाँ पैदा होती रहती हैं। इन्हीं कार्यों में मदद करने हेतु यह संस्था आगे आती है और इन देशों में विद्यमान समस्याओं को निबटाने में अथक प्रयत्न करती है। उदाहरण के लिए बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं, प्राथमिक शिक्षा, साफ पानी और स्वच्छता, [[कृषि]], पर्यावरण सुरक्षा उपायों, व्यापार जलवायु में सुधार, संस्थागत सुधारों और बुनियादी सुविधाओं के लिए किये जाने वाले प्रयास. उल्लेखनीय है कि इन परियोजनाओं की वजह से ही आर्थिक विकास, समानता, रोजगार सृजन, बेहतर रहने की स्थिति और उच्च आय की परिस्थिति का जन्म हुआ है।<ref>{{cite web |url=http://www.jagranjosh.com/general-knowledge/%E0%A4%85%E0%A4%82%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%AF-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B8-%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%98-international-development-association-1418108348-2|title=अंतरराष्ट्रीय विकास संघ |accessmonthday= 05 नवम्बर|accessyear=2016 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=vivacepanorama.com |language=हिन्दी }}</ref>
==विषयगत क्षेत्र==
==विषयगत क्षेत्र==
[[1 जुलाई]], [[2014]]-[[30 जून]], [[2017]] तक की अवधि के लिए इस संस्था ने अपने विविध कार्यों के संचालन के लिए चार विषयगत क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया है-
[[1 जुलाई]], [[2014]]-[[30 जून]], [[2017]] तक की अवधि के लिए इस संस्था ने अपने विविध कार्यों के संचालन के लिए चार विषयगत क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया है-
#कमजोर और संघर्ष से प्रभावित देश
#कमज़ोर और संघर्ष से प्रभावित देश
#जलवायु परिवर्तन
#जलवायु परिवर्तन
#समावेशी विकास
#समावेशी विकास

09:16, 12 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

अंतरराष्ट्रीय विकास संघ
अंतरराष्ट्रीय विकास संघ का प्रतीक
अंतरराष्ट्रीय विकास संघ का प्रतीक
विवरण 'अंतरराष्ट्रीय विकास संघ' विश्व बैंक की एक अनुषंगी संस्था है। इसे विश्व बैंक की 'रियायती ऋण देने वाली खिड़की' अर्थात् 'उदार ऋण-खिड़की' भी कहते हैं।
स्थापना 24 सितम्बर, 1960
मुख्यालय वाशिंगटन डीसी
सदस्य संख्या 172 (2013 के अनुसार)
उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय विकास संघ का मुख्य उद्देश्य अल्पविकसित देशों को अधिक आसान शर्तों पर विकास साख उपलब्ध कराकर उनके वित्तीय व आर्थिक विकास में सहायता प्रदान करना है।
अन्य जानकारी अंतरराष्ट्रीय विकास संघ द्वारा उधार देने की शर्ते व सीमाएं आईबीआरडी के समान ही हैं। आईडीए निम्न आय वाले देशों के लिए रियायती सहायता का एकमात्र सबसे बड़ा बहुपक्षीय स्रोत है।
अद्यतन‎ 01:17, 05 नवम्बर-2016 (IST)

अंतरराष्ट्रीय विकास संघ (अंग्रेज़ी: International Development Association - IDA) की रूपरेखा कार्यकारी निदेशकों द्वारा जनवरी 1960 में आईबीआरडी की एक सहायक संस्था के रूप में खींची गई थी। इसकी स्थापना से सम्बंधित समझौता अनुच्छेद पर फ़रवरी, 1960 में हस्ताक्षर हुए तथा 24 सितम्बर, 1960 में आईडीए अस्तित्व में आ गया। 27 मार्च, 1961 को इसे विशिष्ट अभिकरण का दर्जा प्राप्त हुआ। आईसीएसआईडी के संयुक्त हो जाने पर विश्व बैंक समूह का रूप ले लेती है। आईडीए के सदस्यों की संख्या 172 (2013 के अनुसार) है तथा इसका मुख्यालय वाशिंगटन डीसी में है।

उद्देश्य

आईडीए का मुख्य उद्देश्य अल्पविकसित देशों को अधिक आसान शर्तों पर विकास साख[1] उपलब्ध कराकर उनके वित्तीय व आर्थिक विकास में सहायता प्रदान करना है। इसीलिए यह आईबीआरडी के उद्देश्यों व क्रिया-कलापों को प्रोत्साहित एवं अनुपूरित करता है। संघ के संसाधनों में अंश भागीदारी, सामान्य पुनर्भरण[2], समृद्ध सदस्यों से प्राप्त विशेष योगदान तथा आईबीआरडी की शुद्ध आय के स्थानांतरण से प्राप्त पूंजी शामिल है।[3]

सदस्य देश

सदस्य देशों के दो वर्ग हैं-

  1. प्रथम वर्ग में विकसित देश शामिल हैं, जो परिवर्तनीय मुद्रा में पूरा अंशदान व अनुपूरक संसाधन अदा करते हैं।
  2. दूसरे वर्ग में अधिकतर विकासशील देश (लगभग 30) आते हैं, जो अपने आरंभिक अंशभाग का 10 प्रतिशत मुक्त परिवर्तनीय मुद्रा में तथा अंशभाग का शेष 90 प्रतिशत, अतिरिक्त अंशभाग एवं अनुपूरक संसाधन अपनी राष्ट्रीय मुद्रा में चुकाते हैं।


अंतरराष्ट्रीय विकास संघ के साथ हुए किसी समझौते के बिना, द्वितीय वर्ग के सदस्यों की मुद्रा को उनके भू-प्रदेश से बाहर स्थित परियोजनाओं के लिए उपयोग में नहीं लाया जा सकता।

उधार देने की शर्ते व सीमाएं

आईडीए द्वारा उधार देने की शर्ते व सीमाएं आईबीआरडी के समान ही हैं। आईडीए निम्न आय वाले देशों के लिए रियायती सहायता का एकमात्र सबसे बड़ा बहुपक्षीय स्रोत है। आईडीए की अधिकांश सहायता 785 डॉलर से कम की प्रति व्यक्ति वार्षिक आय वाले देशों को प्राप्त होती है। आईडीए की साख 40 वर्ष[4] तथा 35 वर्ष[5] की अवधि के लिए उपलब्ध करायी जाती है। इस पर कोई ब्याज देय नहीं होता, किंतु 0.75 प्रतिशत का वार्षिक सेवा शुल्क आरोपित होता है। सभी साखों पर 10 वर्ष की रियायती अवधि उपलब्ध होती है, जो ऋण को शेष 30 अथवा 25 वर्ष की अवधि पर प्रमुख बकाये के पूर्ण पुनर्भुगतान से सम्बद्ध होती है।

आईडीए की साख का अधिकांश सड़क व रेल, विद्युत उत्पादन व संचरण सुविधा, दूरभाष केन्द्र व संप्रेषण तार, शिक्षा सुविधा, सिंचाई व बाढ़ नियंत्रण उपस्कर तथा औद्योगिक योजना जैसी भौतिक आधार संरचना में सुधार लाने वाली परियोजनाओं को उपलब्ध कराया गया है। ग्रामीण ग़रीबों की उत्पादकता में वृद्धि लाने के लिए विशेष रूप से तैयार किये गये ग्रामीण विकास कार्यक्रमों की भी साख का विस्तार किया गया है। आईडीए द्वारा आईबीआरडी के निदेशकों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों के माध्यम से अपना कार्य संचालित किया जाता है।[3]

भारत के लिए अनुदान

वित्तीय वर्ष 1995-1996 के दौरान आईडीए से सहायता पाने वाले देशों में भारत का पहला स्थान रहा था। दूसरे व तीसरे स्थान के लिए क्रमशः वियतनाम व चीन के लिए आईडीए ऋण स्वीकृत किए गए। इसके विपरीत विश्व बैंक से समग्र रूप से सर्वाधिक सहायता 1995-96 के दौरान चीन को स्वीकृत की गई। भारत का इस मामले में दूसरा स्थान रहा था। इसके साधनों में मुख्यतः सदस्य देशों द्वारा स्वीकृत पूंजी, विकसित राष्ट्रों द्वारा किया गया अंशदान, विशिष्ट योगदान तथा बैंक द्वारा हस्तांतरित शुद्ध आय आदि आते हैं। अंतरराष्ट्रीय विकास संघ (आईडीए) ने विभिन्न वर्षों में भारत की अनेक विकास परियोजनाओं के लिए ऋण प्रदान किए हैं। वर्ष 2002-2003 में आईडीए ने भारत का 1121.2 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ऋण प्रदान किए। वर्ष 2003-2004 में आईडीए ने भारत की 785.6 मिलियन डॉलर के ऋणों के साथ-साथ 1.0 मिलियन डॉलर के अनुदान भी दिए।

आईडीए निम्न आय वाले देशों के लिए रियायती सहायता का एकमात्र बहुपक्षीय सबसे बड़ा स्रोत है। आईडीए कुछ देशों को भी समर्थन प्रदान करता है, जिसमें कई छोटे द्वीपीय अर्थव्यवस्थाएं भी शामिल हैं। भारत, इंडोनेशिया एवं पाकिस्तान जैसे कुछ देश प्रति व्यक्ति आय स्तर के आधार पर आईडीए अर्ह हैं। आईबीआरडी से सम्बद्ध, आईडीए का कोई पृथक् संस्थान नहीं हैं; आईबीआरडी के निदेशक अधिकारी एवं स्टाफ आईडीए के भी अधिकारी होते हैं।[3]

प्रमुख कार्य

दुनिया के सबसे ग़रीब देशों में उनके महत्वपूर्ण विकास कार्यों में धन की ज़रूरत होती है। ये ग़रीब देश इतने सक्षम नहीं होते हैं कि वे अपने विकास कार्य को गति दे सकें, जिसकी वजह से उन्हें अनेक धन सम्बन्धी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इन्हीं परेशानियों के कारण ही इन देशों में शिक्षा की बेहद कमी पायी जाती है। साथ ही स्वास्थ्य की स्थिति भी अत्यन्त बुरी होती है, जिसकी वजह से इन देशों में अनेक बीमारियाँ पैदा होती रहती हैं। इन्हीं कार्यों में मदद करने हेतु यह संस्था आगे आती है और इन देशों में विद्यमान समस्याओं को निबटाने में अथक प्रयत्न करती है। उदाहरण के लिए बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं, प्राथमिक शिक्षा, साफ पानी और स्वच्छता, कृषि, पर्यावरण सुरक्षा उपायों, व्यापार जलवायु में सुधार, संस्थागत सुधारों और बुनियादी सुविधाओं के लिए किये जाने वाले प्रयास. उल्लेखनीय है कि इन परियोजनाओं की वजह से ही आर्थिक विकास, समानता, रोजगार सृजन, बेहतर रहने की स्थिति और उच्च आय की परिस्थिति का जन्म हुआ है।[6]

विषयगत क्षेत्र

1 जुलाई, 2014-30 जून, 2017 तक की अवधि के लिए इस संस्था ने अपने विविध कार्यों के संचालन के लिए चार विषयगत क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया है-

  1. कमज़ोर और संघर्ष से प्रभावित देश
  2. जलवायु परिवर्तन
  3. समावेशी विकास
  4. लैंगिक समानता


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. वित्त के लिए आईडीए द्वारा प्रयुक्त शब्द
  2. औद्योगिक व विकसित सदस्य देशों से
  3. 3.0 3.1 3.2 अंतरराष्ट्रीय विकास संघ (हिन्दी) vivacepanorama.com। अभिगमन तिथि: 05 नवम्बर, 2016।
  4. अत्यल्प विकसित देशों के लिए
  5. अन्य देशों के लिए
  6. अंतरराष्ट्रीय विकास संघ (हिन्दी) vivacepanorama.com। अभिगमन तिथि: 05 नवम्बर, 2016।

संबंधित लेख