"दिनशा वाचा": अवतरणों में अंतर
No edit summary |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replacement - " गरीब" to " ग़रीब") |
||
(एक दूसरे सदस्य द्वारा किए गए बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{दिनशा वाचा विषय सूची}} | |||
{{सूचना बक्सा राजनीतिज्ञ | {{सूचना बक्सा राजनीतिज्ञ | ||
|चित्र=Dinshaw-Edulji-Wacha.jpg | |चित्र=Dinshaw-Edulji-Wacha.jpg | ||
पंक्ति 24: | पंक्ति 25: | ||
|जेल यात्रा= | |जेल यात्रा= | ||
|पुरस्कार-उपाधि= | |पुरस्कार-उपाधि= | ||
|विशेष योगदान= | |विशेष योगदान= | ||
|संबंधित लेख= [[दादाभाई नौरोजी]], [[फ़िरोजशाह मेहता|फ़िरोजशाह मेहता]], [[मुंबई]], [[सुरेंद्रनाथ बनर्जी]] | |संबंधित लेख= [[दादाभाई नौरोजी]], [[फ़िरोजशाह मेहता|फ़िरोजशाह मेहता]], [[मुंबई]], [[सुरेंद्रनाथ बनर्जी]] | ||
|शीर्षक 1= | |शीर्षक 1= | ||
पंक्ति 34: | पंक्ति 35: | ||
|अद्यतन=04:42, 4 जून 2017 (IST) | |अद्यतन=04:42, 4 जून 2017 (IST) | ||
}} | }} | ||
'''दिनशा इडलजी वाचा''' ([[अंग्रेज़ी]] ''Dinshaw Edulji Wacha''; जन्म- 1844; मृत्यु -[[1936]]) आर्थिक विशेषज्ञ और [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] की स्थापना में प्रमुख योगदान देने वाले [[मुंबई]] के तीन मुख्य पारसी नेताओं में से एक थे। प्रारंभ से ही कांग्रेस से जुड़े हुए दिनशा 13 वर्ष तक इस संगठन के महामंत्री रहें और [[1901]] ई. में कोलकाता कांग्रेस के [[अध्यक्ष]] चुने गए। [[फ़िरोजशाह मेहता|फ़िरोजशाह मेहता]] तथा [[दादा भाई नौरोजी]] के सहयोग से सर दिनशा वाचा ने [[भारत]] की | '''दिनशा इडलजी वाचा''' ([[अंग्रेज़ी]] ''Dinshaw Edulji Wacha''; जन्म- 1844; मृत्यु -[[1936]]) आर्थिक विशेषज्ञ और [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] की स्थापना में प्रमुख योगदान देने वाले [[मुंबई]] के तीन मुख्य पारसी नेताओं में से एक थे। प्रारंभ से ही कांग्रेस से जुड़े हुए दिनशा 13 वर्ष तक इस संगठन के महामंत्री रहें और [[1901]] ई. में कोलकाता कांग्रेस के [[अध्यक्ष]] चुने गए। [[फ़िरोजशाह मेहता|फ़िरोजशाह मेहता]] तथा [[दादा भाई नौरोजी]] के सहयोग से सर दिनशा वाचा ने [[भारत]] की ग़रीबी और ग़रीब जनता से सरकारी करों के रूप में वसूल किए गए धन के अपव्यय के विरुद्ध स्वदेश में और शासक [[ब्रिटेन|देश ब्रिटेन]] में लोकमत जगाने के लिए अथक परिश्रम किया। | ||
== संक्षिप्त परिचय == | == संक्षिप्त परिचय == | ||
{{main|दिनशा वाचा का परिचय}} | {{main|दिनशा वाचा का परिचय}} | ||
दिनशा इडलजी वाचा का जन्म 1844 में हुआ था। [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] की स्थापना में प्रमुख योगदान देने वाले [[मुंबई]] के तीन मुख्य पारसी नेताओं में से एक थे। अपने अन्य दोनों साथी पारसी नेताओं, [[फ़िरोजशाह मेहता|फ़िरोजशाह मेहता]] तथा [[दादा भाई नौरोजी]] के सहयोग से सर दिनशा वाचा ने [[भारत]] की | दिनशा इडलजी वाचा का जन्म 1844 में हुआ था। [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] की स्थापना में प्रमुख योगदान देने वाले [[मुंबई]] के तीन मुख्य पारसी नेताओं में से एक थे। अपने अन्य दोनों साथी पारसी नेताओं, [[फ़िरोजशाह मेहता|फ़िरोजशाह मेहता]] तथा [[दादा भाई नौरोजी]] के सहयोग से सर दिनशा वाचा ने [[भारत]] की ग़रीबी और ग़रीब जनता से सरकारी करों के रूप में वसूल किए गए धन के अपव्यय के विरुद्ध स्वदेश में और शासक देश ब्रिटेन में लोकमत जगाने के लिए अथक परिश्रम किया। दिनशा आर्थिक और वित्तीय मामलों के विशेषज्ञ थे और इन विषयों में उनकी सूझ बड़ी ही पैनी थी। | ||
== राजनीतिक जीवन == | == राजनीतिक जीवन == | ||
{{main|दिनशा वाचा का राजनीतिक जीवन}} | {{main|दिनशा वाचा का राजनीतिक जीवन}} | ||
सन [[1901]] में दिनशा को [[मुंबई]] म्यूनिसिपल कार्पोरेशन के [[अध्यक्ष]] चुना गया और उसी वर्ष वे [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के वार्षिक अधिवेशन के अध्यक्ष बनाए गए। वाचा ने अपने [[कांग्रेस]] के अध्यक्षीय भाषण में भारत में अकाल पड़ने के कारणों का बड़ा मार्मिक विवेचन किया। दिनशा वाचा की, आर्थिक विशेषज्ञ के रूप में धाक जम गई और भारतीय नेताओं में उन्हें विशिष्ट एवं प्रमुख स्थान प्राप्त हुआ। | सन [[1901]] में दिनशा वाचा को [[मुंबई]] म्यूनिसिपल कार्पोरेशन के [[अध्यक्ष]] चुना गया और उसी वर्ष वे [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के वार्षिक अधिवेशन के अध्यक्ष बनाए गए। वाचा ने अपने [[कांग्रेस]] के अध्यक्षीय भाषण में भारत में अकाल पड़ने के कारणों का बड़ा मार्मिक विवेचन किया। दिनशा वाचा की, आर्थिक विशेषज्ञ के रूप में धाक जम गई और भारतीय नेताओं में उन्हें विशिष्ट एवं प्रमुख स्थान प्राप्त हुआ। | ||
== निधन == | == निधन == | ||
सर दिनशा इडल वाचा का निधन [[1936]] में हुआ था। | सर दिनशा इडल वाचा का निधन [[1936]] में हुआ था। | ||
{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
{{दिनशा वाचा विषय सूची}} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> |
09:19, 12 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
दिनशा वाचा
| |
पूरा नाम | दिनशा इडलजी वाचा |
अन्य नाम | दिनशा वाचा |
जन्म | 1844 |
मृत्यु | 1936 |
नागरिकता | भारतीय |
पार्टी | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
संबंधित लेख | दादाभाई नौरोजी, फ़िरोजशाह मेहता, मुंबई, सुरेंद्रनाथ बनर्जी |
अन्य जानकारी | दिनशा इडलजी वाचा भारत में ब्रिटिश शासन के विशेषत: ब्रिटेन द्वारा भारत के आर्थिक शोषण के अत्यंत कटु आलोचक थे। वे इस विषय के विभिन्न पहलुओं पर लेख लिखकर और भाषण देकर लोगों का ध्यान आकर्षित करते थे। |
अद्यतन | 04:42, 4 जून 2017 (IST) |
दिनशा इडलजी वाचा (अंग्रेज़ी Dinshaw Edulji Wacha; जन्म- 1844; मृत्यु -1936) आर्थिक विशेषज्ञ और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना में प्रमुख योगदान देने वाले मुंबई के तीन मुख्य पारसी नेताओं में से एक थे। प्रारंभ से ही कांग्रेस से जुड़े हुए दिनशा 13 वर्ष तक इस संगठन के महामंत्री रहें और 1901 ई. में कोलकाता कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। फ़िरोजशाह मेहता तथा दादा भाई नौरोजी के सहयोग से सर दिनशा वाचा ने भारत की ग़रीबी और ग़रीब जनता से सरकारी करों के रूप में वसूल किए गए धन के अपव्यय के विरुद्ध स्वदेश में और शासक देश ब्रिटेन में लोकमत जगाने के लिए अथक परिश्रम किया।
संक्षिप्त परिचय
दिनशा इडलजी वाचा का जन्म 1844 में हुआ था। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना में प्रमुख योगदान देने वाले मुंबई के तीन मुख्य पारसी नेताओं में से एक थे। अपने अन्य दोनों साथी पारसी नेताओं, फ़िरोजशाह मेहता तथा दादा भाई नौरोजी के सहयोग से सर दिनशा वाचा ने भारत की ग़रीबी और ग़रीब जनता से सरकारी करों के रूप में वसूल किए गए धन के अपव्यय के विरुद्ध स्वदेश में और शासक देश ब्रिटेन में लोकमत जगाने के लिए अथक परिश्रम किया। दिनशा आर्थिक और वित्तीय मामलों के विशेषज्ञ थे और इन विषयों में उनकी सूझ बड़ी ही पैनी थी।
राजनीतिक जीवन
सन 1901 में दिनशा वाचा को मुंबई म्यूनिसिपल कार्पोरेशन के अध्यक्ष चुना गया और उसी वर्ष वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन के अध्यक्ष बनाए गए। वाचा ने अपने कांग्रेस के अध्यक्षीय भाषण में भारत में अकाल पड़ने के कारणों का बड़ा मार्मिक विवेचन किया। दिनशा वाचा की, आर्थिक विशेषज्ञ के रूप में धाक जम गई और भारतीय नेताओं में उन्हें विशिष्ट एवं प्रमुख स्थान प्राप्त हुआ।
निधन
सर दिनशा इडल वाचा का निधन 1936 में हुआ था।
|
|
|
|
|