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'''तुषास्प''' [[मौर्य]] [[सम्राट अशोक]] के राज्य काल में [[गुजरात]] और [[काठियावाड़]] का [[अमात्य|महामात्य]] था। उसे राजा की उपाधि प्राप्त थी। [[गिरनार]] के पास 'सुदर्शन' नामक [[झील]] का तुषास्प ने पुनर्निर्माण करवाया था। तुषास्प ने झील का पुनर्निर्माण इतनी मजबूती से कराया था कि फिर 400 वर्ष तक उसकी मरम्मत की आवश्यकता नहीं हुई। 150 ई. में [[क्षत्रप]] [[रुद्रदामा]] ने झील का जीर्णोद्धार करवाया। | '''तुषास्प''' [[मौर्य]] [[सम्राट अशोक]] के राज्य काल में [[गुजरात]] और [[काठियावाड़]] का [[अमात्य|महामात्य]] था। उसे '''राजा''' की उपाधि प्राप्त थी। [[गिरनार]] के पास '[[सुदर्शन झील|सुदर्शन]]' नामक [[झील]] का तुषास्प ने पुनर्निर्माण करवाया था। तुषास्प ने झील का पुनर्निर्माण इतनी मजबूती से कराया था कि फिर 400 [[वर्ष]] तक उसकी मरम्मत की आवश्यकता नहीं हुई। 150 ई. में [[क्षत्रप]] [[रुद्रदामा]] ने झील का जीर्णोद्धार करवाया। | ||
*[[स्कन्दगुप्त]] के समय में [[सौराष्ट्र]] (काठियावाड़) का प्रान्तीय शासक 'पर्णदत्त' था। उसने गिरिनार की प्राचीन सुदर्शन झील की फिर से मरम्मत कराई थी। | *[[स्कन्दगुप्त]] के समय में [[सौराष्ट्र]] ([[काठियावाड़]]) का प्रान्तीय शासक 'पर्णदत्त' था। उसने गिरिनार की प्राचीन सुदर्शन झील की फिर से मरम्मत कराई थी। | ||
*सुदर्शन झील का निर्माण सम्राट [[चंद्रगुप्त मौर्य]] के समय में हुआ था। तब सुराष्ट्र का शासक वैश्य 'पुष्यगुप्त' था। | *सुदर्शन झील का निर्माण सम्राट [[चंद्रगुप्त मौर्य]] के समय में हुआ था। तब सुराष्ट्र का शासक वैश्य 'पुष्यगुप्त' था। | ||
*पुष्यगुप्त ही झील का निर्माता था। बाद में [[अशोक]] के समय में प्रान्तीय शासक [[यवन]] 'तुषास्प' ने और फिर क्षत्रप [[रुद्रदामा]] ने इस झील का पुनरुद्धार किया। | *पुष्यगुप्त ही झील का निर्माता था। बाद में [[अशोक]] के समय में प्रान्तीय शासक [[यवन]] 'तुषास्प' ने और फिर क्षत्रप [[रुद्रदामा]] ने इस झील का पुनरुद्धार किया। | ||
*[[गुप्त काल]] में यह झील फिर ख़राब हो गई थी। अब स्कन्दगुप्त के आदेश से 'पर्णदत्त' ने इस झील का फिर जीर्णोद्वार किया। उसके शासन के पहले ही साल में इस झील का बाँध टूट गया था, जिससे प्रजा को बड़ा कष्ट हो गया था। | *[[गुप्त काल]] में यह झील फिर ख़राब हो गई थी। अब स्कन्दगुप्त के आदेश से 'पर्णदत्त' ने इस झील का फिर जीर्णोद्वार किया। उसके शासन के पहले ही साल में इस झील का बाँध टूट गया था, जिससे प्रजा को बड़ा कष्ट हो गया था। | ||
*[[स्कन्दगुप्त]] ने उदारता के साथ इस बाँध पर खर्च किया। पर्णदत्त का पुत्र 'चक्रपालित' भी इस प्रदेश में राज्य सेवा में नियुक्त था। उसने झील के तट पर [[विष्णु]] भगवान के मन्दिर का निर्माण कराया। | *[[स्कन्दगुप्त]] ने उदारता के साथ इस बाँध पर खर्च किया। पर्णदत्त का [[पुत्र]] 'चक्रपालित' भी इस प्रदेश में राज्य सेवा में नियुक्त था। उसने झील के तट पर [[विष्णु]] भगवान के मन्दिर का निर्माण कराया। | ||
*माना जाता है कि तुषास्प सम्भवत: ईरानी था और सम्राट [[अशोक]] की सेवा में नियुक्त था। | *माना जाता है कि तुषास्प सम्भवत: ईरानी था और सम्राट [[अशोक]] की सेवा में नियुक्त था। | ||
08:16, 24 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
तुषास्प मौर्य सम्राट अशोक के राज्य काल में गुजरात और काठियावाड़ का महामात्य था। उसे राजा की उपाधि प्राप्त थी। गिरनार के पास 'सुदर्शन' नामक झील का तुषास्प ने पुनर्निर्माण करवाया था। तुषास्प ने झील का पुनर्निर्माण इतनी मजबूती से कराया था कि फिर 400 वर्ष तक उसकी मरम्मत की आवश्यकता नहीं हुई। 150 ई. में क्षत्रप रुद्रदामा ने झील का जीर्णोद्धार करवाया।
- स्कन्दगुप्त के समय में सौराष्ट्र (काठियावाड़) का प्रान्तीय शासक 'पर्णदत्त' था। उसने गिरिनार की प्राचीन सुदर्शन झील की फिर से मरम्मत कराई थी।
- सुदर्शन झील का निर्माण सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के समय में हुआ था। तब सुराष्ट्र का शासक वैश्य 'पुष्यगुप्त' था।
- पुष्यगुप्त ही झील का निर्माता था। बाद में अशोक के समय में प्रान्तीय शासक यवन 'तुषास्प' ने और फिर क्षत्रप रुद्रदामा ने इस झील का पुनरुद्धार किया।
- गुप्त काल में यह झील फिर ख़राब हो गई थी। अब स्कन्दगुप्त के आदेश से 'पर्णदत्त' ने इस झील का फिर जीर्णोद्वार किया। उसके शासन के पहले ही साल में इस झील का बाँध टूट गया था, जिससे प्रजा को बड़ा कष्ट हो गया था।
- स्कन्दगुप्त ने उदारता के साथ इस बाँध पर खर्च किया। पर्णदत्त का पुत्र 'चक्रपालित' भी इस प्रदेश में राज्य सेवा में नियुक्त था। उसने झील के तट पर विष्णु भगवान के मन्दिर का निर्माण कराया।
- माना जाता है कि तुषास्प सम्भवत: ईरानी था और सम्राट अशोक की सेवा में नियुक्त था।
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