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*इकौन [[उत्तर प्रदेश]] के सहेतमहेत (प्राचीन [[श्रावस्ती]] के खंडहर) से चार मील उत्तर-पश्चिम की ओर एक ग्राम है।  
*इकौन [[गोंडा ज़िला|ज़िला गोंडा]] [[उत्तर प्रदेश]] के सहेत-महेत<ref>प्राचीन [[श्रावस्ती]] के खंडहर </ref>से चार मील [[उत्तर]]-[[पश्चिम]] की ओर एक [[ग्राम]] है।  
*चीनी पर्यटकों के अनुसार यह उसी स्थान के समीप है जहाँ पांचसौ जन्मांध व्यक्तियों ने [[बुद्ध]] की आत्मिक शक्ति से नेत्र-ज्योति प्राप्त की थी।  
*चीनी पर्यटकों के अनुसार यह उसी स्थान के समीप है जहाँ पांच सौ जन्मांध व्यक्तियों ने [[बुद्ध]] की आत्मिक शक्ति से नेत्र-ज्योति प्राप्त की थी।  
*इन व्यक्तियों की इस स्थान पर गाड़ी हुई लकड़ियों से आप्त-नेत्रवन नामक एक विशाल वन ही उत्पन्न हो गया था।  
*इन व्यक्तियों की इस स्थान पर गाड़ी हुई लकड़ियों से '''आप्त-नेत्रवन''' नामक एक विशाल वन ही उत्पन्न हो गया था।  


{{संदर्भ ग्रंथ}}
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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*पुस्तक- ऐतिहासिक स्थानावली, लेखक-विजयेन्द्र कुमार माथुर, प्रकाशन- राजस्थान ग्रंथ अकादमी जयपुर
*ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 77| विजयेन्द्र कुमार माथुर |  वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार
 
 
 


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09:46, 6 मई 2018 के समय का अवतरण

  • इकौन ज़िला गोंडा उत्तर प्रदेश के सहेत-महेत[1]से चार मील उत्तर-पश्चिम की ओर एक ग्राम है।
  • चीनी पर्यटकों के अनुसार यह उसी स्थान के समीप है जहाँ पांच सौ जन्मांध व्यक्तियों ने बुद्ध की आत्मिक शक्ति से नेत्र-ज्योति प्राप्त की थी।
  • इन व्यक्तियों की इस स्थान पर गाड़ी हुई लकड़ियों से आप्त-नेत्रवन नामक एक विशाल वन ही उत्पन्न हो गया था।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. प्राचीन श्रावस्ती के खंडहर
  • ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 77| विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार



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