"अक्रिय गैस": अवतरणों में अंतर
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#हीलियम- यह गुब्बारों और वायुपोतों में भरने के काम में आती है। गहरे [[समुद्र]] में गोता लगाने वाले साँस लेने के लिए वायु के स्थान पर [[हीलियम]] और [[ऑक्सीजन]] का मिश्रण काम में लाते हैं। धातु कर्म में जहाँ अक्रिय वायुमंडल की आवश्यकता होती है, हीलियम का प्रयोग किया जाता है। वायु से यह बहुत हल्की होती है, अत: बड़े-बड़े हवाई जहाजों के टायरों में इसी गैस को भरा जाता है।<ref>{{cite web |url= http:// | #हीलियम- यह गुब्बारों और वायुपोतों में भरने के काम में आती है। गहरे [[समुद्र]] में गोता लगाने वाले साँस लेने के लिए वायु के स्थान पर [[हीलियम]] और [[ऑक्सीजन]] का मिश्रण काम में लाते हैं। धातु कर्म में जहाँ अक्रिय वायुमंडल की आवश्यकता होती है, हीलियम का प्रयोग किया जाता है। वायु से यह बहुत हल्की होती है, अत: बड़े-बड़े हवाई जहाजों के टायरों में इसी गैस को भरा जाता है।<ref>{{cite web |url= http://bharatkhoj.org/india/%E0%A4%85%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%AF_%E0%A4%97%E0%A5%88%E0%A4%B8|title= अक्रिय गैस|accessmonthday=26 फरवरी|accessyear=2015 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= भारतखोज|language= हिन्दी}}</ref> | ||
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08:13, 19 मई 2018 के समय का अवतरण
अक्रिय गैस (अंग्रेज़ी:Inert Gases) हीलियम (He), निऑन (Ne), आर्गन (Ar), क्रिप्टन (Kr), जेनान (Xe) तथा रेडॉन (Rn) आवर्त सारणी के शून्य वर्ग के तत्व हैं। शून्य वर्ग के तत्त्व रासायनिक दृष्टि से निष्किय होते हैं। इस कारण इन तत्वों को अक्रिय गैस या 'उत्कृष्ट गैस' कहा जाता हैं। रेडॉन को छोड़कर अन्य सभी गैसें वायुमंडल में पायी जाती हैं।
- अक्रिय गैस की खोज का श्रेय 'लोकेयर', 'रैमजे', 'रैले' आदि को जाता है। अक्रिय गैसों की प्राप्ति दुर्लभ होने के कारण उन्हें 'दुर्लभ गैस' भी कहा जाता है।
- अक्रिय गैस उन गैसों को कहते हैं, जो साधारणत: रासायनिक अभिक्रियाओं में भाग नहीं लेतीं और सदा मुक्त अवस्था में प्राप्य हैं।
- इन गैसों में हीलियम, निऑन, आर्गान, जीनॉन और रडॉन सम्मिलित हैं। ये उत्कृष्ट गैसों[1] के नाम से भी प्रसिद्ध हैं।
- समस्त अक्रिय गैसें रंगहीन, गंधहीन तथा स्वादहीन होती हैं।
- स्थिर दाब और स्थिर आयतन पर प्रत्येक गैस की विशिष्ट उष्माओं का अनुपात 1.67 के बराबर होता है, जिससे पता चलता है कि ये सब एक परमाणुक गैसें हैं।
उपयोग
- हीलियम- यह गुब्बारों और वायुपोतों में भरने के काम में आती है। गहरे समुद्र में गोता लगाने वाले साँस लेने के लिए वायु के स्थान पर हीलियम और ऑक्सीजन का मिश्रण काम में लाते हैं। धातु कर्म में जहाँ अक्रिय वायुमंडल की आवश्यकता होती है, हीलियम का प्रयोग किया जाता है। वायु से यह बहुत हल्की होती है, अत: बड़े-बड़े हवाई जहाजों के टायरों में इसी गैस को भरा जाता है।[2]
- नीऑन - बहुत कम दाब पर नीऑन से भरी ट्यूबों में से विद्युत गुजारने पर नारंगी रंग की चमक पैदा होती है, जिसका विद्युत संकेतों में उपयोग किया जाता है।
- आर्गन- 26 प्रतिशत नाइट्रोजन के साथ मिलाकर आर्गन विद्युत के बल्बों में तथा रेडियो वाल्बों और ट्यूबों में प्रयुक्त होती है।
- क्रिप्टान और जीनॉन इनका प्रयोग किसी काम में नहीं होता।
- रेडान- यह घातक फोड़ों और ठीक न होने वाले घावों के इलाज में काम आती है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ Noble gases
- ↑ अक्रिय गैस (हिन्दी) भारतखोज। अभिगमन तिथि: 26 फरवरी, 2015।
संबंधित लेख
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