नारंगी रंग
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- रंगो का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है। रंगो से हमें विभिन्न स्थितियों का पता चलता है। हम अपने चारों तरफ अनेक प्रकार के रंगो से प्रभावित होते हैं। रंग, मानवी आँखों के वर्णक्रम से मिलने पर छाया सम्बंधी गतिविधियों से उत्पन्न होते हैं।
- नारंगी एक पारिभाषित तथा दैनिक जीवन में प्रयुक्त रंग है, जो नारंगी (फल) के छिलके के रंग जैसा दिखता है। यह प्रत्यक्ष वर्णक्रम (स्पॅक्ट्रम) के पीला एवं लाल रंग के बीच में, लगभग 5920 Å से 6200 Å [1] के तरंग दैर्घ्य में मिलता है। इसकी आवृति 4.84 - 5.07 होती है।
रंग | आवृति विस्तार | तरंगदैर्ध्य विस्तार |
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नारंगी | 4.84 - 5.07 | 5920 Å से 6200 Å |
धार्मिक मान्यता
संन्यासी नारंगी (भगवा) वस्त्र पहनते हैं। नारंगी रंग लाल और पीले रंग का मिश्रण है। लाल रंग से हममें दृढ संकल्प आता है और पीले से सात्विक प्रवृत्ति का विकास होता है। इन्हीं भावों के सहारे हम संसार का माया-मोह त्याग पाते हैं।[2]
तिरंगे में नारंगी रंग का महत्त्व
केसरिया यानी भगवा रंग वैराग्य का रंग है। हमारे आज़ादी के दीवानों ने इस रंग को सबसे पहले अपने ध्वज में इसलिए सम्मिलित किया जिससे आने वाले दिनों में देश के नेता अपना लाभ छोड़ कर देश के विकास में खुद को समर्पित कर दें। जैसे भक्ति में साधु वैराग ले मोह माया से हट भक्ति का मार्ग अपनाते हैं।
रसायन
नारंगी रंग में हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, निकिल, एल्यूमीनियम, सोडियम, क्रोमियम, टाईटेनियम आदि गैसें उपस्थित होती हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ Å=10-10 m = 10-8 cm = 10-1nm (nanometre
- ↑ जिंदल, मीता। देवताओं के प्रिय रंग जागरण याहू इंडिया। अभिगमन तिथि: 28, जुलाई।