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*इस पल्लव राजा ने पल्लवों की विचलित कुल लक्ष्मी को कुछ काल तक अचल रखा।
*इस पल्लव राजा ने पल्लवों की विचलित कुल लक्ष्मी को कुछ काल तक अचल रखा।
*आदित्यवर्मन ने [[पाण्ड्य राजवंश|पाण्ड्य]] शासक वरबुण द्वितीयको परास्त किया, परंतु [[चोल राजवंश|चोलों]] की सर्वग्रासी शक्ति ने पल्लवों को जीतकर तोंडमंडलम पर अधिकार कर लिया और पल्लवों के स्वतंत्र शासन का अंत हो गया।<ref>{{cite web |url= http://khoj.bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%85%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E2%80%8C|title= अपराजितवर्मन|accessmonthday=06 अगस्त|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= भारतखोज|language= हिन्दी}}</ref>
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अपराजितवर्मन पल्लव वंश का अंतिम राजा था। वह 876 ई. के लगभग गद्दी पर बैठा और 895 ई. के लगभग उसकी मृत्यु हुई।

  • इस पल्लव राजा ने पल्लवों की विचलित कुल लक्ष्मी को कुछ काल तक अचल रखा।
  • आदित्यवर्मन ने पाण्ड्य शासक वरबुण द्वितीयको परास्त किया, परंतु चोलों की सर्वग्रासी शक्ति ने पल्लवों को जीतकर तोंडमंडलम पर अधिकार कर लिया और पल्लवों के स्वतंत्र शासन का अंत हो गया।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अपराजितवर्मन (हिन्दी) भारतखोज। अभिगमन तिथि: 06 अगस्त, 2014।

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