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व्यासस्य च वनं पुण्यं फलकीवनमेव च।'<ref>(अध्याय 39)</ref></poem>  
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कमौधा शब्द को काम्यक का ही अपभ्रंश कहा जाता है।  
'''कमौधा शब्द''' को काम्यक का ही [[अपभ्रंश]] कहा जाता है।  


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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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*ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 138| विजयेन्द्र कुमार माथुर |  वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार
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महाभारत वन पर्व में वर्णित काम्यकवन की स्थिति इस ग्राम के निकट बताई जाती है। कमौधा, कुरुक्षेत्र के ज्योतिसर से तीन मील दूर पहेवा[1] जाने वाले मार्ग पर स्थित है। वामन पुराण में काम्यकवन को कुरुक्षेत्र के सप्तवनों में माना गया है-

'काम्यक च वनं पुण्यं तथा दितिवनं महत्,
व्यासस्य च वनं पुण्यं फलकीवनमेव च।'[2]

कमौधा शब्द को काम्यक का ही अपभ्रंश कहा जाता है।

{{#icon: Redirect-01.gif|ध्यान दें}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- काम्यकवन



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  • ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 138| विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार


  1. पृथूदक
  2. अध्याय 39

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख