"कला-संस्कृति और धर्म सामान्य ज्ञान 391": अवतरणों में अंतर
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||[[चित्र:Dwarikadish-temple-1.jpg|right|border|80px|द्वारिकाधीश मन्दिर मथुरा]][[मथुरा|मथुरा नगर]] के राजाधिराज बाज़ार में स्थित [[द्वारिकाधीश मन्दिर मथुरा|द्वारिकाधीश मन्दिर]] अपने सांस्कृतिक वैभव [[कला]] एवं सौन्दर्य के लिए अनुपम है। [[ग्वालियर]] राज के कोषाध्यक्ष सेठ गोकुलदास पारीख ने इसका निर्माण 1814-15 ई. में प्रारम्भ कराया, जिनकी मृत्यु पश्चात् इनकी सम्पत्ति के उत्तराधिकारी सेठ लक्ष्मीचन्द्र ने मन्दिर का निर्माण कार्य पूर्ण कराया। [[वर्ष]] [[1930]] में सेवा पूजन के लिए यह मन्दिर [[पुष्टिमार्ग]] के आचार्य गिरधरलाल जी कांकरौली वालों को भेंट किया गया। तब से यहाँ पुष्टिमार्गीय प्रणालिका के अनुसार सेवा पूजा होती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[द्वारिकाधीश मन्दिर मथुरा|द्वारिकाधीश मन्दिर]] | |||
{'सांची स्तूप' का निर्माण किसने कराया था? | {'सांची स्तूप' का निर्माण किसने कराया था? | ||
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-[[महावीर]] | -[[महावीर]] | ||
+[[अशोक]] | +[[अशोक]] | ||
||[[चित्र:Buddha-Stupas.jpg|right|border|80px|साँची स्थित स्तूप]]'साँची' [[भारत]] के [[मध्य प्रदेश]] राज्य के [[रायसेन ज़िला|रायसेन ज़िले]] में स्थित एक छोटा सा [[गांव]] है। यह [[भोपाल]] से 46 किमी पूर्वोत्तर में तथा [[बेसनगर]] और [[विदिशा]] से 10 किमी की दूरी पर मध्य-प्रदेश के मध्य भाग में है। यहाँ [[बौद्ध]] स्मारक हैं, जो कि तीसरी शताब्दी ई.पू. से बारहवीं शताब्दी के बीच के हैं। यह रायसेन ज़िले की एक नगर पंचायत है। यहीं यह [[स्तूप]] स्थित है। इस स्तूप को घेरे हुए कई [[तोरण]] भी हैं। यह प्रेम, शांति, विश्वास और साहस का प्रतीक है। [[साँची]] का [[स्तूप]] [[अशोक]] ने तीसरी [[शती]] ई.पू. में बनवाया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[साँची]] | |||
{भोजशाला मन्दिर की अधिष्ठात्री देवी कौन हैं? | {भोजशाला मन्दिर की अधिष्ठात्री देवी कौन हैं? | ||
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-[[लक्ष्मी|भगवती लक्ष्मी]] | -[[लक्ष्मी|भगवती लक्ष्मी]] | ||
+[[सरस्वती देवी|भगवती सरस्वती]] | +[[सरस्वती देवी|भगवती सरस्वती]] | ||
||[[चित्र:Saraswati-Devi.jpg|right|border|80px|सरस्वती]]'सरस्वती' [[हिन्दू धर्म]] की प्रमुख [[देवी|देवियों]] में से एक हैं। सरस्वती का जन्म [[ब्रह्मा]] के मुँह से हुआ था। यह वाणी की अधिष्ठात्री देवी है। इनका नामांतर '[[शतरूपा]]' भी है। इसके अन्य पर्याय हैं- वाणी, वाग्देवी, भारती, शारदा, वागेश्वरी इत्यादि। [[सरस्वती]] शुक्ल वर्ण, श्वेत वस्त्रधारिणी, वीणावादनतत्परा तथा श्वेतपद्मासना कही गई हैं। इनकी उपासना करने से मूर्ख भी विद्वान् बन सकता है। [[माघ]] [[शुक्ल पक्ष|शुक्ल]] [[पंचमी]] को इनकी पूजा की परिपाटी चली आ रही है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सरस्वती]] | |||
{'साइलेंट वैली' या 'मूक घाटी' किस राज्य में स्थित है? | {'साइलेंट वैली' या 'मूक घाटी' किस राज्य में स्थित है? | ||
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-[[जम्मू-कश्मीर]] | -[[जम्मू-कश्मीर]] | ||
+[[केरल]] | +[[केरल]] | ||
||'साइलैंट वैली राष्ट्रीय उद्यान' [[केरल|उत्तरी केरल]] के [[पालक्काड|पालक्काड ज़िले]] के मन्नारकाड से 40 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। 90 वर्ग कि.मी. में फैला यह राष्ट्रीय उद्यान पालक्काड ज़िले के उत्तरी भाग में अवस्थित है। [[उत्तर]] में यह [[नीलगिरि|नीलगिरि पठार]] तक विस्तृत है और [[दक्षिण]] में मन्नारकाड के मैदान से ऊँचा है। इस जंगल की विशेषता है कि यहाँ प्रकृति के साथ लगभग न के बराबर छेड़छाड़ की गई है। सन 70 के [[दशक]] में यहाँ एक पनबिजली योजना लाने की कोशिश की गई, पर जनता के विरोध के कारण उसे अनुमति नहीं मिली। [[साइलैंट वैली राष्ट्रीय उद्यान]] ऊष्ण कटिबंधीय सदाबहार वर्षा वनों का एक अत्यंत अनोखा, किंतु नाजुक संतुलन है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[साइलैंट वैली राष्ट्रीय उद्यान]] | |||
{ | {'यक्षगण' नामक नृत्य शैली [[भारत]] के किस प्रान्त से सम्बद्ध है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -[[पंजाब]] | ||
+ | +[[कर्नाटक]] | ||
- | -[[असम]] | ||
- | -[[राजस्थान]] | ||
||[[चित्र:Yakshagana-Dance.jpg|right|border|80px|यक्षगान नृत्य]]'यक्षगान' [[कर्नाटक]] राज्य का [[लोक नृत्य]] है। यह कर्नाटक का पारम्परिक नृत्य नाट्य रूप है जो एक प्रशंसनीय शास्त्रीय पृष्ठभूमि के साथ किया जाने वाला एक अनोखा नृत्य रूप है। लगभग [[शताब्दी|5 शताब्दियों]] की सशक्त नींव के साथ [[यक्षगान नृत्य|यक्षगान]] लोक कला के एक रूप के तौर पर मज़बूत स्थिति रखता है, जो [[केरल]] के [[कथकली]] के समान है। नृत्य नाटिका के इस रूप का मुख्य सार [[धर्म]] के साथ इसका जुड़ाव है, जो इसके नाटकों के लिए सर्वाधिक सामान्य विषय वस्तु प्रदान करता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[यक्षगान नृत्य]] | |||
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12:20, 5 जनवरी 2020 के समय का अवतरण
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- इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- कला प्रांगण, कला कोश, संस्कृति प्रांगण, संस्कृति कोश, धर्म प्रांगण, धर्म कोश
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