"कला-संस्कृति और धर्म सामान्य ज्ञान 392": अवतरणों में अंतर
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||[[चित्र:Kailadevi-Temple.jpg|right|border|80px|कैलादेवी मन्दिर]]'कैलादेवी मन्दिर' [[राजस्थान]] के [[करौली]] नगर में स्थित एक प्रसिद्व [[हिन्दू]] धार्मिक स्थल है, जहाँ प्रतिवर्ष [[मार्च]]-[[अप्रॅल]] माह में एक बहुत बड़ा मेला लगता है। इस मेले में राजस्थान के अलावा [[दिल्ली]], [[हरियाणा]], [[मध्य प्रदेश]], [[उत्तर प्रदेश]] के तीर्थ यात्री आते है। मुख्य मन्दिर संगमरमर से बना हुआ है, जिसमें कैला ([[दुर्गा|दुर्गा देवी]]) एवं चामुण्डा देवी की प्रतिमाएँ हैं। कैलादेवी को आठ भुजाऐं एवं सिंह पर सवारी करते हुए दिखाया गया है। यहाँ क्षेत्रीय लांगुरिया के गीत विशेष रूप से गाये जाते है, जिसमें लांगुरिया के माध्यम से कैलादेवी को अपनी भक्ति-भाव प्रदर्शित किया जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कैलादेवी मन्दिर]] | ||[[चित्र:Kailadevi-Temple.jpg|right|border|80px|कैलादेवी मन्दिर]]'कैलादेवी मन्दिर' [[राजस्थान]] के [[करौली]] नगर में स्थित एक प्रसिद्व [[हिन्दू]] धार्मिक स्थल है, जहाँ प्रतिवर्ष [[मार्च]]-[[अप्रॅल]] [[माह]] में एक बहुत बड़ा मेला लगता है। इस मेले में राजस्थान के अलावा [[दिल्ली]], [[हरियाणा]], [[मध्य प्रदेश]], [[उत्तर प्रदेश]] के तीर्थ यात्री आते है। मुख्य मन्दिर संगमरमर से बना हुआ है, जिसमें कैला ([[दुर्गा|दुर्गा देवी]]) एवं चामुण्डा देवी की प्रतिमाएँ हैं। कैलादेवी को आठ भुजाऐं एवं [[सिंह]] पर सवारी करते हुए दिखाया गया है। यहाँ क्षेत्रीय लांगुरिया के गीत विशेष रूप से गाये जाते है, जिसमें लांगुरिया के माध्यम से कैलादेवी को अपनी भक्ति-भाव प्रदर्शित किया जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कैलादेवी मन्दिर]] | ||
{बद्रीनाथ धाम किस शहर में स्थित है? | {बद्रीनाथ धाम किस शहर में स्थित है? | ||
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-[[रुद्रप्रयाग]] | -[[रुद्रप्रयाग]] | ||
-[[पौड़ी गढ़वाल|पौड़ी]] | -[[पौड़ी गढ़वाल|पौड़ी]] | ||
||[[चित्र:Badrinath-Temple.jpg|right|border|80px|बद्रीनाथ मंदिर]]'बद्रीनाथ' [[उत्तरांचल]] राज्य, [[उत्तरी भारत]], [[शीत ऋतु]] में | ||[[चित्र:Badrinath-Temple.jpg|right|border|80px|बद्रीनाथ मंदिर]]'बद्रीनाथ' [[उत्तरांचल]] राज्य, [[उत्तरी भारत]], [[शीत ऋतु]] में निर्जन रहने वाला एक गांव एवं मंदिर है। [[गंगा नदी]] की मुख्य धारा के किनारे बसा यह [[तीर्थस्थल]] [[हिमालय]] में समुद्र तल से 3,050 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह [[अलकनंदा नदी]] के बाएं [[तट]] पर नर और नारायण नामक दो [[पर्वत]] श्रेणियों के बीच स्थित है। [[बद्रीनाथ]] का नामकरण एक समय यहाँ प्रचुर मात्रा में पाई जाने वाली जंगली बेरी 'बद्री' के नाम पर हुआ। यह [[भारत]] के चार प्रमुख धामों में से एक है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बद्रीनाथ]], [[चमोली]] | ||
{'पिरामिड' कहाँ स्थित है? | {'पिरामिड' कहाँ स्थित है? | ||
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-[[श्रीलंका]] | -[[श्रीलंका]] | ||
+[[मिस्र]] | +[[मिस्र]] | ||
||[[चित्र:Giza-Pyramid.jpg|right|border|80px|गीज़ा के पिरामिड, मिस्र]]'मिस्र' या 'ईजिप्ट' उत्तरी अफ्रीका में स्थित एक देश हैं। [[मिस्र]] [[एशिया]] से सिनाई [[प्रायद्वीप]] के द्वारा जुड़ा हुआ है। यह उत्तर में [[भूमध्य सागर]], उत्तर पूर्व में गाजा पट्टी और [[इजरायल]], पूर्व में [[लाल सागर]], पश्चिम में लीबिया एवं दक्षिण में सूडान से घिरा हुआ है। मिस्र ने [[विज्ञान]] के क्षेत्र में भी संसार को कई बहुमूल्य उपहार दिये हैं। [[रसायन विज्ञान|रसायन]] (कैमिस्ट्री) शब्द की उत्पत्ति भी मिस्र से ही मानी जाती है। यहाँ के पिरामिड विश्व के इतिहास में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं, जिनके उल्लेख के बिना [[इतिहास]] अधूरा सा लगता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मिस्र]] | ||[[चित्र:Giza-Pyramid.jpg|right|border|80px|गीज़ा के पिरामिड, मिस्र]]'मिस्र' या 'ईजिप्ट' उत्तरी अफ्रीका में स्थित एक देश हैं। [[मिस्र]] [[एशिया]] से सिनाई [[प्रायद्वीप]] के द्वारा जुड़ा हुआ है। यह [[उत्तर]] में [[भूमध्य सागर]], उत्तर पूर्व में गाजा पट्टी और [[इजरायल]], [[पूर्व दिशा|पूर्व]] में [[लाल सागर]], [[पश्चिम]] में लीबिया एवं [[दक्षिण]] में सूडान से घिरा हुआ है। मिस्र ने [[विज्ञान]] के क्षेत्र में भी संसार को कई बहुमूल्य उपहार दिये हैं। [[रसायन विज्ञान|रसायन]] (कैमिस्ट्री) शब्द की उत्पत्ति भी मिस्र से ही मानी जाती है। यहाँ के पिरामिड विश्व के इतिहास में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं, जिनके उल्लेख के बिना [[इतिहास]] अधूरा सा लगता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मिस्र]] | ||
{[[कम्बोडिया]] में [[भारतीय स्थापत्य कला]] का एक उत्कृष्ट नमूना है | {[[कम्बोडिया]] में [[भारतीय स्थापत्य कला]] का एक उत्कृष्ट नमूना कौन सा है? | ||
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-[[बोरोबुदुर|बोरोबुदुर मंदिर]] | -[[बोरोबुदुर|बोरोबुदुर मंदिर]] | ||
-आनन्द मन्दिर | -आनन्द मन्दिर | ||
-सित्तनवासल मन्दिर | -सित्तनवासल मन्दिर | ||
+[[अंगकोरवाट| | +[[अंकोरवाट|अंगकोरवाट मन्दिर]] | ||
||[[चित्र:Angkor-Wat-Temple.jpg|right|border|80px|अंकोरवाट]]'अंकोरवाट मंदिर' [[कम्बोडिया]], जिसे पुराने लेखों में [[कम्बुज]] भी कहा गया है, में स्थित है। कम्बोडिया में [[भारत]] के प्राचीन और शानदार स्मारक हैं। यहाँ संसार-प्रसिद्ध विशाल विष्णु मंदिर है। [[अंकोरवाट|अंकोरवाट मन्दिर]] अंकोरयोम नामक नगर में स्थित है, जिसे प्राचीन काल में [[यशोधरपुर]] कहा जाता था। अंकोरवाट जयवर्मा द्वितीय के शासनकाल में कम्बोडिया की राजधानी था। यह अपने समय में संसार के महान् नगरों में गिना जाता था और इसका विशाल भव्य मन्दिर अंकोरवाट के नाम से आज भी विख्यात है। अंकोरवाट का मन्दिर [[विष्णु]] को समर्पित है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अंकोरवाट]] | |||
{[[हरिद्वार]] स्थित 'हर की पौड़ी' का निर्माण किसने कराया था? | {[[हरिद्वार]] स्थित 'हर की पौड़ी' का निर्माण किसने कराया था? | ||
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-[[अशोक|राजा अशोक]] | -[[अशोक|राजा अशोक]] | ||
-राजा हरपाल | -राजा हरपाल | ||
||[[चित्र:Har-Ki-Pauri.jpg|right|border|80px|हर की पौड़ी]]'हर की पौड़ी' [[भारत]] के [[उत्तराखण्ड]] में [[हिन्दू|हिन्दुओं]] की पवित्र धार्मिक नगरी [[हरिद्वार]] के सर्वाधिक पवित्र स्थलों में से एक है। यह वह स्थान है, जहाँ प्रतिदिन लघु भारत के दर्शन होते हैं। '[[हर की पौड़ी]]' को 'ब्रह्मकुण्ड' के नाम से भी जाना जाता है। माना गया है कि यही वह स्थान है, जहाँ से [[गंगा]] पहाड़ों को छोड़कर मैदानी क्षेत्रों की ओर मुड़ती है। 'हर की पौड़ी' का निर्माण [[विक्रमादित्य|राजा विक्रमादित्य]] द्वारा करवाया गया था। उन्होंने अपने भाई 'ब्रिथारी' (भतृहरि) की याद में इसका निर्माण कराया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हर की पौड़ी]] | |||
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11:00, 6 जनवरी 2020 के समय का अवतरण
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- इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- कला प्रांगण, कला कोश, संस्कृति प्रांगण, संस्कृति कोश, धर्म प्रांगण, धर्म कोश
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