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परम विशिष्ट सेवा पदक

परम विशिष्ट सेवा पदक (अंग्रेज़ी: Param Vishisht Seva Medal) भारत का एक सैन्य पुरस्कार है। इसका गठन 1960 में किया गया था और तब से आज तक यह शांति के लिए और सेवा क्षेत्र में सबसे असाधारण कार्य (मरणोपरांत भी) सम्मानित किया जाता है। भारतीय सशस्त्र बलों सहित सभी रैंकों के लिए, प्रादेशिक सेना, सहायक और रिजर्व बलों, नर्सिंग अधिकारियों और अन्य सदस्यों के नर्सिंग सेवाओं और अन्य विधिवत् गठित सशस्त्र बल इस पदक के पात्र हैं।

  • इस पदक की शुरुआत 26 जनवरी, 1960 को वीएसएम श्रेणी-प के रूप में की गई, यह पदक असाधारण कोटि की विग्दिष्ट सेवा को सम्मानित करने के लिए दिया जाता है। 27 जनवरी, 1967 को इसका नाम 'परम विशिष्ट सेवा मेडल' कर दिया गया।
  • यह पदक गोलाकार होता है और इसका व्यास 35 मि.मी. है। यह सादी आड़ी पट्‌टी पर लगा होता है और इसकी फिटिंग स्टैंडर्ड होती है। यह सुनहरे रंग का होता है।
  • इस पदक के सामने के हिस्से पर पांच नोकों वाला सितारा बना होता है और इसके पीछे की ओर राज्य चिह्हह्न बना होता है तथा ऊपरी घेरे के पास इसका नाम खुदा होता है।
  • इसका फीता सुनहरे रंग का होता है और बीच में गहरे नीले रंग की सीधी रेखा होती है जो इसे दो बराबर हिस्सों में विभाजित करती है।
  • यदि पदक विजेता को पुनः पदक पदान किया जाता है तो बहादुरी के इस कारनामे को सम्मानित करने के लिए पदक जिस फीते से लटका होता है, उसके साथ एक बार लगा दिया जाता है। यदि केवल फीता पहनना हो तो यह पदक जितनी बार प्रदान किया जाता है, उतनी बार के लिए फीते के साथ सरकार द्वारा अनुमोदित पैटर्न के अनुसार बनी इसकी लघु प्रतिकृति लगाई जाती है।
  • निम्नलिखित श्रेणियों के कार्मिक पदक प्राप्त करने के पात्र होंगे-
  1. सेना, नौसेना और वायु सेना तथा प्रादेशिक सेना यूनिटों, सहायक और रिजर्व सेना और कानूनी रूप से गठित अन्य सेनाओं के सभी रैंकों के अफसर और जवान।
  2. सशस्त्र सेनाओं की नर्सिंग सेवा के नर्सिंग अफसर और अन्य कार्मिक।
  3. यह पदक असाधारण कोटि की विशिष्ट सेवा के लिए प्रदान किया जाता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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