"स्वयं प्रेरक-कस्तूरबा गाँधी": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
('कस्तूरबा गाँधी बीमार रहती थीं। एक दिन गाँधी जी ने...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
No edit summary |
||
पंक्ति 12: | पंक्ति 12: | ||
गाँधी जी अपनी बात के स्वयं प्रेरक बन गए। | गाँधी जी अपनी बात के स्वयं प्रेरक बन गए। | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
<references/> | |||
==संबंधित लेख== | |||
{{प्रेरक प्रसंग}} | |||
[[Category:अशोक कुमार शुक्ला]][[Category:समकालीन साहित्य]][[Category:प्रेरक प्रसंग]][[Category:महात्मा गाँधी]][[Category:साहित्य कोश]] | |||
__INDEX__ |
11:50, 3 दिसम्बर 2020 के समय का अवतरण
कस्तूरबा गाँधी बीमार रहती थीं। एक दिन गाँधी जी ने उन्हें सलाह दी कि तुम नमक खाना छोड़ दो, तो अच्छी हो जाओगी।
कस्तूरबा ने कहा- नमक के बिना भोजन कैसे किया जाएगा।
गाँधी जी बोले- नमक छोड़कर देखो तो सही।
कस्तूरबा ने प्रतिवाद करते हुए कहा - पहले आप ही छोड़कर देखिए न?
गाँधी जी ने संकल्प करते हुए कहा- बस अभी से छोड़ दिया।
उसी दिन से गाँधी जी ने नमक का प्रयोग करना छोड़ दिया।
गाँधी जी अपनी बात के स्वयं प्रेरक बन गए।