"विवस्वान सूर्य मंदिर, ग्वालियर": अवतरणों में अंतर
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शहर के मुरार इलाके में स्थित विवस्वान सूर्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा [[23 जनवरी]] [[1988]] को की गई। मंदिर का उदघाटन बसंत कुमार बिड़ला द्वारा किया गया। इस पूरब | शहर के मुरार इलाके में स्थित विवस्वान सूर्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा [[23 जनवरी]] [[1988]] को की गई। मंदिर का उदघाटन बसंत कुमार बिड़ला द्वारा किया गया। इस पूरब रुख़के मंदिर में सात घोड़ों पर सवार सूर्य के दर्शन किए जा सकते हैं। मंदिर का रुख़पूरब की ओर होने के कारण सुबह के सूर्य की पहली किरणें जब मंदिर के प्रवेश द्वार को चूमती हैं मंदिर का अनूठा सौंदर्य दिखाई देता है। बाहर से बलुआ पत्थर से बने पूरे मंदिर की आकृति किसी भव्य रथ के जैसी है जिसमें दोनों तरफ 16 पहिए लगे हुए हैं। मंदिर की प्रतिकृति [[ओडिशा]] के [[कोणार्क सूर्य मंदिर|कोणार्क]] में स्थित सूर्य मंदिर से काफी कुछ मिलती जुलती है।<ref>{{cite web |url=https://www.daanapaani.net/2014/10/blog-post_86.html |title=ग्वालियर का विवस्वान सूर्य मंदिर|accessmonthday=05 जुलाई|accessyear=2020 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=daanapaani.net |language=हिंदी}}</ref> | ||
==स्थापत्य== | ==स्थापत्य== | ||
मंदिर के मुख्य द्वार पर साथ घोड़ों की आकृति बनी हुई है जो सूर्य के रथ को खींचते हुए प्रतीत होते हैं। कहा जाता है कि सूर्य हर सुबह सात घोड़ों पर सवार होकर जगत को देदीप्यमान करने के लिए निकलते हैं। मंदिर के आंतरिक सज्जा में सफेद संगमरमर का इस्तेमाल किया गया है। अंदर जगह जगह कई देवी देवताओं की मूर्तियां भी दीवारों पर उकेरी गई है। | मंदिर के मुख्य द्वार पर साथ घोड़ों की आकृति बनी हुई है जो सूर्य के रथ को खींचते हुए प्रतीत होते हैं। कहा जाता है कि सूर्य हर सुबह सात घोड़ों पर सवार होकर जगत को देदीप्यमान करने के लिए निकलते हैं। मंदिर के आंतरिक सज्जा में सफेद संगमरमर का इस्तेमाल किया गया है। अंदर जगह जगह कई देवी देवताओं की मूर्तियां भी दीवारों पर उकेरी गई है। |
08:52, 3 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण
विवस्वान सूर्य मंदिर मध्य प्रदेश के ग्वालियर में स्थित है। इस सूर्य मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है। पूरब दिशा वाले इस मंदिर में सात घोड़ों पर सवार सूर्य का स्वरूप अद्भुत है। मंदिर का मुख पूरब दिशा की ओर होने से सूरज की पहली किरणें जब मंदिर में प्रवेश करती है तो मंदिर का सौंदर्य अनूठा दिखता है।
प्राण प्रतिष्ठा
शहर के मुरार इलाके में स्थित विवस्वान सूर्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा 23 जनवरी 1988 को की गई। मंदिर का उदघाटन बसंत कुमार बिड़ला द्वारा किया गया। इस पूरब रुख़के मंदिर में सात घोड़ों पर सवार सूर्य के दर्शन किए जा सकते हैं। मंदिर का रुख़पूरब की ओर होने के कारण सुबह के सूर्य की पहली किरणें जब मंदिर के प्रवेश द्वार को चूमती हैं मंदिर का अनूठा सौंदर्य दिखाई देता है। बाहर से बलुआ पत्थर से बने पूरे मंदिर की आकृति किसी भव्य रथ के जैसी है जिसमें दोनों तरफ 16 पहिए लगे हुए हैं। मंदिर की प्रतिकृति ओडिशा के कोणार्क में स्थित सूर्य मंदिर से काफी कुछ मिलती जुलती है।[1]
स्थापत्य
मंदिर के मुख्य द्वार पर साथ घोड़ों की आकृति बनी हुई है जो सूर्य के रथ को खींचते हुए प्रतीत होते हैं। कहा जाता है कि सूर्य हर सुबह सात घोड़ों पर सवार होकर जगत को देदीप्यमान करने के लिए निकलते हैं। मंदिर के आंतरिक सज्जा में सफेद संगमरमर का इस्तेमाल किया गया है। अंदर जगह जगह कई देवी देवताओं की मूर्तियां भी दीवारों पर उकेरी गई है।
ऐतिहासिक महत्त्व
यह सूर्य मंदिर अब ग्वालियर शहर के ऐतिहासिक महत्व की इमारतों के साथ ही सैलानियों के लिए प्रमुख दर्शनीय स्थलों में शामिल हो चुका है। कई एकड़ में फैले इस विशाल मंदिर परिसर में हरियाली ऐसी है कि यहां से जल्दी बाहर निकलने का दिल ही नहीं करता। मंदिर परिसर में घनश्याम दास बिड़ला का लोगों के लिए संदेश लिखा गया है- "मैं यही कहना चाहता हूं कि सत्कर्म कीजिए और भगवान का नाम लीजिए। ईश्वर आपका मंगल करेगा"। सुबह के समय मंदिर में टहलने वालों की भीड़ दिखाई देती है।
खुलने का समय
आम श्रद्धालुओं के लिए मंदिर सूर्योदय लेकर सूर्यास्त तक खुला रहता है। दोपहर 12 से 1 बजे तक मंदिर बंद होता है। जबकि शनिवार और रविवार को सूर्य मंदिर शाम 7.30 बजे तक खुला रहता है।
कैसे पहुंचे
ग्वालियर शहर के प्रसिद्ध गोला का मंदिर चौराहा से सूर्य मंदिर की दूरी 10 मिनट पैदल चलने भर की है। यह शहर का बाइपास इलाका है जहां से मुरैना और शिवपुरी के लिए रास्ते बदलते हैं। सूर्य मंदिर रेसीडेंसी क्षेत्र में है। मंदिर के पास महाराजपुर एयर स्टेशन स्थित है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ग्वालियर का विवस्वान सूर्य मंदिर (हिंदी) daanapaani.net। अभिगमन तिथि: 05 जुलाई, 2020।