"कृत्तिवास रामायण": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
छो (कृत्तिवास रामायाण का नाम बदलकर कृत्तिवास रामायण कर दिया गया है)
छो (Text replacement - "छः" to "छह")
 
(एक दूसरे सदस्य द्वारा किए गए बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
'''कृत्तिवास रामायण''' की रचना 15वीं शती के बांग्ला [[कवि]] [[कृत्तिवास ओझा]] ने की थी। यह [[संस्कृत]] के अतिरिक्त अन्य उत्तर-भारतीय भाषाओं की पहला '[[रामायण]]' है।
{{सूचना बक्सा पुस्तक
 
|चित्र=Krattivas-Ramayan.jpg
|चित्र का नाम=कृत्तिवास रामायण
|लेखक=
|कवि= [[कृत्तिवास]]
|मूल_शीर्षक =कृत्तिवास रामायण
|मुख्य पात्र = [[राम|भगवान श्रीराम]]
|कथानक =
|अनुवादक =
|संपादक =
|प्रकाशक = भुवन वाणी ट्रस्ट
|प्रकाशन_तिथि = [[3 फ़रवरी]], [[2000]]
|भाषा = [[बांग्ला भाषा|बांग्ला]]
|देश = [[भारत]]
|विषय =
|शैली =
|मुखपृष्ठ_रचना =
|विधा =
|प्रकार = [[महाकाव्य]]
|पृष्ठ =
|ISBN =
|भाग =
|शीर्षक 1=
|पाठ 1=
|शीर्षक 2=
|पाठ 2=
|विशेष =यह [[ग्रंथ]] मूल '[[रामायण]]' का शब्दानुवाद नहीं है, बल्कि इसमें मध्यकालीन बंगाली समाज और संस्कृति का चित्रण भी है।
|टिप्पणियाँ =
}}
'''कृत्तिवास रामायण''' की रचना 15वीं शती के बांग्ला [[कवि]] [[कृत्तिवास ओझा]] ने की थी। यह [[संस्कृत]] के अतिरिक्त अन्य उत्तर-भारतीय भाषाओं की पहला '[[रामायण]]' है।<br />
<br />
*[[तुलसीदास|गोस्वामी तुलसीदास]] के '[[रामचरितमानस]]' के रचना काल से लगभग सौ [[वर्ष]] पूर्व 'कृत्तिवास रामायण' का आविर्भाव हुआ था।
*[[तुलसीदास|गोस्वामी तुलसीदास]] के '[[रामचरितमानस]]' के रचना काल से लगभग सौ [[वर्ष]] पूर्व 'कृत्तिवास रामायण' का आविर्भाव हुआ था।
*कृत्तिवास रामायण के रचयिता संत कृत्तिवास [[बंगला भाषा|बंग भाषा]] के आदिकवि माने जाते हैं।
*कृत्तिवास रामायण के रचयिता संत कृत्तिवास [[बंगला भाषा|बंग भाषा]] के आदिकवि माने जाते हैं।
*संत कृत्तिवास [[छन्द]], व्याकरण, ज्योतिष, [[धर्म]] और नीतिशास्त्र के प्रकाण्ड पण्डित थे, और [[राम]] नाम में उनकी परम आस्था थी।
*संत कृत्तिवास [[छन्द]], व्याकरण, ज्योतिष, [[धर्म]] और नीतिशास्त्र के प्रकाण्ड पण्डित थे, और [[राम]] नाम में उनकी परम आस्था थी।
*बंग-भाषा के इस [[महाकाव्य]] में निम्न छः काण्ड हैं-
*बंग-भाषा के इस [[महाकाव्य]] में निम्न छह काण्ड हैं-
#आदि काण्ड
#आदि काण्ड
#अयोध्या काण्ड
#अयोध्या काण्ड
पंक्ति 12: पंक्ति 41:
#लंका काण्ड
#लंका काण्ड
*यह [[ग्रंथ]] मूल '[[रामायण]]' का शब्दानुवाद नहीं है, बल्कि इसमें मध्यकालीन बंगाली समाज और संस्कृति का विविध चित्रण भी है।
*यह [[ग्रंथ]] मूल '[[रामायण]]' का शब्दानुवाद नहीं है, बल्कि इसमें मध्यकालीन बंगाली समाज और संस्कृति का विविध चित्रण भी है।
 
*[[3 फ़रवरी]], [[2000]] में 'कृत्तिवास रामायण' का प्रकाशन 'भुवन वाणी ट्रस्ट' द्वारा किया गया था।
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{खण्ड काव्य}}
{{बांग्ला साहित्य}}{{खण्ड काव्य}}
[[Category:बांग्ला साहित्य]][[Category:भक्ति काल]][[Category:भक्ति साहित्य]][[Category:भक्तिकालीन साहित्य]][[Category:पद्य साहित्य]][[Category:काव्य कोश]]
[[Category:बांग्ला साहित्य]][[Category:भक्ति काल]][[Category:भक्ति साहित्य]][[Category:भक्तिकालीन साहित्य]][[Category:पद्य साहित्य]][[Category:काव्य कोश]]
__INDEX__
__INDEX__

10:06, 9 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण

कृत्तिवास रामायण
कृत्तिवास रामायण
कृत्तिवास रामायण
कवि कृत्तिवास
मूल शीर्षक कृत्तिवास रामायण
मुख्य पात्र भगवान श्रीराम
प्रकाशक भुवन वाणी ट्रस्ट
प्रकाशन तिथि 3 फ़रवरी, 2000
देश भारत
भाषा बांग्ला
प्रकार महाकाव्य
विशेष यह ग्रंथ मूल 'रामायण' का शब्दानुवाद नहीं है, बल्कि इसमें मध्यकालीन बंगाली समाज और संस्कृति का चित्रण भी है।

कृत्तिवास रामायण की रचना 15वीं शती के बांग्ला कवि कृत्तिवास ओझा ने की थी। यह संस्कृत के अतिरिक्त अन्य उत्तर-भारतीय भाषाओं की पहला 'रामायण' है।

  • गोस्वामी तुलसीदास के 'रामचरितमानस' के रचना काल से लगभग सौ वर्ष पूर्व 'कृत्तिवास रामायण' का आविर्भाव हुआ था।
  • कृत्तिवास रामायण के रचयिता संत कृत्तिवास बंग भाषा के आदिकवि माने जाते हैं।
  • संत कृत्तिवास छन्द, व्याकरण, ज्योतिष, धर्म और नीतिशास्त्र के प्रकाण्ड पण्डित थे, और राम नाम में उनकी परम आस्था थी।
  • बंग-भाषा के इस महाकाव्य में निम्न छह काण्ड हैं-
  1. आदि काण्ड
  2. अयोध्या काण्ड
  3. अरण्य काण्ड
  4. किष्किन्धा काण्ड
  5. सुन्दर काण्ड
  6. लंका काण्ड
  • यह ग्रंथ मूल 'रामायण' का शब्दानुवाद नहीं है, बल्कि इसमें मध्यकालीन बंगाली समाज और संस्कृति का विविध चित्रण भी है।
  • 3 फ़रवरी, 2000 में 'कृत्तिवास रामायण' का प्रकाशन 'भुवन वाणी ट्रस्ट' द्वारा किया गया था।
पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख