"कौन तुम मेरे हृदय में -महादेवी वर्मा": अवतरणों में अंतर

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<poem>कौन मेरी कसक में नित
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मधुरता भरता अलक्षित ?
कौन मेरी कसक में नित,
कौन प्यासे लोचनों में
मधुरता भरता अलक्षित?
घुमड़ घिर झरता अपरिचित ?
कौन प्यासे लोचनों में,
घुमड़ घिर झरता अपरिचित?


स्वर्ण-स्वप्नों का चितेरा
स्वर्ण-स्वप्नों का चितेरा,
नींद के सूने निलय में !
नींद के सूने निलय में!
कौन तुम मेरे हृदय में ?
कौन तुम मेरे हृदय में?


अनुसरण निश्वास मेरे
अनुसरण नि:श्वास मेरे,
कर रहे किसका निरन्तर ?
कर रहे किसका निरन्तर?
चूमने पदचिन्ह किसके
चूमने पदचिह्न किसके,
लौटते यह श्वास फिर फिर
लौटते यह श्वास फिर फिर!


कौन बन्दी कर मुझे अब
कौन बन्दी कर मुझे अब,
बँध गया अपनी विजय में ?
बँध गया अपनी विजय में?
कौन तुम मेरे हृदय में ?
कौन तुम मेरे हृदय में?


एक करूण अभाव में चिर-
एक करूण अभाव में चिर-
तृप्ति का संसार संचित
तृप्ति का संसार संचित,
एक लघु क्षण दे रहा
एक लघु क्षण दे रहा,
निर्वाण के वरदान शत शत,
निर्वाण के वरदान शत शत!


पा लिया मैंने किसे इस
पा लिया मैंने किसे इस,
वेदना के मधुर क्रय में ?
वेदना के मधुर क्रय में?
कौन तुम मेरे हृदय में ?
कौन तुम मेरे हृदय में?


गूँजता उर में न जाने
गूँजता उर में न जाने
दूर के संगीत सा क्या ?
दूर के संगीत सा क्या?
आज खो निज को मुझे
आज खो निज को मुझे,
खोया मिला, विपरीत सा क्या
खोया मिला, विपरीत सा क्या?


क्या नहा आई विरह-निशि
क्या नहा आई विरह-निशि,
मिलन-मधु-दिन के उदय में ?
मिलन-मधु-दिन के उदय में?
कौन तुम मेरे हृदय में ?
कौन तुम मेरे हृदय में?


तिमिर-पारावार में
तिमिर-पारावार में,
आलोक-प्रतिमा है अकम्पित
आलोक-प्रतिमा है अकम्पित,
आज ज्वाला से बरसता
आज ज्वाला से बरसता,
क्यों मधुर घनसार सुरभित ?
क्यों मधुर घनसार सुरभित?


सुन रहीं हूँ एक ही
सुन रहीं हूँ एक ही,
झंकार जीवन में, प्रलय में ?
झंकार जीवन में, प्रलय में?
कौन तुम मेरे हृदय में ?
कौन तुम मेरे हृदय में?


मूक सुख दुख कर रहे
मूक सुख दु:ख कर रहे,
मेरा नया श्रृंगार सा क्या ?
मेरा नया श्रृंगार सा क्या?
झूम गर्वित स्वर्ग देता -
झूम गर्वित स्वर्ग देता -
नत धरा को प्यार सा क्या ?
नत धरा को प्यार सा क्या?


आज पुलकित सृष्टि क्या
आज पुलकित सृष्टि क्या,
करने चली अभिसार लय में
करने चली अभिसार लय में,
कौन तुम मेरे हृदय में ?</poem>
कौन तुम मेरे हृदय में?
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10:34, 9 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण

कौन तुम मेरे हृदय में -महादेवी वर्मा
महादेवी वर्मा
महादेवी वर्मा
कवि महादेवी वर्मा
जन्म 26 मार्च, 1907
जन्म स्थान फ़र्रुख़ाबाद, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 22 सितम्बर, 1987
मृत्यु स्थान प्रयाग, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ मेरा परिवार, स्मृति की रेखाएँ, पथ के साथी, श्रृंखला की कड़ियाँ, अतीत के चलचित्र, नीरजा, नीहार
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
महादेवी वर्मा की रचनाएँ

कौन मेरी कसक में नित,
मधुरता भरता अलक्षित?
कौन प्यासे लोचनों में,
घुमड़ घिर झरता अपरिचित?

स्वर्ण-स्वप्नों का चितेरा,
नींद के सूने निलय में!
कौन तुम मेरे हृदय में?

अनुसरण नि:श्वास मेरे,
कर रहे किसका निरन्तर?
चूमने पदचिह्न किसके,
लौटते यह श्वास फिर फिर!

कौन बन्दी कर मुझे अब,
बँध गया अपनी विजय में?
कौन तुम मेरे हृदय में?

एक करूण अभाव में चिर-
तृप्ति का संसार संचित,
एक लघु क्षण दे रहा,
निर्वाण के वरदान शत शत!

पा लिया मैंने किसे इस,
वेदना के मधुर क्रय में?
कौन तुम मेरे हृदय में?

गूँजता उर में न जाने
दूर के संगीत सा क्या?
आज खो निज को मुझे,
खोया मिला, विपरीत सा क्या?

क्या नहा आई विरह-निशि,
मिलन-मधु-दिन के उदय में?
कौन तुम मेरे हृदय में?

तिमिर-पारावार में,
आलोक-प्रतिमा है अकम्पित,
आज ज्वाला से बरसता,
क्यों मधुर घनसार सुरभित?

सुन रहीं हूँ एक ही,
झंकार जीवन में, प्रलय में?
कौन तुम मेरे हृदय में?

मूक सुख दु:ख कर रहे,
मेरा नया श्रृंगार सा क्या?
झूम गर्वित स्वर्ग देता -
नत धरा को प्यार सा क्या?

आज पुलकित सृष्टि क्या,
करने चली अभिसार लय में,
कौन तुम मेरे हृदय में?

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