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[[तमिलनाडु]] राज्य प्राकृतिक रूप से पूर्वी तट पर समतल प्रदेश तथा उत्तर और पश्चिम में पहाड़ी क्षेत्रों के बीच विभाजित है। पूर्वी मैदान का सबसे चौड़ा हिस्सा उपजाऊ कावेरी के डेल्टा पर है और आगे दक्षिण में रामनाथपुरम और [[मदुरै]] के शुष्क मैदान हैं। राज्य के समूचे पश्चिमी सीमांत पर पश्चिमी घाट की ऊँची श्रृंखला फैली हुई है। पूर्वी घाट की निचली पहाड़ियाँ और सीमांत क्षेत्र, जो स्थानीय तौर पर जावडी, कालरायण और शेवरॉय कहलाते हैं, प्रदेश के मध्य भाग की ओर फैले हैं।
[[तमिलनाडु]] राज्य प्राकृतिक रूप से पूर्वी तट पर समतल प्रदेश तथा उत्तर और पश्चिम में पहाड़ी क्षेत्रों के बीच विभाजित है। पूर्वी मैदान का सबसे चौड़ा हिस्सा उपजाऊ [[कावेरी नदी|कावेरी]] के [[डेल्टा]] पर है और आगे दक्षिण में [[रामनाथपुरम]] और [[मदुरै]] के शुष्क मैदान हैं। राज्य के समूचे पश्चिमी सीमांत पर पश्चिमी घाट की ऊँची श्रृंखला फैली हुई है। पूर्वी घाट की निचली पहाड़ियाँ और सीमांत क्षेत्र, जो स्थानीय तौर पर जावडी, कालरायण और शेवरॉय कहलाते हैं, प्रदेश के मध्य भाग की ओर फैले हैं।
   
   
महत्त्वपूर्ण नदियों में [[कावेरी नदी|कावेरी]], पोन्नैयार, पलार, वैगई और तांब्रपर्णी शामिल हैं, ये सभी नदियों अंतर्स्थलीय पहाड़ियों से पूर्व की ओर बहती हैं। कावेरी और इसकी सहायक नदियाँ तमिलनाडु के जल एवं [[विद्युत]] का महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं।
महत्त्वपूर्ण नदियों में [[कावेरी नदी|कावेरी]], पोन्नैयार, पलार, वैगई और तांब्रपर्णी शामिल हैं, ये सभी नदियों अंतर्स्थलीय पहाड़ियों से पूर्व की ओर बहती हैं। कावेरी और इसकी सहायक नदियाँ तमिलनाडु के जल एवं [[विद्युत]] का महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं।


नदियों के डेल्टा की जलोढ़ [[मिट्टी]] की प्रचुरता के साथ-साथ यहाँ की मुख्य मिट्टियों में चिकनी मिट्टी, दोमट मिट्टी, रेतीली और लाल मिट्टी<ref>(आयरन ऑक्साइड और एल्युमिनियम हाइड्रॉक्साइड की प्रचुरता वाली मिट्टी)</ref> पाई जाती है। [[कपास]] उत्पादक काली मिट्टी 'रेगूर' (रेगड़) के नाम से जानी जाती है और यह पश्चिम में सेलम व कोयंबत्तूर, दक्षिण में रामनाथपुरम व [[तिरुनेल्वेली]] तथा मध्य में [[तिरुचिराप्पल्ली]] के कुछ हिस्सों में पाई जाती है।
नदियों के [[डेल्टा]] की [[जलोढ़ मिट्टी]] की प्रचुरता के साथ-साथ यहाँ की मुख्य मिट्टियों में चिकनी मिट्टी, दोमट मिट्टी, रेतीली और [[लाल मिट्टी]]<ref>आयरन ऑक्साइड और एल्युमिनियम हाइड्रॉक्साइड की प्रचुरता वाली मिट्टी</ref> पाई जाती है। [[कपास]] उत्पादक [[काली मिट्टी]] 'रेगूर' (रेगड़) के नाम से जानी जाती है और यह पश्चिम में [[सेलम]] [[कोयंबतुर]], दक्षिण में रामनाथपुरम व [[तिरुनेल्वेली]] तथा मध्य में [[तिरुचिराप्पल्ली]] के कुछ हिस्सों में पाई जाती है।
   
   
तमिलनाडु राज्य के लगभग 15 प्रतिशत हिस्से में वन हैं। पश्चिमी घाट के उच्चतम शिखरों वाले पर्वत- [[नीलगिरि पहाड़ियाँ|नीलगिरि]], [[अन्नामलाई पहाड़ियाँ|अन्नामलाई]] और पालनी पहाड़ियाँ - उपाआल्पीय वनस्पतियों को सहारा देते हैं। पश्चिम घाट के पूर्व की ओर तथा उत्तरी एवं मध्यवर्ती ज़िलों की पहाड़ियों की वनस्पतियों में सदाबहार व पर्णपाती वृक्षों के मिश्रित वन हैं; जिनमें से कुछ शुष्क परिस्थितियों के काफ़ी अनुकूल हैं। वनों से प्राप्त काष्ठ उत्पाद में [[चंदन]], पल्पवुड (लुगदी बनाने योग्य काष्ठ) और बांस शामिल हैं। रबर भी एक महत्त्वपूर्ण वनोपज है। यहाँ के जलीय पक्षियों का प्रतिनिधित्व वेदांतांगल स्थित पक्षी अभयारण्य करता है, जबकि अन्य वन्य प्राणियों को मुदामलाई स्थित आखेट अभयारण्य में देखा जा सकता है।
तमिलनाडु राज्य के लगभग 15 प्रतिशत हिस्से में वन हैं। पश्चिमी घाट के उच्चतम शिखरों वाले पर्वत- [[नीलगिरि पहाड़ियाँ|नीलगिरि]], [[अन्नामलाई पहाड़ियाँ|अन्नामलाई]] और पालनी पहाड़ियाँ - उपाआल्पीय वनस्पतियों को सहारा देते हैं। पश्चिम घाट के पूर्व की ओर तथा उत्तरी एवं मध्यवर्ती ज़िलों की पहाड़ियों की वनस्पतियों में सदाबहार व पर्णपाती वृक्षों के मिश्रित वन हैं; जिनमें से कुछ शुष्क परिस्थितियों के काफ़ी अनुकूल हैं। वनों से प्राप्त काष्ठ उत्पाद में [[चंदन]], पल्पवुड (लुगदी बनाने योग्य काष्ठ) और बांस शामिल हैं। रबर भी एक महत्त्वपूर्ण वनोपज है। यहाँ के जलीय पक्षियों का प्रतिनिधित्व वेदांतांगल स्थित पक्षी अभयारण्य करता है, जबकि अन्य वन्य प्राणियों को मुदामलाई स्थित आखेट अभयारण्य में देखा जा सकता है।
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*[[तमिलनाडु]] राज्य की जलवायु मूलत: उष्णकटिबंधीय है।  
*[[तमिलनाडु]] राज्य की जलवायु मूलत: उष्णकटिबंधीय है।  
*ग्रीष्मकाल में [[तापमान]] यदा-कदा ही 43° से. से ऊपर और शीत ऋतु में 18-24° से. से नीचे जाता है।  
*ग्रीष्मकाल में [[तापमान]] यदा-कदा ही 43° से. से ऊपर और शीत ऋतु में 18-24° से. से नीचे जाता है।  
 
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तमिलनाडु राज्य प्राकृतिक रूप से पूर्वी तट पर समतल प्रदेश तथा उत्तर और पश्चिम में पहाड़ी क्षेत्रों के बीच विभाजित है। पूर्वी मैदान का सबसे चौड़ा हिस्सा उपजाऊ कावेरी के डेल्टा पर है और आगे दक्षिण में रामनाथपुरम और मदुरै के शुष्क मैदान हैं। राज्य के समूचे पश्चिमी सीमांत पर पश्चिमी घाट की ऊँची श्रृंखला फैली हुई है। पूर्वी घाट की निचली पहाड़ियाँ और सीमांत क्षेत्र, जो स्थानीय तौर पर जावडी, कालरायण और शेवरॉय कहलाते हैं, प्रदेश के मध्य भाग की ओर फैले हैं।

महत्त्वपूर्ण नदियों में कावेरी, पोन्नैयार, पलार, वैगई और तांब्रपर्णी शामिल हैं, ये सभी नदियों अंतर्स्थलीय पहाड़ियों से पूर्व की ओर बहती हैं। कावेरी और इसकी सहायक नदियाँ तमिलनाडु के जल एवं विद्युत का महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं।

नदियों के डेल्टा की जलोढ़ मिट्टी की प्रचुरता के साथ-साथ यहाँ की मुख्य मिट्टियों में चिकनी मिट्टी, दोमट मिट्टी, रेतीली और लाल मिट्टी[1] पाई जाती है। कपास उत्पादक काली मिट्टी 'रेगूर' (रेगड़) के नाम से जानी जाती है और यह पश्चिम में सेलमकोयंबतुर, दक्षिण में रामनाथपुरम व तिरुनेल्वेली तथा मध्य में तिरुचिराप्पल्ली के कुछ हिस्सों में पाई जाती है।

तमिलनाडु राज्य के लगभग 15 प्रतिशत हिस्से में वन हैं। पश्चिमी घाट के उच्चतम शिखरों वाले पर्वत- नीलगिरि, अन्नामलाई और पालनी पहाड़ियाँ - उपाआल्पीय वनस्पतियों को सहारा देते हैं। पश्चिम घाट के पूर्व की ओर तथा उत्तरी एवं मध्यवर्ती ज़िलों की पहाड़ियों की वनस्पतियों में सदाबहार व पर्णपाती वृक्षों के मिश्रित वन हैं; जिनमें से कुछ शुष्क परिस्थितियों के काफ़ी अनुकूल हैं। वनों से प्राप्त काष्ठ उत्पाद में चंदन, पल्पवुड (लुगदी बनाने योग्य काष्ठ) और बांस शामिल हैं। रबर भी एक महत्त्वपूर्ण वनोपज है। यहाँ के जलीय पक्षियों का प्रतिनिधित्व वेदांतांगल स्थित पक्षी अभयारण्य करता है, जबकि अन्य वन्य प्राणियों को मुदामलाई स्थित आखेट अभयारण्य में देखा जा सकता है।

जलवायु
  • तमिलनाडु राज्य की जलवायु मूलत: उष्णकटिबंधीय है।
  • ग्रीष्मकाल में तापमान यदा-कदा ही 43° से. से ऊपर और शीत ऋतु में 18-24° से. से नीचे जाता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. आयरन ऑक्साइड और एल्युमिनियम हाइड्रॉक्साइड की प्रचुरता वाली मिट्टी

बाहरी कड़ियाँ

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