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'''अनसूया साराभाई''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Anasuya Sarabhai'', जन्म: [[11 नवंबर]], [[1885]] - मृत्यु: [[1972]]) एक प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और [[भारत]] में स्त्री श्रम आन्दोलन की अग्रदूत थीं। उन्होंने 1920 में [[अहमदाबाद]] में मजदूर महाजन संघ की स्थापना की, जो भारत के टेक्सटाइल श्रमिकों के सबसे पुराना संघ है। | '''अनसूया साराभाई''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Anasuya Sarabhai'', जन्म: [[11 नवंबर]], [[1885]] - मृत्यु: [[1972]]) एक प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और [[भारत]] में स्त्री श्रम आन्दोलन की अग्रदूत थीं। उन्होंने 1920 में [[अहमदाबाद]] में मजदूर महाजन संघ की स्थापना की, जो भारत के टेक्सटाइल श्रमिकों के सबसे पुराना संघ है। | ||
==जीवन परिचय== | ==जीवन परिचय== | ||
अनसूया साराभाई का जन्म 11 नवंबर 1885 को अहमदाबाद में साराभाई परिवार में हुआ, जो कि एक उद्योगपति और व्यापारिक लोगों के एक धनी परिवार में से था। लंदन से पढ़ाई कर [[भारत]] लौटने के बाद ग़रीबों की भलाई के लिए काम करना शुरू किया। उन्होंने 36 घंटे की शिफ्ट खत्म करने के बाद थक कर घर लौट रहीं महिला मिल के मजदूरों की दयनीय स्थिति देखा, जिसके बाद उन्होंने मजदूर आंदोलन करने का फैसला किया। सन 1918 में उन्होंने हड़ताल में कपड़ा कामगारों को संगठित करने में मदद की और महीने भर चली इस हड़ताल में वो शामिल रहीं। | अनसूया साराभाई का जन्म 11 नवंबर 1885 को अहमदाबाद में साराभाई परिवार में हुआ, जो कि एक उद्योगपति और व्यापारिक लोगों के एक धनी परिवार में से था। लंदन से पढ़ाई कर [[भारत]] लौटने के बाद ग़रीबों की भलाई के लिए काम करना शुरू किया। उन्होंने 36 घंटे की शिफ्ट खत्म करने के बाद थक कर घर लौट रहीं महिला मिल के मजदूरों की दयनीय स्थिति देखा, जिसके बाद उन्होंने मजदूर आंदोलन करने का फैसला किया। सन 1918 में उन्होंने हड़ताल में कपड़ा कामगारों को संगठित करने में मदद की और महीने भर चली इस हड़ताल में वो शामिल रहीं। | ||
====प्रारंभिक शिक्षा==== | ====प्रारंभिक शिक्षा==== | ||
अनसूया साराभाई जब नौ साल की थी, तभी उनकी माता-पिता दोनों की मृत्यु हो गई थी। इसलिए उन्हें और उनके छोटे भाई अंबलाल साराभाई और एक छोटी बहन को उनके चाचा के साथ रहने के लिए भेजा गया था। अनसूया साराभाई की शादी 13 साल की उम्र में ही हो गई थी। उनका विवाहित जीवन बेहद अल्पकालिक और दुःखद था। सन 1912 में अपने भाई की सहायता से मेडिकल डिग्री के लिए [[इंग्लैंड]] चली गईं, लेकिन जब उन्हें पता चला कि एक मेडिकल डिग्री प्राप्त करने में उन्हें पशु विच्छेदण जैसे क्रियाकलापों को गुजरना पड़ेगा जो उनके जैन विश्वासों का भी विपरीत था, तभी उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई छोड़ दी है और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्रवेश किया। इंग्लैंड में प्रवास के दौरान वे फेबियन सोसाइटी से प्रभावित हुए और वे सहृगेट आंदोलन में शामिल हो गई थी। | अनसूया साराभाई जब नौ साल की थी, तभी उनकी माता-पिता दोनों की मृत्यु हो गई थी। इसलिए उन्हें और उनके छोटे भाई अंबलाल साराभाई और एक छोटी बहन को उनके चाचा के साथ रहने के लिए भेजा गया था। अनसूया साराभाई की शादी 13 साल की उम्र में ही हो गई थी। उनका विवाहित जीवन बेहद अल्पकालिक और दुःखद था। सन 1912 में अपने भाई की सहायता से मेडिकल डिग्री के लिए [[इंग्लैंड]] चली गईं, लेकिन जब उन्हें पता चला कि एक मेडिकल डिग्री प्राप्त करने में उन्हें पशु विच्छेदण जैसे क्रियाकलापों को गुजरना पड़ेगा जो उनके जैन विश्वासों का भी विपरीत था, तभी उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई छोड़ दी है और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्रवेश किया। इंग्लैंड में प्रवास के दौरान वे फेबियन सोसाइटी से प्रभावित हुए और वे सहृगेट आंदोलन में शामिल हो गई थी। | ||
==राजनीतिक जीवन== | ==राजनीतिक जीवन== | ||
भारत आने के बाद उन्होंने महिलाओं और | भारत आने के बाद उन्होंने महिलाओं और ग़रीबों का भलाई के लिए काम करना शुरू किया। उन्होंने इस दिशा में एक स्कूल भी खोला। अहमदाबाद में सन 1914 में श्रम आंदोलन में शामिल होने का फैसला किया। इस दौरान वह एक महीने लंबी चली हड़ताल में भी शामिल रहीं। बुनकर मजदूरी में 50 प्रतिशत वृद्धि की मांग कर रहे थे, लेकिन उनको 20 प्रतिशत की वृद्धि ही मिल रही थी, जिसके बाद उन्होंने हड़ताल की थी। इस दौरान महात्मा गांधी साराभाई के गुरू के रूप में उनका मार्गदर्शन कर रहे थे। गांधी जी ने भी श्रमिकों की ओर से भूख हड़ताल शुरू कर दी, तब जाकर श्रमिकों को 35 प्रतिशत वृद्धि हासिल हुई थी। इसके बाद सन 1920 में मजदूर महाजन संघ स्थापना हुई थी। | ||
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साराभाई को मोटाबेन भी कहा जाता था, जो कि [[गुजराती भाषा|गुजराती]] में बड़ी बहन को संबोधित करता है। साराभाई भारतीय स्वयं-रोजगार महिला संगठन के संस्थापक एला भट्ट के परामर्शदाता की भूमिका में भी रहीं। साराभाई की मृत्यु 1972 में 87 वर्ष की आयु में हुई थी। | साराभाई को मोटाबेन भी कहा जाता था, जो कि [[गुजराती भाषा|गुजराती]] में बड़ी बहन को संबोधित करता है। साराभाई भारतीय स्वयं-रोजगार महिला संगठन के संस्थापक एला भट्ट के परामर्शदाता की भूमिका में भी रहीं। साराभाई की मृत्यु 1972 में 87 वर्ष की आयु में हुई थी। | ||
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*[https://khabar.ndtv.com/news/zara-hatke/google-gave-tribute-to-anasuya-sarabhai-by-doodle-1774073 अनसूया साराभाई को इस अंदाज़में गूगल ने किया याद] | |||
*[https://aajtak.intoday.in/education/story/google-doodle-on-anasuya-sarabhai-tedu-1-963999.html गूगल का डूडल 'अनसूया साराभाई' को समर्पित] | |||
*[https://navbharattimes.indiatimes.com/education/gk-/know-who-was-anasuya-sarabhai/articleshow/61602265.cms गूगल डूगल में आज अनसूया साराभाई] | |||
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06:38, 10 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण
अनसूया साराभाई
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पूरा नाम | अनसूया साराभाई |
जन्म | 11 नवंबर, 1885 |
जन्म भूमि | अहमदाबाद, गुजरात |
मृत्यु | 1972 (आयु- 87 वर्ष) |
प्रसिद्धि | सामाजिक कार्यकर्ता |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | सन 1920 में इन्होंने मजदूर महाजन संघ की स्थापना की, जो भारत के टेक्सटाइल श्रमिकों का सबसे पुराना संघ है। |
अनसूया साराभाई (अंग्रेज़ी: Anasuya Sarabhai, जन्म: 11 नवंबर, 1885 - मृत्यु: 1972) एक प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और भारत में स्त्री श्रम आन्दोलन की अग्रदूत थीं। उन्होंने 1920 में अहमदाबाद में मजदूर महाजन संघ की स्थापना की, जो भारत के टेक्सटाइल श्रमिकों के सबसे पुराना संघ है।
जीवन परिचय
अनसूया साराभाई का जन्म 11 नवंबर 1885 को अहमदाबाद में साराभाई परिवार में हुआ, जो कि एक उद्योगपति और व्यापारिक लोगों के एक धनी परिवार में से था। लंदन से पढ़ाई कर भारत लौटने के बाद ग़रीबों की भलाई के लिए काम करना शुरू किया। उन्होंने 36 घंटे की शिफ्ट खत्म करने के बाद थक कर घर लौट रहीं महिला मिल के मजदूरों की दयनीय स्थिति देखा, जिसके बाद उन्होंने मजदूर आंदोलन करने का फैसला किया। सन 1918 में उन्होंने हड़ताल में कपड़ा कामगारों को संगठित करने में मदद की और महीने भर चली इस हड़ताल में वो शामिल रहीं।
प्रारंभिक शिक्षा
अनसूया साराभाई जब नौ साल की थी, तभी उनकी माता-पिता दोनों की मृत्यु हो गई थी। इसलिए उन्हें और उनके छोटे भाई अंबलाल साराभाई और एक छोटी बहन को उनके चाचा के साथ रहने के लिए भेजा गया था। अनसूया साराभाई की शादी 13 साल की उम्र में ही हो गई थी। उनका विवाहित जीवन बेहद अल्पकालिक और दुःखद था। सन 1912 में अपने भाई की सहायता से मेडिकल डिग्री के लिए इंग्लैंड चली गईं, लेकिन जब उन्हें पता चला कि एक मेडिकल डिग्री प्राप्त करने में उन्हें पशु विच्छेदण जैसे क्रियाकलापों को गुजरना पड़ेगा जो उनके जैन विश्वासों का भी विपरीत था, तभी उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई छोड़ दी है और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्रवेश किया। इंग्लैंड में प्रवास के दौरान वे फेबियन सोसाइटी से प्रभावित हुए और वे सहृगेट आंदोलन में शामिल हो गई थी।
राजनीतिक जीवन
भारत आने के बाद उन्होंने महिलाओं और ग़रीबों का भलाई के लिए काम करना शुरू किया। उन्होंने इस दिशा में एक स्कूल भी खोला। अहमदाबाद में सन 1914 में श्रम आंदोलन में शामिल होने का फैसला किया। इस दौरान वह एक महीने लंबी चली हड़ताल में भी शामिल रहीं। बुनकर मजदूरी में 50 प्रतिशत वृद्धि की मांग कर रहे थे, लेकिन उनको 20 प्रतिशत की वृद्धि ही मिल रही थी, जिसके बाद उन्होंने हड़ताल की थी। इस दौरान महात्मा गांधी साराभाई के गुरू के रूप में उनका मार्गदर्शन कर रहे थे। गांधी जी ने भी श्रमिकों की ओर से भूख हड़ताल शुरू कर दी, तब जाकर श्रमिकों को 35 प्रतिशत वृद्धि हासिल हुई थी। इसके बाद सन 1920 में मजदूर महाजन संघ स्थापना हुई थी।
निधन
साराभाई को मोटाबेन भी कहा जाता था, जो कि गुजराती में बड़ी बहन को संबोधित करता है। साराभाई भारतीय स्वयं-रोजगार महिला संगठन के संस्थापक एला भट्ट के परामर्शदाता की भूमिका में भी रहीं। साराभाई की मृत्यु 1972 में 87 वर्ष की आयु में हुई थी।
गूगल के डूडल द्वारा सम्मान
गूगल अपने डूडल के जरिए दुनिया भर की महान हस्तियों को याद करता है। 11 नवंबर, 2017 को सर्च इंजन गूगल ने अनसूया साराभाई के 132वें जन्मदिन पर डूडल उनको समर्पित किया है। वह एक सामाजिक कार्यकर्ता थीं, उन्हें बुनकरों और टेक्सटाइल उद्योग में मजदूरों की लड़ाई लड़ने के लिए भी जाना जाता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
- अनसूया साराभाई को इस अंदाज़में गूगल ने किया याद
- गूगल का डूडल 'अनसूया साराभाई' को समर्पित
- गूगल डूगल में आज अनसूया साराभाई
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