"मज्म उल बहरैन": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
(''''मज्म उल बहरैन''' (अंग्रेज़ी: ''Majma-Ul-Bahrain'') दारा शिकोह द...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
 
(एक दूसरे सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
'''मज्म उल बहरैन''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Majma-Ul-Bahrain'') [[दारा शिकोह]] द्वारा लिखित तुलनात्मक धर्म पर एक पुस्तक है। यह [[सूफ़ी मत|सूफ़ी]] और [[वेदांत|वेदांतिक]] अटकलों के बीच रहस्यमय और बहुलवादी समानताओं के एक रहस्योद्घाटन के लिए समर्पित थी। यह धर्मों की विविधता और [[इस्लाम]] तथा [[हिंदू धर्म]] और अन्य धर्मों की एकता दोनों का पता लगाने के लिए सबसे शुरुआती कार्यों में से एक थी।<br />
[[चित्र:Majma-Ul-Bahrain.jpg|thumb|250px|मज्म उल बहरैन]]
'''मज्म उल बहरैन''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Majma-Ul-Bahrain'') [[दारा शिकोह]] द्वारा लिखित तुलनात्मक [[धर्म]] पर एक पुस्तक है। यह [[सूफ़ी मत|सूफ़ी]] और [[वेदांत|वेदांतिक]] अटकलों के बीच रहस्यमय और बहुलवादी समानताओं के एक रहस्योद्घाटन के लिए समर्पित थी। यह धर्मों की विविधता और [[इस्लाम]] तथा [[हिंदू धर्म]] और अन्य धर्मों की एकता दोनों का पता लगाने के लिए सबसे शुरुआती कार्यों में से एक थी।<br />
<br />
<br />
*यह पुस्तक 1654-1655 ई. में [[फारसी भाषा|फारसी]] में एक संक्षिप्त ग्रंथ के रूप में लिखी गई थी। इसके [[हिंदी]] संस्करण को 'समुद्र संगम ग्रंथ' कहा जाता है।
*यह पुस्तक 1654-1655 ई. में [[फारसी भाषा|फारसी]] में एक संक्षिप्त ग्रंथ के रूप में लिखी गई थी। इसके [[हिंदी]] संस्करण को 'समुद्र संगम ग्रंथ' कहा जाता है।
पंक्ति 10: पंक्ति 11:
#उपनिषद
#उपनिषद


*दारा शिकोह की 'मज्म उल बहरैन' पुस्तक काफी मशहूर हुई और यह मुग़लकालीन किताबों में एक अहम् किताब मानी जाती है।
*दारा शिकोह की 'मज्म उल बहरैन' पुस्तक काफ़ी मशहूर हुई और यह मुग़लकालीन क़िताबों में एक अहम् क़िताब मानी जाती है।
*इस किताब में दारा ने यह कोशिश की कि इस्लाम और हिन्दू धर्म दोनों को समझते हुये इन धर्मों के सार को लोगों के सामने प्रस्तुत करें।
*इस क़िताब में दारा ने यह कोशिश की कि इस्लाम और हिन्दू धर्म दोनों को समझते हुए इन धर्मों के सार को लोगों के सामने प्रस्तुत करें।
*इस किताब में दारा का यह भी कहना था कि चार वेदों में भी एकेश्वरवाद मौजूद है, जैसा कि [[क़ुरान]] में है।
*इस क़िताब में दारा का यह भी कहना था कि चार [[वेद|वेदों]] में भी [[एकेश्वरवाद]] मौजूद है, जैसा कि [[क़ुरान]] में है।


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}

08:20, 14 मई 2021 के समय का अवतरण

मज्म उल बहरैन

मज्म उल बहरैन (अंग्रेज़ी: Majma-Ul-Bahrain) दारा शिकोह द्वारा लिखित तुलनात्मक धर्म पर एक पुस्तक है। यह सूफ़ी और वेदांतिक अटकलों के बीच रहस्यमय और बहुलवादी समानताओं के एक रहस्योद्घाटन के लिए समर्पित थी। यह धर्मों की विविधता और इस्लाम तथा हिंदू धर्म और अन्य धर्मों की एकता दोनों का पता लगाने के लिए सबसे शुरुआती कार्यों में से एक थी।

  • यह पुस्तक 1654-1655 ई. में फारसी में एक संक्षिप्त ग्रंथ के रूप में लिखी गई थी। इसके हिंदी संस्करण को 'समुद्र संगम ग्रंथ' कहा जाता है।
  • दारा शिकोह ने कई ग्रन्धों को पढ़ा था और वह सूफी तत्व को सही मानता था। उसकी छः मशहूर किताबें थीं-
  1. सफीनतुल औलिया
  2. स्कीन्तुल औलिया
  3. रिसाला इ हक़ नुमा
  4. हसनितुल आरफीन
  5. मजम उल बहरैन
  6. उपनिषद
  • दारा शिकोह की 'मज्म उल बहरैन' पुस्तक काफ़ी मशहूर हुई और यह मुग़लकालीन क़िताबों में एक अहम् क़िताब मानी जाती है।
  • इस क़िताब में दारा ने यह कोशिश की कि इस्लाम और हिन्दू धर्म दोनों को समझते हुए इन धर्मों के सार को लोगों के सामने प्रस्तुत करें।
  • इस क़िताब में दारा का यह भी कहना था कि चार वेदों में भी एकेश्वरवाद मौजूद है, जैसा कि क़ुरान में है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख