"हनुमान जी की आरती": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
छो (Adding category Category:हनुमान (को हटा दिया गया हैं।))
 
(3 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 6 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
[[चित्र:Hanuman.jpg|thumb|250|[[हनुमान]]<br /> Hanuman]]
[[चित्र:Hanuman.jpg|thumb|250|[[हनुमान]]<br /> Hanuman]]
<blockquote><span style="color: maroon"><poem>आरती कीजै हनुमान लला की ।
<blockquote><span style="color: blue"><poem>मनोजवं मारुत तुल्यवेगं,जितेन्द्रियं,बुद्धिमतां वरिष्ठम् |
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं, श्रीरामदुतं शरणम प्रपद्धे ||</poem></span></blockquote>


जाके बल से गिरिवर काँपे,
<blockquote><span style="color: maroon"><poem>आरती कीजै हनुमान लला की । दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
रोग दोष जाके निकट न झाँके।
अंजनि पुत्र महा बलदायी,
संतन के प्रभु सदा सहायी॥ आरती कीजै हनुमान लला की ।


दे बीड़ा रघुनाथ पठाये,  
जाके बल से गिरिवर काँपे, रोग दोष जाके निकट न झाँके।
लंका जाय सिया सुधि लाये ।
अंजनि पुत्र महा बलदायी, संतन के प्रभु सदा सहायी॥ आरती कीजै हनुमान लला की ।
लंका सौ कोटि समुद्र सी खाई,  
जात पवनसुत बार न लाई ॥ आरति कीजै हनुमान लला की ।


लंका जारि असुर संघारे,
दे बीड़ा रघुनाथ पठाये, लंका जाय सिया सुधि लाये
सिया रामजी के काज संवारे
लंका सौ कोटि समुद्र सी खाई, जात पवनसुत बार न लाई आरति कीजै हनुमान लला की ।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे,  
आन संजीवन प्राण उबारे आरती कीजै हनुमान लला की ।


पैठि पाताल तोड़ि यम कारे,  
लंका जारि असुर संघारे, सिया रामजी के काज संवारे
अहिरावन की भुजा उखारे
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे, आन संजीवन प्राण उबारे आरती कीजै हनुमान लला की ।
बाँये भुजा असुरदल मारे,  
दाहिने भुजा संत जन तारे आरति कीजै हनुमान लला की ।


सुर नर मुनि जन आरति उतारे,  
पैठि पाताल तोड़ि यम कारे, अहिरावन की भुजा उखारे
जय जय जय हनुमान उचारे
बाँये भुजा असुरदल मारे, दाहिने भुजा संत जन तारे आरति कीजै हनुमान लला की ।
कंचन थार कपूर लौ छाई,  
आरती करती अंजना माई आरती कीजै हनुमान लला की ।


जो हनुमान जी की आरति गावे,  
सुर नर मुनि जन आरति उतारे, जय जय जय हनुमान उचारे
बसि वैकुण्ठ परम पद पावे
कंचन थार कपूर लौ छाई, आरती करती अंजना माई ॥ आरती कीजै हनुमान लला की
आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥</poem></span></blockquote>


जो हनुमान जी की आरति गावे, बसि वैकुण्ठ परम पद पावे ।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥</poem></span></blockquote>
{{seealso|हनुमान बजरंग बाण|हनुमान चालीसा|संकटमोचन हनुमानाष्टक}}
{{प्रचार}}
{{लेख प्रगति
{{लेख प्रगति
|आधार=
|आधार=
पंक्ति 42: पंक्ति 34:


==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{आरती स्तुति स्त्रोत}}{{हनुमान2}}{{हनुमान}}
{{आरती स्तुति स्तोत्र}}{{हनुमान2}}{{हनुमान}}
[[Category:आरती स्तुति स्त्रोत]]
[[Category:आरती स्तुति स्तोत्र]]




__INDEX__
__INDEX__
[[Category:हिन्दू_धर्म_कोश]]
[[Category:हिन्दू_धर्म_कोश]]
[[Category:हनुमान]]

11:42, 29 जुलाई 2014 के समय का अवतरण

हनुमान
Hanuman

मनोजवं मारुत तुल्यवेगं,जितेन्द्रियं,बुद्धिमतां वरिष्ठम् |
वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं, श्रीरामदुतं शरणम प्रपद्धे ||

आरती कीजै हनुमान लला की । दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

जाके बल से गिरिवर काँपे, रोग दोष जाके निकट न झाँके।
अंजनि पुत्र महा बलदायी, संतन के प्रभु सदा सहायी॥ आरती कीजै हनुमान लला की ।

दे बीड़ा रघुनाथ पठाये, लंका जाय सिया सुधि लाये ।
लंका सौ कोटि समुद्र सी खाई, जात पवनसुत बार न लाई ॥ आरति कीजै हनुमान लला की ।

लंका जारि असुर संघारे, सिया रामजी के काज संवारे ।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे, आन संजीवन प्राण उबारे ॥ आरती कीजै हनुमान लला की ।

पैठि पाताल तोड़ि यम कारे, अहिरावन की भुजा उखारे ।
बाँये भुजा असुरदल मारे, दाहिने भुजा संत जन तारे ॥ आरति कीजै हनुमान लला की ।

सुर नर मुनि जन आरति उतारे, जय जय जय हनुमान उचारे ।
कंचन थार कपूर लौ छाई, आरती करती अंजना माई ॥ आरती कीजै हनुमान लला की ।

जो हनुमान जी की आरति गावे, बसि वैकुण्ठ परम पद पावे ।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

इन्हें भी देखें: हनुमान बजरंग बाण, हनुमान चालीसा एवं संकटमोचन हनुमानाष्टक


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख