"शनिदेव जी की आरती": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
('<blockquote><span style="color: maroon"><poem>जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी। स...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
(3 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 7 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
[[चित्र:shani-dev.jpg|thumb|250|[[शनिदेव]] <br />Shani Dev]]
<blockquote><span style="color: maroon"><poem>जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
<blockquote><span style="color: maroon"><poem>जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी॥ जय..
सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी॥ जय..
पंक्ति 14: पंक्ति 15:
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥ जय..</poem></span></blockquote>
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥ जय..</poem></span></blockquote>


{{लेख प्रगति
{{seealso|शनि देव|शनि चालीसा|शनिवार|शनि ग्रह}}
|आधार=आधार1
==संबंधित लेख==
|प्रारम्भिक=
{{आरती स्तुति स्तोत्र}}
|माध्यमिक=
[[Category:आरती स्तुति स्तोत्र]]
|पूर्णता=
[[Category:हिन्दू धर्म]] [[Category:हिन्दू धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]]  
|शोध=
}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
[[Category:नया पन्ना]]
__INDEX__
__INDEX__
[[Category:आरती_स्तुति_स्त्रोत]]

12:17, 21 मार्च 2014 के समय का अवतरण

शनिदेव
Shani Dev

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी॥ जय..

श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुजा धारी।
नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥ जय..

क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥ जय..

मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥ जय..

देव दनुज ऋषि मुनि सुमरिन नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥ जय..

इन्हें भी देखें: शनि देव, शनि चालीसा, शनिवार एवं शनि ग्रह

संबंधित लेख