"संत कबीर नगर ज़िला": अवतरणों में अंतर
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}} | }} | ||
{{लेख प्रगति | ==संत कबीर नगर ज़िला एक नजर में== | ||
|आधार= | राज्य - उत्तर प्रदेश <br> | ||
|प्रारम्भिक= | क्षेत्रफल - 1659.15 वर्ग किलोमीटर <br> | ||
|माध्यमिक= | जनसंख्या - 1,152,110 (1991 जनगणना) <br> | ||
|पूर्णता= | साक्षरता - 33 % (1991) <br> | ||
|शोध= | एस. टी. डी. (STD) कोड - 05547 <br> | ||
}} | अक्षांश - उत्तर <br> | ||
देशांतर - पूर्व <br> | |||
घूमने का समय - नवम्बर से मार्च <br> | |||
==संत कबीर नगर ज़िले का परिचय== | |||
संत कबीर नगर ज़िला उत्तरी भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के 70 ज़िलों में से एक है। जो पूर्वी उत्तर प्रदेश राज्य का एक ज़िला है। [[खलीलाबाद]] शहर, ज़िले का मुख्यालय है। संत कबीर नगर ज़िला बस्ती मंडल का एक हिस्सा है। | |||
देश 15वीं सदी से 21वीं सदी में प्रवेश कर गया लेकिन संत कबीर की निर्वाण स्थली आज भी उजाड़ है। समय की धारा के साथ संत कबीर नगर ने का़फी उतार-चढ़ाव देखे। पहले इसे खलीलाबाद कहा जाता था। फिर संत कबीर दास के नाम पर इसे संत कबीर नगर कहा जाने लगा। कबीर का नाम तो मिल गया लेकिन उनके जैसी प्रसिद्धि हासिल न हो सकी। कबीर की निर्वाण स्थली होने के बावजूद यह ज़िला पर्यटन के नक्शे से नदारद है। | |||
==संत कबीर नगर ज़िले की भौगोलिक विवरण== | |||
संत कबीर नगर ज़िले की सीमाएं उत्तर में सिद्धार्थनगर और महाराजगंज ज़िलों से, पूर्व में गोरखपुर ज़िले से, दक्षिण में अम्बेडकर नगर ज़िले से और पश्चित में बस्ती ज़िले से मिलती हैं। इस ज़िले का क्षेत्रफल 1659.15 वर्ग किलोमीटर है। | |||
बखीरा, हैंसर, मगहर और तामा आदि यहां के प्रमुख स्थलों में से हैं। घाघरा और राप्ती यहां की प्रमुख नदियां है। ज़िला स्थालकृतिक रूप से कई सारे विशिष्ट भागों में विभाजित है। दक्षिण में घाघरा की निचली घाटी, केंद्रीय ऊँची ज़मीन, और ताप्ती और अन्य नदियों के बीच निम्न धान के इलाके। | |||
लगभग 21 प्रतिशत जनसंख्या अनुसूचित जातियों की है। मुसलमान जनसंख्या का लगभग 24 प्रतिशत हिस्सा हैं। | |||
==संत कबीर नगर ज़िले का नामकरण== | |||
संत कबीर नगर ज़िला का नाम 15वीं शताब्दी के रहस्यवादी कवि सूफी संत कबीर के नाम पर रखा गया है, जो ज़िले में मगहर शहर में रहते थे। कबीर एक प्रसिद्ध संत, दर्शनिक और विचारक थे। जिनके मौत की कथा लोकप्रिय है जो भारत में स्कूलों में पढ़ाया जाता है। | |||
==संत कबीर नगर ज़िला बनने का इतिहास== | |||
संत कबीर नगर ज़िला 5 सितंबर, 1997 को बनाया गया था। इस नए ज़िले में बस्ती ज़िले के तत्कालीन बस्ती तहसील के 131 गांवों और सिद्धार्थ नगर ज़िले के तत्कालीन बांसी तहसील के 161 गांवों शामिल थे। 5 सितंबर 1997 से पहले यह बस्ती ज़िले का तहसील था। | |||
==संत कबीर नगर ज़िले का क्षेत्र विभाजन== | |||
इस ज़िले में तीन तहसील खलीलाबाद, मेहदावल और धनघटा है। इस ज़िले में तीन विधान सभा क्षेत्र खलीलाबाद, मेहदावल और धनघटा है। ये सभी संत कबीर नगर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा हैं। | |||
==संत कबीर नगर ज़िले के प्रमुख स्थान== | |||
;भगवान महादेव का तामेश्वरनाथ मंदिर | |||
खलीलाबाद से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित तामा गांव में महादेव मंदिर स्थित है। यह मंदिर भगवान तामेश्वर नाथ को समर्पित है। लोककथा के अनुसार मंदिर में स्थित मूर्ति तामा के समीप स्थित जंगल से प्राप्त हुई थी। राजा बंसी द्वारा इस प्रतिमा को मंदिर में स्थापित किया गया था। प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि के अवसर पर यहां बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। काफ़ी संख्या में भक्त इस मेले में सम्मिलित होते हैं। | |||
;संत कबीर का मगहर | |||
यह शहर ज़िला मुख्यालय के दक्षिण-पश्चिम से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह वही स्थान है जहां संत कवि कबीर की मृत्यु हुई थी। इस जगह पर संत कवि कबीर की एक मस्जिद स्थित है। इस मस्जिद में हिन्दू और मुसलमान दोनों ही पूरी श्रद्धा के साथ यहां आते हैं। 1567 में नवाब फिदाय खान ने इस मस्जिद का पुनर्निर्माण करवाया था। | |||
;बखीरा | |||
यह जगह [[खलीलाबाद]] से लगभग 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। विशेष रूप से यह जगह विशाल मोती झील के लिए जानी जाती है। माना जाता है कि इस झील का नाम नवाब सादत अली खान ने रखा था। सादत अली कभी-कभार इस जगह पर शिकार करने के लिए आया करते थे। बखीरा में लगने वाला बाज़ार भी काफ़ी प्रसिद्ध है। इस बाज़ार में पीतल और कांसे से जुड़े काम की मांग सबसे अधिक रहती है। इसी कारण मिर्जापुर, वाराणसी और मुरादाबाद आदि जगहों से थोक विक्रेता इस जगह पर ख़रीददारी के लिए आते हैं। | |||
;खलीलाबाद | |||
खलीलाबाद, संत कबीर नगर ज़िले का मुख्यालय है। इस जगह की स्थापना क़ाज़ीखलील-उर-रहमान ने की थी। उन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम खलीलाबाद रखा गया था। वर्तमान समय में यह जगह विशेष रूप से हाथ से बने कपड़ों के बाज़ार के लिए प्रसिद्ध है। इस बाज़ार को बरधाहिया बाज़ार के नाम से जाना जाता है। | |||
;हैंसर | |||
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के समय में हैंसर, सूर्यवंशी लाल जगत बहादुर से सम्बन्धित था। स्वतंत्रता संग्राम में लाल जगत बहादुर की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। प्रत्येक मंगलवार और शुक्रवार के दिन यहां साप्ताहिक बाज़ार लगता है। इस जगह का क्षेत्रफल केवल 91.4 हैक्टेयर है। | |||
==संत कबीर नगर ज़िले के प्रमुख मंदिर== | |||
* मेंहदावल के कुबेरनाथ और नगरवाली माता मंदिर और पक्का पोखरा | |||
* उत्तर पट्टी स्थित दुर्गा मंदिर, शीतला माता मंदिर | |||
* धनघटा क्षेत्र में हैहयेश्वरनाथ, बैजूनाथ, कंकणेश्वरनाथ, कोपिया शिवमंदिर, रामबागे, चांड़ीपुर | |||
* बखिरा में भंगेश्वरनाथ, तिघरा शिवमंदिर | |||
* बेलहर ब्लाक के दीघेश्वरनाथ | |||
* उसकाकलां की बनदेवी मंदिर | |||
* बरदहिया की सिद्धिदा माता मंदिर | |||
* विधियानी और लहुरादेवा के समय/सम्मय माता मंदिर | |||
* बेलहरकला स्थित भीतरी टोला में सिद्धेश्वरी माता मंदिर | |||
* ज़िला मुख्यालय खलीलाबाद स्थित समय माता मंदिर | |||
* ज़िले के कंकडेश्वर नाथ, रामजानकी शिव मन्दिर, हरिनारायण मंदिर | |||
* बिड़हर घाट, डिगेश्वरनाथ, नौरंगिया स्थित मंदिर | |||
==संत कबीर नगर ज़िले का यातायात व्यवस्था== | |||
;वायु मार्ग - | |||
सबसे निकटतम हवाई अड्डा इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। यह गाजियाबाद से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। | |||
;रेल मार्ग - | |||
रेलमार्ग द्वारा भारत के कई प्रमुख शहरों से यहां पहुंचा जा सकता है। | |||
;सड़क मार्ग - | |||
भारत के कई प्रमुख शहरों से सड़कमार्ग द्वारा संत कबीर नगर पहुंचा जा सकता है। | |||
==इतिहास में संत कबीर नगर== | |||
संत कबीर के दोहों और उनके संदेश का ही असर रहा कि खलीलुर्रहमान ने सर्व धर्म समभाव की भावना के साथ खलीलाबाद नगर बसाया जिसे वर्ष 1997 में ज़िला मुख्यालय का दर्ज़ा मिला। खलीलुर्रहमान मुग़ल शासन काल में दिल्ली में रहते थे, जहां उनकी मुलाकात मुग़ल बादशाह औरंगजेब से हुई। खलीलुर्रहमान की बुद्धिमता से प्रभावित होकर औरंगजेब ने उन्हें गोरखपुर परिक्षेत्र का चकलेदार एवं क़ाज़ीनियुक्त कर दिया। खलीलुर्रहमान ने गोरखपुर और बस्ती के बीच खलीलाबाद क़स्बा बसाया। वर्ष 1737 में उन्होंने शाही किला बनवाया। किले के अंदर मस्जिद का निर्माण भी कराया गया। खलीलुर्रहमान ने अपने पुश्तैनी गांव मगहर स्थित जामा मस्जिद से शाही किले तक आने-जाने के लिए सुरंग मार्ग भी बनवाया जो नौ किलोमीटर लंबा और 15 फीट चौड़ा है। इसी रास्ते से वह अपनी टमटम पर बैठकर किले तक जाते थे और वहां फरियादियों की दिक्कतोंको सुनकर इंसा़फ करते थे। किले और शाही रास्ते की सुरक्षा के लिए हर समय पहरेदारों की तैनाती रहती। गोरखपुर और बस्ती के बीच स्थित शाही किले खलीलाबाद को बारी (मुख्यालय) का दर्ज़ा हासिल था। मुग़ल शासनकाल में गोरखपुर का मुख्यालय खलीलाबाद ही था। खलीलाबाद जहां का तहां रह गया लेकिन गोरखपुर और बस्ती दोनों ही मंडल मुख्यालय बन चुके हैं। क़ाज़ीखलीलुर्रहमान की प्रसिद्धि इतनी फैली कि मगहर के एक मोहल्ले का नाम ही काजीपुर पड़ गया। क़ाज़ीखलीलुर्रहमान के वंशज आज भी अपने नाम के आगे क़ाज़ीशब्द जोड़ना नहीं भूलते हैं। क़ाज़ीका मतलब न्यायाधीश, जो उन्हें अपने ग़ौरवशाली अतीत की याद दिलाता है। बताया जाता है कि खलीलुर्रहमान एक बार मथुरा गए जहां उन्होंने कई हिंदू मंदिरों में दर्शन पूजन किया। कबीर का प्रभाव उनके मन-मस्तिष्क पर पहले से ही था, सर्व धर्म समभाव की अलख जगाने के लिए उन्होंने शाही किले में एक मंदिर का निर्माण भी कराया। मुग़ल शासन काल का अंत होने के साथ ही खलीलाबाद का वैभव भी फीका पड़ने लगा। शाही किले पर क़ब्ज़ा करने के मकसद से अंग्रेजों ने आक्रमण किया लेकिन उन्हें मुंह की खानी पड़ी. इसमें कई लोग शहीद भी हुए जिन पर समूचा खलीलाबाद आज भी गर्व करता है। शाही किले के अंदर पूरब दिशा में पहले तहसील कार्यालय हुआ करता था, जो अब डाक बंगला के सामने स्थानांतरित हो चुका है। किले के पश्चिमी हिस्से में स्थापित माता का मंदिर हिंदू समाज की आस्था का केंद्र है। | |||
शाही किला वर्तमान समय में पुलिस कोतवाली में तब्दील हो चुका है। किले के पीछे के हिस्से में पूरब दिशा में निकास स्थान का स्वरूप बदलकर इसे कोतवाली में बदल दिया गया है। राजनीतिक उपेक्षा और प्रशासनिक लापरवाही से यह धरोहर नष्ट होने को है। मगहर से खलीलाबाद तक नौ किलोमीटर लंबे शाही मार्ग के अब अवशेष ही बचे हैं। उन्हें डर है कि कहीं सरकार पर्यटन विभाग इसे अपने क़ब्ज़े में न कर ले। शाही किला हाथ से निकल गया और आज वह दुर्दशा का शिकार है। फिर इस सुरंग का भी बुरा हाल होगा. मगहर निवासी क़ाज़ीअदील अहमद बताते हैं कि 50 एकड़ क्षेत्रफल में फैले भू-भाग में उनके पूर्वज क़ाज़ीखलीलुर्रहमान ने शाही किले, मस्जिद, मंदिर और पोखरे का निर्माण कराया था, जो उनकी कौमी एकता की विचारधारा को पुष्ट करता है। वह गर्व से कहते हैं कि जाति धर्म से ऊपर उठकर क़ाज़ीखलीलुर्रहमान ने जो कार्य किए, वह इतिहास के पन्नों में उन्हें सदैव के लिए अमर कर गए हैं। क़ाज़ीअदील जानकारी देते हैं कि शाही किले में वर्ष 1953 में पुलिस थाना बनाया गया। किले के स्वरूप में बदलाव करते हुए इसके पिछले हिस्से को कोतवाली के मुख्य द्वार के रूप में तब्दील कर दिया गया। ख़ाली भूखंड पर पुलिसकर्मियों के लिए आवास बनवा दिए गए। क़ाज़ीअदील अहमद ने 50 एकड़ में फैले इस भू-भाग को अपनी ख़ानदानी संपत्ति बताते हुए शासन से इसे उनके परिवार के सुपुर्द करने की मांग भी की है। वहीं संत कबीर नगर के नागरिकों की मंशा है कि शासन प्रशासन के अधिकारी मगहर से शाही किले तक बनवाई गई सुरंग की सा़फ-सफाई कराकर उसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करे और पूरे हिस्से को राष्ट्रीय स्मारक का दर्ज़ा देकर उसका संरक्षण किया जाए। कबीर की निर्वाण स्थली और क़ाज़ीखलीलुर्रहमान के शाही किले के साथ ही पर्यटन के लिए इस ज़िले में रमणीय स्थलों की कमी नहीं है। इसके अलावा कई अन्य स्थान हैं जो पर्यटकों को सहज रूप में अपनी ओर आकर्षित करते हैं फिर भी पर्यटन के नक्शे पर संत कबीर नगर उपेक्षित है। | |||
==संत कबीर नगर ज़िले का संकेतक और आँकडे़== | |||
* '''जनसंख्या''' | |||
व्यक्ति = 1,420,226 <br> | |||
पुरुष = 719,465 <br> | |||
महिलाएँ = 700,761 <br> | |||
बच्चे (0 से 4 वर्ष) = 192,455 <br> | |||
दशकीय वृद्धि (1991-2001) = 23.64% <br> | |||
ग्रामीण = 1,319,675 (92.92%) <br> | |||
शहरी = 100,551 (7.08%) <br> | |||
लिंग अनुपात (प्रति 1000 महिलाएँ) = 974 <br> | |||
परिवार का आकार (प्रति परिवार) = 7 <br> | |||
अनु.जा. जनसंख्या = 300,902 (21.19%) <br> | |||
अनु.ज.जा. जनसंख्या = 307 (0.02%) <br> | |||
* '''सक्षरता दर''' | |||
व्यक्ति = 50.88 <br> | |||
पुरुष = 66.57 <br> | |||
महिलाएँ = 34.92 <br> | |||
* '''धार्मिक समूह (सबसे बड़े तीन)''' | |||
हिन्दू = 1,073,646 <br> | |||
मुसलमान = 341,154 <br> | |||
बौद्ध = 3,775 <br> | |||
* '''महत्त्वपूर्ण शहर (सबसे बड़े तीन)''' | |||
खलीलाबाद = 39,559 <br> | |||
मेहदावल = 24,662 <br> | |||
मगहर (माघार) = 15,850 <br> | |||
* '''गाँवों में सुविधाएं''' | |||
कुल आबाद गाँव = 1,576 <br> | |||
;निम्न सुविधाओं वाले गाँवः | |||
सुरक्षित पीने का पानी = 1,551 <br> | |||
बिजली (घरेलू) = 784 <br> | |||
प्राथमिक स्कूल = 691 <br> | |||
चिकित्सीय सुविधाएं = 262 <br> | |||
पक्की सड़कें = 832 <br> | |||
* '''स्वास्थ्य''' | |||
गर्भवती महिलाएँ - जिन्हें कम से कम तीन या अधिक प्रसवपूर्व जाँच प्राप्त हुईं = 24.7% <br> | |||
गर्भवती महिलाएँ - जिन्हें कम से कम टी.टी. की एक सुई लगी = 83.7% <br> | |||
महिलाएँ - जिनका संस्थागत प्रसव हुआ = 26.0% <br> | |||
12-23 माह के बच्चे जिनका पूर्ण टीकाकरण हुआ = 46.0% <br> | |||
12-23 माह के बच्चे जिन्हें विटामिन ए की कम से कम एक खुराक मिली = 40.8% <br> | |||
* '''महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना''' | |||
जॉब कार्ड प्राप्त परिवार = 132,567 <br> | |||
पैदा किए गए सामूहिक व्यक्ति दिवस रोज़गार = 1,430,115 <br> | |||
100 दिनों का रोज़गार पूरा करने वाले परिवार = 289 <br> | |||
{{प्रचार}} | |||
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{{संदर्भ ग्रंथ}} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> |
14:10, 6 अप्रैल 2015 के समय का अवतरण
संत कबीर नगर ज़िला
| |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
मुख्यालय | खलीलाबाद |
स्थापना | 5 सितंबर, 1997 ई. |
जनसंख्या | 1,152,110 (2001) |
क्षेत्रफल | 1659.15 वर्ग किलोमीटर |
मंडल | बस्ती |
कुल ग्राम | 292 |
मुख्य ऐतिहासिक स्थल | हैंसर |
मुख्य पर्यटन स्थल | मगहर |
साक्षरता | 33 % (1991) % |
दूरभाष कोड | 05547 |
वाहन पंजी. | U.P.- 54 |
बाहरी कड़ियाँ | अधिकारिक वेबसाइट |
अद्यतन | 12:22, 8 अक्टूबर 2010 (IST)
|
संत कबीर नगर ज़िला एक नजर में
राज्य - उत्तर प्रदेश
क्षेत्रफल - 1659.15 वर्ग किलोमीटर
जनसंख्या - 1,152,110 (1991 जनगणना)
साक्षरता - 33 % (1991)
एस. टी. डी. (STD) कोड - 05547
अक्षांश - उत्तर
देशांतर - पूर्व
घूमने का समय - नवम्बर से मार्च
संत कबीर नगर ज़िले का परिचय
संत कबीर नगर ज़िला उत्तरी भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के 70 ज़िलों में से एक है। जो पूर्वी उत्तर प्रदेश राज्य का एक ज़िला है। खलीलाबाद शहर, ज़िले का मुख्यालय है। संत कबीर नगर ज़िला बस्ती मंडल का एक हिस्सा है।
देश 15वीं सदी से 21वीं सदी में प्रवेश कर गया लेकिन संत कबीर की निर्वाण स्थली आज भी उजाड़ है। समय की धारा के साथ संत कबीर नगर ने का़फी उतार-चढ़ाव देखे। पहले इसे खलीलाबाद कहा जाता था। फिर संत कबीर दास के नाम पर इसे संत कबीर नगर कहा जाने लगा। कबीर का नाम तो मिल गया लेकिन उनके जैसी प्रसिद्धि हासिल न हो सकी। कबीर की निर्वाण स्थली होने के बावजूद यह ज़िला पर्यटन के नक्शे से नदारद है।
संत कबीर नगर ज़िले की भौगोलिक विवरण
संत कबीर नगर ज़िले की सीमाएं उत्तर में सिद्धार्थनगर और महाराजगंज ज़िलों से, पूर्व में गोरखपुर ज़िले से, दक्षिण में अम्बेडकर नगर ज़िले से और पश्चित में बस्ती ज़िले से मिलती हैं। इस ज़िले का क्षेत्रफल 1659.15 वर्ग किलोमीटर है।
बखीरा, हैंसर, मगहर और तामा आदि यहां के प्रमुख स्थलों में से हैं। घाघरा और राप्ती यहां की प्रमुख नदियां है। ज़िला स्थालकृतिक रूप से कई सारे विशिष्ट भागों में विभाजित है। दक्षिण में घाघरा की निचली घाटी, केंद्रीय ऊँची ज़मीन, और ताप्ती और अन्य नदियों के बीच निम्न धान के इलाके।
लगभग 21 प्रतिशत जनसंख्या अनुसूचित जातियों की है। मुसलमान जनसंख्या का लगभग 24 प्रतिशत हिस्सा हैं।
संत कबीर नगर ज़िले का नामकरण
संत कबीर नगर ज़िला का नाम 15वीं शताब्दी के रहस्यवादी कवि सूफी संत कबीर के नाम पर रखा गया है, जो ज़िले में मगहर शहर में रहते थे। कबीर एक प्रसिद्ध संत, दर्शनिक और विचारक थे। जिनके मौत की कथा लोकप्रिय है जो भारत में स्कूलों में पढ़ाया जाता है।
संत कबीर नगर ज़िला बनने का इतिहास
संत कबीर नगर ज़िला 5 सितंबर, 1997 को बनाया गया था। इस नए ज़िले में बस्ती ज़िले के तत्कालीन बस्ती तहसील के 131 गांवों और सिद्धार्थ नगर ज़िले के तत्कालीन बांसी तहसील के 161 गांवों शामिल थे। 5 सितंबर 1997 से पहले यह बस्ती ज़िले का तहसील था।
संत कबीर नगर ज़िले का क्षेत्र विभाजन
इस ज़िले में तीन तहसील खलीलाबाद, मेहदावल और धनघटा है। इस ज़िले में तीन विधान सभा क्षेत्र खलीलाबाद, मेहदावल और धनघटा है। ये सभी संत कबीर नगर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा हैं।
संत कबीर नगर ज़िले के प्रमुख स्थान
- भगवान महादेव का तामेश्वरनाथ मंदिर
खलीलाबाद से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित तामा गांव में महादेव मंदिर स्थित है। यह मंदिर भगवान तामेश्वर नाथ को समर्पित है। लोककथा के अनुसार मंदिर में स्थित मूर्ति तामा के समीप स्थित जंगल से प्राप्त हुई थी। राजा बंसी द्वारा इस प्रतिमा को मंदिर में स्थापित किया गया था। प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि के अवसर पर यहां बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। काफ़ी संख्या में भक्त इस मेले में सम्मिलित होते हैं।
- संत कबीर का मगहर
यह शहर ज़िला मुख्यालय के दक्षिण-पश्चिम से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह वही स्थान है जहां संत कवि कबीर की मृत्यु हुई थी। इस जगह पर संत कवि कबीर की एक मस्जिद स्थित है। इस मस्जिद में हिन्दू और मुसलमान दोनों ही पूरी श्रद्धा के साथ यहां आते हैं। 1567 में नवाब फिदाय खान ने इस मस्जिद का पुनर्निर्माण करवाया था।
- बखीरा
यह जगह खलीलाबाद से लगभग 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। विशेष रूप से यह जगह विशाल मोती झील के लिए जानी जाती है। माना जाता है कि इस झील का नाम नवाब सादत अली खान ने रखा था। सादत अली कभी-कभार इस जगह पर शिकार करने के लिए आया करते थे। बखीरा में लगने वाला बाज़ार भी काफ़ी प्रसिद्ध है। इस बाज़ार में पीतल और कांसे से जुड़े काम की मांग सबसे अधिक रहती है। इसी कारण मिर्जापुर, वाराणसी और मुरादाबाद आदि जगहों से थोक विक्रेता इस जगह पर ख़रीददारी के लिए आते हैं।
- खलीलाबाद
खलीलाबाद, संत कबीर नगर ज़िले का मुख्यालय है। इस जगह की स्थापना क़ाज़ीखलील-उर-रहमान ने की थी। उन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम खलीलाबाद रखा गया था। वर्तमान समय में यह जगह विशेष रूप से हाथ से बने कपड़ों के बाज़ार के लिए प्रसिद्ध है। इस बाज़ार को बरधाहिया बाज़ार के नाम से जाना जाता है।
- हैंसर
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के समय में हैंसर, सूर्यवंशी लाल जगत बहादुर से सम्बन्धित था। स्वतंत्रता संग्राम में लाल जगत बहादुर की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। प्रत्येक मंगलवार और शुक्रवार के दिन यहां साप्ताहिक बाज़ार लगता है। इस जगह का क्षेत्रफल केवल 91.4 हैक्टेयर है।
संत कबीर नगर ज़िले के प्रमुख मंदिर
- मेंहदावल के कुबेरनाथ और नगरवाली माता मंदिर और पक्का पोखरा
- उत्तर पट्टी स्थित दुर्गा मंदिर, शीतला माता मंदिर
- धनघटा क्षेत्र में हैहयेश्वरनाथ, बैजूनाथ, कंकणेश्वरनाथ, कोपिया शिवमंदिर, रामबागे, चांड़ीपुर
- बखिरा में भंगेश्वरनाथ, तिघरा शिवमंदिर
- बेलहर ब्लाक के दीघेश्वरनाथ
- उसकाकलां की बनदेवी मंदिर
- बरदहिया की सिद्धिदा माता मंदिर
- विधियानी और लहुरादेवा के समय/सम्मय माता मंदिर
- बेलहरकला स्थित भीतरी टोला में सिद्धेश्वरी माता मंदिर
- ज़िला मुख्यालय खलीलाबाद स्थित समय माता मंदिर
- ज़िले के कंकडेश्वर नाथ, रामजानकी शिव मन्दिर, हरिनारायण मंदिर
- बिड़हर घाट, डिगेश्वरनाथ, नौरंगिया स्थित मंदिर
संत कबीर नगर ज़िले का यातायात व्यवस्था
- वायु मार्ग -
सबसे निकटतम हवाई अड्डा इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। यह गाजियाबाद से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- रेल मार्ग -
रेलमार्ग द्वारा भारत के कई प्रमुख शहरों से यहां पहुंचा जा सकता है।
- सड़क मार्ग -
भारत के कई प्रमुख शहरों से सड़कमार्ग द्वारा संत कबीर नगर पहुंचा जा सकता है।
इतिहास में संत कबीर नगर
संत कबीर के दोहों और उनके संदेश का ही असर रहा कि खलीलुर्रहमान ने सर्व धर्म समभाव की भावना के साथ खलीलाबाद नगर बसाया जिसे वर्ष 1997 में ज़िला मुख्यालय का दर्ज़ा मिला। खलीलुर्रहमान मुग़ल शासन काल में दिल्ली में रहते थे, जहां उनकी मुलाकात मुग़ल बादशाह औरंगजेब से हुई। खलीलुर्रहमान की बुद्धिमता से प्रभावित होकर औरंगजेब ने उन्हें गोरखपुर परिक्षेत्र का चकलेदार एवं क़ाज़ीनियुक्त कर दिया। खलीलुर्रहमान ने गोरखपुर और बस्ती के बीच खलीलाबाद क़स्बा बसाया। वर्ष 1737 में उन्होंने शाही किला बनवाया। किले के अंदर मस्जिद का निर्माण भी कराया गया। खलीलुर्रहमान ने अपने पुश्तैनी गांव मगहर स्थित जामा मस्जिद से शाही किले तक आने-जाने के लिए सुरंग मार्ग भी बनवाया जो नौ किलोमीटर लंबा और 15 फीट चौड़ा है। इसी रास्ते से वह अपनी टमटम पर बैठकर किले तक जाते थे और वहां फरियादियों की दिक्कतोंको सुनकर इंसा़फ करते थे। किले और शाही रास्ते की सुरक्षा के लिए हर समय पहरेदारों की तैनाती रहती। गोरखपुर और बस्ती के बीच स्थित शाही किले खलीलाबाद को बारी (मुख्यालय) का दर्ज़ा हासिल था। मुग़ल शासनकाल में गोरखपुर का मुख्यालय खलीलाबाद ही था। खलीलाबाद जहां का तहां रह गया लेकिन गोरखपुर और बस्ती दोनों ही मंडल मुख्यालय बन चुके हैं। क़ाज़ीखलीलुर्रहमान की प्रसिद्धि इतनी फैली कि मगहर के एक मोहल्ले का नाम ही काजीपुर पड़ गया। क़ाज़ीखलीलुर्रहमान के वंशज आज भी अपने नाम के आगे क़ाज़ीशब्द जोड़ना नहीं भूलते हैं। क़ाज़ीका मतलब न्यायाधीश, जो उन्हें अपने ग़ौरवशाली अतीत की याद दिलाता है। बताया जाता है कि खलीलुर्रहमान एक बार मथुरा गए जहां उन्होंने कई हिंदू मंदिरों में दर्शन पूजन किया। कबीर का प्रभाव उनके मन-मस्तिष्क पर पहले से ही था, सर्व धर्म समभाव की अलख जगाने के लिए उन्होंने शाही किले में एक मंदिर का निर्माण भी कराया। मुग़ल शासन काल का अंत होने के साथ ही खलीलाबाद का वैभव भी फीका पड़ने लगा। शाही किले पर क़ब्ज़ा करने के मकसद से अंग्रेजों ने आक्रमण किया लेकिन उन्हें मुंह की खानी पड़ी. इसमें कई लोग शहीद भी हुए जिन पर समूचा खलीलाबाद आज भी गर्व करता है। शाही किले के अंदर पूरब दिशा में पहले तहसील कार्यालय हुआ करता था, जो अब डाक बंगला के सामने स्थानांतरित हो चुका है। किले के पश्चिमी हिस्से में स्थापित माता का मंदिर हिंदू समाज की आस्था का केंद्र है।
शाही किला वर्तमान समय में पुलिस कोतवाली में तब्दील हो चुका है। किले के पीछे के हिस्से में पूरब दिशा में निकास स्थान का स्वरूप बदलकर इसे कोतवाली में बदल दिया गया है। राजनीतिक उपेक्षा और प्रशासनिक लापरवाही से यह धरोहर नष्ट होने को है। मगहर से खलीलाबाद तक नौ किलोमीटर लंबे शाही मार्ग के अब अवशेष ही बचे हैं। उन्हें डर है कि कहीं सरकार पर्यटन विभाग इसे अपने क़ब्ज़े में न कर ले। शाही किला हाथ से निकल गया और आज वह दुर्दशा का शिकार है। फिर इस सुरंग का भी बुरा हाल होगा. मगहर निवासी क़ाज़ीअदील अहमद बताते हैं कि 50 एकड़ क्षेत्रफल में फैले भू-भाग में उनके पूर्वज क़ाज़ीखलीलुर्रहमान ने शाही किले, मस्जिद, मंदिर और पोखरे का निर्माण कराया था, जो उनकी कौमी एकता की विचारधारा को पुष्ट करता है। वह गर्व से कहते हैं कि जाति धर्म से ऊपर उठकर क़ाज़ीखलीलुर्रहमान ने जो कार्य किए, वह इतिहास के पन्नों में उन्हें सदैव के लिए अमर कर गए हैं। क़ाज़ीअदील जानकारी देते हैं कि शाही किले में वर्ष 1953 में पुलिस थाना बनाया गया। किले के स्वरूप में बदलाव करते हुए इसके पिछले हिस्से को कोतवाली के मुख्य द्वार के रूप में तब्दील कर दिया गया। ख़ाली भूखंड पर पुलिसकर्मियों के लिए आवास बनवा दिए गए। क़ाज़ीअदील अहमद ने 50 एकड़ में फैले इस भू-भाग को अपनी ख़ानदानी संपत्ति बताते हुए शासन से इसे उनके परिवार के सुपुर्द करने की मांग भी की है। वहीं संत कबीर नगर के नागरिकों की मंशा है कि शासन प्रशासन के अधिकारी मगहर से शाही किले तक बनवाई गई सुरंग की सा़फ-सफाई कराकर उसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करे और पूरे हिस्से को राष्ट्रीय स्मारक का दर्ज़ा देकर उसका संरक्षण किया जाए। कबीर की निर्वाण स्थली और क़ाज़ीखलीलुर्रहमान के शाही किले के साथ ही पर्यटन के लिए इस ज़िले में रमणीय स्थलों की कमी नहीं है। इसके अलावा कई अन्य स्थान हैं जो पर्यटकों को सहज रूप में अपनी ओर आकर्षित करते हैं फिर भी पर्यटन के नक्शे पर संत कबीर नगर उपेक्षित है।
संत कबीर नगर ज़िले का संकेतक और आँकडे़
- जनसंख्या
व्यक्ति = 1,420,226
पुरुष = 719,465
महिलाएँ = 700,761
बच्चे (0 से 4 वर्ष) = 192,455
दशकीय वृद्धि (1991-2001) = 23.64%
ग्रामीण = 1,319,675 (92.92%)
शहरी = 100,551 (7.08%)
लिंग अनुपात (प्रति 1000 महिलाएँ) = 974
परिवार का आकार (प्रति परिवार) = 7
अनु.जा. जनसंख्या = 300,902 (21.19%)
अनु.ज.जा. जनसंख्या = 307 (0.02%)
- सक्षरता दर
व्यक्ति = 50.88
पुरुष = 66.57
महिलाएँ = 34.92
- धार्मिक समूह (सबसे बड़े तीन)
हिन्दू = 1,073,646
मुसलमान = 341,154
बौद्ध = 3,775
- महत्त्वपूर्ण शहर (सबसे बड़े तीन)
खलीलाबाद = 39,559
मेहदावल = 24,662
मगहर (माघार) = 15,850
- गाँवों में सुविधाएं
कुल आबाद गाँव = 1,576
- निम्न सुविधाओं वाले गाँवः
सुरक्षित पीने का पानी = 1,551
बिजली (घरेलू) = 784
प्राथमिक स्कूल = 691
चिकित्सीय सुविधाएं = 262
पक्की सड़कें = 832
- स्वास्थ्य
गर्भवती महिलाएँ - जिन्हें कम से कम तीन या अधिक प्रसवपूर्व जाँच प्राप्त हुईं = 24.7%
गर्भवती महिलाएँ - जिन्हें कम से कम टी.टी. की एक सुई लगी = 83.7%
महिलाएँ - जिनका संस्थागत प्रसव हुआ = 26.0%
12-23 माह के बच्चे जिनका पूर्ण टीकाकरण हुआ = 46.0%
12-23 माह के बच्चे जिन्हें विटामिन ए की कम से कम एक खुराक मिली = 40.8%
- महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना
जॉब कार्ड प्राप्त परिवार = 132,567
पैदा किए गए सामूहिक व्यक्ति दिवस रोज़गार = 1,430,115
100 दिनों का रोज़गार पूरा करने वाले परिवार = 289
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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