"बणावली (हरियाणा)": अवतरणों में अंतर

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*[[हरियाणा]] के [[हिसार ज़िले]] में स्थित दो सांस्कृतिक अवस्थाओं के अवषेश मिले हैं।  
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*हड़प्पा पूर्व एवं [[हड़प्पा]]कालीन इस स्थल की खुदाई 1973-74 ई. में 'रवीन्द्र सिंह विष्ट' के नेतृत्व में की गयी।  
*हड़प्पा पूर्व एवं [[हड़प्पा]]कालीन इस स्थल की खुदाई 1973-74 ई. में 'रवीन्द्र सिंह विष्ट' के नेतृत्व में की गयी।  
*यहाँ से संस्कृति के तीन स्तर प्रकाश में आए हैं।-  
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#प्राक् सैंधव,
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#विकसित सैंधव   
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#उत्तर सैंधव।
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*यहाँ दुर्ग तथा निचला नगर अलग-अलग न होकर एक ही प्राचीर से घिरे थे।  
*यहाँ दुर्ग तथा निचला नगर अलग-अलग न होकर एक ही प्राचीर से घिरे थे।  
*एक मकान से धावन पात्र के साक्ष्य मिले हैं जो किसी धनी सौदागार के आवास की ओर संकेत करता है।  
*एक मकान से धावन पात्र के साक्ष्य मिले हैं जो किसी धनी सौदागार के आवास की ओर संकेत करता है।  
*एक दूसरे बड़े मकान से सोने, लजावर्द, कार्नेनियन के मनके, छोटे बटखरे मिले हैं, जिससे यह ज्ञात होता है कि यह किसी जौहरी का मक़ान रहा होगा।  
*एक दूसरे बड़े मकान से सोने, लजावर्द, कार्नेनियन के मनके, छोटे बटखरे मिले हैं, जिससे यह ज्ञात होता है कि यह किसी जौहरी का मक़ान रहा होगा।  
*इसके अतिरिक्त मिट्टी के बर्तन, गोलियाँ, मनके, तांबे के बाण्राग, हल की आकृति के खिलौने आदि मिले हैं।  
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*बनवाली में जल निकास प्रणाली का अभाव दिखाई देता है।  
*बनवाली में जल निकास प्रणाली का अभाव दिखाई देता है।  
*बणावली की नगर योजना- शतरंज के बिसात या जाल के आकार की बनायी गयी थी।  
*बणावली की नगर योजना- शतरंज के बिसात या जाल के आकार की बनायी गयी थी।  
*सड़कें न तो सीधी मिलती थी न तो एक दूसरे को समकोण पर काटती थी।
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07:11, 23 जुलाई 2012 के समय का अवतरण

बणावली हरियाणा के हिसार ज़िले में स्थित यहाँ से दो सांस्कृतिक अवस्थाओं के अवषेश मिले हैं।

  • हड़प्पा पूर्व एवं हड़प्पाकालीन इस स्थल की खुदाई 1973-74 ई. में 'रवीन्द्र सिंह विष्ट' के नेतृत्व में की गयी।
  • यहाँ से संस्कृति के तीन स्तर प्रकाश में आए हैं।-
  1. प्राक् सैंधव
  2. विकसित सैंधव
  3. उत्तर सैंधव
  • यहाँ दुर्ग तथा निचला नगर अलग-अलग न होकर एक ही प्राचीर से घिरे थे।
  • एक मकान से धावन पात्र के साक्ष्य मिले हैं जो किसी धनी सौदागार के आवास की ओर संकेत करता है।
  • एक दूसरे बड़े मकान से सोने, लजावर्द, कार्नेनियन के मनके, छोटे बटखरे मिले हैं, जिससे यह ज्ञात होता है कि यह किसी जौहरी का मक़ान रहा होगा।
  • इसके अतिरिक्त मिट्टी के बर्तन, गोलियाँ, मनके, तांबे के बाण्राग, हल की आकृति के खिलौने आदि मिले हैं।
  • बनवाली में जल निकास प्रणाली का अभाव दिखाई देता है।
  • बणावली की नगर योजना- शतरंज के बिसात या जाल के आकार की बनायी गयी थी।
  • सड़कें न तो सीधी मिलती थी न तो एक दूसरे को समकोण पर काटती थी।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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