"यशोवर्मन": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "{{लेख प्रगति" to "{{प्रचार}} {{लेख प्रगति") |
No edit summary |
||
(2 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
'''यशोवर्मन''' (925-950 ई.) [[जेजाकभुक्ति]] अर्थात आधुनिक [[बुन्देलखण्ड]] का [[चन्देल वंश|चन्देल]] राजा था। उसका शासन काल लगभग दसवीं शताब्दी है। यशोवर्मन के शासन काल चन्देलों की शक्ति अपने चरमोत्कर्ष पर थी। वह चन्देल वंश का सबसे प्रतापी राजा माना जाता है। | |||
*यशोवर्मन ने प्रतिहारों से कालिंजर छीन लिया और [[प्रतिहार साम्राज्य|प्रतिहार]] राजा [[देवपाल (प्रतिहार वंश)|देवपाल]] को पराजित किया। | |||
*कालिंजर को जीतने के बाद यशोवर्मन के राज्य की सीमा [[गंगा नदी|गंगा]] एवं [[यमुना नदी|यमुना]] तक विस्तृत हो गई थी। | |||
*[[खजुराहो]] में प्राप्त एक लेख के वर्णन के आधार पर यशोवर्मन को [[गौड़]], खस, [[कोशल]], [[मालवा]], [[चेदि]], [[कुरु]], गुर्जर आदि का विजेता माना जाता है। | |||
*विजेता होने के साथ ही निर्माता के रूप में यशोवर्मन ने [[खजुराहो]] में एक विशाल 'विष्णु मन्दिर', जो कि "[[कन्दारिया महादेव मन्दिर]]" के नाम से प्रसिद्ध है, का निर्माण करवाया। इस मन्दिर को 'चतुर्भुज मंदिर' भी कहा जाता है तथा मंदिर में वैकुण्ठ की मूर्ति यशोवर्मन ने स्थापित करायी थी। | |||
*यशोवर्मन सम्भवत: 950 ई. में स्वर्गवासी हुआ और [[धंगदेव]] उसका उत्तराधिकारी बना। | |||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=|माध्यमिक=माध्यमिक2|पूर्णता=|शोध=}} | |||
{{लेख प्रगति | |||
|आधार= | |||
|प्रारम्भिक= | |||
|माध्यमिक=माध्यमिक2 | |||
|पूर्णता= | |||
|शोध= | |||
}} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{चन्देल वंश}} | {{चन्देल वंश}} | ||
[[Category:चन्देल वंश]][[Category:भारत के राजवंश]][[Category:चरित कोश]][[Category:इतिहास कोश]] | |||
[[Category:इतिहास कोश]] | |||
__INDEX__ | __INDEX__ |
10:18, 23 जुलाई 2013 के समय का अवतरण
यशोवर्मन (925-950 ई.) जेजाकभुक्ति अर्थात आधुनिक बुन्देलखण्ड का चन्देल राजा था। उसका शासन काल लगभग दसवीं शताब्दी है। यशोवर्मन के शासन काल चन्देलों की शक्ति अपने चरमोत्कर्ष पर थी। वह चन्देल वंश का सबसे प्रतापी राजा माना जाता है।
- यशोवर्मन ने प्रतिहारों से कालिंजर छीन लिया और प्रतिहार राजा देवपाल को पराजित किया।
- कालिंजर को जीतने के बाद यशोवर्मन के राज्य की सीमा गंगा एवं यमुना तक विस्तृत हो गई थी।
- खजुराहो में प्राप्त एक लेख के वर्णन के आधार पर यशोवर्मन को गौड़, खस, कोशल, मालवा, चेदि, कुरु, गुर्जर आदि का विजेता माना जाता है।
- विजेता होने के साथ ही निर्माता के रूप में यशोवर्मन ने खजुराहो में एक विशाल 'विष्णु मन्दिर', जो कि "कन्दारिया महादेव मन्दिर" के नाम से प्रसिद्ध है, का निर्माण करवाया। इस मन्दिर को 'चतुर्भुज मंदिर' भी कहा जाता है तथा मंदिर में वैकुण्ठ की मूर्ति यशोवर्मन ने स्थापित करायी थी।
- यशोवर्मन सम्भवत: 950 ई. में स्वर्गवासी हुआ और धंगदेव उसका उत्तराधिकारी बना।
|
|
|
|
|