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[[छत्तीसगढ़]] (प्राचीन दक्षिण कोसल) के क्षेत्र का मुख्य नगर है।  
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'''रायपुर''' शहर [[छत्तीसगढ़]] राज्य की राजधानी है और यह मध्य [[भारत]] में स्थित है। रायपुर शहर छत्तीसगढ़ (प्राचीन दक्षिण कोसल) के क्षेत्र का मुख्य नगर है। रायपुर शहर का क्षेत्रफल 55.03 वर्ग किमी है और यहाँ कोई उल्लेखनीय प्राचीन इमारत नहीं हैं।
==इतिहास==
==इतिहास==
इसकी स्थापना सम्भवतः 14वीं शती के अन्तिम चरण में हुई थी। खलारी के कलचुरी [[नरेश राजा सिंहा]] ने प्रभम बार यहाँ अपनी राजधानी बनाई।  
यहाँ की बस्ती की स्थापना 14 वीं शताब्दी में रतनपुर राजवंश के राय ब्रह्मदेव ने की थी। [[खलारी]] के कलचुरी नरेश राजा सिंहा ने प्रथम बार यहाँ अपनी राजधानी बनाई। यह भूतपूर्व छत्तीसगढ़ रियासत मंडल का मुख्यालय था और [[1867]] में इसे नगरपालिका बनाया गया। आजकल यह दक्षिण-पूर्वी रेलवे का एक प्रमुख जंक्शन है। 15 वीं शताब्दी के क़िले में अनेक मन्दिर है, जो महत्त्वपूर्ण नहीं हैं। इन्हें रूढ़िगत शैली में पुरानी सामग्री से बनाया गया है। भवानी का मन्दिर सर्वाधिक प्रसिद्ध है, जिसका पुनर्निर्माण शहर के सबसे प्राचीन मंदिर स्थल पर [[भग्नावशेष]] सामग्री से किया गया है। शहर में बूढ़ा तालाब और महाराज जी बांध जैसे कई जलाशय हैं, जो दरअसल बड़ी झीलें हैं। रायपुर में महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय है, जिसमें प्राचीन महत्त्व के अभिलेख मूर्तियाँ सिक्के और प्राकृतिक इतिहास व मानव विज्ञान से संबंधित सामग्री संग्रहीत है।
==मन्दिर==
 
रायपुर में एक मध्ययुगीन दुर्ग भी है। जिसके अन्दर कई प्राचीन मन्दिर हैं। रायपुर का सर्वश्रेष्ठ मन्दिर [[दूधाधारी महाराज]] के नाम से प्रसिद्ध है। इसमें बहुत से भाग श्रीपुर या [[सिरपुर]] के कलावशेषों से निर्मित किए गए हैं। इनमें मुख्य पत्थर के स्तम्भ हैं, जिन पर [[हिन्दू]] देवी-देवताओं की अनेक मूर्तियाँ खुदी हुई हैं। मन्दिर के शिखर के निचले भाग में [[रामायण]] की कथा के कुछ सुन्दर दृश्य उत्कीर्ण हैं। जो अधिक प्राचीन नहीं हैं। प्रदक्षिणापथ के गवाक्ष में [[नृसिंहावतार]] की मूर्ति तथा अन्य मूर्तियाँ स्थापित हैं। ये सिरपुर से लाई गई थीं। ये उच्चकोटि की मूर्तिकला के उदाहरण हैं। इस मन्दिर तथा [[संलग्न मठ]] का निर्माण दूधाधारी महाराज के द्वारा भौंसले राजाओं के समय में किया गया था। इससे पहले छत्तीसगढ़ में तांत्रिक सम्प्रदाय का बहुत ज़ोर था। दूधाधारी महाराज ने प्रान्त की नवीन सांस्कृतिक चेतना के उदबोधन में प्रमुख भाग लिया और तांत्रिक सम्प्रदाय की भ्रष्ट परम्पराओं को वैष्णव मत की सुरुचि सम्पन्न मान्यताओं द्वारा परिष्कृत करने में महत्त्वपूर्ण योग दिया था। रायपुर से राजा [[महासौदेवराज]] का सरभपुर नामक ग्राम से प्रचलित किया गया एक ताम्रदानपट्ट प्राप्त हुआ है। जिसके अभिलेख से यह गुप्तकालीन सिद्ध होता है। इसमें [[सौदेवराज]] द्वारा पूर्वराष्ट्र में स्थित श्रीसाहिक नामक ग्राम को दो [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] को दान में दिए जाने का उल्लेख है।
==उद्योग और व्यापार==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
रायपुर व्यापार और वाणिज्य का सक्रिय केंद्र है। यहाँ [[चावल]], [[दलहन]] और [[तिलहन]] मिलें काफ़ी संख्या में हैं। अन्य उद्योगों में हथकरघे पर सूती वस्त्रों की बुनाई, फर्नीचर निर्माण, हार्डवेयर, ट्रांजिस्टर के कलपुर्जे, इलेक्ट्रॉनिक्स के सामान, बीड़ी निर्माण, प्लास्टिक की थैलियाँ लकड़ी की चिराई व तख्तें, छापाख़ाने व एल्युमिनियम और पीतल व कांसे की वस्तुओं का निर्माण शामिल हैं। यह खाद्य-प्रसंस्करण (चावल, गेहूँ, कपास और तिलहन) और आरा मिलों का केंद्र है। यह भी उल्लेखनीय है कि [[छत्तीसगढ़]] राज्य का पहला दैनिक समाचार पत्र 'महाकौशल' रायपुर से ही प्रकाशित हुआ था।
* ऐतिहासिक स्थानावली से पेज संख्या 794-795 | विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, [[भारत]] सरकार
==यातायात और परिवहन==
{{प्रचार}}
यह [[आंध्र प्रदेश]] राज्य के [[विजयनगर]] और [[विशाखापट्टनम]] बंदरगाह से रेलमार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। यह पूरे देश से सड़कमार्ग, वायुमार्ग और रेलमार्ग द्वारा अच्छी तहर से जुड़ा हुआ है।
;<u>वायु मार्ग</u>
[[भुवनेश्वर]], [[भोपाल]], [[जबलपुर]] और [[दिल्ली]] से रायपुर के लिए नियमित वायु सेवा हैं जिनसे पर्यटक आसानी से रायपुर तक पहुँच सकते हैं।
;<u>रेल मार्ग</u>
दक्षिण-पूर्व रेलवे ने [[नागपुर]]-[[कोलकाता]] रेलवे लाईन पर पर्यटकों की सुविधा के लिए स्टेशन का निर्माण किया है। अत: पर्यटक रेल द्वारा भी आसानी से रायपुर तक पहुँच सकते हैं।
;<u>सड़क मार्ग</u>
राष्ट्रीय राजमार्ग 6 और 43 द्वारा पर्यटक आसानी से रायपुर तक पहुँच सकते हैं।   
==शिक्षण संस्थान==
रायपुर अध्ययन का महत्त्वपूर्ण केंद्र है। यहाँ के [[कला]], [[विज्ञान]], वाणिज्य विधि, कृषि विज्ञान, इंजीनियरिंग, टेक्नोलॉजी, औषधी विज्ञान (आयुर्वेदिक और ऐलोपैथिक) और प्राच्य भाषाओं के कॉलेज यहीं स्थित रविशंकर शुक्ला विश्वविद्यालय ([[1964]]) से संबद्ध हैं।
*छत्तीसगढ़ में दूरदर्शन की शुरुआत सर्वप्रथम रायपुर से हुई थी। दूरदर्शन द्वारा चलाये गये शिक्षण कार्यक्रमों से भी यहाँ के जीवन स्तर में सुधार आया है।
*रायपुर में अनेक संगीत अकादमियां एक संग्रहालय, एक क्षयरोग अस्पताल और चावल व रेशम व्यवसाय के प्रायोगिक फ़ार्म भी हैं।
*छत्तीसगढ़ राज्य का एकमात्र 'कैंसर चिकित्सा केंद्र' रायपुर में ही स्थापित है, जहाँ कैंसर के रोगों का इलाज किया जाता है।
*रायपुर में [[छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग]] का मुख्यालय भी है।
 
==पर्यटन==
[[चित्र:International-Cricket-Stadium-Raipur.jpg|thumb|250px|left|अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम, रायपुर]]
रायपुर की प्राकृतिक सुन्दरता पर्यटकों को बहुत आकर्षित करती है। उनके खाने-पीने और ठहरने के लिए यहां पर अनेक होटलों और रिसोर्टो का निर्माण किया गया है। अत: छुट्टियां बिताने के लिए रायपुर बेहतरीन पर्यटक स्थल है। रायपुर के पर्यटन स्थलों में नगरघड़ी है। यह हर घंटे के बाद छत्तीसगढ़ी लोक संगीत सुनाती है। चम्पारन, संत वल्लभाचार्य मन्दिर, तुरतुरिया झरना आदि यहाँ के मुख्य पर्यटन स्थल है। छत्तीसगढ़ राज्य के प्रमुख अभयरण्यों में से एक 'सीता नदी राष्ट्रीय अभयारण्य' रायपुर में ही स्थित है, जो यहाँ की प्रगति और आने वाले पर्यटकों के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है।
;<u>मन्दिर</u>
रायपुर में एक मध्ययुगीन दुर्ग भी है। जिसके अन्दर कई प्राचीन मन्दिर हैं। रायपुर का सर्वश्रेष्ठ मन्दिर [[दूधाधारी महाराज]] के नाम से प्रसिद्ध है। इसमें बहुत से भाग [[श्रीपुर]] या [[सिरपुर (छत्तीसगढ़)|सिरपुर]] के कलावशेषों से निर्मित किए गए हैं। इनमें मुख्य पत्थर के स्तम्भ हैं, जिन पर [[हिन्दू]] देवी-[[देवता|देवताओं]] की अनेक मूर्तियाँ खुदी हुई हैं। मन्दिर के शिखर के निचले भाग में [[रामायण]] की कथा के कुछ सुन्दर दृश्य उत्कीर्ण हैं। जो अधिक प्राचीन नहीं हैं। प्रदक्षिणापथ के गवाक्ष में [[नृसिंह अवतार|नृसिंहावतार]] की मूर्ति तथा अन्य मूर्तियाँ स्थापित हैं। ये सिरपुर से लाई गई थीं। ये उच्चकोटि की मूर्तिकला के उदाहरण हैं। इस मन्दिर तथा [[संलग्न मठ]] का निर्माण दूधाधारी महाराज के द्वारा भौंसले राजाओं के समय में किया गया था। इससे पहले छत्तीसगढ़ में तांत्रिक सम्प्रदाय का बहुत ज़ोर था। दूधाधारी महाराज ने प्रान्त की नवीन सांस्कृतिक चेतना के उदबोधन में प्रमुख भाग लिया और तांत्रिक सम्प्रदाय की भ्रष्ट परम्पराओं को वैष्णव मत की सुरुचि सम्पन्न मान्यताओं द्वारा परिष्कृत करने में महत्त्वपूर्ण योग दिया था। रायपुर से राजा [[महासौदेवराज]] का [[सरभपुर]] नामक [[ग्राम]] से प्रचलित किया गया एक ताम्रदानपट्ट प्राप्त हुआ है। जिसके अभिलेख से यह गुप्तकालीन सिद्ध होता है। इसमें [[सौदेवराज]] द्वारा पूर्वराष्ट्र में स्थित श्रीसाहिक नामक ग्राम को दो [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] को दान में दिए जाने का उल्लेख है।
 
==जनसंख्या==
[[2001]] की जनगणना के अनुसार रायपुर नगर निगम क्षेत्र की जनसंख्या 6,05,131 है, और [[रायपुर ज़िला|रायपुर ज़िले]] की जनसंख्या 30,09,042 है।
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
* ऐतिहासिक स्थानावली से पेज संख्या 794-795 | विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, [[भारत]] सरकार
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{प्रदेशों की राजधानी}}
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{{छत्तीसगढ़ के नगर}}
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08:23, 21 मई 2017 के समय का अवतरण

रायपुर

रायपुर शहर छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी है और यह मध्य भारत में स्थित है। रायपुर शहर छत्तीसगढ़ (प्राचीन दक्षिण कोसल) के क्षेत्र का मुख्य नगर है। रायपुर शहर का क्षेत्रफल 55.03 वर्ग किमी है और यहाँ कोई उल्लेखनीय प्राचीन इमारत नहीं हैं।

इतिहास

यहाँ की बस्ती की स्थापना 14 वीं शताब्दी में रतनपुर राजवंश के राय ब्रह्मदेव ने की थी। खलारी के कलचुरी नरेश राजा सिंहा ने प्रथम बार यहाँ अपनी राजधानी बनाई। यह भूतपूर्व छत्तीसगढ़ रियासत मंडल का मुख्यालय था और 1867 में इसे नगरपालिका बनाया गया। आजकल यह दक्षिण-पूर्वी रेलवे का एक प्रमुख जंक्शन है। 15 वीं शताब्दी के क़िले में अनेक मन्दिर है, जो महत्त्वपूर्ण नहीं हैं। इन्हें रूढ़िगत शैली में पुरानी सामग्री से बनाया गया है। भवानी का मन्दिर सर्वाधिक प्रसिद्ध है, जिसका पुनर्निर्माण शहर के सबसे प्राचीन मंदिर स्थल पर भग्नावशेष सामग्री से किया गया है। शहर में बूढ़ा तालाब और महाराज जी बांध जैसे कई जलाशय हैं, जो दरअसल बड़ी झीलें हैं। रायपुर में महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय है, जिसमें प्राचीन महत्त्व के अभिलेख मूर्तियाँ सिक्के और प्राकृतिक इतिहास व मानव विज्ञान से संबंधित सामग्री संग्रहीत है।

उद्योग और व्यापार

रायपुर व्यापार और वाणिज्य का सक्रिय केंद्र है। यहाँ चावल, दलहन और तिलहन मिलें काफ़ी संख्या में हैं। अन्य उद्योगों में हथकरघे पर सूती वस्त्रों की बुनाई, फर्नीचर निर्माण, हार्डवेयर, ट्रांजिस्टर के कलपुर्जे, इलेक्ट्रॉनिक्स के सामान, बीड़ी निर्माण, प्लास्टिक की थैलियाँ लकड़ी की चिराई व तख्तें, छापाख़ाने व एल्युमिनियम और पीतल व कांसे की वस्तुओं का निर्माण शामिल हैं। यह खाद्य-प्रसंस्करण (चावल, गेहूँ, कपास और तिलहन) और आरा मिलों का केंद्र है। यह भी उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ राज्य का पहला दैनिक समाचार पत्र 'महाकौशल' रायपुर से ही प्रकाशित हुआ था।

यातायात और परिवहन

यह आंध्र प्रदेश राज्य के विजयनगर और विशाखापट्टनम बंदरगाह से रेलमार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। यह पूरे देश से सड़कमार्ग, वायुमार्ग और रेलमार्ग द्वारा अच्छी तहर से जुड़ा हुआ है।

वायु मार्ग

भुवनेश्वर, भोपाल, जबलपुर और दिल्ली से रायपुर के लिए नियमित वायु सेवा हैं जिनसे पर्यटक आसानी से रायपुर तक पहुँच सकते हैं।

रेल मार्ग

दक्षिण-पूर्व रेलवे ने नागपुर-कोलकाता रेलवे लाईन पर पर्यटकों की सुविधा के लिए स्टेशन का निर्माण किया है। अत: पर्यटक रेल द्वारा भी आसानी से रायपुर तक पहुँच सकते हैं।

सड़क मार्ग

राष्ट्रीय राजमार्ग 6 और 43 द्वारा पर्यटक आसानी से रायपुर तक पहुँच सकते हैं।

शिक्षण संस्थान

रायपुर अध्ययन का महत्त्वपूर्ण केंद्र है। यहाँ के कला, विज्ञान, वाणिज्य विधि, कृषि विज्ञान, इंजीनियरिंग, टेक्नोलॉजी, औषधी विज्ञान (आयुर्वेदिक और ऐलोपैथिक) और प्राच्य भाषाओं के कॉलेज यहीं स्थित रविशंकर शुक्ला विश्वविद्यालय (1964) से संबद्ध हैं।

  • छत्तीसगढ़ में दूरदर्शन की शुरुआत सर्वप्रथम रायपुर से हुई थी। दूरदर्शन द्वारा चलाये गये शिक्षण कार्यक्रमों से भी यहाँ के जीवन स्तर में सुधार आया है।
  • रायपुर में अनेक संगीत अकादमियां एक संग्रहालय, एक क्षयरोग अस्पताल और चावल व रेशम व्यवसाय के प्रायोगिक फ़ार्म भी हैं।
  • छत्तीसगढ़ राज्य का एकमात्र 'कैंसर चिकित्सा केंद्र' रायपुर में ही स्थापित है, जहाँ कैंसर के रोगों का इलाज किया जाता है।
  • रायपुर में छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग का मुख्यालय भी है।

पर्यटन

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम, रायपुर

रायपुर की प्राकृतिक सुन्दरता पर्यटकों को बहुत आकर्षित करती है। उनके खाने-पीने और ठहरने के लिए यहां पर अनेक होटलों और रिसोर्टो का निर्माण किया गया है। अत: छुट्टियां बिताने के लिए रायपुर बेहतरीन पर्यटक स्थल है। रायपुर के पर्यटन स्थलों में नगरघड़ी है। यह हर घंटे के बाद छत्तीसगढ़ी लोक संगीत सुनाती है। चम्पारन, संत वल्लभाचार्य मन्दिर, तुरतुरिया झरना आदि यहाँ के मुख्य पर्यटन स्थल है। छत्तीसगढ़ राज्य के प्रमुख अभयरण्यों में से एक 'सीता नदी राष्ट्रीय अभयारण्य' रायपुर में ही स्थित है, जो यहाँ की प्रगति और आने वाले पर्यटकों के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है।

मन्दिर

रायपुर में एक मध्ययुगीन दुर्ग भी है। जिसके अन्दर कई प्राचीन मन्दिर हैं। रायपुर का सर्वश्रेष्ठ मन्दिर दूधाधारी महाराज के नाम से प्रसिद्ध है। इसमें बहुत से भाग श्रीपुर या सिरपुर के कलावशेषों से निर्मित किए गए हैं। इनमें मुख्य पत्थर के स्तम्भ हैं, जिन पर हिन्दू देवी-देवताओं की अनेक मूर्तियाँ खुदी हुई हैं। मन्दिर के शिखर के निचले भाग में रामायण की कथा के कुछ सुन्दर दृश्य उत्कीर्ण हैं। जो अधिक प्राचीन नहीं हैं। प्रदक्षिणापथ के गवाक्ष में नृसिंहावतार की मूर्ति तथा अन्य मूर्तियाँ स्थापित हैं। ये सिरपुर से लाई गई थीं। ये उच्चकोटि की मूर्तिकला के उदाहरण हैं। इस मन्दिर तथा संलग्न मठ का निर्माण दूधाधारी महाराज के द्वारा भौंसले राजाओं के समय में किया गया था। इससे पहले छत्तीसगढ़ में तांत्रिक सम्प्रदाय का बहुत ज़ोर था। दूधाधारी महाराज ने प्रान्त की नवीन सांस्कृतिक चेतना के उदबोधन में प्रमुख भाग लिया और तांत्रिक सम्प्रदाय की भ्रष्ट परम्पराओं को वैष्णव मत की सुरुचि सम्पन्न मान्यताओं द्वारा परिष्कृत करने में महत्त्वपूर्ण योग दिया था। रायपुर से राजा महासौदेवराज का सरभपुर नामक ग्राम से प्रचलित किया गया एक ताम्रदानपट्ट प्राप्त हुआ है। जिसके अभिलेख से यह गुप्तकालीन सिद्ध होता है। इसमें सौदेवराज द्वारा पूर्वराष्ट्र में स्थित श्रीसाहिक नामक ग्राम को दो ब्राह्मणों को दान में दिए जाने का उल्लेख है।

जनसंख्या

2001 की जनगणना के अनुसार रायपुर नगर निगम क्षेत्र की जनसंख्या 6,05,131 है, और रायपुर ज़िले की जनसंख्या 30,09,042 है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  • ऐतिहासिक स्थानावली से पेज संख्या 794-795 | विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार

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