"बोर्ड ऑफ़ कन्ट्रोल": अवतरणों में अंतर
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - " वाणिज्य " to " वाणिज्य ") |
||
(2 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
'''बोर्ड ऑफ़ कन्ट्रोल''', [[भारत]] में [[ईस्ट इण्डिया कम्पनी]] के प्रशासन को ब्रिटिश सरकार द्वारा नियंत्रित करने के लिए 1784 ई. के [[पिट एक्ट]] के अन्तर्गत गठित किया गया। | '''बोर्ड ऑफ़ कन्ट्रोल''', [[भारत]] में [[ईस्ट इण्डिया कम्पनी]] के प्रशासन को ब्रिटिश सरकार द्वारा नियंत्रित करने के लिए 1784 ई. के [[पिट एक्ट]] के अन्तर्गत गठित किया गया। इसका केवल एक ही अध्यक्ष होता था। हेनरी डुण्डास इसका प्रथम अध्यक्ष था। 1859 ई. में बोर्ड ऑफ़ कन्ट्रोल को समाप्त कर दिया। [[लॉर्ड एलनबरो]] इसका अंतिम अध्यक्ष था। | ||
==अधिकार== | |||
पिवी कौंसिल के मेम्बरों में से छ: व्यक्ति इसके सदस्य हुआ करते थे, जिन्हें इस कार्य के लिए कोई पारिश्रमिक नहीं दिया जाता था। उनमें से ही एक इसका अध्यक्ष होता था, जिसे निर्णायक मताधिकार प्राप्त था। बोर्ड को नियुक्तियाँ करने अथवा [[वाणिज्य]] सम्बन्धी मामलों में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार प्राप्त नहीं था। लेकिन भारत सरकार के समस्त असैनिक अथवा सैनिक मामलों तथा राजस्व से सम्बन्धित मामलों की देख-रेख, निर्देश और उनके नियंत्रण का अधिकार उसी के हाथ में था। '''कोर्ट ऑफ़ डाइरेक्टर्स''' के द्वारा [[ईस्ट इण्डिया कम्पनी]] को जो ख़रीते (सरकारी लिफ़ाफ़े) भेजे जाते थे, उन पर उसकी सहमति प्राप्त होना आवश्यक था। वह बोर्ड ऑफ़ डाइरेक्टर्स की बिना स्वीकृति के स्वयं भी आदेश भेज सकता था। | |||
==हेनरी डुण्डास== | |||
बोर्ड ऑफ़ कन्ट्रोल का प्रथम अध्यक्ष हेनरी डुण्डास था। हेनरी डुण्डास, पिट का मित्र तथा उसके मंत्रिमण्डल का एक सदस्य था। डुण्डास के बुद्धिमत्तापूर्ण कार्यों के फलस्वरूप अध्यक्ष पद को शीघ्र ही '''सेक्रेटरी ऑफ़ स्टेट फ़ॉर इण्डिया''' (भारतमंत्री) के समकक्ष बना दिया। इस प्रकार से धीरे-धीरे [[भारत]] के प्रशासन पर बोर्ड ऑफ़ कन्ट्रोल की सत्ता में बहुत वृद्धि हो गई। | |||
==भारत परिषद् में विलयन== | |||
स्वतंत्रता संग्राम के उपरान्त जब 1859 के क़ानून के अंतर्गत भारत का प्रशासन ब्रिटिश राजसत्ता को हस्तान्तरित कर दिया गया, तब बोर्ड ऑफ़ कन्ट्रोल को समाप्त कर दिया गया। उसका अध्यक्ष '''सेक्रेटरी ऑफ़ स्टेट फॉर इण्डिया''' (भारतमंत्री) हो गया और बोर्ड का विलयन उसकी भारत परिषद् में कर दिया गया। | स्वतंत्रता संग्राम के उपरान्त जब 1859 के क़ानून के अंतर्गत भारत का प्रशासन ब्रिटिश राजसत्ता को हस्तान्तरित कर दिया गया, तब बोर्ड ऑफ़ कन्ट्रोल को समाप्त कर दिया गया। उसका अध्यक्ष '''सेक्रेटरी ऑफ़ स्टेट फॉर इण्डिया''' (भारतमंत्री) हो गया और बोर्ड का विलयन उसकी भारत परिषद् में कर दिया गया। लॉर्ड एलनबरो बोर्ड ऑफ़ कन्ट्रोल का अन्तिम अध्यक्ष था। | ||
{{प्रचार}} | {{प्रचार}} | ||
पंक्ति 16: | पंक्ति 16: | ||
}} | }} | ||
{{संदर्भ ग्रंथ}} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
{{cite book | last = भट्टाचार्य| first = सच्चिदानन्द | title = भारतीय इतिहास कोश | edition = द्वितीय संस्करण-1989| publisher = उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान| location = भारत डिस्कवरी पुस्तकालय| language = हिन्दी| pages = 298| chapter =}} | |||
<references/> | <references/> | ||
[[Category: | ==संबंधित लेख== | ||
{{औपनिवेशिक काल}} | |||
[[Category:इतिहास कोश]] | |||
[[Category:अंग्रेज़ी शासन]] | |||
[[Category:औपनिवेशिक काल]] | |||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ | __NOTOC__ |
12:46, 13 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण
बोर्ड ऑफ़ कन्ट्रोल, भारत में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के प्रशासन को ब्रिटिश सरकार द्वारा नियंत्रित करने के लिए 1784 ई. के पिट एक्ट के अन्तर्गत गठित किया गया। इसका केवल एक ही अध्यक्ष होता था। हेनरी डुण्डास इसका प्रथम अध्यक्ष था। 1859 ई. में बोर्ड ऑफ़ कन्ट्रोल को समाप्त कर दिया। लॉर्ड एलनबरो इसका अंतिम अध्यक्ष था।
अधिकार
पिवी कौंसिल के मेम्बरों में से छ: व्यक्ति इसके सदस्य हुआ करते थे, जिन्हें इस कार्य के लिए कोई पारिश्रमिक नहीं दिया जाता था। उनमें से ही एक इसका अध्यक्ष होता था, जिसे निर्णायक मताधिकार प्राप्त था। बोर्ड को नियुक्तियाँ करने अथवा वाणिज्य सम्बन्धी मामलों में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार प्राप्त नहीं था। लेकिन भारत सरकार के समस्त असैनिक अथवा सैनिक मामलों तथा राजस्व से सम्बन्धित मामलों की देख-रेख, निर्देश और उनके नियंत्रण का अधिकार उसी के हाथ में था। कोर्ट ऑफ़ डाइरेक्टर्स के द्वारा ईस्ट इण्डिया कम्पनी को जो ख़रीते (सरकारी लिफ़ाफ़े) भेजे जाते थे, उन पर उसकी सहमति प्राप्त होना आवश्यक था। वह बोर्ड ऑफ़ डाइरेक्टर्स की बिना स्वीकृति के स्वयं भी आदेश भेज सकता था।
हेनरी डुण्डास
बोर्ड ऑफ़ कन्ट्रोल का प्रथम अध्यक्ष हेनरी डुण्डास था। हेनरी डुण्डास, पिट का मित्र तथा उसके मंत्रिमण्डल का एक सदस्य था। डुण्डास के बुद्धिमत्तापूर्ण कार्यों के फलस्वरूप अध्यक्ष पद को शीघ्र ही सेक्रेटरी ऑफ़ स्टेट फ़ॉर इण्डिया (भारतमंत्री) के समकक्ष बना दिया। इस प्रकार से धीरे-धीरे भारत के प्रशासन पर बोर्ड ऑफ़ कन्ट्रोल की सत्ता में बहुत वृद्धि हो गई।
भारत परिषद् में विलयन
स्वतंत्रता संग्राम के उपरान्त जब 1859 के क़ानून के अंतर्गत भारत का प्रशासन ब्रिटिश राजसत्ता को हस्तान्तरित कर दिया गया, तब बोर्ड ऑफ़ कन्ट्रोल को समाप्त कर दिया गया। उसका अध्यक्ष सेक्रेटरी ऑफ़ स्टेट फॉर इण्डिया (भारतमंत्री) हो गया और बोर्ड का विलयन उसकी भारत परिषद् में कर दिया गया। लॉर्ड एलनबरो बोर्ड ऑफ़ कन्ट्रोल का अन्तिम अध्यक्ष था।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
भट्टाचार्य, सच्चिदानन्द भारतीय इतिहास कोश, द्वितीय संस्करण-1989 (हिन्दी), भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, 298।
संबंधित लेख