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यह | बारहसिंगा की कंधे तक की ऊँचाई 135 सेंटीमीटर होती है। इसका वजन लगभग 170-180 कि.ग्रा. तक होता है। यह प्राय: नम दलदली घास वाले क्षेत्र में रहना पसन्द करते हैं। बारहसिंगा प्राय: समूहों में पाये जाते हैं। इसके सींग 75 से.मी. लम्बे होते हैं। अधिकांश बारहसिंघों के सींगों में 10 से 14 तक शाखाएँ होती हैं। अधिकतम 20 शाखाएँ वाले बारहसिंगा भी देखे गए हैं। नर बारहसिंगा के शरीर का [[रंग]] मादा से अधिक गहरा होता है। ग्रीष्म ऋतु में इसके शरीर का [[पीला रंग|पीला]]-[[भूरा रंग|भूरा]] होता है, जिस पर हल्की चित्तियाँ देखी जा सकती हैं। शीतकाल में शरीर पर बाल अधिक उगने से यह चित्तियाँ बालों में ही छिप जाती हैं। नवजात शावकों के शरीर पर [[सफ़ेद रंग]] के स्पष्ट धब्बे देखे जाते हैं, जो आयु बढ़ने के साथ-साथ विलुप्त होने लगते हैं। | ||
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यह वन्य प्राणी प्राय: चरने के लिए प्रात: या शायं काल ही दिखायी पड़ते हैं। दिन में यह आराम करते हैं। इनकी दृष्टि एवं श्रवण शक्ति, सूंघने की शक्ति के समान तेज रहती है। बारहसिंगा मादाएँ लगभग 8 महीने के गर्भाधान काल के बाद एक समय में केवल एक बच्चे को जन्म देती है। यह दुर्लभ जाति का प्राणी है। इसे अनुसूची प्रथम में रखा गया है। | |||
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बारहसिंगा यह एक घास-भक्षी हिरण है, तथा इसकी आहार सूची में मात्र | बारहसिंगा दलदली हिरण (सर्वस डुवाउसेली) की एक उपप्रजाति है, जिसने मध्य भारत के कड़ी ज़मीन वाले वास स्थलों में रहने के लिए अपने आपको ढाल लिया है। बारहसिंगा यह एक घास-भक्षी हिरण है, तथा इसकी आहार सूची में मात्र गिनी-चुनी ही घास प्रजातियाँ शामिल हैं। ये जलीय पौधों को बड़े चाव से खाते हैं। इसकी खाल, जो लगभग ऊनी होती है, भूरे से लेकर पीलापन लिए भूरे तक की किसी भी [[रंग]] की होती है। नर की गर्दन पर हल्की सी अयाल होती है। वह अधिक गहरे रंग का होता है। | ||
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*बारहसिंगों को देखने के अच्छे स्थल हैं सौंफ, रौंदा और उरनाखेरो, जो सभी कान्हा पार्क परिक्षेत्र में हैं तथा बिशनपुरा मैदान, सोंढ़र मैदान, औरई मैदान और सोंढ़र तालाब, जो मुक्की परिक्षेत्र में हैं। | *बारहसिंगों को देखने के अच्छे स्थल हैं सौंफ, रौंदा और उरनाखेरो, जो सभी कान्हा पार्क परिक्षेत्र में हैं तथा बिशनपुरा मैदान, सोंढ़र मैदान, औरई मैदान और सोंढ़र तालाब, जो मुक्की परिक्षेत्र में हैं। | ||
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08:37, 30 दिसम्बर 2012 के समय का अवतरण
बारहसिंगा हिरन प्रजाति का बड़े आकार का शानदार वन्य पशु है। इस वन्य जीव को उत्तर प्रदेश की सरकार ने अपना राज्य पशु घोषित कर रखा है। दुर्लभ वन्य जीव होने के कारण इसे संकटग्रस्त सूची में रखा गया है। बारहसिंगा दुधवा राष्ट्रीय उद्यान, हस्तिनापुर अभ्यारण्य, आसाम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और बंगाल के सुन्दरवन के वनों में भी पाया जाता है। मध्य प्रदेश के कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में भी बारहसिंगा की दूसरी प्रजाति पाई जाती है।
आकार तथा रंग
बारहसिंगा की कंधे तक की ऊँचाई 135 सेंटीमीटर होती है। इसका वजन लगभग 170-180 कि.ग्रा. तक होता है। यह प्राय: नम दलदली घास वाले क्षेत्र में रहना पसन्द करते हैं। बारहसिंगा प्राय: समूहों में पाये जाते हैं। इसके सींग 75 से.मी. लम्बे होते हैं। अधिकांश बारहसिंघों के सींगों में 10 से 14 तक शाखाएँ होती हैं। अधिकतम 20 शाखाएँ वाले बारहसिंगा भी देखे गए हैं। नर बारहसिंगा के शरीर का रंग मादा से अधिक गहरा होता है। ग्रीष्म ऋतु में इसके शरीर का पीला-भूरा होता है, जिस पर हल्की चित्तियाँ देखी जा सकती हैं। शीतकाल में शरीर पर बाल अधिक उगने से यह चित्तियाँ बालों में ही छिप जाती हैं। नवजात शावकों के शरीर पर सफ़ेद रंग के स्पष्ट धब्बे देखे जाते हैं, जो आयु बढ़ने के साथ-साथ विलुप्त होने लगते हैं।
प्रजनन
यह वन्य प्राणी प्राय: चरने के लिए प्रात: या शायं काल ही दिखायी पड़ते हैं। दिन में यह आराम करते हैं। इनकी दृष्टि एवं श्रवण शक्ति, सूंघने की शक्ति के समान तेज रहती है। बारहसिंगा मादाएँ लगभग 8 महीने के गर्भाधान काल के बाद एक समय में केवल एक बच्चे को जन्म देती है। यह दुर्लभ जाति का प्राणी है। इसे अनुसूची प्रथम में रखा गया है।
आहार
बारहसिंगा दलदली हिरण (सर्वस डुवाउसेली) की एक उपप्रजाति है, जिसने मध्य भारत के कड़ी ज़मीन वाले वास स्थलों में रहने के लिए अपने आपको ढाल लिया है। बारहसिंगा यह एक घास-भक्षी हिरण है, तथा इसकी आहार सूची में मात्र गिनी-चुनी ही घास प्रजातियाँ शामिल हैं। ये जलीय पौधों को बड़े चाव से खाते हैं। इसकी खाल, जो लगभग ऊनी होती है, भूरे से लेकर पीलापन लिए भूरे तक की किसी भी रंग की होती है। नर की गर्दन पर हल्की सी अयाल होती है। वह अधिक गहरे रंग का होता है।
निवास स्थान
- बारहसिंगा हिरण प्रजाति दलदली इलाके में रहना पसंद करती हैं। विशेषीकृत निकेत में निवास करता है।
- बारहसिंगों को देखने के अच्छे स्थल हैं सौंफ, रौंदा और उरनाखेरो, जो सभी कान्हा पार्क परिक्षेत्र में हैं तथा बिशनपुरा मैदान, सोंढ़र मैदान, औरई मैदान और सोंढ़र तालाब, जो मुक्की परिक्षेत्र में हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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