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*वनवास के समय [[राम]] के टिकने का स्थान या पड़ाव को रामटेक कहा जाता है। | {{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय | ||
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'''रामटेक''' [[महाराष्ट्र|महाराष्ट्र राज्य]] के [[नागपुर]] से 20 मील की दूरी पर रमणीक और ऊंची पहाड़ियों पर स्थित है। यह एक प्रसिद्ध [[हिन्दू]] [[तीर्थ|तीर्थ स्थान]] है। | |||
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*कुछ विद्वानों के मत में यह [[कालिदास|महाकवि कालिदास]] के '[[मेघदूत]]' में वर्णित [[रामगिरि, छत्तीसगढ़|रामगिरि]] है। यहाँ विस्तीर्ण पर्वतीय प्रदेश में अनेक छोट-छोटे सरोवर स्थित हैं, जो शायद 'पूर्वमेघ' में उल्लिखित 'जनकतनया स्नान पुण्योदकेषु' में निर्दिष्ट जलाशय हैं।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=789|url=}}</ref> | |||
*किंवदंती है कि वनवास काल में [[राम]], [[लक्ष्मण]] तथा [[सीता]] इस स्थान पर रहे थे। | |||
*रामचंद्र जी का एक सुंदर मंदिर ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। मंदिर के निकट विशाल वराह की मूर्ति के आकार में कटा हुआ एक शैलखंड स्थित है। | |||
*रामटेक को 'सिंदूरगिरि' भी कहते हैं। इसके पूर्व की ओर 'सुरनदी' या 'सूर्यनदी' बहती है। | |||
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12:46, 23 नवम्बर 2016 के समय का अवतरण
रामटेक
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विवरण | 'रामटेक' महाराष्ट्र स्थित प्रसिद्ध हिन्दू धार्मिक स्थल है। भगवान श्रीराम तथा महाकवि कालिदास से इसका निकट सम्बंध रहा है। |
राज्य | महाराष्ट्र |
ज़िला | नागपुर |
धार्मिक मान्यता | माना जाता है कि अपने वनवास काल में राम, लक्ष्मण तथा सीता इस स्थान पर रहे थे। |
संबंधित लेख | महाराष्ट्र पर्यटन, राम, कालीदास, मेघदूत, रामगिरि |
अन्य जानकारी | चंद्रगुप्त द्वितीय की पुत्री प्रभावती गुप्त ने रामगिरि की यात्रा की थी। इस तथ्य की जानकारी 'रिद्धपुर' के ताम्रपत्र लेख से होती है। |
रामटेक महाराष्ट्र राज्य के नागपुर से 20 मील की दूरी पर रमणीक और ऊंची पहाड़ियों पर स्थित है। यह एक प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ स्थान है।
- वनवास के समय राम के 'टिकने का स्थान' या 'पड़ाव' को 'रामटेक' कहा जाता है।
- कुछ विद्वानों के मत में यह महाकवि कालिदास के 'मेघदूत' में वर्णित रामगिरि है। यहाँ विस्तीर्ण पर्वतीय प्रदेश में अनेक छोट-छोटे सरोवर स्थित हैं, जो शायद 'पूर्वमेघ' में उल्लिखित 'जनकतनया स्नान पुण्योदकेषु' में निर्दिष्ट जलाशय हैं।[1]
- किंवदंती है कि वनवास काल में राम, लक्ष्मण तथा सीता इस स्थान पर रहे थे।
- रामचंद्र जी का एक सुंदर मंदिर ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। मंदिर के निकट विशाल वराह की मूर्ति के आकार में कटा हुआ एक शैलखंड स्थित है।
- रामटेक को 'सिंदूरगिरि' भी कहते हैं। इसके पूर्व की ओर 'सुरनदी' या 'सूर्यनदी' बहती है।
- इस स्थान पर एक ऊंचा टीला है, जिसे गुप्तकालीन बताया जाता है।
- चंद्रगुप्त द्वितीय की पुत्री प्रभावती गुप्त ने रामगिरि की यात्रा की थी। इस तथ्य की जानकारी 'रिद्धपुर' के ताम्रपत्र लेख से होती है।
- प्राचीन जनश्रुति के अनुसार रामचंद्र जी ने शंबूक का वध इसी स्थान पर किया था।
- रामटेक में जैन मन्दिर भी है। कुछ विद्वानों का मत है कि कालिदास के 'मेघदूत' का रामगिरि यही है।
- नागपुर से रामटेक स्टेशन 26 मील की दूरी पर है। यहाँ से बस्ती एक मील की दूरी पर है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 789 |